Wednesday, August 4, 2021

ARE WE HUMAN BETTER THAN ANIMALS क्या हम जानवरों से श्रेष्ठ हैं ?


ARE WE HUMAN BETTER THAN ANIMALS क्या हम जानवरों से श्रेष्ठ हैं ?    *तीन प्रकार के लोग सत्संग में सुनने आते हैं 1. संदेश की तरह 2. उपदेश की तरह 3. आदेश की तरह* https://youtu.be/hlKS7xdfdUc&t=34 संदेश की तरह = like walking on a railway platform listening to various announcements of trains moving in or out *although you do not have to go anywhere ,i.e., even though you are not concerned – this is simply wastage of time & hence life* उपदेश की तरह = has a basic knowledge of spirituality, is eager to know more but due to lack of 100% faith has a lot of questions to ask which is a good thing आदेश की तरह= is fully convinced about God’s omnipotence and omnipresence, has 100% faith in God & so takes God's words (in Gita) as actual orders to be followed *आदेश की तरह सुनने वाले बहुत कम हैं मगर हमारा लक्ष्य वही होना चाहिए, कि भगवान जो कहेंगे, करूँगा - उपदेश के स्तर पर आप एक शिष्य हो और शिष्य को प्रश्न करने का अधिकार है* https://youtu.be/hlKS7xdfdUc&t=129  *एक teacher notes बनाकर लाता है ताकि कुछ छूट ना जाये, क्योंकि जीवन का क्या भरोसा, एक 29 वर्ष का युवक heart attack से शरीर छोड़ दिया तो बाकियों की बात क्या करें*  https://youtu.be/hlKS7xdfdUc&t=174  *सुनने का अर्थ क्या होता है, सुनना (i) यानि सुनी हुई बात पर पालन करना या (ii) सुनी हुई बात पर प्रश्न करना, यानि जो सुना है उस पर पूर्ण विश्वास नहीं है या पूर्ण श्रद्धा नहीं है* https://youtu.be/hlKS7xdfdUc&t=264  *कोई किसी दूसरे को प्रसन्न नहीं कर सकता, केवल भगवान ही कर सकते हैं -आज हम यही गलती करते हैं कि हम एक दूसरे को खुश करने की कोशिश करते हैं और भगवान को ignore कर देते हैं* https://youtu.be/hlKS7xdfdUc&t=364  *भगवान को मानना बहुत आसान है, बच्चों का खेल है, और भगवान को ना मानना बहुत धोखा देना पड़ता है अपने आप को*  https://youtu.be/hlKS7xdfdUc&t=402  *मैं IIT, IIM, Doctors के अनेक युवाओं को भी भक्त बना चुका हूँ* https://youtu.be/hlKS7xdfdUc&t=421  *भौतिक बुद्धि यदि सही इस्तेमाल ना हो, तो बहुत खतरनाक होती है* https://youtu.be/hlKS7xdfdUc&t=450  *ज्ञान क्यों प्राप्त करना चाहते हैं, आनंद के लिए जो कभी खत्म ना हो (यानि दुख का कारण अज्ञानता है), सुख केवल शरीर का है और कभी आता है, कभी जाता है*  https://youtu.be/hlKS7xdfdUc&t=459  *ज्ञान के दो कार्य हैं 1. ये जानना कि जीवन का लक्ष्य आनंद है (आनंद कैसे प्राप्त हो)* https://youtu.be/hlKS7xdfdUc&t=495  *most people do not know their goal – and that is to get bliss (आनंद), most people wrongly assume means (जरिए,साधन, e.g., money etc.) as their goal (लक्ष्य) & waste their human life.  Goal of life can only be one – there cannot be two goals , e.g., see any game football, hockey etc. – so do not tell your children that your goal is to become engineer / doctor etc. - NO* https://youtu.be/hlKS7xdfdUc&t=514  *लक्ष्य, ना केवल मनुष्यों का मगर सभी जीवों का केवल एक ही है आनंद प्राप्ति* https://youtu.be/hlKS7xdfdUc&t=634 *ज्ञान के दो कार्य हैं 2. जीवन का लक्ष्य कैसे प्राप्त होगा* https://youtu.be/hlKS7xdfdUc&t=680  *मनुष्य और जानवर की योनि में अंतर क्या है* https://youtu.be/hlKS7xdfdUc&t=733  *eating, sleeping, mating, defending – even animals do – and if we use our intelligence & spirituality only to obtain these four – then how are we better than an animal & in such a case humans become two footed animal - animals do these four activities even without any study or working so hard to run a business*  https://youtu.be/hlKS7xdfdUc&t=875  *विवेक (discrimination power) से क्या लाभ - जो जीवन के दुखों से सदा के लिए छुटकारा कैसे पाया जाए*  https://youtu.be/hlKS7xdfdUc&t=1099 *जानवर मनुष्य से श्रेष्ठ है (in physical capabilities) मगर केवल मनुष्य ज्ञान को अर्जित करके अपना विवेक बढ़ा सकता है* https://youtu.be/hlKS7xdfdUc&t=1130 *जब किसी से तुलना करते हैं तो श्रेष्ठ से करी जाती है* और देखिए कैसे जानवर श्रेष्ठ हैं (in physical capabilities)  गिद्द जैसी नज़र (eyes like eagle),     कुत्ते की सूंघने की शक्ति (smelling power of a dog),       हाथी की तरह खाना (eating like an elephant),       घोड़े की तरह भागना (running like a horse),       लोमड़ी की तरह चालाक (clever like a fox), bird can fly (we humans cannot)    (also bird can fly (we humans cannot),     a cheetah can run 4 to 5 times faster than man,      a lion’s roar is enough for entire jungle to be scared,      giraffe is the tallest,       kangaroo can jump many times longer than man,         camel can live without water for 7 days,     fish lives in water,      lizard can stick to walls etc.).   https://youtu.be/hlKS7xdfdUc&t=1184  *जानवर से अधिक श्रेष्ठता जो मानव के पास है, यदि केवल उन्हीं चार चीजों (eating, sleeping, mating, defending) के लिए इस्तेमाल की, तो हम जानवर से भी बदतर (worse) हुए*  https://youtu.be/hlKS7xdfdUc&t=1250  *अभी हमने बात करी थी की ज्ञान से सुख प्राप्त होता है मगर पिछले 200 सालों से ज्ञान बढ़ा है और दुख भी बड़ा है – इस के दो अर्थ हैं कि 1. या तो ये ज्ञान नहीं है और नहीं तो 2. ज्ञान तो है मगर शुद्ध ज्ञान नहीं है, इसमें अशुद्धि बहुत है, यानि इस ज्ञान का शुद्धि-करण करना पड़ेगा* https://youtu.be/hlKS7xdfdUc&t=1263  *अब प्रश्न ये उठता है कि कौन सा ज्ञान है जो गायब हो गया है और जिसकी वजह से लोग दुखीं हैं - और ये जानने की कोशिश कौन कर सकता है इंसान, जानवर नहीं*  https://youtu.be/hlKS7xdfdUc&t=1400  *जीवित शरीर या मृत शरीर - कौन सा महत्वपूर्ण है ? - जीवित शरीर ! जो व्यक्ति अपना ज्यादा समय या पूरा समय ऊस पर लगाता है जो कि महत्वपूर्ण नहीं है तो ऐसा व्यक्ति ज्ञानी कहलाएगा या अज्ञानी ? – अज्ञानी, ज्ञानी व्यक्ति सुखी होगा या दुखी ?- दुखी*  https://youtu.be/hlKS7xdfdUc&t=1416  *केवल जीवित शरीर में ही चेतना है, जीवन (play of soul ,i.e., consciousness) है, और जो लोग अपना ज्यादा समय केवल शरीर के लिए लगाते हैं, वे अज्ञानी हैं जो लोग अपना ज्यादा समय जीवन को समझने के लिए लगाते हैं, वे ज्ञानी हैं*  https://youtu.be/hlKS7xdfdUc&t=1454  *जीवन को समझने के लिए हमारे पास समय ही नहीं है, आप सत्संग के लिए बुलाने जाइए किसी को, बोलेगा समय नहीं है - मूर्खों के महराजा हैं ऐसे लोग* https://youtu.be/hlKS7xdfdUc&t=1535  *आप अपने बच्चों को कहते हो नौकरी करो यदि भक्ति करनी हो तो बुढ़ापे में करना ; यानि जैसे मैं जीवन भर दुखी रहा हूँ वैसे ही तुम भी दुखी रहो बेटा, तुम कैसे सुखी हो जाओगे, क्या विडंबना (tragedy) है कि जीवन को समझने के लिए यानि आनंद पाने के लिए समय नहीं हैं मगर दुखों का पहाड़ इकट्ठा करने का समय है और इस जीवन ((play of soul ,i.e., consciousness)) के ज्ञान को आध्यात्मिक ज्ञान कहते हैं, इसे केवल मनुष्य पा सकता हैं जानवर नहीं* https://youtu.be/hlKS7xdfdUc&t=1578  *विद्या (spiritual) वो है जो आपको अमृत दे दे यानि आनंद दे दे और अविद्या (physical, about body only) वो जो मृत्यु दे दे*  https://youtu.be/hlKS7xdfdUc&t=1628


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Tuesday, August 3, 2021

INITIATION TO SPIRITUALITY आध्यात्मिक ज्ञान की प्रारंभिक समझ

 


आध्यात्मिक ज्ञान की प्रारंभिक समझ

INITIATION TO SPIRITUALITY https://www.youtube.com/watch?v=RhcBXUrwSag&list=PLI9pJ1j5Go3tIR9SwkoTdcTm-EhrmGIM2&index=2 *कोई भी व्यक्ति इस गीता के ज्ञान को ले सकता है* https://youtu.be/RhcBXUrwSag&t=151 & https://youtu.be/RhcBXUrwSag&t=234  *विद्या दान है सर्वश्रेष्ठ दान और ज्ञान*  https://youtu.be/RhcBXUrwSag&t=178 *मैं आध्यात्मिक विद्या दान तो कर रहा हूँ पर मैंने कुछ छोड़ा नहीं है, मगर फर्क इतना है (आप खाना खाते हो मैं प्रसाद पाता हूँ, आप अपना घर कहते हो मैं प्रभु का घर कहता हूँ, Teacher मैं भी हूँ आप भी हो, आप अपने बच्चों को सिखाते हो*) https://youtu.be/RhcBXUrwSag&t=248 

*हकीकत में आप कुछ छोड़ नहीं सकते, जोड़ सकते हैं ; यदि अच्छी आदतों को जोड़ोगे, तभी बुरी आदतें छूटेगीं (मैं गरीबी को खत्म करना चाहता हूँ, तो अमीर बन, मैं अज्ञान को दूर करना चाहता हूँ तो ज्ञानी बन, बिमारी छूट नहीं सकती, डॉक्टर की सलाह को जोड़ लो तब बिमारी छूटेगी*)

(*इसी तरह से सबसे बढ़िया है यदि भगवान को जोड़ लो अपने से, तो सब अच्छी आदतें और बातें अपने आप मिल जाएगी आपको - यानी वास्तव में अच्छी आदत तो केवल एक ही है और वो है भगवान से जुड़ने की* मगर  *यदि भगवान से नहीं जुड़े, तो चाहे जितनी भी so called अच्छी आदतें, दुनिया की परिभाषा में हैं, जन्म मृत्यु के कुचक्र से नहीं निकाल सकती*) https://youtu.be/RhcBXUrwSag&t=315  *भगवद गीता के आगे और कुछ ज्ञान ही नहीं है*  https://youtu.be/RhcBXUrwSag&t=376  *आप यहाँ सत्संग में क्यों आए हैं, आप अपना Time निकाल के आये हैं और Time से ज्यादा valuable कुछ नहीं है because money cannot buy Time BUT Time can buy money, Time की गरिमा को समझिए*  https://youtu.be/RhcBXUrwSag&t=460  *मनुष्य जीवन बड़ा दुर्लभ है, जो हमें भागवत प्राप्ति में लगाना चाहिए, बिन सत्संग विवेक ना होई, राम कृपा बिन सुलभ ना सोई (you cannot develop your own discrimination power without satsang but satsang is not available without Lord's grace*) https://youtu.be/RhcBXUrwSag&t=623 *ये मेरा प्रवचन नहीं है भगवान का प्रवचन है मैं तो केवल उनका mike (speaker) हूँ*  https://youtu.be/RhcBXUrwSag&t=719 *आप सत्संग में इसलिए आए हैं क्योंकि आप आनंद पाना चाहते हैं* https://youtu.be/RhcBXUrwSag&t=811  *आप मुक्ति या मोक्ष को प्राप्त करना क्यों चाहते हैं, आनंद पाने के लिए* https://youtu.be/RhcBXUrwSag&t=843  *यानी आप मानते है की संसार में केवल दुख है इसलिए मोक्ष चाहते हो* https://youtu.be/RhcBXUrwSag&t=973  *प्रत्येक व्यक्ति मुक्ति की तरफ अग्रसर है यानी मुक्ति चाहता है दुखों से, क्यों, क्योंकि आप आनंद पाना चाहते हैं* https://youtu.be/RhcBXUrwSag&t=994  *भगवद गीता की शुरुआत में ही अर्जुन शोकायुक्त (sad, mournful) था और भगवान से प्रार्थना करता है कि कैसे आनंद प्राप्ति हो* https://youtu.be/RhcBXUrwSag&t=1110  *आध्यात्मिक ज्ञान खुद अकेले पढ़ के समझ में नहीं आ सकता, जब ज्ञान को क्रमबद्ध (systematic) तरीके से लिया जाता है तो विद्या कहलाती है, और विद्या ही जीवन में उपयोगी होती है* https://youtu.be/RhcBXUrwSag&t=1133


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Sunday, August 1, 2021

प्रत्येक जीव किन-किन गुलामियों में जकड़ा है? by Kripalu ji maharaj

https://youtu.be/bMf3Y1EwQsw

https://youtu.be/bMf3Y1EwQsw The following text is copied from the Transcript available of the video. In video, please click more and “Show Transcript” Same can be viewed at this link also: https://krishnabff.blogspot.com/2021/08/by-kripalu-ji-maharaj.html 1 0.25 जीव अनादि काल से 84 लाख योनियों में घूम रहा है https://youtu.be/bMf3Y1EwQsw?t=25 2 0.51 संसार में जितने भी मां-बाप होते हैं सब स्वार्थी होते हैं (या और कोई भी), जब तक जीव को भगवत प्राप्ति नहीं होती तब तक वह स्वार्थी "ही" रहेगा, स्वार्थी "भी" नहीं https://youtu.be/bMf3Y1EwQsw?t=51 3 1.37 कई लोग शान से कह देते हैं कि भगवान ना करें मुझे किसी के आगे हाथ फैलाना पड़े, अरे बचपन से हाथ ही फैलाते आए हो https://youtu.be/bMf3Y1EwQsw?t=97 4 2.32 कोई माया-बद्ध जीव कैसे गुलाम नहीं होगा - काल का गुलाम, कर्म का गुलाम, सात्विक, राजसिक, तामसिक गुणों का गुलाम https://youtu.be/bMf3Y1EwQsw?t=152  5 3.05 "काल, कर्म, स्वभाव गुण घेरा" - तीन ताप का गुलाम, पंच क्लेश का गुलाम, पंचकोश का गुलाम, तीन प्रकार के शरीर का गुलाम - अनेक गुलामियों से बंधा हुआ है जीव  https://youtu.be/bMf3Y1EwQsw?t=185  6 3.54  विषय भोगों (worldly vices) में जो हमारी आसक्ती (attachment) है, उसकी शास्त्र में विष्ठा (latrine) से तुलना की गई है, सूअर विष्ठा खाकर बहुत प्रसन्न रहता है, यह मानव की स्थिति भी कुछ ऐसी ही है सूअर जैसी https://youtu.be/bMf3Y1EwQsw?t=234  7 5.06  मानव देह, जिसकी देवता इच्छा रखते हैं, ऐसा शरीर पाकर भी हमने उसका भारी दुरुपयोग कर डाला https://youtu.be/bMf3Y1EwQsw?t=306  Standby link (in case youtube link does not work): https://1drv.ms/v/s!AkyvEsDbWj1gnbwlCfr3sypK2RPPqQ?e=yuhMQM


Saturday, July 31, 2021

हनुमान जी पर आई शनि की दशा - by Amogh Lila Prabhu #blog0097

 


हनुमान जी पर आई शनि की दशा

https://www.youtube.com/watch?v=Q-r4ZnY8kCc

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हनुमान जी पर आई शनि की दशा HG Amogh Lila Prabhu.mp4


0.04 शनि की दशा हनुमान जी पर, साड़े 7 साल, पहले ढाई साल सिर में आता हूं, फिर ढाई साल पेट में, फिर ढाई साल पांव में

https://youtu.be/Q-r4ZnY8kCc&t=4 2.46 एक बार शनि देव, हनुमान जी में आ गए, पहले 7:30 मिनट में ही इतने परेशान हो गए हनुमान जी से, हनुमान जी ने भगवान की परिक्रमा की, हनुमान जी ने सुझाव दिया शनिदेव जी को सरसों का तेल लगाइए (messaage (मालिश) के लिए) तब से सरसों के तेल की परंपरा शुरू हुई है https://youtu.be/Q-r4ZnY8kCc&t=166 3.37 वैसे तो शनि देव भौतिक रुप से खराब हैं मगर आध्यात्मिक उन्नति के लिए बढ़िया हैं, सारे भक्तों पर शनि है https://youtu.be/Q-r4ZnY8kCc&t=217 4.50 रावण सब नौ ग्रहों के ऊपर पैर रखकर चलते थे उसके बाद सिंहासन पर बैठते थे, उन्होंने शनिदेव को जेल में डाल रखा था, वरुण (जल के देवता) देव माली थे, इंद्र सफाई करते थे https://youtu.be/Q-r4ZnY8kCc&t=290 6.10 हनुमान जी ने लंका में सभी देवी देवता, जो बंधक थे, उनको छुड़वाया https://youtu.be/Q-r4ZnY8kCc&t=370 6.35 शनि देव ने हनुमान जी को वचन दिया कि जो हरि का भक्त होगा उस पर कभी शनि की कुदृष्टि नहीं पड़ेगी https://youtu.be/Q-r4ZnY8kCc&t=395 6.46 शनिदेव आते हैं हमारा अहंकार तोड़ने के लिए और जो humble हो जाएगा, विनम्र हो जाएगा, तृणादपि सुनीचेन तरोरपि सहिष्णुना। अमानिना मानदेन कीर्तनीयः सदा हरिः, उसको शनिदेव कुछ नहीं करेंगे https://youtu.be/Q-r4ZnY8kCc&t=406 Meaning of "तृणादपि सुनीचेन तरोरपि सहिष्णुना। अमानिना मानदेन कीर्तनीयः सदा हरिः" One should chant the holy name of the Lord in a humble state of mind, thinking oneself lower than the straw in the street; one should be more tolerant than a tree, devoid of all sense of false prestige, and should be ready to offer all respect to others. In such a state of mind one can chant the holy name of the Lord constantly. 7.50 शनी बड़े धीरे चलते हैं आपकी life को भी धीरे कर देंगे, दुनिया आगे निकल जाएगी आप पीछे रह जाओगे, आप अकेले रह जाओगे तो फिर आपके साथ कौन रहेंगे, हरि https://youtu.be/Q-r4ZnY8kCc&t=470 8.15 इसलिए जो हरि भक्ति करते हैं उन्हें अंगूठी वगैरा कुछ पहनने की जरूरत नहीं, आपका बुध भी कमजोर है, आपका गुरु कि भी कुदृष्टि (bad eye) है, आप यह पहन लीजिए, वह पहन लीजिए, भक्त कहता है नहीं मुझे कुछ नहीं पहनना ,हम तो पहनेंगे केवल "हरे कृष्णा हरे कृष्णा" Mahamantra https://youtu.be/Q-r4ZnY8kCc&t=495 9.05 एक बार प्रभुपाद जी को किसी ने कहा मेरी कुंडली में राहु है उन्होंने कहा केवल 16 माला करो, follow 4 regulative principles https://youtu.be/Q-r4ZnY8kCc&t=545 9.24 Prabhupad ji ने कह एक एक लात मारूंगा तो 1000 (हजारों) राहू केतु एक बार में निकल जाएंगे https://youtu.be/Q-r4ZnY8kCc&t=564 https://krishnabff.blogspot.com/2021/07/by-amogh-lila-prabhu.html

Friday, July 30, 2021

HOW TO BECOME HAPPY WHILE IN THIS WORLD and BEYOND #blog0096

HOW TO BECOME HAPPY WHILE IN THIS WORLD & BEYOND

 

We ourselves choose to take birth in this material world by our own actions & foolishly do not want to get rid of this birth, disease, old age & death cycle.

We say "Time नहीं है for spirituality" due to our super ignorance (darkness in our minds).

And if we land up in this material world due to our own so called illusive freedom ("This is my life"), we have no choice but to follow the laws of material nature, i.e., work hard like asses for our living and do Tough, Tougher, Toughest Exercises but still go through all the miseries of life.

So called happiness in this material world "obtained" by travelling to different places, partying with so called friends & relatives, drinking, eating food, watching movies is also very temporary & brings in its wake a life long hard work to earn that happiness which is actually a mirage.

The only wise choice we can & should make is to surrender to Lord Krishna as advised by He Himself & get eternal bliss at His own abode where there is no birth, disease, old age & death.

Surender means we remember Him all the time while doing our jobs & dedicate all our actions, words & deeds to Him ,i.e., doing everything for His sake, His pleasure, rather than our own senses' self-gratification.

There is no question of "Time नहीं है for spirituality" as we do not have to take out "Time" for Lord, it is our God oriented attitude towards everything in life & only this 24x7 mental makeup while doing all routine daily actions can make us happy.

आपका प्रत्येक कर्म भक्ती बन जाएगा
बजाय की भक्ति एक कर्म बन कर जाए

This is called His devotional bhakti & only this will as as an automatic byproduct make you happy, otherwise nothing else in this world can make you happy, howsoever "Tough" exercises or work you do like asses or travelling or partying or food eating etc etc simply because this world is not designed by Lord to be a happy place.

Best way to divert or rather keep your mind absorbed in thoughts of Krishna is by way of जाप (chanting His holy name by महा मंत्र), reading (best reading is Gita & Srimad Bhagavatam), listening about Him & dedicating your thoughts, words & actions only for His sake & His pleasure, NOT FOR OUR OWN SENSE GRATIFICATION, i.e., we do everything for His pleasure, not our pleasure - This is Krishna Consciousness.


This way, you'll automatically become happy as a consequence of becoming Krishna Consciousness because we will be acting as per the design of the Lord & if we work a machine as per its designed specifications, machine runs "happily".

*GITA*:
https://vedabase.io/en/library/bg/

*SRIMAD BHAGAVATAM*:
https://vedabase.io/en/library/sb/