Showing posts with label Premanand ji. Show all posts
Showing posts with label Premanand ji. Show all posts

Sunday, April 30, 2023

ये गुप्त संकेत मिले तो प्रभु ने आपका हाथ पकड़ लिया है by Premanand ji

ये गुप्त संकेत मिले तो प्रभु ने आपका हाथ पकड़ लिया है by Premanand ji


Transcript 0:00 बोले मेरे हाथ में ताकत नहीं,  0:02 हाँ पक्की बात है आप में ताकत नहीं है 0:04 लेकिन आपका हाथ बहुत बड़े ताकतवर ने पकड़ 0:07 लिया है अब आप फिसलोगे नहीं, इधर प्रिया जू 0:09 इधर प्रीतम जू और बीच में आप चल रहे आपको 0:12 क्या परेशानी है, दोनों युगल सरकार हमें पकड़ 0:15 कर के चल रहे हैं, ऐसा भाव रखो, मैं अकेले 0:17 थोड़ी चल रहा हूं प्रिया प्रीतम के बीच 0:19 में चल रहा हूं, लाडली लाल हमें ले चल रहे 0:25 हैं, यह बात ध्यान से सुनिए यह सिद्धांत है 0:29 “जोई जोई प्यारो करे सोई मोई भावे” ये पहली 0:32 पंक्ति अगर जीवन में नहीं आई तो आप रस 0:34 उपासक नहीं हो रस उपासना में पहली बात आप 0:40 समर्थ है ना और हम उनके हैं ना अब वो जो 0:44 विधान हमारे लिए करेंगे वो उचित है, वही 0:47 विधान हमें मिलाएगा जाके प्रिया प्रीतम से, 0:49 हमारी (मन की दुनिया से) चाहत हमको प्रिया प्रीतम से अलग 0:52 करेगी, हमारे प्रभु का विधान हमें उनके रस 0:55 में मिला देगा, यह बात आप अपने हृदय में 0:57 बैठा लीजिए, शिकायत करने की बिल्कुल जरूरत 0:59 नहीं, 1:01 सुख समुद्र होते हुए वह हमें विपत्ति 1:03 क्यों दे रहे हैं ? प्रतिकूलता क्यों दे रहे  1:06 हैं ? दुख क्यों दे रहे हैं ? क्या उनको घाटा 1:08 पड़ जाएगा ? समुद्र से चुल्लू भर जल निकाल 1:11 ले तो उसको कुछ कमी पड़ती है ? अरे मालिक आप 1:13 तो सुख समुद्र हो, फिर मुझे विपत्ति (problems) क्यों 1:15 दे रहे हो ? क्योंकि तुम इसी विपत्ति रूपी 1:18 कड़वी दवा से राग रहित होगे (you’ll get rid of these problems) , अनुराग (love) को 1:22 प्राप्त होगे, यह (कड़वी) दवा तुम्हें राग रहित 1:23 करेगी, ये अनुकूलता (favourable circumstances) रूपी मिठाई तुम्हारे 1:26 शुगर पैदा कर देगी, तुम स्वस्थ नहीं रहोगे, 1:28 मानो मेरी बात यदि हमारे स्वामी की इच्छा 1:31 है कि तुम दुख भोगो, करोड़ों सुख बलिहार हैं 1:34 उस दुख पर हँस कर सहेंगे, 1:36 बातों से नहीं, तैयार हो जाओ “चढ़ के मैं (see text 1 below) 1:41 तुरंग पर चल पावक माय”, ये वाह वाह (praises) कहने वाला 1:44 मार्ग नहीं है, आह (sigh) कहने वाला मार्ग है, राधा 1:48 स्वामिनी कदम आगे बढ़ते चले जाएं, ना फिसलना 1:52 है, ना रुकना है और ना झुकना है, किसी विकार (अव्यवस्था, disorder) 1:56 के आगे झुकना नहीं है, रुकना नहीं किसी 1:59 विघ्न से रुकना नहीं है, हां किसी सुख 2:01 अनुकूलता, प्रतिष्ठा में फिसलना नहीं, बढ़ते 2:04 कदम चले जाएं, बोले मेरे ताकत नहीं, हां नहीं 2:07 आपमें ताकत नहीं है, 2:10 लेकिन आपका हाथ बहुत बड़े ताकतवर ने पकड़ 2:12 लिया है, अब आप फिसलोगे नहीं, इधर प्रिया जू उधर 2:15 प्रीतम जू और बीच में आप चल रहे, आपको क्या 2:17 परेशानी दोनों युगल सरकार हमें पकड़ कर के 2:20 चला रहे हैं ऐसा भाव रखो मैं अकेले थोड़ी 2:22 चल रहा हूं, प्रिया प्रीतम के बीच में चल 2:24 रहा हूं, लाडली लाल हमें ले चल रहे हैं अब 2:28 अगर वो हमको दुख देना चाहते हैं जिसे दुख 2:31 संसार में कहा जाता है तो मुझे नहीं चाहिए 2:34 सुख verse जो 2:38 इनके मन में आया कि अच्छा अभी फसाओ बनाए 2:41 हुए हैं, ये देखो हम फेंकते हैं दवा, 2:44 फेंकी दवा अब सब जगह कड़वाहट ही कड़वाहट, 2:47 अपमान, शरीर रोग से ग्रसित, शरीर अभिमान 2:49 गलित, परिवार, संसार, निंदा की दृष्टि से, कोई 2:52 राग नहीं, अब एक बात बची, नाथ नाथन समर्थ 2:55 मोहन श्री राधा हे प्रभु आपके सिवा कोई 2:58 नहीं, हाँ बोले दवा काम कर गइ 3:00 अब अपने लोग क्या जरा सी प्रतिकूलता आती 3:02 है श्री जी से शिकायत प्रारंभ कर देते हैं 3:05 और कहलाते क्या है प्रेमी, रसिक जन, 3:10 समझो यही बात सार निर्धार (determined), “प्यारे राहबरी 3:15 इच्छा नहीं जानी तो जानवे पे धूल” अपने 3:17 प्यारे की इच्छा नहीं जानी, अपनी ही इच्छा को 3:19 जान जान करके आरोपित करते रहते हो तो 3:21 तुम्हारे जानवे पर धूल (धिक्कार) है तुम कैसे उपासक 3:24 हो इस निष्ठा से जब हम प्यारी जू प्यारे जू 3:28 की तरफ चलते हैं तो दर्शन होने लगता है 3:31 अनुभव होने लगता है, बिल्कुल सच्ची बात 3:33 मानिए, ये कल्पना नहीं होती, परमार्थ में 3:36 प्रेम मार्ग में जो आप चलते हैं आपकी 3:38 भावना में जो हल्की सी झांकी आ रही है, प्रिया 3:41 प्रीतम की ऐसे ही मन की भावना के अनुसार 3:43 वृंदावन झलक रहा है, यमुना जी दिखाई दे 3:46 रही हैं थोड़ी थोड़ी, यह कल्पना नहीं 3:48 तुम्हारी यह प्रारंभिक कृपा शुरू हो गई, 3:51 यही गाढ भाव में संसार अंतरध्यान केवल 3:54 वृंदावन और दिव्य लीला - ऐसे खुली आंख से दिखती 3:57 है, हमारे प्यारी जू प्यारे जू ऐसे नहीं कि  3:59 झलक दिए और चले गए (see text 1 above) ‘रहिमन’ मैन-तुरंग चढ़ि, चलिबो पावक माहिं। प्रेम-पंथ ऐसो कठिन, सब कोउ निबहत नाहिं॥ प्रेम का मार्ग हर कोई नहीं तय कर सकता। बड़ा कठिन है उस पर चलना, जैसे मोम के बने घोड़े पर सवार हो आग पर चलना। तुरंग = घोड़ा, पावक = आग   Standby link (in case youtube link does not work) ये गुप्त संकेत मिले तो प्रभु ने आपका हाथ पकड़ लिया है #premanandjimaharaj #premanand #premanandji.mp4

Sunday, April 16, 2023

एक तरफ कहते हैं कि कर्म करो दूसरी ओर होता वही है जो भगवान ने लिखा है तो कर्म क्यों करें ? by Swami Premanand ji

एक तरफ कहते हैं कि कर्म करो दूसरी ओर होता वही है जो भगवान ने लिखा है तो कर्म क्यों करें ? by Swami Premanand ji

https://www.youtube.com/watch?v=0mwnu4V5CyE Full Text  1#  अनुपमा जी, पटियाला से, राधे राधे महाराज जी, भगवान ने मनुष्य को कर्म करने के लिए कहा है, लेकिन राम चित मानस में उल्लेख है कि “होई है सोई, जो राम रची राखा” तो सत्य क्या है ?  सदगुरुदेव, सत्कर्म करने पर भी जब परिस्थिति प्रतिकूल हो रही हो, मन को ये समझाना ठीक है ? ये तभी बोला जाता है “करि देखा बहु जतन जब रहइ न दच्छकुमारि” (see text 1 below)  https://www.youtube.com/watch?v=0mwnu4V5CyE&t=0  2  जब भगवान ने अपनी प्रिया सती जी को बार-बार समझाया, यह प्रसंग है, कि भगवान श्री राम सिया जी की प्रेम विकलता में लताओं से पूछ रहे हैं मृग से पूछ रहे हैं “हे खग, हे मृग, मधुकर श्रेणी, तुम देखी सीता मृग नैनी” ? उस समय भगवान शंकर ने कहा,  “जय सच्चिदानंद परमधाम प्रभु की जय”, सती जी के मन में आया कि राम अगर सच्चिदानंद है तो सच्चिदानंद त्रिकालज्ञ होता है, भूत भविष्य वर्तमान तीनों काल का ज्ञान, फिर लताओं से, खग, मृग, पक्षी, पशु, पक्षियों से पूछ रहें हैं कि तुमने मृगनैनी सीता को देखा है क्या ? तीनों काल का ज्ञान नहीं इनको ?  https://www.youtube.com/watch?v=0mwnu4V5CyE&t=25  3  और अगर अल्पज्ञ है तो भगवान शंकर सर्वज्ञ है, यह जय सच्चिदानंद परम धाम कह के क्यों प्रणाम किया ? “अस संशय मन भय अपार”, संशय हुआ, तो भगवान शंकर ने देखा, तुम्हारे मन में बहुत संदेह है,  संदेह मत करो, बड़े-बड़े मुनी योगी जिनका ध्यान करते हैं, वही भगवान श्री राम हैं, यह लीला के लिए मनुष्य रूप धारण किया है, इसलिए वह ऐसा पूछ रहे हैं,  सती जी को बहुत समझाया लेकिन नहीं समझ में आया, तब कहा, “जो तुम्हरे मन अति संदेह, तो किन जाए परीक्षा लेहु”,  https://www.youtube.com/watch?v=0mwnu4V5CyE&t=73  4  सती जी राजी हो गई और परीक्षा के लिए चल पड़ी, तब कहा, “होई है सोई जो राम रची राखा”, (see text 2 below) पूरा प्रयास करने पर भी जब परिणाम सही नहीं निकला और वह परीक्षा के लिए गईं, तब ये बोला “होई सोई जो राम रची राखा”,  अपना कर्तव्य कर्म करें और परिणाम अगर हमारे विपरीत आ रहा है, इसका मतलब, भगवान ने कुछ लीला रची है, अब कुछ होगा, होगा विनाश लीला ही, अगर समझाने से समझ में नहीं आ रहा, सत धर्म से चलना नहीं आ रहा, तो विनाश लीला ही होगी और तो कुछ होने वाला नहीं,  https://www.youtube.com/watch?v=0mwnu4V5CyE&t=108  5  अब सती जी गई और सोचा, अगर यह राजा है, और सिया जी की खोज कर रहे हैं, तो मैं सीता रूप धारण करूंगी तो देखते ही कहेंगे, मिल गई सिया जी, अगर त्रिकालज्ञ भगवान हैं तो अभी पता चल जाएगा, लता की ओट में हुई और तत्काल अपना रूप सीता जी का रखा, सामने गईं, “verse“  https://www.youtube.com/watch?v=0mwnu4V5CyE&t=150  6  राम ने कहा मैं आपको नमस्कार करता हूँ, हे माता, भगवान शिव को छोड़कर, अकेले कहां और सीता जी का रूप, कांप गईं, कि हम तो समझ रहे थे, देखते ही कहेंगे, आओ सीता मिल गई लेकिन यह क्या, यह तो हमारा पूरा सब रहस्य जानते हैं,  फिर देखा, अनंत ब्रह्मांड में अनंत राम, अनंत सिया, अनंत लक्ष्मण, इतना वैभव देखा, आंख मूँदकर बैठ गईं, तब फिर देखा, फिर वो ऐसे पूछ रहे हैं, हे खग, हे मृग, हे मधुकर,  https://www.youtube.com/watch?v=0mwnu4V5CyE&t=177  7  भगवान शंकर ने कहा राम की परीक्षा ली ? झूठ बोल गई भगवान शंकर से, “कछु न परीक्षा लीन गोसाईं और कीन प्रणाम तुम्हारी नाई” कि जैसे आपने राम को प्रणाम किया,  मैं भी वैसे ही प्रणाम करके चली आई, कोई परीक्षा नहीं ली, भगवान शंकर ने कहा, जब मैं समझा रहा था, तो संशय नहीं गया, वहां जाकर केवल प्रणाम करके चली आओगी ?  https://www.youtube.com/watch?v=0mwnu4V5CyE&t=210  8  तब देखयो “शंकर धर ध्याना सती जो चरित कीन जाना, शिव संकल्प कीन मन माही, ये तन भेंट सती अब नाहीं, आखिरकार सती जी को पिता के यज्ञ में जाकर अपना शरीर भस्म करना पड़ा, यह हुआ, “राम रची राखा”, ये तब कहा जाता है, जब अपना पूरा कर्तव्य करके देख लिया और परिणाम हाथ में नहीं  https://www.youtube.com/watch?v=0mwnu4V5CyE&t=235  -----------


(see text 1 above) कहि देखा हर जतन बहु रहइ न दच्छकुमारि। दिए मुख्य गन संग तब बिदा कीन्ह त्रिपुरारि॥62॥ भावार्थ:-शिवजी ने बहुत प्रकार से कहकर देख लिया, किन्तु जब सती किसी प्रकार भी नहीं रुकीं, तब त्रिपुरारि महादेवजी ने अपने मुख्य गणों को साथ देकर उनको बिदा कर दिया॥62॥ https://www.shriramcharitmanas.in/p/baal-kand_36.html   (see text 2 above) "होइहि सोइ जो राम रचि राखा" एक प्रसिद्ध चौपाई है जो रामचरितमानस से ली गई है। इसका अर्थ है, जो कुछ राम ने रच रखा है, वही होगा।" यह चौपाई इस बात पर जोर देती है कि हमें ईश्वर की इच्छा पर विश्वास करना चाहिए और किसी भी तर्क से उसे बदलने की कोशिश नहीं करनी चाहिए। [1, 2] चौपाई: होइहि सोइ जो राम रचि राखा। को करि तर्क बढ़ावै साखा।। (होइहि सोइ जो राम रचि राखा। को करि तर्क बढ़ावै साखा।।) अर्थ: जो कुछ श्री राम ने निश्चित कर रखा है, वही होगा। तर्क करके उसे बदलने की कोशिश न करें। [1, 2] भावार्थ: यह चौपाई हमें कर्म के फल पर विश्वास करने और ईश्वर की इच्छा को स्वीकार करने का संदेश देती है। हमें अपनी बुद्धि और तर्क से परे जाकर, ईश्वर की इच्छा पर भरोसा करना चाहिए। यह चौपाई हमें धैर्य और समर्पण का पाठ सिखाती है। उदाहरण: रामचरितमानस में, जब सती भगवान शिव के कथन पर विश्वास नहीं कर पाती हैं, तब वह कहती हैं कि "होइहि सोइ जो राम रचि राखा" अर्थात् जो कुछ राम ने रच रखा है वही होगा।   निष्कर्ष:  "होइहि सोइ जो राम रचि राखा" एक महत्वपूर्ण चौपाई है जो हमें धैर्य, समर्पण और ईश्वर की इच्छा पर विश्वास करने का पाठ सिखाती है। [1] https://shriramshalaka.com/chaupai/hoi-hi-soi-jo-ram-rachi-rakha [2] https://www.facebook.com/watch/?v=387362284258839

Standby link (in case youtube link does not work) एक तरफ कहते हैं कि कर्म करो दूसरी ओर होता वही है जो भगवान ने लिखा है तो कर्म क्यों करें BhajanMarg.mp4

Thursday, March 23, 2023

कौन सा अपराध है जो क्षमा योग्य नहीं होता? | by Shri Premanand ji

कौन सा अपराध है जो क्षमा योग्य नहीं होता? | by Shri Premanand ji

https://www.youtube.com/watch?v=iRXNwNkyLWY Full Text 1  श्री हरिवंश महाराज जी महाराज जी, मुझे हमेशा यह डर बना रहता है कि बड़ी मुश्किल से मनुष्य शरीर प्राप्त हुआ है, कोई गलती होगी तो फिर 84 लाख योनियों में घूमना पड़ेगा. महाराज जी किस प्रकार का अपराध क्षमा योग्य नहीं होता ?  https://www.youtube.com/watch?v=iRXNwNkyLWY&t=0  2  भगवान से विमुख होना सबसे बड़ा अपराध है ! जितनी भी गलतियां हैं जितनी भी दुर्गतियां है, वो जीव को भगवान से विमुखता के कारण प्राप्त होती है, 

इसलिए हमें चाहिए कि भगवान की शरण में होकर शास्त्रों का स्वाध्याय करें, संतों का संग करें, खूब नाम जप करें और जीवन में एक एक मिनट सावधानी पूर्वक काटें,  https://www.youtube.com/watch?v=iRXNwNkyLWY&t=16  3  हमारी मन और इंद्रियों का प्रवाह भोगों की तरफ स्वतः है, जैसे पानी को कहीं छोड़ो वो जहां ढलान होगी वहीं जाएगा, नीचे,  ऐसे ही मन और इंद्रियां भोगों की तरफ हमारी जाती हैं, उनको परमात्मा की तरफ करना ही सन्मुख होना है, भगवान के सन्मुख हुआ जीव तो अनंत जन्मों की मलिनताओं का नाश करके भगवान उसको परम पद प्रदान करते हैं,  https://www.youtube.com/watch?v=iRXNwNkyLWY&t=40  4  एक मार्ग यह है और एक मार्ग है ब्रह्म ज्ञान, वह सबके बस की बात नहीं है, वह तो बहुत अच्छे कोई उच्च कोटि के मुमुक्ष (one who has strong curiosity to know God) साधक का मार्ग है तो इसलिए सहज सरल भक्ति का जो मार्ग है उसके द्वारा हम भगवान की प्राप्ति का उपाय करें,  https://www.youtube.com/watch?v=iRXNwNkyLWY&t=69  5  भगवान के सन्मुख होते ही ““सन्मुख होए जीव मोहे जबही, जन्म कोटि अघ नाशत तब ही”, तभी करोड़ों जन्मों के पाप भगवान नष्ट कर देते हैं, जब जीव भगवान की शरण में होता है,  इसलिए भगवान की शरण में हो जाओ और सत्संग सुनो, सत्संग से बुद्धि पवित्र होती है बुद्धि में विवेक जागृत होता है और विवेक के द्वारा ही हम भोगों के राग का नाश कर सकते हैं,  भोगों का राग यदि नष्ट नहीं हुआ तो सब पाखंड चलता रहता है, भोग भोग रहे हैं, और मनमानी आचरण हो रहे हैं, हम भगत भी कहलाते हैं, साधक भी कहलाते हैं, उपासक भी कहलाते हैं, वो सब नौटंकी हैं, उसमें कोई आध्यात्मिक उन्नति नहीं हो सकती, वो केवल मान्यता है कि हम साधक हैं, हम उपासक हैं,  https://www.youtube.com/watch?v=iRXNwNkyLWY&t=86  6  साधक वही है जो अपनी चित्तवृत्ति को एकमात्र परमात्मा में लगाने का प्रयत्न कर रहा है और जितने भोग हैं,  मृत्य लोक से लेकर ब्रह्मलोक तक, सब भोगों से उदासीनता हो, “ब्रह्मादिक के भोग सब विषम लागत ताहे, नारायण ब्रज चंद की लगन लगी है जाये”,  तभी जीव का कल्याण होता है, बहुत दुरंत (extremely difficult to cross over) माया है, “दैवी है सागुणमय मम माया दुरत्या” दुरतया जल्दी तरने में नहीं आती है, जीव को फंसा के गिरा लेती है,  https://www.youtube.com/watch?v=iRXNwNkyLWY&t=137  7  “मामेव ये प्रपद्यन्ते मायामेतां तरन्ति ते”  https://www.holy-bhagavad-gita.org/chapter/7/verse/14/hi  जो मेरी शरण में आ गया वो माया से तर गया, भगवान की शरण में हो जाओ, नाम जप करो सत्संग सुनो, पवित्र भोजन भगवान को अर्पित करके पाओ, गंदे आचरणों से बचो, तो यह जन्म सार्थक हो जाएगा,  https://www.youtube.com/watch?v=iRXNwNkyLWY&t=175  8  सबसे बड़ा अपराध है भगवत विमुखता “कह हनुमंत बिपति प्रभु सोई | जब तव सुमिरन भजन न होई” (see text 1 below), अगर सुमिरन भजन हो रहा है तो कोई भी अपराध बन गया हो, अब चिंता करने की जरूरत नहीं, सब पाप नष्ट हो जाएंगे, 

“सर्वधर्मान्परित्यज्य मामेकं शरणं व्रज।, अहं त्वां सर्वपापेभ्यो मोक्षयिष्यामि मा शुचः”,  https://www.holy-bhagavad-gita.org/chapter/18/verse/66/hi  मैं तुम्हें समस्त पापों से मुक्त कर दूंगा भगवान कह रहे हैं तुम भगवान की शरण में होकर नाम जप करो  https://www.youtube.com/watch?v=iRXNwNkyLWY&t=194  (see text 1 above)  “कह हनुमंत बिपति प्रभु सोई | जब तव सुमिरन भजन न होई”  हनुमान इस बात पर जोर देते हैं कि सच्ची विपत्ति भगवान की भक्ति और स्मरण का अभाव है। वह राक्षसों के खतरे को कम करके आंकते हैं, और कहते हैं कि उनकी हार और सीता का बचाव अपरिहार्य है। इससे पता चलता है कि सबसे बड़ी पीड़ा आध्यात्मिक संबंध की कमी से उत्पन्न होती है, जबकि भौतिक चुनौतियाँ गौण हैं। मुख्य संदेश दुख के खिलाफ एक ढाल के रूप में भक्ति का महत्व है।  Hanuman emphasizes that true adversity is the absence of devotion and remembrance of God. He downplays the threat of the demons, asserting that their defeat and the rescue of Sita are inevitable. This suggests that the greatest suffering stems from a lack of spiritual connection, while material challenges are secondary. The core message is the importance of devotion as a shield against suffering.  Transcript 0:00 श्री हरिवंश महाराज जी महाराज जी, मुझे 0:06 हमेशा यह डर बना रहता है कि बड़ी मुश्किल 0:08 से मनुष्य शरीर प्राप्त हुआ है, कोई गलती 0:09 होगी तो फिर 84 लाख योनियों में घूमना 0:11 पड़ेगा. महाराज जी किस प्रकार का अपराध 0:13 क्षमा योग्य नहीं होता ? 0:16 भगवान से विमुख होना सबसे बड़ा अपराध है ! 0:20 जितनी भी गलतियां हैं जितनी भी दुर्गतियां 0:23 है वो जीव को भगवान से विमुखता के कारण 0:27 प्राप्त होती है, इसलिए हमें चाहिए कि 0:29 भगवान की शरण में होकर शास्त्रों का 0:32 स्वाध्याय करें, संतों का संग करें, खूब नाम 0:36 जप करें और जीवन में एक एक मिनट सावधानी 0:40 पूर्वक काटें, हमारी मन और इंद्रियों का 0:44 प्रवाह भोगों की तरफ स्वतः है जैसे पानी 0:47 को कहीं छोड़ो वो जहां ढलान होगी वहीं 0:50 जाएगा, नीचे, ऐसे ही मन और इंद्रियां भोगों 0:56 की तरफ हमारी जाती हैं, उनको परमात्मा की 0:59 तरफ करना ही सन्मुख होना है, भगवान के सन्मुख 1:02 हुआ जीव तो अनंत जन्मों की मलिनताओं का 1:06 नाश करके भगवान उसको परम पद प्रदान करते 1:09 हैं, एक मार्ग यह है और एक मार्ग है ब्रह्म 1:13 ज्ञान, वह सबके बस की बात नहीं है, वह तो 1:16 बहुत अच्छे कोई उच्च कोटि के मुमुक्ष साधक 1:20 का मार्ग है तो इसलिए सहज सरल भक्ति का जो 1:23 मार्ग है उसके द्वारा हम भगवान की 1:26 प्राप्ति का उपाय करें, भगवान के सन्मुख होते 1:29 ““सन्मुख होए जीव मोहे जबही,  जन्म कोटि अघ नाशत तब ही”, 1:33 तभी करोड़ों जन्मों के पाप भगवान नष्ट 1:37 कर देते हैं, जब जीव भगवान की शरण में होता 1:40 है, इसलिए भगवान की शरण में हो जाओ और सत्संग 1:44 सुनो, सत्संग से बुद्धि पवित्र होती है 1:47 बुद्धि में विवेक जागृत होता है और विवेक 1:50 के द्वारा ही हम भोगों के राग का नाश कर 1:54 सकते हैं, भोगों का राग यदि नष्ट नहीं 1:57 हुआ तो सब पाखंड चलता रहता है, भोग भोग रहे 2:00 हैं, और मनमानी आचरण हो रहे हैं, हम भगत भी 2:04 कहलाते हैं, साधक भी कहलाते हैं, उपासक भी 2:07 कहलाते हैं, वो सब नौटंकी हैं, उसमें कोई 2:10 आध्यात्मिक उन्नति नहीं हो सकती, वो केवल 2:14 मान्यता है कि हम साधक हैं, हम उपासक हैं, 2:17 साधक वही है जो अपनी चित्तवृत्ति को 2:23 एकमात्र परमात्मा में लगाने का प्रयत्न कर 2:27 रहा है और जितने भोग हैं, मृत्य लोक से 2:30 लेकर ब्रह्मलोक तक, सब भोगों से 2:33 उदासीनता हो, “ब्रह्मादिक के भोग सब विषम 2:37 लागत ताहे, नारायण ब्रज चंद की लगन लगी है 2:41 जाये”, तभी जीव का कल्याण होता है, बहुत दुरंत 2:45 माया है, “दैवी है सागुणमय मम माया 2:49 दुरत्या” 2:51 दुरतया जल्दी तरने में नहीं आती है, जीव को 2:55 फंसा के गिरा लेती है, “मामेव ये प्रपद्यन्ते मायामेतां तरन्ति ते” https://www.holy-bhagavad-gita.org/chapter/7/verse/14/hi 2:59 जो मेरी शरण में आ गया वो माया 3:03 से तर गया, भगवान की शरण में हो जाओ, नाम जप करो 3:07 सत्संग सुनो, पवित्र भोजन भगवान को अर्पित 3:10 करके पाओ, गंदे आचरणों से बचो, तो यह जन्म 3:14 सार्थक हो जाएगा, सबसे बड़ा अपराध है भगवत 3:17 विमुखता “कह हनुमंत बिपति प्रभु सोई | जब तव सुमिरन भजन न होई” (see text 1 below), 3:21 अगर सुमिरन भजन हो रहा 3:25 है तो कोई भी अपराध बन गया हो, अब चिंता 3:27 करने की जरूरत नहीं, सब पाप नष्ट हो जाएंगे, 3:30 सर्वधर्मान्परित्यज्य मामेकं शरणं व्रज।, अहं त्वां सर्वपापेभ्यो मोक्षयिष्यामि मा शुचः,  https://www.holy-bhagavad-gita.org/chapter/18/verse/66/hi मैं 3:34 तुम्हें समस्त पापों से मुक्त कर दूंगा 3:37 भगवान कह रहे हैं तुम भगवान की शरण में 3:39 होकर नाम जप करो

Standby link (in case youtube link does not work) Premanand ji maharaj कौन सा अपराध है जो क्षमा योग्य नहीं होता.mp4

Sunday, February 13, 2022

गुरुजी पिछले कई वर्षों से शारीरिक कष्ट झेल रहा हूं, जिससे अब हिम्मत जवाब दे रही है भजन में स्वयं को लगाने रखने में अक्षम महसूस कर रहा हूं answer by Premanand ji

गुरुजी पिछले कई वर्षों से शारीरिक कष्ट झेल रहा हूं, जिससे अब हिम्मत जवाब दे रही है भजन में स्वयं को लगाने रखने में अक्षम महसूस कर रहा हूं answer by Premanand ji 


Main Points:

1 गुरुजी पिछले कई वर्षों से शारीरिक कष्ट झेल रहा हूं, जिससे अब हिम्मत जवाब दे रही है भजन में स्वयं को लगाने रखने में अक्षम महसूस कर रहा हूं  भाई जब तक तुम स्वस्थ हो और जवान हो अपने कल्याण के लिए उपाय कर लो नहीं जब रोगी हो जाओगे और बुढ़ापा हो जाएगा, तब आपसे भजन नहीं होने वाला  https://youtu.be/oggBrJ4cHFE&t=2241 2 चिदानंद भगवान की प्राप्ति और भजन, अब जीवन में जब स्वस्थ थे तो भोगों को भोगा, मनमानी आचरण में रहे, अब शरीर अस्वस्थ हो गया है, दुख से युक्त है अब कैसे मन भगवान में लगे ? वो आपका ही नहीं, पूरी सृष्टि का सिद्धांत है  https://youtu.be/oggBrJ4cHFE?t=2292 3 आग लग गई अब कुआ खोदना शुरू करो, क्या कहे जाओगे ? बुद्धिमान कहे जाओगे ? पहले से कुआँ की व्यवस्था है, पानी की व्यवस्था है कि अगर आग लगेगी तो हम बुझा देंगे  तो हमने आग को बुझाने की चेष्टा तो कुछ की नहीं, आग लगाने की और चेष्टा की कामाग्नि, क्रोधाग्नि, लोभ अग्नि, मोह अग्नि, ये सब भड़क गई अब शरीर अस्वस्थ हो गया  अब जो आप कह रहे हो ये आपकी ही बात नहीं लाखों की बात है, करोड़ों की बात है, जब मन प्रभु में नहीं लगाया तो अब लगाना बहुत कठिन है क्योंकि मन तो तन में लगा हुआ था,  https://youtu.be/oggBrJ4cHFE&t=2304 4 तन हो गया दुखी रोग से ग्रसित अब कैसे भजन बनेगा ? इसीलिए प्रहलाद जी ने कहा है कुमार अवस्था से ही भजन का अभ्यास शुरू कर देना चाहिए  https://youtu.be/oggBrJ4cHFE?t=2341 5 बुढ़ापा दूर है, दुख दूर है, शरीर स्वस्थ है नाम जप कर ले जबान से, जैसे तुम बोल सकते हो तो ऐसे ही राधा राधा भी तो बोल सकते हो, राधा राधा राधा मन लगे चाहे ना लगे  https://youtu.be/oggBrJ4cHFEt=2353 6 आग को हम प्यार से छुआ दे, तो जल जाओगे, अनजाने में छू जाए, तो जल जाओगे, आप श्रद्धा से छुओ, तो जल जाओगे क्योंकि उसमें दाहिका शक्ति है  तो नाम को आप मन से जपो तो कल्याण कर देगा, मन नहीं लग रहा, फिर जपो तो कल्याण कर देगा, श्रद्धा से जपो तो कल्याण कर देगा, अश्रद्धा से जपो तो कल्याण कर देगा क्योंकि उसमें तारण शक्ति है  जैसे अग्नि को भाव से छुओ, कुभाव से छुओ आपको जला देगी उसमें दाहिका शक्ति है ऐसे नाम में तारण शक्ति है तो  इसलिए गोस्वामी जी ने एक चौपाई में कहा “भाव कुभाव अनख आलस हु नाम जपत मंगल दिस दस हो” चाहे भाव से जपो, चाहे कुभाव से जपो, यदि नाम जपोगे तो दसों दिशाएं तुम्हारे लिए मंगलमय हो जाएंगी,  जुबान तो काम कर रही है ना, तो राधा राधा बोलने में क्या जाता है बोलते रहो, भजन हो रहा है, मन लगे चाहे ना लगे अगर राधा राधा कहते हुए शरीर छूट गया तो बढ़िया कल्याण हो जाएगा और देखो आपका शरीर तो मान लो दुख से ग्रसित है ही है सबका ग्रसित है  https://youtu.be/oggBrJ4cHFE&t=2371 7 जैसे मंदिर में कोई ना कोई तो भगवान रहते ही हैं ना  ऐसे ही शरीर को जानते हो क्या कहा गया शास्त्रों में व्याधि मंदिर “शरीरं व्याधि मंदिर”, व्याधि माने रोग, यह रोग का मंदिर है, कौन सा देवता प्रकट हो जाए Cancer (कैंसर), किडनी फेल, दिल में परेशानी हाई ब्लड प्रेशर लो ब्लड प्रेशर शुगर, पता नहीं कौन देवता पर्दा हटा के आ जाए भैया आ गए हम, शरीर व्याधि मंदिर और यह अंतिम में नष्ट होगा, मरेगा https://youtu.be/oggBrJ4cHFE?t=2438 8               इसलिए उपाय ऐसा कर लो जीते जी कि हम ऐसी ऊंचाई पर पहुंच जाए कि शरीर छूटे तो हमें कोई परेशानी ना हो  जैसे हम घर में आ गए अब गाड़ी नष्ट हो जाए तो क्या परेशानी है, और बीच में नष्ट हो गई तो गड़बड़ हो जाएगा  https://youtu.be/oggBrJ4cHFE&t=2464 9 यह बहुत दुर्लभ मानव देह है, नाम जप कर लो कहीं मन लगे ना लगे, कुछ बने ना बने, राधा राधा राधा ये अविनाशी है परा-विद्या है, तुम्हारा परम मंगल हो जाएगा  छोटे-छोटे बच्चे चश्मा लगाए हैं छोटे-छोटे अभी नवीन शरीर 500 शुगर है क्या लीला हो रही है  अब ऐसा कौन सा शरीर है है जो स्वस्थ रह जाए, ऐसा खानपान हो गया, ऐसा वायुमंडल हो गया कि हमारे सबके शरीर देखो जरजर होते जा रहे हैं  https://youtu.be/oggBrJ4cHFE?t=2483 10 कामनाएं इतनी गंदी हो गई कि संयम से चलना, ब्रह्मचर्य रहना पवित्र भाव रहना ये तो सब ग्रंथों में लिखे जैसे समझो, आप सत्संग के प्रभाव से जो धारण कर रहे हैं धारण कर रहे हैं  नहीं तो जितना आप ब्रह्मचर्य क्षण करोगे उतने ही आप कमजोर और रोगी होते चले जाओगे उतने ही आप नष्ट होते चले जाओ, तुम्हारी स्मृति नष्ट हो जाएगी, तुम्हारा बल नष्ट हो जाएगा तुम्हारा सब नष्ट हो जाएगा तुम्हारे अंदर की जितनी सकारात्मक भावना है वो सब नकारात्मक में बदल जाएगी, अगर ब्रह्मचर्य नष्ट हो गया और  https://youtu.be/oggBrJ4cHFE&t=2523 11 अपने आज समाज में ब्रह्मचर्य नाश की मानो होड़ परी हुई है, विविध प्रकार से बस ब्रह्मचर्य नष्ट करो, मनोरंजन, खिलवाड़ अभी यौवन अवस्था में प्रवेश हुआ है और सब खोखला हो गया जीवन उत्साह हीन हो गया कैसे वो आगे बढ़ेंगे  https://youtu.be/oggBrJ4cHFE?t=2554 12 इसलिए भाई राधा राधा जपते रहो शरीर तो कर्मानुसार, मतलब आज स्वस्थ है कल छूटेगा ही चाहे हमारा हो, चाहे आपका हो  लेकिन यह जो नाम धन कमा लोगे यह कभी नहीं छूटेगा, परम धन भगवान का नाम भगवान के विविध नाम है जो नाम हमें तो वृंदावन वासी राधा उपासी हम तो राधा ही राधा बोलते हैं  https://youtu.be/oggBrJ4cHFE&t=2567 8 आपको यदि जो राम कृष्ण हरि जो नाम प्रिय लगे तुम नाम जप करो  आप जबान से नाम जप करो, मन के चक्कर में मत पड़ो, अगर जबान से राधा राधा बोले तो अजामिल पुत्र के बहाने से नारायण बोला तो भगवान की प्राप्ति हो गई  हम तो जानकर राधा राधा बोले तो हमें भगवत प्राप्ति नहीं हो जाएगी ? हम पर कृपा नहीं होगी ? हां खूब होगी, नाम जप करते https://youtu.be/oggBrJ4cHFE&t=2588

Monday, October 25, 2021

मेरा जन्म क्यों हुआ है मेरे जीवन का उद्देश्य क्या है Why was I born? What is the purpose of my life? - Shri Premanand ji

मेरा जन्म क्यों हुआ है मेरे जीवन का उद्देश्य क्या है

Why was I born? What is the purpose of my life?

https://youtu.be/kHC9RrPr8yo&t=0

1 यही उद्देश्य है कि मैं शरीर नहीं हूं मैं भगवान का सच्चिदानंद अंश हूं इस बात को हम जानकर मुक्त हो जाएं, इस संसार में हमारा बार-बार जन्म मरण ना हो Purpose is to come to know that I am not the body, I am the true eternal bliss of God, knowing this we should become free, we should not have to take birth and death again and again in this world. https://youtu.be/kHC9RrPr8yo&t=19 2 अभी हम स्त्री पुरुष शरीरों में आसक्त हैं, अभी हमारा बड़ा भ्रम है, संसार के भोगों में सुख है, इसी को मिटाने के लिए आए हो आप Right now we are attracted to male and female bodies & hence we have a big illusion that there is happiness in worldly pleasures, we have come to destroy this illusion. https://youtu.be/kHC9RrPr8yo&t=65 3 आप भगवत प्राप्ति कर सकते हो, आप देवलोक जा सकते हो, आप नरक जा सकते हो, आप सुअर, कुत्ता बन सकते हो, आप भूत प्रेत बन सकते हो, जो चाहो कर सकते हो You can attain God, you can go to heaven, you can go to hell, you can become a pig, a dog, you can become a ghost, you can do whatever you want. https://youtu.be/kHC9RrPr8yo&t=76 4 इसलिए मनुष्य का परम कर्तव्य चाह मिटा देना, इसलिए खूब नाम जप करें अच्छे आचरण करें और बुजुर्गों की सेवा करें उनके आशीर्वाद से हमें ज्ञान प्राप्त होगा तब भ्रम नष्ट होगा, सेवा के बिना शरीर पवित्र नहीं होता और नाम जप के बिना मन पवित्र नहीं होता और तन और मन जिसका पवित्र हो गया वही परम पवित्र भगवान को प्राप्त होता है  Therefore, the supreme duty of man is to eliminate desires, hence chant His Name a lot, do good conduct and serve the elders, with their blessings we will gain knowledge, only then the illusion will be destroyed, without service the body does not become pure and without chanting the name the mind does not become pure. And only one whose body and mind becomes pure can attain the supreme God. https://youtu.be/kHC9RrPr8yo&t=86 5 इस शरीर को जो पंचभूतों से बना हुआ है अपने आप में मिल जाते हैं और मैं अजन्मा हूं, इच्छा करने के कारण फिर मुझे नए शरीर में जाना पड़ता है, यहां इच्छा मिटाने आए हैं, इच्छा बढ़ाने नहीं आए यहां भगवत प्राप्ति करने आए हैं, संसार में राग फसाने नहीं आए और उल्टा हो रहा है हम इच्छा बढ़ा रहे हैं, राग बढ़ा रहे हैं, भगवान की तरफ से विमुख हैं, संसार की तरफ लगे हुए है यह हमसे, भ्रम हो गया इसी को ठीक करना है This body which is made up of five elements merges with itself and I am unborn BUT because of having desires I am given a new body, I have come here to make my worldly desires nil (simply by diverting all my desires to Lord), not to increase my worldly desires, I have come here to attain God, We have not come to get entrapped in attachments of this world and the opposite is happening. We are increasing desires, increasing attachment, we are turning away from God, we are attached to the world, we have become confused & illusioned, this has to be corrected. https://youtu.be/kHC9RrPr8yo&t=116


Standby link (in case youtube link does not work):

मेरा जन्म क्यों हुआ है मेरे जीवन का उद्देश्य क्या है Mera janam kyu hua hai mera janm kyon hua hai.mp4

Monday, October 18, 2021

पूज्य महाराज जी के पास पहुंची हेमा मालिनी Hema Malini met Pujya Maharaj Premanand Ji

पूज्य महाराज जी के पास पहुंची हेमा मालिनी 

Hema Malini met Pujya Maharaj Premanand Ji

 

https://www.youtube.com/watch?v=jsGv8ZGhYuk

शरीर की चिंता को छोड़िए, शरीर की ज्यादा चिंता मत कीजिए और नाम जप कीजिए क्योंकि इसकी एक निश्चित अवधि है, ये जाएगा इसलिए जाने के पहले कुछ हिसाब किताब ऐसा तैयार रखो, हमारी आगे की यात्रा सफल हो जाए

Leave the worries of the body, do not worry too much about the body and chant Lord’s name because body has only a fixed period to live, it will go ; & hence before leaving, keep good Godly accounts ready, our further journey will be successful.

https://youtu.be/jsGv8ZGhYuk?t=117

2

ये संसार मृत्यु लोक हमारा परदेश है, अब हमें श्री कृष्ण के पास अपने घर वापिस जाना है - ऐसे विचार सदैव मन में रखिए

This world of death is a foreign country to us souls, now we have to go back to our home of Shri Krishna - always keep such thoughts in mind

https://youtu.be/jsGv8ZGhYuk?t=171

सफलता में हर्ष और असफलता में शोक, अगर हर्ष और शोक से बचना है तो राधा राधा कृष्ण कृष्ण जपते रहना 

Joy in success and sorrow in failure, if you want to avoid joy and sorrow, then keep chanting Radha Radha Krishna Krishna names.

https://youtu.be/jsGv8ZGhYuk?t=207


Standby link (in case youtube link does not work)

पूज्य महाराज जी के पास पहुंची हेमा मालिनी क्या बोले महाराज जी.mp4

Saturday, September 18, 2021

दुख निवृत्ति का केवल एक ही मार्ग है, भगवत प्राप्ति का मार्ग - Premanand ji

दुख निवृत्ति का केवल एक ही मार्ग है, भगवत प्राप्ति का मार्ग


0.7 अंदर से जब भगवत प्राप्ति का आनंद नहीं होता है तो बाहर खोजते रहते हैं इधर-उधर https://www.youtube.com/watch?v=kLXVCPntz3o&t=6 0.32 यदि गुरु सच्चा भक्त नहीं है भगवान का, तो अपनी दुर्दशा तो करेंगे ही, दूसरे अनुगामियों की भी दुर्गति करेंगे https://www.youtube.com/watch?v=kLXVCPntz3o&t=32 1.48 लाखों में कोई एक विरला होता है सत्य मार्ग पर चलने वाला यानी श्री कृष्ण, श्री राम, भगवान, हरि के दर्शाये मार्ग पर चलने वाला https://www.youtube.com/watch?v=kLXVCPntz3o&t=108 2.30 1 टन तेल चढ़ाओ कुछ नहीं होने वाला मगर एक बूंद भी नहीं चढ़ाओ‌, मगर राम कृष्ण का नाम जाप करो तो कोई तुम्हारा कुछ बिगाड़ नहीं सकता है https://www.youtube.com/watch?v=kLXVCPntz3o&t=150 2.48 जितनी देवी देवता हैं, नवग्रह हैं,ये सब भगवान के पार्षद (representatives) हैं, यदि भगवान से विमुख (एस) रहोगे तो ये सब तुम्हारा नाश ही करेंगें https://www.youtube.com/watch?v=kLXVCPntz3o&t=168 4.06 आप स्वयं ही अपने अच्छे कर्म और बुरे कर्म के जिम्मेदार हो https://www.youtube.com/watch?v=kLXVCPntz3o&t=246 4.35 आजकल लोग अंधविश्वास में ज्यादा विश्वास रखते हैं जो कि सरासर गलत है और इससे उनका अमंगल ही होना है https://www.youtube.com/watch?v=kLXVCPntz3o&t=275 5 56 जो भी दुख आता है पूर्व के पाप कर्म से आता है और मंदिर, तीर्थ, सच्चे संतों का संग करने से पूर्व पापों पर प्रहार होता है और दुख मिटना प्रारंभ हो जाता है https://www.youtube.com/watch?v=kLXVCPntz3o&t=356 6.20 मगर इससे ठीक उलट अगर कुछ गलत काम करने शुरू कर दिए तो दुख बढ़ने आरंभ हो जाएंगे https://www.youtube.com/watch?v=kLXVCPntz3o&t=380 6.46 कोई दूसरा किसी को सुख और दुख नहीं दे सकता हमारे कर्म ही ऐसा करते हैं https://www.youtube.com/watch?v=kLXVCPntz3o&t=406 8.43 दुख निवृत्ति सिद्धियों से नहीं होती केवल भगवान प्राप्ति से ही होती है https://www.youtube.com/watch?v=kLXVCPntz3o&t=523 9.41,10.53,11.12 अगर भगवत प्राप्ति के मार्ग पर चलोगे तो दुख सहने की सामर्थ आ जाएगी और भगवत प्राप्ति के योग्य हो जाओगे https://www.youtube.com/watch?v=kLXVCPntz3o&t=581 https://www.youtube.com/watch?v=kLXVCPntz3o&t=653 https://www.youtube.com/watch?v=kLXVCPntz3o&t=672 9.50 कलयुग में और भी बुरा समय आएगा की सत्य बोल नहीं पाएंगे और सत्य बात कोई सुनने के लिए तैयार नहीं होगा क्योंकि सत्य मार्ग में चलने की क्षमता ही नहीं रह जायेगी  https://www.youtube.com/watch?v=kLXVCPntz3o&t=590 11.33 अगर धन से भगवान मिलते तो अमीर लोग खरीद लेते भगवान को https://www.youtube.com/watch?v=kLXVCPntz3o&t=693


Standby link (in case youtube link does not work)

दुख निवृत्ति का केवल एक ही मार्ग है भगवत प्राप्ति का मार्ग - Premanand ji (पूज्य श्री प्रेमानंद जी से मिलने पहुंचे PM मोदी महाराज भी हुए प्रसन्न).mp4