Wednesday, February 16, 2022

भगवान की कृपा हो रही है- कैसे पता चलेगा? by Swami Mukundanand

भगवान की कृपा हो रही है- कैसे पता चलेगा? by Swami Mukundanand

https://www.youtube.com/watch?v=Uit8NB3lL48

Main Points: 1  अनादि काल से भगवान ने हम पर कृपा क्यों नहीं की, साथ ही साथ कुछ संतों पर कर दी, तो हमको भगवान भुला दिए, हम बेचारे यहां दुखी हैं, परेशान हैं, वो हमको भुला क्यों दिए ? क्या हम भगवान के बच्चे नहीं हैं ? देखिए संसार में अगर कोई छोटा बच्चा गड्ढे में गिर जाए और रो रहा हो, तो एक आदमी वहां राहगीर निकल रहा हो, वह उस रोते हुए बच्चे को देखता है, उसको दया आ जाती है  और उसको उठाता है, उसको स्नेह देता है, चुप कराता है, भोजन कराता है, और उसके माता-पिता का पता लगाता है, अगर पता नहीं लगा तो जा के अनाथ आश्रम में, पुलिस स्टेशन में दे देता है, यह लावारिस बच्चा मिला है, किंतु कोई भी मनुष्य इतना निष्ठुर नहीं होता कि उस असहाय बच्चे को वापस गड्ढे में फेंक दे, तो मनुष्य में भी इतनी दया होती है कि निरर्थक एक बच्चे को कष्ट ना दे और हम सब लोग तो भगवान के बच्चे हैं  https://www.youtube.com/watch?v=Uit8NB3lL48&t=0   2  भगवान सर्वशक्तिमान है, करुणा के सिंधु है, यदि वो कृपा कटाक्ष (grace) कर देंगे हमारे ऊपर, हमारी माया तो तुरंत भाग जाएगी, तो अनादि काल से भगवान ने हमारे ऊपर कृपा क्यों नहीं की ? क्या उनको पता नहीं है कि हम दुखी हैं, अज्ञान में हैं, दर दर की ठोकर खा रहे हैं, ह किस प्रकार के भगवान हैं ? और हम तो सुनते हैं कि वे अकारण करुण हैं, वे करुणा वरुणालय (a sea of compassion) हैं, कृपा के सिंधु हैं   https://www.youtube.com/watch?v=Uit8NB3lL48&t=106   3   जीव कहता है कि भगवान आप कैसे करुणा सिंधु हैं कि मैं आपका बच्चा इस संसार में दुखी हूं, और आप कृपा ही नहीं कर रहे, आप तो संसारी पिता से भी नीचे चले गए, यह दावा जीव ने लगाया भगवान पर मुकदमा दायर कर दिया और जीव कहता है महाराज आप बहाना मत बनाइए कि हे जीव तू मेरे द्वार पर आजा, मैं कृपा कर दूंगा, महाराज मुझे तो पता ही नहीं कि आपके द्वार का रास्ता क्या है   https://www.youtube.com/watch?v=Uit8NB3lL48&t=155   4   जीव कहता है मैं एडमिट (मानता हूँ) करता हूं कि मैं अज्ञानी हूं, किंतु आप तो ज्ञानमय हैं, आपके पास कोई बहाना नहीं है, अतः जल्दी जल्दी कृपा करो, वरना आपके नाम पर कलंक लगेगा, यह जीव ने भगवान पर आरोप लगाया   https://www.youtube.com/watch?v=Uit8NB3lL48&t=203   5   तो भगवान अब उत्तर में कहते हैं कि ए जीव, तूने तो छोटा मुंह बड़ी बात कह दी, मैं तो कोमल से भी कोमल हूं, और तूने मुझे निष्ठुर (कठोर, कड़ा, निर्दय, बेरहम) बोल दिया, लेकिन एक प्रश्न का उत्तर हे जीव, तुम दो, तुमने जो कहा कि भगवान, आप मेरे पिता हो, आप कृपा करो,  भगवान कहते हैं कि मैं प्रश्न करता हूं, क्या तुम फैक्ट (वास्तव में) में मुझे अपना पिता मानते हो ? तुम कह रहे हो, भगवान आप पिता हो कृपा करो, किंतु क्या तुम भीतर से मानते हो कि भगवान मेरे पिता हैं ? कहां मानते हो ? तुम तो संसारी पिता को पिता मानते हो, संसारी माता को माता मानते हो    https://www.youtube.com/watch?v=Uit8NB3lL48&t=230   6   जीव कहता है, अजी उनकी प्रॉपर्टी में तो मेरा हिस्सा है, भगवान को तो कभी देखा नहीं है, होगा पिता, लेकिन 2%, मगर 98% पिता तो घर में है, भगवान कहते हैं मैं तो प्रतीक्षा में हूं कि तुम मुझे पिता मान लो और मैं कृपा करूंगा  https://www.youtube.com/watch?v=Uit8NB3lL48&t=291   7   चैतन्य महाप्रभु ने कहा  एक बार बोलो हे श्री कृष्ण आप ही मेरे हो, “ही” लगाना होगा, आप “ही” मेरे हो, आप “भी” मेरे हो, संसार “भी” मेरा है, इससे काम नहीं बनेगा, भगवान कहते हैं कि भाई देखो जब मैं कृपा करूंगा, मैं दूंगा दिव्य ज्ञान, दिव्य प्रेम, दिव्य आनंद, तो बदले में मैं क्या लूंगा तुमको पता है क्या ? जीव ने कहा, महाराज नहीं पता, पहले यह समझ लो कि मैं देता क्या हूं और लेता क्या हूँ  https://www.youtube.com/watch?v=Uit8NB3lL48&t=317   8   तो जीव ने कहा, भगवान अब आप बोलिए, तो श्री कृष्ण ने भगवान ने वेदों में शर्त बताई जिस शर्त पर वो कृपा करेंगे, ऋग्वेद कहता है कि  हे जीव, तू मेरी शरण में आजा, तो मैं कृपा करूंगा, अर्थात कृपा की शर्त है शरणागति, समर्पण, यह बात ऋग्वेद में 12 स्थानों पर आई,  श्वेताश्वतर  उपनिषद कहता है शरण में जाओ, जीव कहता है भगवान  शरण में जाओ तब कृपा होगी, भगवान कहते हैं, ऐसा ही है बिना मेरी “शरणागति” के कृपा नहीं होगी  https://www.youtube.com/watch?v=Uit8NB3lL48&t=377   9   गीता से सुन लीजिए, गीता के सातवें अध्याय का चौदवां श्लोक “verse”    “दैवी ह्येषा गुणमयी मम माया दुरत्यया ।  मामेव ये प्रपद्यन्ते मायामेतां तरन्ति ते” ॥   “This divine energy of Mine, consisting of the three modes of material nature, is difficult to overcome. But those who have surrendered unto Me can easily cross beyond it”.  https://vedabase.io/en/library/bg/7/14/  श्री कृष्ण ने कहा हे अर्जुन ये जो माया है, यह “दुरत्तया" है, इसे पार करना अत्यंत कठिन है, बड़े बड़े योगी मुनि माया के सामने फेल हो जाएं क्यों ? क्योंकि अर्जुन “मम माया” यह मेरी शक्ति है, इसलिए मेरे जितना बल रखती है, जैसे कि सेना हो, यदि आपने सेना को हरा दिया तो राजा परास्त हो गया,  ऐसे ही जिसने भगवान की माया को परास्त कर दिया, उसने तो भगवान को ही हरा दिया, मगर  भगवान तो अजीत हैं, उनको कौन हराएगा ? इसलिए  भगवान की माया को भी कोई पार नहीं कर सकता   https://www.youtube.com/watch?v=Uit8NB3lL48&t=458  Transcript 0:00 अनादि काल से भगवान ने हम पर कृपा क्यों 0:04 नहीं 0:06 की साथ ही साथ कुछ संतों पर कर दी तो हमको 0:12 भगवान भुला दिए हम बेचारे यहां दुखी है 0:16 परेशान हैं वो हमको भुला क्यों दिए क्या हम 0:22 भगवान के बच्चे नहीं 0:27 हैं देखिए संसार में 0:31 अगर कोई छोटा बच्चा गड्ढे में गिर 0:37 जाए और रो रहा 0:40 हो तो एक आदमी वहां राहगीर निकल रहा हो वह 0:46 उस रोते हुए बच्चे को देखता है उसको दया आ 0:50 जाती है और उसको उठाता 0:54 है उसको स्नेह देता है चुप कराता है भोजन 0:58 कराता है 1:00 और उसके माता-पिता का पता लगाता 1:04 है अगर पता नहीं 1:07 लगा तो जा के अनाथ आश्रम में पुलिस स्टेशन 1:12 में दे देता है यह लावारिस बच्चा मिला 1:16 है किंतु कोई भी मनुष्य इतना निष्ठुर नहीं 1:21 होता कि उस असहाय बच्चे को वापस गड्ढे में 1:26 फेंक 1:28 दे तो मनुष्य में भी इतनी दया होती है कि 1:34 निरर्थक एक बच्चे को कष्ट ना 1:37 दे और हम सब लोग भगवान के बच्चे हैं  1:46 भगवान सर्वशक्तिमान 1:49 है करुणा के सिंधु 1:52 है यदि वो कृपा कटाक्ष (grace) कर देंगे हमारे ऊपर 1:57 हमारी माया तो तुरंत भाग 2:02 जाएगी तो अनादि काल से भगवान ने हमारे ऊपर 2:07 कृपा क्यों नहीं 2:10 की क्या उनको पता नहीं है कि हम दुखी है 2:14 अज्ञान में 2:16 हैं दर दर की ठोकर खा रहे हैं अत वह किस 2:22 प्रकार के भगवान है और हम तो सुनते हैं कि 2:26 वे 2:27 अकारण करुण हैं वे करुणा वरुणालय हैं कृपा के 2:35 सिंधु हैं तो जीव कहता है कि भगवान आप कैसे 2:40 करुणा सिंधु है कि मैं आपका बच्चा इस 2:44 संसार में दुखी हूं और आप कृपा ही नहीं कर 2:48 रहे आप तो संसारी पिता से भी नीचे चले 2:53 गए यह दावा जीव ने लगाया भगवान पर मुकदमा 2:59 दायर कर 3:01 दिया और जीव कहता है 3:04 महाराज 3:06 आप बहाना मत बनाइए कि हे जीव तू मेरे 3:12 द्वार पर आजा मैं कृपा कर 3:15 दूंगा महाराज मुझे तो पता ही नहीं कि आपके 3:20 द्वार का रास्ता क्या 3:23 है ?  मैं एडमिट करता हूं मैं अज्ञानी हूं 3:29 किंतु आप तो ज्ञानमय हैं आपके पास कोई बहाना 3:34 नहीं 3:35 है अतः जल्दी जल्दी कृपा करो वरना आपके 3:41 नाम पर कलंक 3:44 लगेगा यह जीव ने भगवान पर आरोप 3:50 लगाया तो भगवान अब उत्तर में कहते हैं कि 3:55 ए जीव तूने तो छोटा मुंह बड़ी बात कह दी 3:59 मैं तो कोमल से भी कोमल हूं और तूने मुझे 4:03 निष्ठुर (कठोर, कड़ा, निर्दय, बेरहम) बोल दिया लेकिन एक प्रश्न का 4:07 उत्तर हे जीव तुम 4:10 दो तुमने जो 4:13 कहा कि भगवान आप मेरे पिता हो आप कृपा 4:20 करो भगवान कहते मैं प्रश्न करता हूं क्या 4:25 तुम फैक्ट (वास्तव में) में मुझे अपना पिता मानते 4:32 हो तुम कह रहे हो भगवान आप पिता हो कृपा 4:38 करो किंतु क्या तुम भीतर से मानते हो कि 4:42 भगवान मेरे पिता 4:45 है कहां मानते 4:47 हो तुम तो संसारी पिता को पिता मानते हो 4:51 संसारी माता को माता मानते हो अजी उनकी 4:55 प्रॉपर्टी में तो मेरा हिस्सा है भगवान को 4:58 तो कभी देखा 5:00 नहीं है होगा पिता लेकिन 2%, 98% पिता 5:05 तो घर में 5:06 है भगवान कहते हैं मैं तो प्रतीक्षा में 5:11 हूं कि तुम मुझे पिता मान लो और मैं कृपा 5:17 करूंगा चैतन्य महाप्रभु ने कहा  एक बार बोलो हे श्री 5:28 कृष्ण आप ही मेरे 5:32 हो ही लगाना होगा आप ही मेरे हो आप भी 5:38 मेरे हो संसार भी मेरा है इससे काम नहीं 5:44 बनेगा भगवान कहते हैं कि भाई देखो जब मैं 5:49 कृपा करूंगा मैं दूंगा दिव्य ज्ञान दिव्य 5:54 प्रेम दिव्य 5:58 आनंद तो बदले में मैं क्या 6:02 लूंगा तुमको पता है 6:05 क्या जीव ने कहा महाराज नहीं पता पहले यह 6:10 समझ लो कि मैं देता क्या हूं और लेता 6:17 क्या हूँ तो जीव ने कहा भगवान अब आप 6:21 बोलिए तो श्री कृष्ण ने भगवान ने वेदों 6:26 में शर्त बताई जिस शर्त पर वो कृपा 6:31 करेंगे ऋग्वेद कहता है  6:39 हे जीव तू मेरी शरण में आजा तो मैं कृपा 6:45 करूंगा अर्थात कृपा की शर्त है 6:51 शरणागति 6:55 समर्पण यह बात ऋग्वेद में 12 स्थानों पर 7:00 आई तदा लंबन श्रेष्ठ तदा लंबन 7:06 परम एक आठ उपनिषद कहता  7:17  ये श्वेताश्वतर  उपनिषद कहता है शरण 7:21 में जाओ जीव कहता है भगवान ये 7:26 शरण में जाओ तब कृपा होगी 7:30 भगवान कहते ऐसा ही है बिना शरणागति के 7:36 कृपा नहीं 7:38 होगी गीता से सुन 7:41 लीजिए गीता के सातवें अध्याय का चौदवां श्लोक “verse”  श्री कृष्ण ने कहा हे अर्जुन ये जो माया है, यह “दुरत्तया" है, ऐसे पार करना अत्यंत कठिन है, बड़े बड़े योगी मुनि माया के सामने फेल हो जाएं 8:17 क्यों ? क्योंकि अर्जुन “मम माया” यह मेरी 8:23 शक्ति है तो मेरे जितना बल 8:27 रखती है जैसे की सेना 8:31 हो आपने सेना को हरा दिया तो राजा परास्त 8:36 हो 8:37 गया ऐसे ही जिसने भगवान की माया को परास्त 8:42 कर दिया उसने तो भगवान को ही हरा दिया अब 8:47 भगवान तो अजीत हैं उनको कौन हराएगा इसलिए  8:52 भगवान की माया को भी कोई पार नहीं कर 8:57 सकता  Standby link (in case youtube link does not work) भगवान की कृपा हो रही है- कैसे पता चलेगा.mp4