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Sunday, August 9, 2020
GITA SHLOKA 4.28 Krsna consciousness cannot be attained by charity, being harsh on body, yogas, study of vedas etc. but can be attained only by the mercy of the Lord and His bona fide devotee,10th Aug
Saturday, August 8, 2020
कैसे मिलन हो तेरा, मोहन ज़रा बता दे Vinod Agarwal Bhajan lyrics - kaise milan ho tera
कैसे मिलन हो तेरा, मोहन ज़रा बता दे, kaise milan ho tera
कैसे मिलन हो तेरा, मोहन ज़रा बता दे
मुझको मेरे कर्म की ऐसी तो न सजा दे
तेरी इक झलक को प्यारे नज़रें तरस रहीं है
सावन की बदली जैसे कब से बरस रही रही है
कहीं बन न जाये सागर, पल पल टपक टपक के
तेरी राह में कन्हैया पलकों को यूं बिछाया,
तारें लगे अर्श के पलकों पे यूं सजाया (अर्श=sky)
नहीं पांव होंगे मैले आजा न बेझिझक के
मेरी चाहतों का मोहन न इम्तिहान लेना (असि ते सारे मज़बूनों में फ़ैल हूँ)
चाहत में तेरी मुझको आता है जान देना
मैं यूं भी जी रहा हूँ पल पल तरस के
(मैं ग़म की हर हद से गुज़र जाऊँगी, बिखरना पड़ा तो हंस के बिखर जाऊंगी
तुम्हारी ख़ुशी ही मेरी ज़िन्दगी का मकसद है
और मरना भी तो हंस कर के मर जाऊंगी
लेकिन प्यारे मुझे किसी भी परीक्षा में उत्तीर्ण होने का कोई chance लगता ही नहीं)
(मैं तो पहले ही हार चुकी हूँ, मेरा चाहतों का मोहन न इम्तिहान लेना, मैं उपासना, साधना, जप तप नियम संयम पूजा पाठ विधि निषेध करूँ, और तभी तुम मुझ पर कृपा करो, ऐसी बात तो नहीं हैं, वर्ना मेरी बंदगी का बदला तेरी रेहमत नहीं है, तुम तो अहेतु की कृपा करने वाले हो)
(अहेतु की कृपा= You shower Your grace without any cause, even if I am not eligible for Your grace)
टेढ़ी सी तेरी चितवन कर गयी है मुझको पागल
नज़रों के तीर हैं काफ़ी करने को मुझको घायल
तरकश को यूं न बांधो,मर जाऊं न तड़प के
(एक तुम्हारी चितवन ही काफ़ी है, घायल करने के लिए, उसमे कितनी अदाएं तुमने अपनी तरकश में रखें हुई हैं , ये नयन, हसन , दसन, तसन, मुस्कान, चितवन, कुण्डलो का पणन , ये गमन, आगमन, नूपुर सिंचन, ये दिव्य आभूषण, ये कितने तीर रखें हैं तुमने अपनी तरकश में )
(चितवन =overall personality)
(कोई आहें भरता है, कोई मरता है तेरी अदाओं पर ,प्यारे कुछ तो तरस खाओ, मेरी खामोश निगाहों पर )
(मिलता नहीं है कातिलों से कातिलाना अंदाज़ तुम्हारा ,अपनी महफ़िल में बुलाकर चितवन से मार देते हो)
इसलिए तरकश को यूं न बांधो,मर जाऊं न तड़प के
कैसे मिलन हो तेरा, मोहन ज़रा बता दे