Saturday, November 6, 2021

संत हुए लट्टू सुंदर औरत के पीछे-पीछे उसके घर पहुंच गए by Indresh Ji

संत हुए लट्टू सुंदर औरत के पीछे-पीछे उसके घर पहुंच गए by Indresh Ji

https://youtu.be/Y-ul0D6n3PU

1 हमारे विद्वानों में एक परम विद्वान हुए श्री बिल्ब मंगल https://youtu.be/Y-ul0D6n3PU&t=0 2 श्रेष्ठ जन जो होते हैं, यदि कुछ ऐसी क्रिया करें जो अवगुण जैसी दिखे तो ये समझना कि वह सदैव दूसरों को सिखाने के लिए करते हैं (श्रेष्ठ जन कभी कुछ गलत नहीं करते) https://youtu.be/Y-ul0D6n3PU&t=24 3 बिल्ब मंगल जी जो थे उनको रूप का बड़ा आकर्षण था, उनको रूप कहीं दिख जाए, उसको देखने लग जाते https://youtu.be/Y-ul0D6n3PU&t=38  4 एक बार मार्ग से जा रहे थे और एक सुंदर युवती नदी में जल भर रही थी, बिल्ब मंगल जी की एक दृष्टि उसके ऊपर पड़ी और बिल्ब मंगल जी उसके पास जाकर के बैठ गए और उसको निहारने लगे  https://youtu.be/Y-ul0D6n3PU&t=49 5 उसके पीछे पीछे उसके घर तक पहुँच गए  https://youtu.be/Y-ul0D6n3PU&t=80 6 पति ने द्वार खोल कर के बिल्ब मंगल जी को भीतर बुलाया https://youtu.be/Y-ul0D6n3PU&t=120 7 पति ने पत्नी से कहा कि बढ़िया सुंदर भोजन बनाओ, महाराज जी पधारे हैं https://youtu.be/Y-ul0D6n3PU&t=153   8 पति ने पत्नी से कहा श्रृंगार करके महाराज के सामने आओ  https://youtu.be/Y-ul0D6n3PU&t=170  9 एक सामान्य सांसारिक व्यक्ति की सुंदरता देखकर हम सब कुछ भूल जाते हैं  https://youtu.be/Y-ul0D6n3PU&t=196  10 बिल्ब मंगल जी को अचानक ध्यान आया कि यदि इतना त्याग, यदि ठाकुर जी के लिए किया होता तो ठाकुर जी मिल गए होते https://youtu.be/Y-ul0D6n3PU&t=231  11 बिल्लू मंगल जी ने नेत्र खोले और उस कन्या से कहा, सुनो तुम्हारे घर में सुई है, लेकर आओ  https://youtu.be/Y-ul0D6n3PU&t=242  12 बल्ब मंगल जी ने अपनी आंखें फोड़ लीं, बोले जो नेत्र संसार के रूप को देखने को आसक्त हो गए, आधीन हो गए, यह नेत्र जीवित रहने के अधिकारी नहीं है  https://youtu.be/Y-ul0D6n3PU&t=263  13 वेणु गीत के प्रथम श्लोक में गोपियां कहती हैं, हमको आंख मिली है तो इन आंखों को मिलने का साफल्य क्या है, इन आंखों को मिलने का लाभ क्या है, यदि श्री कृष्ण के दर्शन नहीं किए  https://youtu.be/Y-ul0D6n3PU&t=290  14 चांदी का कटोरा मिलने के बाद भी हमने उसमें मिट्टी भर दी, ऐसा हमने आंखों का प्रयोग किया है https://youtu.be/Y-ul0D6n3PU&t=301  15 भीष्म पितामह कहते हैं कि हे श्री कृष्ण, मैंने आपके सारे दर्शन किए, आपकी “ललित गति” का दर्शन नहीं किया  https://youtu.be/Y-ul0D6n3PU&t=413 16 ठाकुर जी “ललित गति” से क्यों चलते हैं यानी टेढ़े-मेढ़े, भू देवी जो उनकी दूसरी पत्नी है (पहली पत्नी श्रीदेवी) भू देवी को प्रसन्न करने के लिए गाय के खुरों से जो गड्ढे बनते हैं उन गड्ढों पर पांव रखते हुए https://youtu.be/Y-ul0D6n3PU&t=458  Standby link (in case youtube link does not work): संत हुए लट् टू सुंदर औरत के पीछे-पीछे उसके घर पहुंच गए II श्री इंद्रेश उपाध्याय महाराज जी.mp4

Friday, November 5, 2021

श्रीजी (श्री राधे) की अद्भुत कथा - by Indresh ji

श्रीजी (श्री राधे) की अद्भुत कथा https://youtu.be/K8UP-igHsb0 1 श्री जी (श्री राधे) का जितना गायन देवादि देव महादेव ने किया है, उतना किसी ने नहीं किया  https://youtu.be/K8UP-igHsb0&t=38 2 और लोग तो शिव पर जल चढ़ाते हैं ओम नमः शिवाय करते हुए, मगर हम तो श्री राधा श्री राधा करते हुए, उससे भोले शंकर अत्यंत प्रसन्न होते हैं https://youtu.be/K8UP-igHsb0&t=105 3 कैसे काशी में महादेव के हुए दर्शन, जब महादेव को शिकवा (complain) किया https://youtu.be/K8UP-igHsb0&t=116  4 जब देवों के देव महादेव, श्री जी का स्मरण करते हैं तो सोचो श्री जी (श्री राधे) कौन हैं https://youtu.be/K8UP-igHsb0&t=249  5 आजकल के लोग फालतू सिनेमा देखते हैं, उसके बाद वृंदावन आते हैं तो क्या आपको श्री जी समझ आ जाएंगी ? आपको यह अद्भुत प्रेम समझ आएगा ? कभी नहीं आ सकता, अद्भुत प्रेम के रस स्वरूपा है, हमारी श्यामा https://youtu.be/K8UP-igHsb0&t=266  6 बिहारन देव जी बिहारी जी की सेवा करते थे https://youtu.be/K8UP-igHsb0&t=367  7 बिहारन देव प्रार्थना करते थे कि  उस वृंदावन का दर्शन कब होगा जहां आप युगल स्वरूप धारण करके विचरण करते हो, जहां यमुना में जल नहीं, केसर युक्त सुगंधित जल बहता है, जहां पर यमुना के तट पर बालू नहीं मणियों की बालू है, जहां पर वृंदावन में वृक्षों पर कोयल चहकती नहीं है, श्री राधा श्री कृष्ण नाम ध्वनि प्रकट करती हैं, जहां पर वृंदावन में रहने वाले मानवों का भोजन पानी केवल आपके दर्शन मात्र हैं, उस वृंदावन का मुझे कब आस्वादन (taste) होगा, “अप्रकट” (not seeable through our mortal eyes)  वृंदावन का थोड़ा भाव समझो https://youtu.be/K8UP-igHsb0&t=409  8 बिहारी जी ने  एक दिन बिहारन जी की प्रार्थना सुन ली और उन्हें दर्शन दिए  https://youtu.be/K8UP-igHsb0&t=504

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श्रीजी की अद्भुत कथा 🌈 बांके बिहारी लाल जी कीजय 🙏 इंद्रेश आचार्य जी ने सच्ची कथा.mp4

Thursday, November 4, 2021

वेदों में तीन पर्योजन हैं: संबंध, अभिधेय, प्रयोजन ; There are three purposes in the Vedas: Sambandha, abhidheya, prayojana #blog0106


There are three purposes in the Vedas: Sambandha, abhidheya, prayojana.

Sambandha means relationship ;
abhidheya means the activities done to achieve the ultimate goal ;
prayojana means the ultimate goal of life.

So the ultimate goal of life is to understand Krishna.

वेदों में तीन प्रयोजन हैं: संबंध, अभिधेय, प्रयोजन;

संबंध का अर्थ है संबंध (relationship with Krishna)

और अभिधेय का अर्थ है अंतिम लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए की गई गतिविधियाँ

और प्रयोजन का अर्थ है जीवन का अंतिम लक्ष्य

अतः जीवन का अंतिम लक्ष्य कृष्ण को समझना है
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Wednesday, November 3, 2021

सुनो श्याम प्यार ये विनती हमारी, तरसती है अंखियां दरस को तुम्हारी -Swati Mishra Bhakti Song

1 सुनो श्याम प्यार ये विनती हमारी तरसती है अंखियां दरस को तुम्हारी https://www.youtube.com/watch?v=XKjyPlWRk2Q&t=15 2  कोई रूप लेकर अब चले आओ नहीं तो निकल जाएगी जान ये हमारी https://www.youtube.com/watch?v=XKjyPlWRk2Q&t=36   3 हमें भी सुनाओ वो धुन बांसुरी की हमें भी लुभाओ जैसे गोपियां लुभी थीं https://www.youtube.com/watch?v=XKjyPlWRk2Q&t=80   4 गैय्या चरैयां सब राह देखी कलयुग में कितनी जरूरत तुम्हारी https://www.youtube.com/watch?v=XKjyPlWRk2Q&t=118   5 फिर से कहीं कोई यशोदा डांट लगाए फिर से कहीं कोई लल्ला माखन चुराए https://www.youtube.com/watch?v=XKjyPlWRk2Q&t=176   6 हमें तुम सिखा दो रिश्ते निभाना बदलेगी दुनिया को लीला तुम्हारी https://www.youtube.com/watch?v=XKjyPlWRk2Q&t=213   7 तुम्हारी प्रेम में राधा और राधा के कृष्णा दूर हुए दो प्रेमी एक हुए ना https://www.youtube.com/watch?v=XKjyPlWRk2Q&t=258   8 फिर भी ये दुनिया कहती राधे कृष्णा सिखा दो ना हमको ऐसी पवित्रता तुम्हारी https://www.youtube.com/watch?v=XKjyPlWRk2Q&t=295


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Suno Krishna Pyaare Swati Mishra Bhakti Song Mohit Musik.mp4

Tuesday, November 2, 2021

Human life's goal & purpose of life point of view, the aim is to not to take birth in a new mother's womb after death i.e., to transcend the birth death cycle #Blog0105

We congratulate one another on mother's day. No doubt mother is the best person in one's life and deserves all the appreciation. But from the human life's goal & purpose of life point of view, the aim is to not to take birth in a new mother's womb after death i.e., to transcend the birth death cycle. This is advocated by all the spiritual holy books, Bhagavad Gita, Srimad Bhagavatam, all Vedas and all religions of the world i.e., to love God and get back to His eternal abode for eternal bless because this material world, if we take birth again in a mother's womb is dukhalayam ashashwat i.e., a place of only misries God does not want us to come back to this world but we, due to our own fre will, do want to come back to this world and hence God fulfills our own desire to take the new mother's womb each time, be it in any of 84 lakh yonis i.e., we ourselves do not want to transcend the miseries of the material world. Basically it all depends on our own desire whether we want to go back to Godhead  or  we want to remain in this material world and get a mother's womb, God being so kind fulfills all desires of ours. A mother's womb is compared to hell because the new soul is encaged, lying in inverted position, for 9 long months, surrounded by all faecal and urine matter, cannot move freely, has to constantly bear all the pin prick/ tortures /pain on all limbs of the body by whatever spicy & chilly food the mother eats etc. "The foetus is disgusted by repeated entry into the mother’s womb and prays to the Lord not to send it to the world, where it will have to face misery that is far greater than the misery in the womb. It has a clear perception of the past birth and wants to avoid fresh actions that become the basis of future births." https://www.google.com/amp/s/www.thehindu.com/society/faith/plight-of-the-soul/article24658692.ece/amp/ https://sacred-texts.com/hin/gpu/gpu08.htm

श्री कृष्ण को दिया पहला “वचन” क्या आपको याद है ?

Do you remember your first “promise” given to Shri Krishna?
https://www.youtube.com/watch?v=pkrsV8kXNaw&list=RDCMUCpLIBc_rf82ZgqhQbk2-SIw&index=8

*It is the duty of the father and mother to see that "My son, this is the last attempt of coming into this material world." Na mocayed yaḥ samupeta-mṛtyum. It is the duty of the father and the mother to stop the repetition of birth and death of his son*.  *The mother should consider that "My son came to my womb, and he has suffered so much while he was remaining within the womb. Now I shall teach my son in such a way that no more he is going in the womb of a material mother." That is the duty of father, that is the duty of mother, that is the duty of friend, that is the duty of guru*. https://vedabase.io/en/library/transcripts/711120le-delhi/?query=mother+womb+hell#bb491969 *Now for a person who is in Kṛṣṇa consciousness, he is not concerned with aristocratic family or abominable family. He wants to stop birth. So suppose one gets birth in aristocratic family or very nice family, what is the gain there*?  *You have to live ten months within the womb of your mother in suffocated condition, either you take your birth in aristocratic family or in abominable family, either in human mother's womb or animal mother's womb. That does not make any difference*. https://vedabase.io/en/library/transcripts/681211bg-los-angeles/?query=mother+womb+hell#bb533442 A fortunate child in the womb of his mother prayed to Kṛṣṇa as follows: “O enemy of Kaṁsa, I am suffering so much because of this material body. Now I am trapped within a mess of blood, urine and liquid stool within the womb of my mother. Because I am living in such a condition, I am suffering great pangs. Therefore, O divine ocean of mercy, please be kind to me. I have no ability to engage in Your loving devotional service, but please save me!”  There is a similar statement by a person fallen in a hellish condition of life. He addressed the Supreme Lord thus: “My dear Lord, Yamarāja has placed me in a situation that is full of filthy and obnoxious smells. There are so many insects and worms, surrounded by the stools left by different kinds of diseased persons.  And after seeing this horrible scene, my eyes have become sore and I am becoming nearly blind. I therefore pray, O my Lord, O deliverer from the hellish conditions of life. I have fallen into this hell, but I shall try to remember Your holy name always, and in this way I shall try to keep my body and soul together.” This is another instance of ecstatic love for Kṛṣṇa in an abominable situation. https://vedabase.io/en/library/nod/48/?query=+hell++womb#bb1208285