Vrindavan IS GREAT, वृन्दावन महिमा
चैतन्य महाप्रभु जी कहते हैं: “अपने चरणों की रज कर लीजिए”
“अपने चरणों की रज कर लीजिए”
“उर ऊपर नित्य रहूं रमता, अपनी वनमाल का फूल बना दे
लहरें टकराती रहें जिससे, उस यमुना का मुझे कूल बना दे (कूल=Shore, तट, किनारा)
कर कंज से थामते हो जिसको, उस कदम वृक्ष का मूल बना ले (कर कंज (Lotus)=Your Lotus like hands)
तेरी चरणों को नित्य चूमा करें, बृजराज मुझे बृज धूल बना दे”
Chaitanya Mahäprabhu says :
either make me dust of Your feet
or
make me a flower of Your garland so that I am always near Your chest
or
make me the shore of Yamuna so that I am in constant touch with Yamuna waves
or
make me the root (मूल) of kadamb tree under the shade of which You play and support it
or
make me the dust of ब्रिज so that I can kiss Your feet all the time.
“वृंदावन धाम को वास भलो
“वृंदावन धाम को वास भलो
जहां पास बहे यमुना रसरानी
जो जन नहाए के ध्यान धरें
वृंदावन तिन को मिले रज धानी
वेद पुराण बखान रहे ,
बात यही सब मुनि मनमानी
यमुना यम दूतन टारत हैं
यम टारत हैं श्री राधिका रानी”
It is best to live (वास) in Vrindavan where river Yamuna flows nearby.
Whoever takes bath in river Yamuna and meditates on Lord, gets the right of staying eternally at Vrindavan - this is declared by all vedas.
Yamuna gets you rid of angels of death whereas Radha Rani gives you eternal liberation back home to Godhead
(यम lord of death Yamraj, टारत - Yamraj cannot come to you who has grace of Sri Radha)
वृंदावन में वास की वस्तुतः विधि क्या है
यही है वृंदावन का चिंतवन
“वृंदावन को नाम रट,
वृंदावन को देख,
वृंदावन सौं प्रीति कर,
वृंदावन उर ले”
What is the desired way of living at Vrindavan.
Thinking about this is meditating lovingly on Vrindavan, the eternal abode of Lord.
Keep repeating the name of Vrindavan by the tongue
and
think about Vrindavan,
love Vrindavan and put Vrindavan in your heart (उर)
This leads to you Lord's actual doorstep literally.
ये वृंदावन की महिमा है कि वृंदावन की सीमा प्रवेश करते ही
सारा जीवन प्रसाद हो जाता है
भगवान का कण कण में होते हुए भी, वृन्दावन की महिमा है, क्यों, क्योंकि वहां पर वो प्रेम प्रत्यक्ष है
Though God is in each atom, Vrindavan is specially significant as God manifests Himself there
जैसे सबमें समान रूप से भगवान होते हुए भी, संत की महिमा है Although God is everywhere, but saint / bhakta is significant
वृन्दावन वृन्द कहत, दुरित (पाप,sin) वृन्द (a heap,a multitude) दूर (goes away) जाईं,
और नेह (love) बेली (creeper -that grows) रस भजन की तव उपजे मनमाहीं"
When you recite Vrindavan by love, your sins vanish by mountains & love in the heart grows for Lord
1 बार अयोध्या जाओ, 2 बार द्वारिका, 3 बार जाकर त्रिवेनी में नहाओगे, 4 बार चित्रकूट, 9 बार नासिक में, बार बार जा के बद्रीनाथ हो के आओगे, कोटि बार काशी, केदरनाथ, रामेश्वरम, गया ,जगन्नाथ आदि घूम घूम आओगे, पर होंगे प्रत्यक्ष जहाँ दर्श श्याम श्यामा के, उस वृन्दावन सा कहीं आनंद नहीं पाओगे
किसी ने थोड़े सरल शब्दों में कह दिया :
"मोहे मोर जो बनायो, तो बनायो वृन्दावन को, डार डार कूद कूद तुम्हीं को रिझाऊंगीं
बन्दर जो बनायो, तो बनायो वृन्दावन को, नाच नाच कूद वृक्ष झूरन दिखाऊंगी
भिक्षुक बनायो तो बनायो बृजमण्डल को, मांग मांग टूक (टुकड़ा) ब्रिजवासिन को खाऊंगी
कोकिला (कोयल,cuckoo) करो या कीर (तोता,parrot) करो, जमुना के तीर (नदी का किनारा)
आठों याम (24 hours) श्यामा श्याम, श्यामा श्याम गाऊंगी
जय जय श्यामा, जय जय श्याम, जय जय श्री वृन्दावन धाम"
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