Thursday, July 8, 2021

Chapter 4 ज्ञानयोग Gita Course by HG Amogh Lila Prabhu

 


Chapter 4 ज्ञानयोग || LIFE का GPS || EP - 6 || Gita Course || HG Amogh Lila Prabhu

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1.10 how many years in Kaliyuga (x), Dwapar (2x), Treta (3x), Satyuga (4x) etc

4.50 श्री कृष्ण ने अर्जुन को ही क्यों कहीं गीता सुनाई क्योंकि वह भक्त और मित्र दोनों हैं हमें भी ऐसे ही होना चाहिए

6.50 भगवान और हम में समानता और भेद (similarities & difference)

11.30 भगवान के अवतरित होने के तीन उद्देश्य हैं

15.0 PM or President कोई आए जेल में और सजा कम कर दे किसी की उसकी भी जो सुधार दिखा रहा है,  ऐसे ही भगवान भी करते हैं सजा कम जो सुधार दिखा रहा है

17.30 महामाया (materialistic entanglement) और योगमाया (spiritual progress)

21.29 Gita 4.10 we live in Present tense (caused by attachment), past tense (causes anger), furture tense (causes fear)

30.33 Gita 4.11 ब्रह्म परमात्मा भगवान

38.01 Gita 4.13 वर्ण आश्रम (varna ashram)

40.54 Gita 4.17 कर्म विकर्म अकर्म

46.51 Gita 4.22 -happy, free from duality, jealousy, success failure - such a person is not entangled in fruits of action
Gita 4.26 First one Grahstha (ग्रहस्थ) starts with experience, donating possessions > hearing & then completely surrenders himself > becomes perfect. ब्रह्मचारी directly listens , without experience & becomes perfect

55.50 एक यज्ञ अग्नि में आहुति देने वाला, उससे श्रेष्ठ है हरिनाम संकीर्तन का यज्ञ, कान का जो छेद है, वो हवनकुंड है जिसमें हरिनाम कान के अंदर जाता है और यज्ञ के बाद ही शुद्धि होती है मन , कर्म और बुद्धि की, तभी मन लगता है भगवान में

57.34 गुरु से ही ज्ञान प्राप्त होता है और इसको पाने की विधि


1.04.15 : Gita 4.36 + 4.37 + 4.38: Transcendental knowledge (दिव्य ज्ञान), which connects you to God, can destroy all your sins like (i) fire consumes all fuel (ii) a big boat can take you across an ocean



1.07.18: Gita 4.40 + 4.42 A person who doubts in existence of God finds no happiness, neither in this life nor beyond death (God is All Merciful, All Knowing & All Powerful). One should cut enemy (doubt) with sword of Transcendental knowledge (दिव्य ज्ञान).

1.11.20: Transcendental knowledge (दिव्य ज्ञान) is like Fire, Boat, Weapon








Wednesday, July 7, 2021

Chapter 3 कर्मयोग Gita Course by HG Amogh Lila Prabhu

 


Part 5 Chapter 3 कर्मयोग || EXPOSED Law of Attraction || EP - 5 || Gita Course || HG Amogh Lila Prabhu

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0.47 Is Knowledge better or is Action better ? Knowledge (in head) + Action (seva) = bhakti yoga (realisation) (in heart)
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5.42 we are forced to act according to our Psycho Physical nature


7.0 Shloka: 3.6 Pretender, 3.7: Struggler (साधक)
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11.57 dedicate every action as an offering (यज्ञ) to Lord

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16.07 we must offer everything to Lord - otherwise, we'll be called thieves (, e.g.,  we use electricity, water, gas etc for use & then pay the bill)
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17.14- If we eat without offering it first to Lord, we eat only sin / if we first offer to Lord & then eat, then it is prasad प्रसाद - प्र-प्रभु के  सा- साक्षात द-दर्शन  (जाती है सेवा आती है कृपा, जाता है भोग आता है प्रसाद (mercy))

  • video  6 < click to listen

18.36 कई लोग कहते है की भगवान कुछ खाते तो है नहीं तो प्रसाद कैसे हो गया?


20.40: कैसे एक व्यक्ति प्रसाद के बल पर ही भक्त बन गया।
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22.59 खाने के अंदर यदि भगवान की कृपा मिल जाती है तो वो प्रसाद बन जाता है। भगवान की कृपा पानी को चरणामृत। मैं बदल देती है, गाने को भगवान की कृपा कीर्तन बना देती है, बातचीत को भगवान की कृपा कथा बना देती है।


24.24: सारे प्राणी अन्न पर ही जीवित है। और अन्न पैदा होता है, वर्षा से और वर्षा पैदा होती है यज्ञ से
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  • 25.46: Fiji example where there were no rains for a long time but after doing mahamantra, there was ample rain, अग्नि और स्वाहा, वाला यज्ञ आज कल कलयुग में शुद्धता ना होने का कारण practical नहीं माना जाता। इसीलिए हरी नाम संकीर्तन, महामंत्र, जो मुंह से कानों के हवन कुंड में पहुंचे, ही अनिवार्य और प्रयाप्त  है

44.20 Law of Attraction (desire), Law of Karma & Law of Love (a nice explanation of our hard work & desires & how they are controlled by material nature & of course Lord, who is the Supreme Controller) -you are the doer BUT there are other doers as well

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58.40 गुरु को पोस्टमैन (postman / post office) की तरह काम करना है, भगवान के उपदेश लोगों तक पहुंचाने हैं


1.08.37 Lust - if satisfied (very rare chance) - leads to greed, if NOT satisfied , leads to anger

1.17.41: spiritual intelligence driven by Sadhu (devotees),Guru & Shastras + spiritual potency (grace of Lord) can conquer lust

1.18.02 course details





Tuesday, July 6, 2021

Chapter 2 गीता का सार Gita Course by HG Amogh Lila Prabhu

 

Chapter 2 गीता का सार || Gita Course || EP - 4 || HG Amogh Lila Prabhu

video A < click to listen

1.0 broad Chapter wise breakup

3.0 क्यों मधुसूधन नाम (मधु was first ever hacker, he stole Brahama's knowledge (similarly my knowledge is hacked by confusion, सूधन =killer)
(also Part 3, 39.19 < click to listen )


4.20 duty (जिम्मेवारी) से भटक जाते हैं उसको ignorance कहते हैं duty 2 लेवल की होती है शरीरिक और आत्मिक

7.10 यदि गुरु भी अधर्म करता है तो ऐसे गुरु को उसी समय त्याग देना चाहिए नहीं तो गुरु और शिष्य दोनों को नरक मिलता है

8.25 गुरु का मतलब ( गु = ignorance, रु -remover)

10.40 जब तक हम अपनी कमी स्वीकार नहीं करते तब तक spiritual (आध्यात्मिक) मार्ग पर आगे नहीं बढ़ सकते

12.35 अगर लंबा जीना है तो इंद्रियों की तृप्ति कम करनी पड़ेगी और इंद्रियों को संतुष्ट करने में लग गए तो उम्र घाट जाएगी (vice-versa) यानि कुछ ना कुछ कमी तो रहेगी इस जगत में

15.10 ऐसा कभी नहीं था जब यह लोग नहीं थे या आप या मैं नहीं था, हमेशा रहेंगे

15. 50 ऐसा नहीं है कि श्री कृष्ण पहले निराकार थे फिर आकार लिया

18.20 शरीर तो बना है कैल्शियम फास्फोरस वगैरह से, जो कि पहले ही मरे हुए हैं, there is nothing called death

21.30 एक राजा ने कहा मुझे ऐसी चीज दो कि जब मैं दुखी होऊँ तो फिर से सुखी हो जाऊँ , जब मैं सुखी होऊँ तो फिर से दुखी हो जाऊँ, तो मंत्री ने एक अंगूठी दी जिसपर लिखा था "यह समय भी बीत जाएगा"

22. 25 सम रहना सीखना होगा

25.30 मरने के बाद शोक सभा नहीं स्मृति सभा नाम होना चाहिए

28.50 यह नहीं कहना चाहिए कि मेरा जन्मदिन इस दिन को हुआ था (date of birth) यह कहना चाहिए कि मैंने इस शरीर में इतने साल बिता दिए

30.0 आत्मा परमात्मा में मिलती नहीं है

32.44 आत्मज्ञान, कि आत्मा कभी मर नहीं सकती जल नहीं सकती, से self-confidence बड़ता है

33.25 कोई भी motivational मोटिवेशनल स्पीकर यह बात नहीं बताता है इसलिए वह fake है

37.50 अगर मान लें कि कोई आत्मा नहीं होती तब भी शरीर है तब भी कोई अफसोस की बात नहीं है शरीर तो केवल bio chemical है, शरीर की मृत्यु यानि जैसे सब्जी धोते हुए पालक बह गई

38.25 Buddhism explained

42.15 किसी भी चीज को समझने के लिए उसके ऊपर (transcend) आना पड़ता है, इसलिए जब तक कृष्णा के सेवक स्तर (level) पर नहीं आते तो soul का समझना मुश्किल है

44.25 क्षत्रिय का मतलब समझाया है

51.34 जब आप किसी कर्म को कर्तव्य (duty towards Lord) (यानि निष्काम) मानकर करते हो तो कर्म बंधन नहीं करता, अपने कर्म फल से, मगर यदि selfish enjoyment के लिए करते हो तो कर्म बाँधता है, अपने कर्म फल से

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54.47 सकाम (expecting fruits of the action) और निष्काम (dedicating fruits of the action to Lord) कर्म में भेद (difference)

57.37:वेद शस्त्रों में यज्ञ, स्वर्ग प्राप्ति, अच्छे जन्म, शक्ति इत्यादि की बातें क्यों लिखी हैं


1:01:40 भोग (sense enjoyment)और ऐश्वर्या (opulences / luxuries) करने में कोई बुरी बात नहीं है केवल उनमें आसक्ती (मोह /attachment) नहीं होनी चाहिए


1:02:46   भक्ति योग बाकी सब विधियों (कर्म योग, ज्ञान योग, उपासना ) से सर्वश्रेष्ठ है (गीता सार)


1:03:57 आपका अधिकार केवल आपके कर्म पर है, कर्म के फल पर नहीं


1:08:46 spiritual life (भक्ति) में आगे बड़ते रहना, बिना संशय (doubt) करे


1.12.22 good karma (पुण्य) & bad karma (पाप) - हमें दोनों से भी ऊपर उठना है, भक्ति द्वारा


1.17.49 एक बार यदि किसी को भागवत ज्ञान/प्रेम की प्राप्ति हो जाए तो बाकी सब फीका लगने लगता है


1.19.20 भक्त सोचता है मुझे तो permanent आनंद चाहिए यह temporary नहीं वेद पढ़कर अलंकारिक भाषा पढ़कर


1.22.50 जब व्यक्ति दिमागी घोड़े चलाना बंद कर दें कि मैं ऐसे enjoy करूंगा

1.23.50 तीन तरह के ताप आध्यात्मिक आदि दैविक  आदि भौतिक

1.25.50 बिल्ली रास्ता काट गई, सूर्य ग्रहण हो गया, वगैरा भक्तों को फर्क नहीं पड़ता है वह तो शुभ अशुभ दोनों में भक्ति करता है भगवान की

1.26.50 इंद्रियों को कछुए की तरह अंदर कर लेता है

1.28.10 बुरी आदतों को कैसे जीते ....जब तक higher taste नहीं मिलेगा - This way we can control the unruly senses...

1.31.45 DOes, DON'Ts, withdrawing senses is possible only by bhakti


1.32.10 व्यक्ति का पतन क्यों होता है, contemplating on sense objects, attachment, lust, greed (if lust satisfied) , anger (if lust not satisfied), delusion, dwindling memory, intelligence is lost
  • व्यक्ति का पतन क्यों होता है, why does a person fall down in bad habits & misery

  • video 11 < click to listen 

1.35.35 विनाश काले विपरीत बुद्धि, THEN fall down


1.36.14 u turn मारना मुश्किल होता जाएगा जितना वह गहरा दबता जाएगा

1.36.55 खाली sense objects को देखने मात्र से problem नहीं है attachment से problem है, ये नैना hooks हैं

1.38 राग द्वेष दोनों से बचना चाहिए

1.39.25 शांति मिलेगी जब मन स्थिर हो जाए, मन स्थिर कैसे होता है, जब बुद्धि स्थिर हो जाती है, और बुद्धि कैसे स्थिर होती है भगवान में लगकर
  • *How to get peace & bliss* ...

  • video 12 < click to listen 

1.40.40 कोई एक इंद्री में आसक्ती है काफी है पतन के लिए


1.41.50 भौतिकवादी के लिए रात आध्यात्म वाले के लिए दिन, spiritual bliss vs materialistic bliss

1.43.40 इंद्रियों के भोग को संतुष्ट करने वाला का हमेशा पतन होगा

1.45.0 इच्छाओं का त्याग कर दिया यानि यह छोड़ दे - यह मेरा घर मेरी पत्नी, I, Mine IT इंद्रिय तृप्ति

1.47.15 जो रास्ता भगवान की तरफ ले जाता है वह ultimate है

1.49.0 course details






Monday, July 5, 2021

कंकर पत्थर कौन चुनेगा हाथ में हो जब हीरा आज भी है और सदा रहेगा हरि का ही बोलबाला अपना हरि हजार हाथ वाला #blog0088





कंकर पत्थर कौन चुनेगा, हाथ में हो जब हीरा 

आज भी है और सदा रहेगा हरि का ही बोलबाला

अपना हरि हजार हाथ वाला 

कंकर पत्थर कौन चुनेगा हाथ में हो जब हीरा < click for video


कंचन सदा रहेगा कंचन  

gold will always remain gold, only GOD is GOLD  और कखीर कखीरा    all else will be like bitter cucumber   आज भी है और सदा रहेगा, आज भी है और सदा रहेगा , हरि का ही बोल बाला    God will be always eternal     अपना हरि है हज़ार हाथ वाला, वो दीन दयाला     Beneficent God has innumerable potencies   क्या कहना समरथ (ALL Capable) साईं का, क्या से क्या कर डाला     One cannot even describe God’s capabilities, what is it that He cannot do   अपना हरि है हज़ार हाथ वाला, वो दीन दयाला   Beneficent God has infinite power     --------------------

कंकर पत्थर कौन चुनेगा हाथ में हो जब हीरा < click for video

at video time 00:00 मैं कहता डंके की चोट पर, ध्यान से सुनियो लाला, अपना हरि है हजार हाथ वाला वो दीन दयाला, क्या कहना समरथ साईं का...,क्या से क्या कर डाला

at video time 01:41 हाथ पकड़ा ना उधा ने कि बाइसा (respected dear lady) मत आरोगिये (do not drink) विष है।

हंस पड़ी मीरा;मीरा ने कहा होगा,

चिल्लाने लगी सखियां, सहचरियां कि आप पगला गई हैं

लाने वाला बता रहा है आपको कि ये विष है

मीरा जी ने कहा है नहीं था, ये विष है नहीं, था, ये विष था

अब तो मैंने गिरिधर गोपाल के चरणों में निवेदन कर दिया

अब तो विष को अमृत कर देने वाली मेरे सांवरे की दृष्टि पड़ गई है इस पर

ये विष था अब नहीं है और यदि है;

वो मीरा के सुकोमल स्वर गम्भीर हो गएऔर बड़ी गम्भीर दृष्टि से, जो भेद जाए भीतर तक, बड़ी गम्भीर दृष्टि से मीरा ने देखा उधा की ओर

ओर कहा कि यदि है तो भी मुझे चिंता नहीं

यदि ये सत्य है ये विष है तो ये परम सत्य है कि मेरे गिरिधर गोपाल मेरे रक्षक हैं और मुझे छोड़कर कहीं गए नहीं, मेरे पास हैं

at video time 03:15 कंकर-पत्थर कौन चुनेगा , कंकर-पत्थर कौन चुनेगा,हाथ में हो जब हीरा कंचन सदा रहेगा कंचनऔर कखीर, कखीरा... आज भी है और सदा रहेगा... हरि का ही बोलबाला अपना हरि है हजार हाथ वाला वो दीन दयाला


Sunday, July 4, 2021

उद्धव प्रसंग - श्रीमद्भागवत का सबसे मार्मिक प्रसंग || देवी चित्रलेखा जी

 



उद्धव प्रसंग - श्रीमद्भागवत का सबसे मार्मिक प्रसंग || देवी चित्रलेखा जी 

https://www.youtube.com/watch?v=-dL4NXUEX3k


0 मथुरा में सब कार्य संपन्न करते हुए भी श्रीकृष्ण के चेहरे पे एक उदासी सी बनी हुई है - कारण ब्रिज का प्रेम - मथुरा में किसी ऐश्वर्य की कमी नहीं है - प्रणाम बहुत करने वाले बहुत हैं मगर गले लगाने वाला कोई नहीं

https://youtu.be/-dL4NXUEX3k&t=0

0.54 माँ देवकी खाने का थाल परोस के लाई श्री कृषण के सामने, उन्होंने खाने को देखा और आपने आंसू छुपाने के लिए ऊपर छत पर चले गए

https://youtu.be/-dL4NXUEX3k&t=54

 

3.24 उद्धव ऊपर आए, श्रीकृष्ण ने कहा वो खाने की थाल में माखन देखकर मुझे ब्रिज की स्मृति हो आई, मेरी मैया यशोदा पूरी रात नींद नहीं आती थी कि सुबह उठके कान्हा माखन मांगेगा, हे उद्धव, ये प्रेम का पाठ तुझे कैसे समझाऊँ, "मोहे ब्रिज बिसरत नाहीं" (I can never forget Brij),  मुझे याद आती है उस गाय के बछड़े की जो रोते रोते पूछ रहा था हे कृष्ण तुम वापस कब आओगे, सारा ब्रज बोलता था कि तुम्हारे बिना हम निष्प्राण हैं, कैसे सांस लेंगे हम

https://youtu.be/-dL4NXUEX3k&t=204

 

5.26 मेरे एक समय के भोजन न करने पर यशोदा पूरे ब्रिज के वैदों को बुला लेती थी कि क्या हो गया है मेरे कन्हैया को, सारी रात माँ जागती थी

https://youtu.be/-dL4NXUEX3k&t=326

 

5.45 हर सांस के साथ मुझे ब्रिज की या बहुत याद आती है, किंतु ये मजबूरियां ये कर्तव्य मुझे यहाँ से जाने नहीं देते, उद्धव तुम मेरा एक काम करो "तुम ब्रिज चले जाओ", बड़े से बड़ा वेदज्ञ, नारद मुनि, ब्रह्मा, शंकर सब गोपियों के पद की रज मांगते हैं, मेरा पितांबर ले जाओ, मुरली ले जाओ, मोर मुकुट ले जाओ और ये गले की माला बृज वासियों को दिखाने के लिए, इन्हें जा करके राधा को सुंघा देना, दिखा देना, वो यमुना के किसी घाट पर बेहोश पड़ी होंगी, उन्हें होश में लाना आसान नहीं है, जब ये माल के फूलों की खुशबू सूंघेगी तब उसे होश आएगा कि हाँ श्री कृष्ण आए  

https://youtu.be/-dL4NXUEX3k&t=345

 

9.06 उद्धव यशोदा मैया से मिले, मैया कान्हा के तकिये को लोरी सुनाती रहती है, कान्हा सो जा, तू कल भी नहीं सोया, पूरे ब्रज का यही हाल था सब कृष्ण को स्मरण ही करते रहते हैं फोटो लें शशी फोटो लें

https://youtu.be/-dL4NXUEX3k&t=546  

 

10.23 गोपियों से मिले उद्धव, गोपियाँ बावरीं बनके यमुना किनारे डूबी थी कृष्ण प्रेम में, एक गोपी लिख रही थी 1+1=1, उद्धव ने कहा 1+1=2 मगर गोपी ने कहा कि जब प्रेमी और प्रियतम मिल जाते हैं तो एक ही हो जाते हैं, "जब "मैं" (ego) था, तो प्रभु नहीं और जब प्रभु थे तो "मैं" नहीं, प्रेम गली अति सांकरी (too narrow) इसमें दो ना समाए", राधा भ्रमर (black betel, भँवरा) गीत गा रही थी, जहाँ काला रंग देखा तो कृष्ण की याद आ गई, सब गोपियों का एक ही प्रश्न कि कह के गए थे कि "परसों" (day after tomorrow) आयेंगे मगर बरसों हो गए नहीं आये

भ्रमर गीत available at:

https://tinyurl.com/22xyejgg

https://youtu.be/-dL4NXUEX3k&t=623

 

11.56 उद्धव की बुद्धि सबका इतना अपार प्रेम देखकर चकरा गई, "उद्धव सूधो हो गयो, सुन गोपिन के बोल", (सूधो = compelled to yield that love is greater than any wisdom) - ज्ञानी उद्धव प्रेमी उद्धव बन गए ब्रज में आ के

https://youtu.be/-dL4NXUEX3k&t=716


12.13 छह महीने उद्धव ब्रिज में रहे, जब कृष्ण से मिले, तो बोला आप ब्रिज में जाओ वहाँ वो खाते तुम्हारे लिए हैं, सोते तुम्हारे लिए हैं, वो जिंदा इसलिए हैं कि किसी दिन कन्हैया आ गया और माखन मांगा तो ? कृष्ण ने कहा उद्धव जो तू ने देखा ये मेरी बाह्य (external) लीला है अब तू मेरी आंतरिक (internal) लीला देख, जब आंख बंद की तो उद्धव ने देखा - यशोदा के पास तकिया नहीं स्वयं श्री कृषण लेटे हुए हैं, गोपियों के पास कृष्ण खड़े थे, श्रीकृष्ण ने कहा कि मैं दुनिया छोड़ सकता हूँ मैं अपने ब्रिज को नहीं छोड़ सकता, ब्रिज में नित्य लीला आज भी होती है

https://youtu.be/-dL4NXUEX3k&t=733

Standby link (in case youtube link does not work)

उद्धव प्रसंग - श्रीमद्भागवत का सबसे मार्मिक प्रसंग देवी चित्रलेखा जी.mp4