जो यह नहीं जान पाया वो घोर मूर्ख है - Kripalu ji maharaj - Salient Points in Text
https://youtu.be/J0zOmLcdXQE
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जो ये नहीं जान पाया वो घोर मूर्ख है.mp4
0.25 संसार का प्रेम प्रेम नहीं कहलाता क्योंकि उसका अंत दुख है, अशांति है
1.16 पैसे की वजह से ही सारे झगड़े हैं, क्योंकि आप इंद्रियों का सुख चाहते हैं जो पैसे से मिलता है
3.12 किसी करोड़पति से पूछ लो क्या तुम सुखी हो शांत हो कोई और कामना नहीं बची
3.58 ऐसे मूर्ख हैं हम लोग कि केवल भागना जानते हैं मिलेगा क्या अंत में इसकी परवाह नहीं है
4.16 अर्थ (धन) कमाने में जो साधन किया तो कष्ट मिला, अर्थ (धन) बचाने के लिए कामना को मारा
4.30 पूर्व जन्म का दान ही इस जन्म में धन दिलाता है
5.05 धन कमा लिया तो सौ दुश्मन पैदा हो गए
5.45 यदि धन समाप्त हो गया तो फिर कष्ट फिर दुख, और यही हाल स्वर्ग में भी है जो हमारे मृत्यु लोक में है
6.13 जिन रिश्तेदारों को हमने अपना बनाया था यह सोच कर कि सुख देंगे वही दुख देने लगे
6 45 जहां आपने संसार की कामना पैदा की तो दुख को आमंत्रण दिया, इसी कामना के चक्कर में 8400000 योनियों में हम घूमते आ रहे हैं और हमें अपनी मूर्खता अभी तक समझ में नहीं आई, अपने को हम बुद्धिमान समझते हैं, समझ में आ जाता तो संसार की तरफ भागने की बजाए भगवान की तरफ भागते
7 40 और कामना ने जन्म क्यों लिया क्योंकि हम आनंद चाहते हैं, यह हमारी nature है
8.05 और nature बनाई नहीं जाती सदा ही रहती है nature habit नहीं होती
8.25 और सब की nature यही है कि आनंद मिले चींटी से लेकर ब्रह्मा तक
8.40 आनंद की कामना को कोई नहीं मिटा सकता, क्योंकि यह हमारी nature है क्योंकि सारी कामनाएं आनंद के लिए ही तो हैं, चींटी से लेकर ब्रह्मा तक कोई भी पशु हो कोई भी पक्षी हो
10.32 चाहे पूरा संसार भी आपको मिल जाए तब भी आनंद प्राप्ति नहीं हो सकती यह तो आग में घी डालना जैसा है
11.03 यदि कामना की पूर्ति हो गई तो लोभ पैदा होगा और यदि पूर्ति नहीं हुई तो क्रोध पैदा होगा, आप दोनों ओर से पिस जाते हैं
11.46 यदि किसी सौभाग्य से, भगवान की कृपा, गुरु की कृपा, सत्संग से, यह बात बुद्धि ग्रहण कर ले कि संसार में दुख है और केवल भगवान के में ही सुख है तो वैराग्य हो जाए
12.08 चित्रकेतु के एक करोड़ पत्नियां
12.35 भगवान की तरफ प्रयास करो तो बढ़िया है संसार की लिये परिश्रम करो तो निरर्थक है व्यर्थ है, दिन-रात पानी को मथो, तो भी घी नहीं निकलेगा
12.57 ऐसा नहीं है कि हमें अनुभव नहीं हुआ संसार का कि जब तक स्वार्थ पूर्ति हुई तब तक प्रेम मिला अथवा नहीं
14.23 जब तक अकेला था तो अपना ही दुख ,था शादी के बाद पत्नी का दुख भी मिला, पत्नी को पति का दुख मिला, बच्चा बीमार हुआ डॉक्टर के पास दोनों भाग रहे हैं
15.40 अपनी सब कामनाओं को भगवान की तरफ मोड़ देना है बस और कुछ नहीं करना
16.20 शादी के बाद लड़की अपना attitude कैसे change कर लेती है, अपने सारा प्रेम मायके से ससुराल की तरफ घुमा देती है
17.14 जो शेष प्रेम लड़की का मायके के लिए है वह इसलिए कि पति ने कभी धोखा दिया तो मां-बाप की शरण में जाना पड़ सकता है स्वार्थ पूर्ति के लिए
17.38 संसारी प्रेम को प्रेम कहना पागलपन है भगवान से प्रेम करना वास्तव में प्रेम है
17.55 संसार में सब झगड़ा क्यों हैं क्योंकि सब लेना ही चाहते हैं देना कोई नहीं चाहता
19.15 स्वार्थ पूर्ति के लिए ही बना है संसार यह जो नहीं जान पाया वह घोर मूर्ख है
19.32 मम्मी ने नन्हें से बच्चे की बात मान ली तो बच्चा मां से चिपट गया और यदि नहीं मानी तो बच्चा मां को मारने लगा, और ज्यों ज्यों बड़े हुए तो और 420 सीख ली और ठग रहे हैं एक दूसरे को, मीठी बातें करके
20.02 मैं तुम्हारे बिना जीवित नहीं रह सकती - लड़का लड़की एक दूसरे को बेवकूफ बनाते हैं, कुछ झगड़ा हुआ और 4 दिन के बाद तलाक हो गया अरे साथ जिएंगे साथ मरेंगे तो यह philosophy कहां गई