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Tuesday, October 26, 2021
दीनों के दीन दयाल हो, भजो राधे गोविंदा by Nikunj Kamra & Arushi, निकुंज व आरुषि
Monday, October 25, 2021
मेरा जन्म क्यों हुआ है मेरे जीवन का उद्देश्य क्या है Why was I born? What is the purpose of my life? - Shri Premanand ji
मेरा जन्म क्यों हुआ है मेरे जीवन का उद्देश्य क्या है
Why was I born? What is the purpose of my life?
https://youtu.be/kHC9RrPr8yo&t=0
1 यही उद्देश्य है कि मैं शरीर नहीं हूं मैं भगवान का सच्चिदानंद अंश हूं इस बात को हम जानकर मुक्त हो जाएं, इस संसार में हमारा बार-बार जन्म मरण ना हो Purpose is to come to know that I am not the body, I am the true eternal bliss of God, knowing this we should become free, we should not have to take birth and death again and again in this world. https://youtu.be/kHC9RrPr8yo&t=19 2 अभी हम स्त्री पुरुष शरीरों में आसक्त हैं, अभी हमारा बड़ा भ्रम है, संसार के भोगों में सुख है, इसी को मिटाने के लिए आए हो आप Right now we are attracted to male and female bodies & hence we have a big illusion that there is happiness in worldly pleasures, we have come to destroy this illusion. https://youtu.be/kHC9RrPr8yo&t=65 3 आप भगवत प्राप्ति कर सकते हो, आप देवलोक जा सकते हो, आप नरक जा सकते हो, आप सुअर, कुत्ता बन सकते हो, आप भूत प्रेत बन सकते हो, जो चाहो कर सकते हो You can attain God, you can go to heaven, you can go to hell, you can become a pig, a dog, you can become a ghost, you can do whatever you want. https://youtu.be/kHC9RrPr8yo&t=76 4 इसलिए मनुष्य का परम कर्तव्य चाह मिटा देना, इसलिए खूब नाम जप करें अच्छे आचरण करें और बुजुर्गों की सेवा करें उनके आशीर्वाद से हमें ज्ञान प्राप्त होगा तब भ्रम नष्ट होगा, सेवा के बिना शरीर पवित्र नहीं होता और नाम जप के बिना मन पवित्र नहीं होता और तन और मन जिसका पवित्र हो गया वही परम पवित्र भगवान को प्राप्त होता है Therefore, the supreme duty of man is to eliminate desires, hence chant His Name a lot, do good conduct and serve the elders, with their blessings we will gain knowledge, only then the illusion will be destroyed, without service the body does not become pure and without chanting the name the mind does not become pure. And only one whose body and mind becomes pure can attain the supreme God. https://youtu.be/kHC9RrPr8yo&t=86 5 इस शरीर को जो पंचभूतों से बना हुआ है अपने आप में मिल जाते हैं और मैं अजन्मा हूं, इच्छा करने के कारण फिर मुझे नए शरीर में जाना पड़ता है, यहां इच्छा मिटाने आए हैं, इच्छा बढ़ाने नहीं आए यहां भगवत प्राप्ति करने आए हैं, संसार में राग फसाने नहीं आए और उल्टा हो रहा है हम इच्छा बढ़ा रहे हैं, राग बढ़ा रहे हैं, भगवान की तरफ से विमुख हैं, संसार की तरफ लगे हुए है यह हमसे, भ्रम हो गया इसी को ठीक करना है This body which is made up of five elements merges with itself and I am unborn BUT because of having desires I am given a new body, I have come here to make my worldly desires nil (simply by diverting all my desires to Lord), not to increase my worldly desires, I have come here to attain God, We have not come to get entrapped in attachments of this world and the opposite is happening. We are increasing desires, increasing attachment, we are turning away from God, we are attached to the world, we have become confused & illusioned, this has to be corrected. https://youtu.be/kHC9RrPr8yo&t=116
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Sunday, October 24, 2021
कौन से गुरु के शिष्य बनें ? Which guru should you become a disciple of? by Dr. Vrindavan Chandra Das
कौन से गुरु के शिष्य बनें ?
Which guru should you become a disciple of?
by Dr. Vrindavan Chandra Das
https://youtu.be/A2wWySzDIPY
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Saturday, October 23, 2021
हमारी भक्ति की चरम स्थिति ऐसी होनी चाहिए कि मेरा सुमिरन हरि करे मैं पाऊं विश्राम , The peak state of our loving devotion should be such that Lord remembers me and I get eternal blissful rest - by Shri Indresh Upadhyay ji
हमारी भक्ति की चरम स्थिति ऐसी होनी चाहिए कि मेरा सुमिरन हरि करे मैं पाऊं विश्राम - by Shri Indresh Upadhyay ji
The peak state of our loving devotion should be such that Lord remembers me and I get eternal blissful rest
0 15 कई लोग भागवत की आयोजन इसलिए करते हैं कि पितरों की संतुष्टि हो जाए केवल इसी वजह से नहीं करानी चाहिए
https://youtu.be/s1nhgNRmuc4?t=15 1 30 असली मकसद यह है: परम धर्म करने की इच्छायें हम में जागृत हो जाएं https://youtu.be/s1nhgNRmuc4?t=90 1 53 धर्म और परम धर्म में अंतर https://youtu.be/s1nhgNRmuc4?t=113 2 52 भागवत का अधिकारी कौन है जिसमें मातसर्य (ईर्ष्या, jealousy) भाव नहीं हो https://youtu.be/s1nhgNRmuc4?t=172 3 52 95% लोगों में मातसर्य (ईर्ष्या, jealousy) होता है https://youtu.be/s1nhgNRmuc4?t=232 4 17 तब तक सत्संग सुनो नाम जप करो जब तक ऐसा व्यक्ति जिसके प्रति आपकी ईर्ष्या थी पहले, अब आपको प्रिय लगने लगे, और जिस दिन ऐसा होने लगे कि आपको प्रेम हो, ईर्ष्या की बजाय, तो समझ लेना राम जी मिलने वाले हैं आपको https://youtu.be/s1nhgNRmuc4?t=257 5 30 राम जी को रावण से ईर्ष्या अगर होती तो हनुमान को, अंगद को नहीं भेजते लंका में रावण के पास https://youtu.be/s1nhgNRmuc4?t=330 5 58 श्री कृष्णा भी शांतिदूत बनकर पहले स्वयं गए दुर्योधन के पास ईर्ष्या होती तो नहीं जाते https://youtu.be/s1nhgNRmuc4?t=358 6 58 कंस को भी पहले कितने संदेश भेजें कितने राक्षस मार के कि भैया अब तो सुधर जा https://youtu.be/s1nhgNRmuc4?t=418 7 11 हमें यदि ईर्ष्या होगी किसी के साथ तो हम सुधारने की बजाय सीधा युद्ध करने पहुंच जाएंगे, FIR नोट कर लो https://youtu.be/s1nhgNRmuc4?t=431 7 27 जब ईर्ष्या का भाव नष्ट होता है तो अगले से संवाद किया जाता है विवाद नहीं, वैष्णव अपने आप को हरा देगा मगर विवाद नहीं करेगा https://youtu.be/s1nhgNRmuc4?t=447 7 57 यदि ईर्ष्या का भाव होगा तो मंच पर बैठा वक्ता भी किसी पर प्रभाव नहीं कर पाएगा और अगर यदि श्रोता हुआ तो सब भूल जाएगा 4 घंटे की कथा https://youtu.be/s1nhgNRmuc4?t=477 8 15 यह ईर्ष्या एक किस्म का बांध है वह कानों में तो आने देगा कथा को मगर हृदय में उतरने नहीं देगा https://youtu.be/s1nhgNRmuc4?t=495 8 34 और यह मातसर्य दोष हटेगा कैसे सत्संग से, असल में सभी विकारों और दोशों की दवाई है सत्संग https://youtu.be/s1nhgNRmuc4?t=514 9 17 तो पहली चीज आपको मातसर्य भाव खत्म करना है तब आप अधिकारी बनोगे कथा सुनने के लिए https://youtu.be/s1nhgNRmuc4?t=557 9 48 चिंता मत करना, आर्त (पीड़ा) भगाना, धन मिलाना दुख हटाना, यह सब कथा का उद्देश्य नहीं है कथा का उद्देश्य है श्री कृष्ण आपको भगवान से हटकर अपनत्व यानी किसी संबंध के रूप में आपके प्रिय लगने लगेंगे https://youtu.be/s1nhgNRmuc4?t=588 11 08 यदि कथा सुनने इस मकसद से बैठेंगे कि कृष्ण को अपना बनाना है तो यह 100% गारंटी देता हूं मैं कि यह होगा कथा सुनने के बाद https://youtu.be/s1nhgNRmuc4?t=668 11 34 आप कहोगे कि मैं तो अभी भी कृष्ण को सखा मानता हूं लेकिन कथा सुनने के बाद श्री कृष्ण भी आपके सखा मानेंगे और दूसरा आप श्री कृष्ण के पीछे-पीछे नहीं चलोगे श्री कृष्ण आपके संग चलेंगे https://youtu.be/s1nhgNRmuc4?t=694 12 30 जहां ले चलोगे वहीं मैं चलूंगा यह भक्ति की प्रारंभिक स्थिति है, मगर भक्ति की चरम सीमा क्या है जब ठाकुर जी कहेंगे जहां ले चलोगे वहीं मैं चलूंगा https://youtu.be/s1nhgNRmuc4?t=750 13 14 मेरा सुमिरन हरि करें मैं पांऊं विश्राम https://youtu.be/s1nhgNRmuc4?t=794 14 02 इसका प्रमाण यह है कि जैसे सूरदास जी ने सवा लाख पद लिखने थे, एक लाख पद के बाद ही वह पधार गए, तो बाकी पद कहते हैं भगवान ने लिखे और अंत में “सूर श्याम” करके लिखे, जबकि सूरदास के पद में अंत में “सूरदास” होता था https://youtu.be/s1nhgNRmuc4?t=842 15 07 हरि जी मोरी क्या बिगाड़ेगी, जाएगी लाज तुम्हारी, पछताई हो जब देख मुझे उभारी, यह पद सूर श्याम यानी भगवान ने लिखा है, सूरदास जी ने नहीं https://youtu.be/s1nhgNRmuc4?t=907 15 43 तुलसीदास जी ने रामायण तो लिख दी मगर जरूर रघुनाथ जी ने बोला होगा कहा होगा और नाम तुलसीदास जी का लिखवा दिया https://youtu.be/s1nhgNRmuc4?t=943 16 12 गीत गोविंद जब लिखा जयदेव ने तो आखरी पद लिखना था तो लिखा नहीं जा रहा था, याद नहीं आ रहा था क्या लिखे पत्नी को बोला स्नान करने जा रहा हूं, पूरा किस्सा सुनिए https://youtu.be/s1nhgNRmuc4?t=972 19 30 भगवान को तुम भजो वह तो ठीक है मगर एक स्थिति ऐसी आए जब भगवान आपको भजें वह है चरम सीमा भक्ति की https://youtu.be/s1nhgNRmuc4?t=1170 19 49 यह प्रमाण देखना हो कि भगवान मुझसे प्रसन्न हैं कि नहीं तो मंदिर में उनके श्रृंगार में क्या-क्या लगने वाला है, पहले से सोच लो यदि उनमें से कुछ भी हुआ वैसा जैसे आपने सोचा था, तो समझो भगवान आपसे प्रसन्न हैं https://youtu.be/s1nhgNRmuc4?t=1189 21 14 जब मुझे स्पष्ट मालूम हुआ कि महाकाल मिलना चाहते थे ठाकुर जी से वास्तव में गले लगाना चाहते थे https://youtu.be/s1nhgNRmuc4?t=1274 24 52 पंडित ने ठाकुर जी को नहला दिया महाकाल के अभिषेक में, मैं डर रहा था कि आज तो ठाकुर जी ठिठुर गए होंगे, चलो हम तो बच गए, मगर फूलों की माला पंडित जी ने मुझे पहना दी, दो ढाई किलो पानी सब मुझ पर पड़ा और मैं भी ठिठुर गया https://youtu.be/s1nhgNRmuc4?t=1492 26 41 रोज शयन के समय ठाकुर जी को गीत गोविंद सुनाओ, एक दिन ऐसा आएगा जब आपको स्पष्ट ठाकुर जी दिखेंगे सिंहासन पर बैठे हुए आपका गीत गोविंद सुन रहे https://youtu.be/s1nhgNRmuc4?t=1601 27 37 नाभा गोस्वामी जी का उदाहरण सुनिए https://youtu.be/s1nhgNRmuc4?t=1657 27 55 गीत गोविंद गाया https://youtu.be/s1nhgNRmuc4?t=1675Friday, October 22, 2021
ई चमक ई धमक फूलवन मा महक सब कुछ सरकार तुम्हई से है, Ye Chamak Ye Damak By - Vinod Ji Agrawal
ई चमक ई धमक फूलवन मा महक, सब कुछ सरकार तुम्हई से है
Ye Chamak Ye Damak By - Vinod Ji Agrawal
https://youtube.com/shorts/cFpYpqknDP0