Vinod Agarwal Bhajan lyrics
Jai Jai Radha Raman Hari Bol
जय जय राधा रमण हरी बोल,जय जय राधा रमण हरी बोल
जिस सचितानंद ईश्वर को, नेति नेति बतलाते हैं, उस नन्द नंदन मनमोहन को, हम अपना शीश झुकाते हैं
जिनके स्वागत को नित्य उषा (morning), किरणो की माला लाती है
जिनके स्वागत को प्रात समय, हर कलि फूल बन जाती है
जिन के पद पदम् चूमने को, हर नदी तरंग में आती है
उस नन्द नंदन मनमोहन को, हम अपना शीश झुकाते हैं
जिनके स्वागत को संध्या भी, सोलह श्रृंगार सजाती है
जिनसे मिलने को रजनी (night ) भी, तारों के दीप जलाती है,
जिनकी अति सुन्दर रूप छठा ,हर कण कण में मुस्काती है
उस नन्द नंदन मनमोहन को, हम अपना शीश झुकाते हैं
जय जय राधा रमण हरी बोल,जय जय राधा रमण हरी बोल
जो भृकटि संकेतों से ही ,संसार व्यव्हार चलाते हैं
उत्पन्न की रचना करते हैं ,और प्रलय के द्रिशय दिखाते हैं ,
जीवो का पालन करते हैं ,सृष्टि के नियम बनाते हैं
उस नन्द नंदन मनमोहन को, हम अपना शीश झुकाते हैं
ये सुर नर जल चर नभ चर, जिनकी महिमा को गाते हैं
ऋग ,यजुर, अथर्व और श्याम वेद ,नेति नेति बतलाते हैं (हम नहीं जानते )
ॐ इति एक अक्षर ब्रह्मा ,ज्ञानी जन ध्यान लगते हैं
उस नन्द नंदन मनमोहन को, हम अपना शीश झुकाते हैं
योगी ये ध्यान धरे जिनको, तापसी तन की खाक रमावे, चारों वेद न पावत भेद,बड़े त्रिवेदी नहीं गति पावे ,
स्वर्ग मृत्यु पाताल हुँ में ,जाको नाम लिए सभी सर नावें
ताहि अहीर की छोरियां , छछिया भरी छाछ पे नाच नचावें
जय जय राधा रमण हरी बोल,जय जय राधा रमण हरी बोल
मैंने पीली जो मोहन तेरे नाम की, प्यास बढ़ती गयी और तलब जाम की
होश भी न रहा, दिल में कुछ न रहा, मैंने नज़रों ही नज़रों जो बात की
खाक हम हो गए इश्क़ के दौर में, कुछ तो कमज़ोर हम, कुछ रज़ा आपकी
तुमने लूटा मज़ा, हम रोते रहे, रोते रोते लगन फिर भी है आपकी
जय जय राधा रमण हरी बोल,जय जय राधा रमण हरी बोल