Wednesday, May 12, 2021

Vinod Agarwal Bhajan lyrics काम मेरा है चाहत करूँ दीद (दर्शन) की, kam mera hai chahat karoon deed ki

 Vinod Agarwal Bhajan lyrics


kam mera hai chahat karoon deed ki

काम मेरा है चाहत करूँ दीद की , मुझको जलवा दिखाना तेरा काम है
मेरी ऑंखें तेरे दीद की मुन्तज़िर , रुख से पर्दा हटाना तेरा काम है
मैं खिलौना प्रभु हूँ तेरे हाथ का ,मेरी क्या ज़िन्दगी मेरी औकात क्या
काम मेरा बन बन के नित्य टूटना ,तोड़ना जोड़ना अब तेरा काम है

मुझको तेरी इनायत पे काबिल यकीं ,मुझको तारिख (dark ) राहों की परवाह नहीं ,
काम मेरा चलना सो सो मैं चलना दिया, आगे रस्ता दिखाना तेरा काम है
काम मेरा है तेरा मैं सुमिरन करून ,काम तेरा है खाली तू दमन भरे
काम मेरा है ज्योति जगाना  तेरी , सोइ किस्मत जगाना तेरा काम है
जब दिया किसी ने सहारा मुझे ,तब बेचैन होके  पुकारा तुझे
मैं हूँ नादान काम मेरा नित्य डूबना, डूबते को बचाना तेरा काम है

अब तो आजा प्रभु दो घड़ी के लिए ,मेरा आज़ादे वक्ते सफ़र गया
काम मेरा था आवाज़ देना तुझे , आगे आना आना तेरा काम है

काम मेरा है चाहत करूँ दीद की , मुझको जलवा दिखाना तेरा काम है
मेरी ऑंखें तेरे दीद की मुन्तज़िर , रुख से पर्दा हटाना तेरा काम है

मूर्ति तुम पूज्यनीय हो, इसलिए नहीं की तुममे देवता बस्ते  हैं , बल्कि इसलिए की तुमने तराशे जाने का दर्द सहा है

वो तुम हो कि दे दे के चरके (wounds) हज़ारों, हरेक ज़ख्मे दिल  laadava कर दिया है ,
ये मैं हूँ के कर कर के सिज़दे हज़ारों , तुम्हें एक बुत से खुदा कर दिया है

Tuesday, May 11, 2021

Vinod Agarwal Bhajan lyrics जय जय राधा रमण हरी बोल Jai Jai Radha Raman Hari Bol

 Vinod Agarwal Bhajan lyrics


Jai Jai Radha Raman Hari Bol

जय जय राधा रमण  हरी बोल,जय जय राधा रमण  हरी बोल
जिस सचितानंद ईश्वर को, नेति नेति  बतलाते हैं, उस नन्द नंदन मनमोहन को, हम अपना शीश झुकाते हैं
जिनके स्वागत को नित्य उषा (morning), किरणो की माला लाती है
जिनके स्वागत को प्रात समय, हर कलि फूल बन जाती है
जिन के पद पदम् चूमने को, हर नदी तरंग में आती है
उस नन्द नंदन मनमोहन को, हम अपना शीश झुकाते हैं

जिनके स्वागत को संध्या भी, सोलह श्रृंगार सजाती है
जिनसे मिलने को रजनी (night ) भी, तारों के दीप जलाती है,
जिनकी अति सुन्दर रूप छठा ,हर कण कण में मुस्काती है
उस नन्द नंदन मनमोहन को, हम अपना शीश झुकाते हैं  
जय जय राधा रमण  हरी बोल,जय जय राधा रमण  हरी बोल

जो भृकटि संकेतों से ही ,संसार व्यव्हार चलाते हैं
उत्पन्न की रचना करते हैं ,और प्रलय के द्रिशय दिखाते हैं ,
जीवो का पालन करते हैं ,सृष्टि के नियम बनाते हैं
उस नन्द नंदन मनमोहन को, हम अपना शीश झुकाते हैं

ये सुर नर जल चर नभ चर, जिनकी महिमा को गाते हैं
ऋग ,यजुर, अथर्व और श्याम वेद ,नेति नेति बतलाते हैं (हम नहीं जानते )
इति एक अक्षर ब्रह्मा ,ज्ञानी जन ध्यान लगते हैं
उस नन्द नंदन मनमोहन को, हम अपना शीश झुकाते हैं

योगी ये ध्यान धरे जिनको, तापसी तन की खाक  रमावे, चारों वेद पावत भेद,बड़े त्रिवेदी नहीं गति पावे ,
स्वर्ग मृत्यु पाताल हुँ में ,जाको नाम लिए सभी सर नावें  
ताहि अहीर की छोरियां , छछिया भरी छाछ पे नाच नचावें
जय जय राधा रमण  हरी बोल,जय जय राधा रमण  हरी बोल

मैंने पीली जो मोहन तेरे नाम की, प्यास बढ़ती गयी और तलब जाम की
होश भी रहा, दिल में कुछ रहा, मैंने नज़रों ही नज़रों जो बात की
खाक हम हो गए इश्क़ के दौर में, कुछ तो कमज़ोर हम, कुछ रज़ा आपकी
तुमने लूटा मज़ा, हम रोते रहे, रोते रोते लगन फिर भी है आपकी
जय जय राधा रमण  हरी बोल,जय जय राधा रमण  हरी बोल