कृष्ण दास जी के मन में सुंदर वैश्या को देखकर
कृष्ण दास जी के मन में सुंदर वैश्या को देखकर
https://youtu.be/KS5nc2kPiJo
1
श्री कृष्ण दास जी बाजार खरीदने कुछ सामग्री खरीदने गए
https://youtu.be/KS5nc2kPiJo&t=10
2
श्रीनाथ जी की सेवा के लिए ठाकुर जी को सदैव वह वस्तु प्रस्तुत कर करनी चाहिए जो आपके नेत्रों को अति प्रिय लगे
https://youtu.be/KS5nc2kPiJo&t=21
3
आज क्या स्थिति है कि हमें कोई चीज अच्छी लगती है तो हम लोग सोचते हैं घर में कोने में उसको सजाएंगे, हमें और हमारे परिवार को अच्छी लगेगी घर में (यानी हम केवल अपनी प्रसन्नता का ख्याल रखते हैं)
https://youtu.be/KS5nc2kPiJo&t=45
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कहने का अभिप्राय यह है कि आपके कानों को कोई स्वर अच्छा लगे, नेत्रों को कोई दर्शन अच्छा लगे, जीवहा को कोई रस अच्छा लग जाए, त्वचा को कोई स्पर्श अच्छा लग जाए - वह सब कुछ अपने घर के ठाकुर जी को अर्पित कीजिएगा, उसके बाद स्वयं सेवन कीजिएगा वो प्रसाद बन जाएगा
https://youtu.be/KS5nc2kPiJo&t=68
5
श्री कृष्ण दास जी एक बार दिल्ली गए, तो दिल्ली में जलेबी बन रही थी जलेबी देख कर के कृष्णदास जी मन में सोचने लगे इसका भोग लगाना चाहिए ठाकुरजी को
https://youtu.be/KS5nc2kPiJo&t=91
6
मंदिर के कपाट खुलते ही क्या देखते हैं श्रीनाथ जी की उठी हुई भुजा के ऊपर जलेबियां रखी हुई हैं, कृष्ण दास जी के नेत्र सजल हो गए (नहीं भगवान ने भक्त का भाव पहले से ही भांप लिया था)
https://youtu.be/KS5nc2kPiJo&t=241
7
आरती के पश्चात ठाकुर जी को देख कर के रुदन (रोने) करने लगे, ठाकुर जी ने अपने हाथों से कृष्णदास के मुख में जलेबी पधरा दी
https://youtu.be/KS5nc2kPiJo&t=254
8
इसको रस नहीं इसको रास कहते हैं, भगवान का अपने भक्त के साथ, हम ठाकुर जी की इच्छाएं पूरी करते रहें, करते रहें, हमारे हृदय की इच्छा हमारी ना रह जाए वह ठाकुर जी की ही इच्छा हो जाए, यह भक्ति की पराकाष्ठा (climax) है
https://youtu.be/KS5nc2kPiJo&t=270
9
श्री कृष्ण दास जी एक बार आगरा गए, तो आगरा में बाजारी कर रहे थे, तभी उनको सुंदर स्वर सुनाई देने लगा, और सुंदर स्वर को सुनकर के कृष्णदास जी का मन विचलित होने लगा बोले कौन गा रहा है
https://youtu.be/KS5nc2kPiJo&t=289
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घुंघरू अपने पैरों में बांध कर के एक वैश्या करके गा रही थी, उसके स्वर पर तो कृष्णदास जी एक बार को मोहित हो ही गए थे, लेकिन जब उसका स्वरूप देखा, कृष्ण दास जी के मन में भाव आया कि इतना सुंदर स्वरूप, इतना सुंदर कंठ, इतना सुंदर नृत्य, यह तो मेरे लाल जी को प्रस्तुत होनी चाहिए
https://youtu.be/KS5nc2kPiJo&t=323
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कृष्ण दास जी उसके पास पहुंचे और जाकर के कहा देवी हमारे सेठ जी के सामने नृत्य
करोगी
https://youtu.be/KS5nc2kPiJo&t=397
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वैश्या ने कहा 50 रुपए लगेगा उस समय के बहुत होते थे, कृष्ण दस जी ने 100 रुपए तो तभी दे दिया, बोले तुम पहले रख लो और फिर जब हमारे सेठ जी के सामने नाच लोगी, वो प्रसन्न हो जाएंगे तो उसके बाद जो उनकी इच्छा होगी वो वो दे देंगे, यह तो केवल ऐसे ही एडवांस समझ लो
https://youtu.be/KS5nc2kPiJo&t=426
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वैश्या तो मोहित हो गई, सोचने लगी कि यहां तो मुझे लगता है इतना धन मिलेगा कि मुझे फिर किसी से मांगने की जरूरत नहीं, जब सेठ जी का सेवक इतना उदार है तो सेठ जी कितने उदार होंगे
https://youtu.be/KS5nc2kPiJo&t=454
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शाम का समय पहुंचे वैश्या तैयार होकर के मंदिर में पहुंची, अभी तक भी उसको नहीं पता था मैं कोई मंदिर में हूं, कृष्णदास जी से बोला, कहां है आपके सेठ
https://youtu.be/KS5nc2kPiJo&t=504
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बोले अभी भोजन कर रहे हैं, जैसे भोग पूरा हो जाएगा उसके बाद सेठ जी सामने सिंहासन पर बैठे हैं तुम नृत्य करना शुरू कर देना, अति सुंदर बन कर के आई है अपने रूप का अहंकार, अपने कंठ का अभिमान, अपने संपूर्ण अंग का अभिमान कर रही है, बोले ऐसा नृत्य करूंगी ऐसा गाऊंगीं कि सेठ मुझ पर फिदा हो जाएगा मुझ पर, लेकिन उसको क्या पता था कि फिदा कौन होने वाला है
https://youtu.be/KS5nc2kPiJo&t=518
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जैसे ही गोसाई जी ने कपाट खोले, एक भुजा उर्द (ऊपर) बाहु, दूसरी भुजा कंठ पर अपने कटी भाग (कमर) पर और कमल नैन श्रीनाथ जी का जैसे ही उसने दर्शन किया, स्तब्ध हो गई, मुख मंडल को देख कर के, उसके संपूर्ण शरीर के रोए मानो नृत्य करने लगे
https://youtu.be/KS5nc2kPiJo&t=566
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जितने स्वर राग रागिनियो को जानती थी सब विस्मृत (forgot) हो गए, कृष्णदास जी कहने लगे नृत्य करो तो धरती कहीं है, पैर कहीं और जाता है, मन की दशा कछु और ही भई रे, तब अंत में वह समझ गई कि मैं कुछ नहीं कर पाऊंगीं, क्योंकि अपने पर अभिमान था ना कि मैं यह जानती हूं, वो जानती हूं, उनके लिए पूर्ण समर्पण नहीं था
https://youtu.be/KS5nc2kPiJo&t=597
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तब वो कृष्णदास जी के सामने हाथ जोड़ती, बोली मेरे बस का नहीं है, अब कुछ गाना आप ही कुछ गा दीजिए, तो कृष्ण दास जी ने उस वैश्या के भाव को ही गाया “गिरधर छवी पे अटकयो मेरो मन”
https://youtu.be/KS5nc2kPiJo&t=624
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कृष्णदास जी उस वैश्या का मुख पर पड़ रहे हैं, मानो वैश्या कहना चाह रही है, ये जो सामने तुम्हारे सेठ जी खड़े हैं ना इनकी, जो भगवान का ललित त्रिभंगी स्वरूप है यानी तीन जगह से टेढ़े, सिर भी टेढ़ा, कमर भी टेढ़ी, पाँव भी टेढ़े, इन पर मेरा चित्त ऐसे अटक गया है, जैसे चुंबक पर लोहा चिपक जाता है
https://youtu.be/KS5nc2kPiJo&t=886
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नाचते नाचते कृष्ण दास जी ने इशारा किया, बोले, बस हो गया चलो वापस तुमको आगरा छोड़ आए, जहां तुम नाचती थी
https://youtu.be/KS5nc2kPiJo&t=951
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वैश्या के नेत्र लाल पड़ जाते हैं, रोने लग जाती है, हाथ पांव कंपन करने लगते हैं, तब कृष्ण दास जी से मानो इशारे में कहती है कि मैं इस शरीर से इनकी (भगवान की) सेवा नहीं कर सकती, इस शरीर को ना जाने कितने लोगों ने उपभोग करके अब दूषित कर दिया है, जूठा कर दिया है, और जूठी वस्तु ठाकुर जी की सेवा में नहीं जा सकती, अब तो मेरा एक ही मन है, शरीर अपवित्र है लेकिन आत्मा परम शुद्ध होती है, अब प्रणा परायण करना चाहती हूँ
https://youtu.be/KS5nc2kPiJo&t=981
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वैश्या नाचते नाचते, घूमते घूमते घूमते, श्री नाथ जी के आंगन में ही अपने प्राणों का परित्याग कर देती है और आत्म रूप धारण करके श्रीनाथ जी के शिव विग्रह में जाकर के विलीन हो जाती
है
https://youtu.be/KS5nc2kPiJo&t=1043
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सोचो अपने जिस रूप, जिस कंठ, जिस नृत्य की विद्या को आज तक संसार को देती रही, कभी संतुष्ट नहीं हुई, वह वैश्या केवल एक दिन एक उस विद्या का प्रस्तुतीकरण ठाकुर जी के सामने किया, और ठाकुर जी ने अंगीकार कर लिया, निज सेवा में बुला लिया
https://youtu.be/KS5nc2kPiJo&t=1088
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थोड़ी देर में श्रीमद वल्लभाचार्य जी आदि समस्त वैष्णव जनों को दर्शन हुआ कि ठाकुर जी की लीला में, जितने सखा सहचर थे, उन सहचरों में एक वैश्या भी खड़ी है ठाकुर जी उसको अपनी अंतःपुर की लीला में ले गए
https://youtu.be/KS5nc2kPiJo&t=1110
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कहने का अभिप्राय केवल इतना है जिस विद्या को ठाकुर जी ने कृपा करके आपको दिया है उस विद्या का प्रस्तुतीकरण उन्हीं के लिए कीजिए, संसार के लिए मत कीजिए
https://youtu.be/KS5nc2kPiJo&t=1132
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बहुत बड़ी रहस्य की बात बता रहा हूं, यदि आप हाथ से भोजन बहुत अच्छा बनाते हैं, तो आपको नाम जप की जरूरत नहीं है, आपको तीर्थ यात्रा करने की जरूरत नहीं है, सत्संग की भी जरूरत नहीं है, बस भोजन इतना स्वादिष्ट बनाकर ठाकुर जी को पवाओ, ठाकुर जी उसी से रीझ (प्रसन्न) जाएंगे
https://youtu.be/KS5nc2kPiJo&t=1148
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Sunday, November 7, 2021
कृष्ण दास जी के मन में सुंदर वैश्या को देखकर by Indresh Ji
Saturday, November 6, 2021
संत हुए लट्टू सुंदर औरत के पीछे-पीछे उसके घर पहुंच गए by Indresh Ji
संत हुए लट्टू सुंदर औरत के पीछे-पीछे उसके घर पहुंच गए by Indresh Ji
1 हमारे विद्वानों में एक परम विद्वान हुए श्री बिल्ब मंगल https://youtu.be/Y-ul0D6n3PU&t=0 2 श्रेष्ठ जन जो होते हैं, यदि कुछ ऐसी क्रिया करें जो अवगुण जैसी दिखे तो ये समझना कि वह सदैव दूसरों को सिखाने के लिए करते हैं (श्रेष्ठ जन कभी कुछ गलत नहीं करते) https://youtu.be/Y-ul0D6n3PU&t=24 3 बिल्ब मंगल जी जो थे उनको रूप का बड़ा आकर्षण था, उनको रूप कहीं दिख जाए, उसको देखने लग जाते https://youtu.be/Y-ul0D6n3PU&t=38 4 एक बार मार्ग से जा रहे थे और एक सुंदर युवती नदी में जल भर रही थी, बिल्ब मंगल जी की एक दृष्टि उसके ऊपर पड़ी और बिल्ब मंगल जी उसके पास जाकर के बैठ गए और उसको निहारने लगे https://youtu.be/Y-ul0D6n3PU&t=49 5 उसके पीछे पीछे उसके घर तक पहुँच गए https://youtu.be/Y-ul0D6n3PU&t=80 6 पति ने द्वार खोल कर के बिल्ब मंगल जी को भीतर बुलाया https://youtu.be/Y-ul0D6n3PU&t=120 7 पति ने पत्नी से कहा कि बढ़िया सुंदर भोजन बनाओ, महाराज जी पधारे हैं https://youtu.be/Y-ul0D6n3PU&t=153 8 पति ने पत्नी से कहा श्रृंगार करके महाराज के सामने आओ https://youtu.be/Y-ul0D6n3PU&t=170 9 एक सामान्य सांसारिक व्यक्ति की सुंदरता देखकर हम सब कुछ भूल जाते हैं https://youtu.be/Y-ul0D6n3PU&t=196 10 बिल्ब मंगल जी को अचानक ध्यान आया कि यदि इतना त्याग, यदि ठाकुर जी के लिए किया होता तो ठाकुर जी मिल गए होते https://youtu.be/Y-ul0D6n3PU&t=231 11 बिल्लू मंगल जी ने नेत्र खोले और उस कन्या से कहा, सुनो तुम्हारे घर में सुई है, लेकर आओ https://youtu.be/Y-ul0D6n3PU&t=242 12 बल्ब मंगल जी ने अपनी आंखें फोड़ लीं, बोले जो नेत्र संसार के रूप को देखने को आसक्त हो गए, आधीन हो गए, यह नेत्र जीवित रहने के अधिकारी नहीं है https://youtu.be/Y-ul0D6n3PU&t=263 13 वेणु गीत के प्रथम श्लोक में गोपियां कहती हैं, हमको आंख मिली है तो इन आंखों को मिलने का साफल्य क्या है, इन आंखों को मिलने का लाभ क्या है, यदि श्री कृष्ण के दर्शन नहीं किए https://youtu.be/Y-ul0D6n3PU&t=290 14 चांदी का कटोरा मिलने के बाद भी हमने उसमें मिट्टी भर दी, ऐसा हमने आंखों का प्रयोग किया है https://youtu.be/Y-ul0D6n3PU&t=301 15 भीष्म पितामह कहते हैं कि हे श्री कृष्ण, मैंने आपके सारे दर्शन किए, आपकी “ललित गति” का दर्शन नहीं किया https://youtu.be/Y-ul0D6n3PU&t=413 16 ठाकुर जी “ललित गति” से क्यों चलते हैं यानी टेढ़े-मेढ़े, भू देवी जो उनकी दूसरी पत्नी है (पहली पत्नी श्रीदेवी) भू देवी को प्रसन्न करने के लिए गाय के खुरों से जो गड्ढे बनते हैं उन गड्ढों पर पांव रखते हुए https://youtu.be/Y-ul0D6n3PU&t=458 Standby link (in case youtube link does not work): संत हुए लट् टू सुंदर औरत के पीछे-पीछे उसके घर पहुंच गए II श्री इंद्रेश उपाध्याय महाराज जी.mp4
Friday, November 5, 2021
श्रीजी (श्री राधे) की अद्भुत कथा - by Indresh ji
श्रीजी (श्री राधे) की अद्भुत कथा https://youtu.be/K8UP-igHsb0 1 श्री जी (श्री राधे) का जितना गायन देवादि देव महादेव ने किया है, उतना किसी ने नहीं किया https://youtu.be/K8UP-igHsb0&t=38 2 और लोग तो शिव पर जल चढ़ाते हैं ओम नमः शिवाय करते हुए, मगर हम तो श्री राधा श्री राधा करते हुए, उससे भोले शंकर अत्यंत प्रसन्न होते हैं https://youtu.be/K8UP-igHsb0&t=105 3 कैसे काशी में महादेव के हुए दर्शन, जब महादेव को शिकवा (complain) किया https://youtu.be/K8UP-igHsb0&t=116 4 जब देवों के देव महादेव, श्री जी का स्मरण करते हैं तो सोचो श्री जी (श्री राधे) कौन हैं https://youtu.be/K8UP-igHsb0&t=249 5 आजकल के लोग फालतू सिनेमा देखते हैं, उसके बाद वृंदावन आते हैं तो क्या आपको श्री जी समझ आ जाएंगी ? आपको यह अद्भुत प्रेम समझ आएगा ? कभी नहीं आ सकता, अद्भुत प्रेम के रस स्वरूपा है, हमारी श्यामा https://youtu.be/K8UP-igHsb0&t=266 6 बिहारन देव जी बिहारी जी की सेवा करते थे https://youtu.be/K8UP-igHsb0&t=367 7 बिहारन देव प्रार्थना करते थे कि उस वृंदावन का दर्शन कब होगा जहां आप युगल स्वरूप धारण करके विचरण करते हो, जहां यमुना में जल नहीं, केसर युक्त सुगंधित जल बहता है, जहां पर यमुना के तट पर बालू नहीं मणियों की बालू है, जहां पर वृंदावन में वृक्षों पर कोयल चहकती नहीं है, श्री राधा श्री कृष्ण नाम ध्वनि प्रकट करती हैं, जहां पर वृंदावन में रहने वाले मानवों का भोजन पानी केवल आपके दर्शन मात्र हैं, उस वृंदावन का मुझे कब आस्वादन (taste) होगा, “अप्रकट” (not seeable through our mortal eyes) वृंदावन का थोड़ा भाव समझो https://youtu.be/K8UP-igHsb0&t=409 8 बिहारी जी ने एक दिन बिहारन जी की प्रार्थना सुन ली और उन्हें दर्शन दिए https://youtu.be/K8UP-igHsb0&t=504
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श्रीजी की अद्भुत कथा 🌈 बांके बिहारी लाल जी कीजय 🙏 इंद्रेश आचार्य जी ने सच्ची कथा.mp4
Thursday, November 4, 2021
वेदों में तीन पर्योजन हैं: संबंध, अभिधेय, प्रयोजन ; There are three purposes in the Vedas: Sambandha, abhidheya, prayojana #blog0106
वेदों में तीन प्रयोजन हैं: संबंध, अभिधेय, प्रयोजन;
Wednesday, November 3, 2021
सुनो श्याम प्यार ये विनती हमारी, तरसती है अंखियां दरस को तुम्हारी -Swati Mishra Bhakti Song
1 सुनो श्याम प्यार ये विनती हमारी तरसती है अंखियां दरस को तुम्हारी https://www.youtube.com/watch?v=XKjyPlWRk2Q&t=15 2 कोई रूप लेकर अब चले आओ नहीं तो निकल जाएगी जान ये हमारी https://www.youtube.com/watch?v=XKjyPlWRk2Q&t=36 3 हमें भी सुनाओ वो धुन बांसुरी की हमें भी लुभाओ जैसे गोपियां लुभी थीं https://www.youtube.com/watch?v=XKjyPlWRk2Q&t=80 4 गैय्या चरैयां सब राह देखी कलयुग में कितनी जरूरत तुम्हारी https://www.youtube.com/watch?v=XKjyPlWRk2Q&t=118 5 फिर से कहीं कोई यशोदा डांट लगाए फिर से कहीं कोई लल्ला माखन चुराए https://www.youtube.com/watch?v=XKjyPlWRk2Q&t=176 6 हमें तुम सिखा दो रिश्ते निभाना बदलेगी दुनिया को लीला तुम्हारी https://www.youtube.com/watch?v=XKjyPlWRk2Q&t=213 7 तुम्हारी प्रेम में राधा और राधा के कृष्णा दूर हुए दो प्रेमी एक हुए ना https://www.youtube.com/watch?v=XKjyPlWRk2Q&t=258 8 फिर भी ये दुनिया कहती राधे कृष्णा सिखा दो ना हमको ऐसी पवित्रता तुम्हारी https://www.youtube.com/watch?v=XKjyPlWRk2Q&t=295
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Suno Krishna Pyaare Swati Mishra Bhakti Song Mohit Musik.mp4