*Gita Full Course Part 1 of 7*
https https://krishnabff.blogspot.com/2022/01/gita-1.html
*Gita Full Course Part 2 of 7*
https://krishnabff.blogspot.com/2022/01/gita-full-course-part-2-2.html
*Gita Full Course Part 3 of 7*
https://krishnabff.blogspot.com/2022/01/gita-full-course-part-3-3.html
*Gita Full Course Part 4 of 7*
https://krishnabff.blogspot.com/2022/01/gita-full-course-part-4-of-9-4.html
*Gita Full Course Part 5 of 7*
https://krishnabff.blogspot.com/2022/01/gita-full-couse-part-5-5.html
*Gita Full Course part 6 of 7*
https://krishnabff.blogspot.com/2022/01/gita-full-couse-part-6-of-9-6.html
*Gita Full Course part 7 of 7*
https://krishnabff.blogspot.com/2022/01/gita-full-couse-part-7-of-9-7.html
Gita Full Course Part 5 of 7 (भाग - 5)
https://www.youtube.com/watch?v=CfOy92MjXFg&list=PLI9pJ1j5Go3vKJPXVUv_NhNwB6seW2qHC&index=6
कल हमने चर्चा करी थी कि हम आत्मा हैं, आत्मा दिव्य है, कम से कम दिन में तीन बार आईने के सामने खड़े होकर बोलिए कि ये मेरा शरीर है, मैं शरीर नहीं आत्मा हूँ, जो ये नहीं समझ पाया कि हम आत्मा हैं, वास्तव में उसे अपनी पहचान ही नहीं है, इससे बड़ी अज्ञानता और मूर्खता नहीं हो सकती, ऐसे व्यक्ति को, जो अपनी पहचान भूल गया हो, हम पागल कहते हैं, और पागल किसी भी लायक नहीं होता, वो जो भी कार्य करता है सब व्यर्थ है
https://youtu.be/CfOy92MjXFg&t=36
यदि आप अपने आप को शरीर मानकर चल रहे हैं तो मतलब आपने पूरा मानव जीवन व्यर्थ कर दिया, आपको अपनी असली पहचान ही नहीं थी इसलिए बचपन से चिता तक पागलपन में ही जीवन बिता दिया, गीता के आरंभ में श्री कृष्ण भी अर्जुन का यही पागलपन दूर करते हैं, क्योंकि अर्जुन ने भी पागलपन में सामने खड़े भीष्म पितामह, ये भाई बंधु, ये मामा इत्यादि को मारने से मना कर दिया था क्योंकि अर्जुन का इन सब से संबंध शरीर का था भगवान ने समझाया की ये शारीरिक संबंध तो केवल कुछ सीमित समय का है, (आत्मा तो अमर है, इसलिए धर्म की रक्षा को मुख्य माना भगवान ने)
https://youtu.be/CfOy92MjXFg&t=162
जैसे एक बालक को पुलिस की dress पहना दो तो बाकी घरवालों को वो चोर समझकर नाटक करता है, doctor की dress पहना दो तो बाकी घरवालों को मरीज समझ के नाटक करता है, यही हाल हम बड़ों का भी है, अलग अलग आत्माओं ने अलग अलग शरीर धारण करके एक ही परिवार में जन्म लिया और हम समझने लगे कि ये सदा सदा का संबंध है, जबकि ऐसा नहीं है, इस भ्रम को, इस पागलपन को, हम एक बिमारी भी कह सकते हैं
https://youtu.be/CfOy92MjXFg&t=240
इस बिमारी या इस पागलपन के होते हुए, आप कुछ भी ज्ञान नहीं प्राप्त कर सकते, जिससे आपको लाभ हो, आध्यात्मिक की शुरुआत या पहली सीड़ी यही है कि मैं शरीर नहीं, आत्मा हूँ, भगवान ने गीता के शुरू से ही आत्मा पर बल दिया, क्योंकि आत्मा को समझना आसान है (क्योंकि आत्मा के कारण शरीर में चेतना हमें दिखाई देती है), परमात्मा तो बाद में समझ में आते हैं
https://youtu.be/CfOy92MjXFg&t=286
व्यक्ति की मृत्यु होती है तो कहते है चला गया, क्या चला गया ? आत्मा चली गयी, संस्कृत मैं बोलते हैं देहांत यानी देह का अंत हुआ, आत्मांत नहीं बोलते क्योंकि आत्मा का अंत नहीं होता, कल हमने ये भी चर्चा कर रही थी कि आत्मा साकार है इसलिए भगवान भी साकार हैं (भगवान निराकार भी हैं) आत्मा सनातन है
https://youtu.be/CfOy92MjXFg&t=350
असुर (demon) और भक्त (devotee) में यही फरक है कि असुर सब कुछ अपने शरीर के लिए करता है, मगर भक्त सब कुछ अपनी आत्मा के लिए करता है, जितनी भी असुर हुए हैं सब अपने शरीर को अमर करना चाहते थे (और इसीलिए उन्होंने घोर तपस्यायें की) जबकि उनकी आत्मा तो अमर थी ही मगर वो अपने आप को शरीर मानते थे, हम भी मंदिर जाते हैं तो किसके लिए मांगते है शरीर के लिए, यानी हम भी क्या हुए - असुर
https://youtu.be/CfOy92MjXFg&t=413
अगर पुनरजनम है और वास्तव में ही, और हमने यदि अपने आप को आत्मा नहीं मानकर भगवान की भक्ति नहीं करी (क्योंकि केवल भक्ति से ही आत्मा का भला हो सकता है), तो फिर हमारा कुछ पता नहीं है कि अगले जनम में क्या बनेंगे
https://youtu.be/CfOy92MjXFg&t=521
*Gita Shloka* 3.9: Work done as a sacrifice for Viṣṇu has to be performed; otherwise work causes bondage in this material world. Therefore, O son of Kuntī, perform your prescribed duties for His satisfaction, and in that way you will always remain free from bondage. यानी यदि हम सब कार्य भगवान को अर्पण करके करते हैं तभी आत्मा का भला है
https://youtu.be/CfOy92MjXFg&t=568
भगवान को जानना क्यों ज़रूरी है क्योंकि उसी से मालूम पड़ेगा कि ये मानव जीवन का लक्ष्य क्या है, हम इस शरीर में क्यों बंधे हुए हैं यानी क्यों जकड़े हुए हैं, जनम मृत्यु जरा (old age), व्याधि (दुख) - सब कुछ ना चाहते हुए भी होता है
https://youtu.be/CfOy92MjXFg&t=591
हम मंदिर क्यों जाते हैं, Americans और Europeans तो मंदिर नहीं जाते मगर उनके पास हर भौतिक सुविधा हमसे बहुत गुना अधिक है
https://youtu.be/CfOy92MjXFg&t=633
कल भी चर्चा कर रही थी कि भगवान ने कैसी सृष्टि बनाई, कैसे शरीर बनाए, आंख कान मस्तिष्क सब कुछ इतना श्रेष्ठ, भगवान का कितना बड़ा दिमाग होगा,
https://youtu.be/CfOy92MjXFg&t=733
क्या ये शरीर और इसके सारे अंग अपने आप पैदा हो सकते हैं - यदि ऐसा है तो इससे बड़ा अंधविश्वास नहीं हो सकता ; या इनके पीछे किसी (Lord) का कोई उद्देश्य है ? यदि मैं कहूँ की ये camera किसी ने बनाया है दूसरा का है ये camera किसी ने भी नहीं बनाया है अपने आप से बन गया, बताइए कौन हैं अंधविश्वासी ?
https://youtu.be/CfOy92MjXFg&t=831
तो कल हमने चर्चा करी थी भगवान को तीन अनुभूतियों (Forms, levels, साक्षात, प्रत्यक्ष ज्ञान) से समझा जाता है 1. ब्रह्म 2. परमात्मा 3. भगवान
https://youtu.be/CfOy92MjXFg&t=890
ब्रह्म निराकार, निर्गुण सवरूप हैं इसमें भगवान ने केवल “सत्य” (सनातन) (“सत” चित्त आनन्द) को दर्शाया है, चित्त और आनन्द को छुपा रखा है
https://youtu.be/CfOy92MjXFg&t=901
परमात्मा के अंदर “सत” और “चित्त” दर्शाया है, चित्त यानी हर कण कण में विद्यमान हैं इसलिए कण कण का उन्हें ज्ञान है, आनंद यहाँ छिपा हुआ है क्योंकि न्यायाधीश (judge) के साथ कुछ संबंध स्थापित नहीं कर सकते आप, परमात्मा केवल भौतिक जगत में है वैकुंठ में नहीं हैं
https://youtu.be/CfOy92MjXFg&t=946
भगवान में सत चित्त आनन्द तीनों हैं, क्योंकि भगवान के साथ हम संबंध स्थापित कर सकते हैं, जैसे हनुमान जी ने राम जी के साथ किया, राम और कृष्ण दोनों भगवान हैं, यदि गुलाब जामुन दूर पड़ा है, मुँह में से लार् तो टपके गी, मगर आनंद नहीं आएगा, जब तक गुलाब जामुन से संबंध नहीं होगा यानी चखोगे नहीं
https://youtu.be/CfOy92MjXFg&t=988
परमात्मा माया में रहते हुए भी माया से परे (beyond) हैं
https://youtu.be/CfOy92MjXFg&t=1042
परमेश्वर = परम+ईश्वर ; ईश्वर यानी नियंता, नियंत्रण करने वाला, हम स्वयं भी ईश्वर ही हैं, क्योंकि हम अपने भविष्य का निर्माण खुद ही करते हैं अपनी इच्छा शक्ति और कर्मों द्वारा, मगर परमेश्वर एक ही है भगवान - मगर हम बदमाशी ये करते हैं कि अपने आप को परमेश्वर समझने लगते हैं
https://youtu.be/CfOy92MjXFg&t=1085
भगवान कौन हैं, ब्रह्मा जी कहते है परमेश्वर कौन हैं : कृष्ण (गोविंद), सत चित्त आनंद, सब कारणों के कारण हैं
https://youtu.be/CfOy92MjXFg&t=1113
भगवान शब्द का अर्थ पाराशर मुनि (वेद व्यास जी के पिता) ने बताया है, जिनके पास छ: (six) ऐश्वर्य हैं 1. समपूर्ण बल (हम भगवान का ही बल इस्तेमाल करके थोड़े बहुत बलशाली बन जाते हैं), उदाहरण के लिए गोवर्धन उठा लिया ऊंगली पे, अनगिनत ग्रहों को हवा में उड़ा दिया, नाम में ही इतना बल है कि पत्थरों को समुद्र में तैरा दिया, भगवान का नाम लेने से हम स्वयं इस भव सागर से यानि दुखों से तर जाते हैं, इससे बड़ा बल क्या हो सकता है
https://youtu.be/CfOy92MjXFg&t=1176
छ: (six) ऐश्वर्य : संपूर्ण यश, संसार भी यदि यश किसी को मिलता है तो कल नहीं रहता, मगर जो भगवान से जुड़ता है उसका यश रहता ही है हमेशा जैसे प्रहलाद, रावण
https://youtu.be/CfOy92MjXFg&t=1315
छ: (six) ऐश्वर्य हैं: संपूर्ण धन, मेरे स्वयं का तो मेरा शरीर भी नहीं है, मरने के बाद मैं अपने साथ क्या लेके जा सकता हूँ ? अपना शरीर तक मैं लेके नहीं जा सकता जिसे मैं सारी जिंदगी मेरा, मेरा करता रहा यानि सिद्ध हो गया कि सभी कुछ भगवान का ही है, यदि छोटी जमीन का टुकड़ा आपने खरीद लिया तो पहले वो किसी और का था और मरने के बाद किसी और का होगा
https://youtu.be/CfOy92MjXFg&t=1375
भगवान ने गीता में कहा है की मरने के बाद मैं सब कुछ कर लेता हूँ ; या तो प्यार से दे दो जीवन में, नहीं तो डंडे से ले लूँगा, यानी भक्त अक्लमंद है, भक्त कहता है मेरा तो कुछ है ही नहीं, सभी कुछ भगवान का ही है, मैं तो केवल trustee हूँ
https://youtu.be/CfOy92MjXFg&t=1456
छ: (six) ऐश्वर्य हैं: संपूर्ण ज्ञान, केवल भगवान ही ज्ञानि हैं और कोई नहीं, बाकी तो चाहे सब से बड़ा philosopher भी केवल टिप्पणी कर सकता है गीता पर, कोई नया सिद्धांत नहीं दे सकता जैसे भगवान ने दिए
https://youtu.be/CfOy92MjXFg&t=1505
छ: (six) ऐश्वर्य हैं: संपूर्ण वैराग्य यानी भगवान को कोई आसक्ती (attachment, मोह) नहीं है
https://youtu.be/CfOy92MjXFg&t=1610
छ: (six) ऐश्वर्य हैं: संपूर्ण सौन्दर्य, ये अब श्रीराम एक जंगल से गुजर रहे थे तो बहुत पहुंचे हुए महाऋषि (जो शरीर के स्तर पर नहीं, आत्मा के स्तर पर थे) इतने मुग्ध हुए राम की सुंदरता पर कि उन्होंने राम से प्रार्थना की कि हमें अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार कर लीजिए
https://youtu.be/CfOy92MjXFg&t=1653
भगवान कहते हैं आत्मा मेरी शक्ति है और शक्ति को कौन इस्तेमाल या भोग सकता है, जो शक्तिमान है, जो शक्ति का दाता है, 3 types of Lord’s energies or potencies are there: Internal (runs Lord’s spiritual worlds), External (physical worlds) & Marginal (we living beings – borderline between Internal & External) ,i.e., we can live either in Internal or External potencies of Lord – this is the power of discrimination or इच्छा शक्ति God has given to soul (आत्मा)
https://youtu.be/CfOy92MjXFg&t=1745
यानी हम (हमारी आत्मा) भगवान की शक्ति है ओर इसे भोगने का अधिकार केवल भगवान को है, कई बार लोग कहते हैं राधा कृष्ण की शादी नहीं हुई, ये तो वही सवाल हुआ जैसे कोई कहे कि मेरी, मेरी अपनी बुद्धि से शादी नहीं हुई, सारी गोपियां भी भगवान की ही शक्ति हैं, इसलिए गोपियों को भोगने का भी अधिकार भगवान का ही है
https://youtu.be/CfOy92MjXFg&t=1777
गडबड तो हम करते हैं ये कहकर “मेरी पत्नी”, पत्नी तुम्हारी बनाई हुई है यह भगवान की बनाई हुई है, स्त्रियाँ कहती हैं “मेरा पति”, अरे भाई पति तो पूरे सृष्टि में एक ही है : भगवान श्री कृष्ण और हम सब उनकी क्या हैं शक्तियां या पत्नियां, अध्यात्म में पुरुष और स्त्री दो लिंग नहीं होते, जो होते हैं उनका नाम है “शक्ति” और “शक्तिमान”, शक्ति का काम है शक्तिमान के द्वारा भोगा जाना
https://youtu.be/CfOy92MjXFg&t=1814
भगवान यदि सुन्दर हैं यानी उनका स्वरूप (form,body,रूप) भी है, यानी भगवान साकार हैं
https://youtu.be/CfOy92MjXFg&t=1921
एक उदाहरण से सुनिए और समझिए : ब्रह्म, परमात्मा और भगवान का ज्ञान
https://youtu.be/CfOy92MjXFg&t=2050
भगवान का स्वरूप (form,body,रूप है और जो भगवान का स्वरूप नहीं मानता तो वो भगवान का द्रोही (शत्रु, enemy) है
https://youtu.be/CfOy92MjXFg&t=2236
भगवान गीता में कहते हैं जो मूर्ख (बुद्धि हीन) हैं वो समझते हैं कि पहले मैं निराकर था अब मैं साकार हुआ हूँ
https://youtu.be/CfOy92MjXFg&t=2251
भगवान के शरीर से बहुत चमकदार रौशनी (ज्योति, अंग (body) कान्ति (चमक)) उज्ज्वलित होती है, भक्त लोग उनसे प्रार्थना करते हैं कि ज्योति का आवरण हटाईये और हमें दर्शन दीजिये, ऐसा ही Moses saint के साथ हुआ था Bible में, जो पहाड़ पर गए थे, उन्हें तेज रौशनी दिखाई दी थीं, और 10 Commandments बताई गयी थीं, उन्होंने भी भगवान से यही कहा था की कृपया रौशनी हटाईये, मुझे आपके दर्शन करने है, मगर भगवान ने कहा था तुम अभी इतनी शुद्ध नहीं हुए की मेरा दर्शन कर सको, इंतज़ार करो
https://youtu.be/CfOy92MjXFg&t=2311
भक्त कहता है कि भगवान ज्योति भी हैं, और जिसका ज्ञान पूर्ण नहीं है, वो कहते हैं कि भगवान ज्योति ही हैं, “लौ” (flame) हैं, अरे भाई “बाति” (wick) नहीं होगी, तो “लौ” कहाँ से आएगी ? रौशनी (light) निराकार है, मगर bulb तो साकार है, जिसने भगवान को साकार नहीं समझा वो भगवान का द्रोही (शत्रु, enemy) माना जाता है
https://youtu.be/CfOy92MjXFg&t=2459
भगवान है कौन : देवकी के पुत्र, सारे देवी देवता भगवान विष्णु के चरणों की प्रार्थना कर रहे हैं
https://youtu.be/CfOy92MjXFg&t=2514
I am the source of all spiritual and material worlds. Everything emanates from Me. The wise who perfectly know this engage in My devotional service and worship Me with all their hearts.
https://vedabase.io/en/library/bg/10/8/
https://youtu.be/CfOy92MjXFg&t=2595
I am the goal, the sustainer, the master, the witness, the abode, the refuge and the most dear friend. I am the creation and the annihilation, the basis of everything, the resting place and the eternal seed.
https://vedabase.io/en/library/bg/9/18/
https://youtu.be/CfOy92MjXFg&t=2614
A person in full consciousness of Me, knowing Me to be the ultimate beneficiary of all sacrifices and austerities, the Supreme Lord of all planets and demigods, and the benefactor and well-wisher of all living entities, attains peace from the pangs of material miseries.
हम सब सुख, शांति और आनंद ढूंढ रहे हैं और यही है उसका formula
https://vedabase.io/en/library/bg/5/29/
https://youtu.be/CfOy92MjXFg&t=2629
भगवान तो सभी जीवों के मित्र हैं मगर हम भगवान के मित्र नहीं बन पाए, घोड़े को पानी के पास तो ले जाया जा सकता है मगर पानी तो घोड़े को ही पीना पड़ेगा, भगवान ने तीन तरह के मित्र बताएं हैं 1. दूर से नमसकार (like meeting in morning walk) 2. Formal (औपचारिक) 3. सुहृत (your from heart), जो सदैव आपके हित की सोचे और बात करे proactively (सक्रिय, not passively), आपका सच्चा हितैशी - भगवान आपके सुहृत मित्र हैं, मगर समस्या ये है कि हम भगवान की तरफ मित्रता का हाथ नहीं बढ़ाते
https://youtu.be/CfOy92MjXFg&t=2666
और जो भगवान की मित्रता स्वीकार कर लेता है वो परम शांति, आनन्द को प्राप्त करता है
https://youtu.be/CfOy92MjXFg&t=2747
कृष्ण ही पारब्रह्म हैं - अर्जुन ने बताया कि सभी महान ऋषि मुनियों का यही एक मत है
https://youtu.be/CfOy92MjXFg&t=2762
भजने का मतलब केवल कीर्तन नहीं, भक्ति करना होता है, नवधा भक्ति, यानी पूर्ण समर्पण
https://youtu.be/CfOy92MjXFg&t=2878
It should be understood that all species of life, O son of Kuntī, are made possible by birth in this material nature, and that I am the seed-giving father.
https://vedabase.io/en/library/bg/14/4/
https://youtu.be/CfOy92MjXFg&t=2908
I am the father of this universe, the mother, the support and the grandsire. I am the object of knowledge, the purifier and the syllable oṁ. I am also the Ṛg, the Sāma and the Yajur Vedas.
भगवान कह रहे है की मेरा कोई कारण नहीं है मैं ही सब का कारण हूँ
https://vedabase.io/en/library/bg/9/17/
https://youtu.be/CfOy92MjXFg&t=2939
One who knows the transcendental nature of My appearance and activities does not, upon leaving the body, take his birth again in this material world, but attains My eternal abode, O Arjuna.
भगवान का जनम (यानि अवतार का रूप) भी दिव्य होता है, वासुदेव और देवकी को पहले जो चतुर्भुज रूप दिखाया, फिर बालक बने, हम कर्मों के बंधन की वजह से जन्म लेते हैं, मगर भगवान स्वतंत्र रूप से अपनी इच्छा अनुसार जन्म लेते हैं
https://vedabase.io/en/library/bg/4/9/
https://youtu.be/CfOy92MjXFg&t=3031
O Arjuna, as the Supreme Personality of Godhead, I know everything that has happened in the past, all that is happening in the present, and all things that are yet to come. I also know all living entities; but Me no one knows.
https://vedabase.io/en/library/bg/7/26/
https://youtu.be/CfOy92MjXFg&t=3092
भगवान के शरीर में और आत्मा में कोई भेद नहीं है, जैसे आग से चिंगारी निकले तो चिंगारी से भी रौशनी निकलती है मगर आग के मुकाबले बहुत ही कम, ऐसे ही हमारे से भी रौशनी (aura) निकलती है मगर भगवान के मुकाबले बहुत कम, हमारी आत्मा को ढका हुआ है शरीर ने, मगर भगवान की आत्मा को उनके शरीर ने ढका नहीं है
https://youtu.be/CfOy92MjXFg&t=3149
जो मूड़ (मूर्ख नहीं बल्कि गधे) व्यक्ति हैं, वो मुझे नहीं जानते, वे समझते हैं कि मैंने मनुष्य का जन्म लिया है, वो मेरे परम भाव को नहीं जानते, कि मैं ही सब का स्वामी हूँ
https://youtu.be/CfOy92MjXFg&t=3196
Bible कहती है कि Man is made in image of God, फिर वेदों में भी पढ़ा कि मनुष्य का आकार भगवान के आकार जैसा है, यानि भगवान का जो original आकार है, वो दो हाथ दो पैर का है, जैसे राम और कृष्ण जबकि चतुर्भुज आकार original नहीं मगर अवतार का आकार है, आप एक पिता को कहें अरे आप तो अपने बेटे जैसे लगते हो, तो ये गलत होगा, सही बात ये है यदि कहें कि बेटा पिता जैसा लगता है
https://youtu.be/CfOy92MjXFg&t=3228
To deliver the pious and to annihilate the miscreants, as well as to reestablish the principles of religion, I Myself appear, millennium after millennium.
मैं प्रत्येक युग में प्रकट होता हूँ, दिव्य रूप में
https://vedabase.io/en/library/bg/4/8/
https://youtu.be/CfOy92MjXFg&t=3311
भगवान परमात्मा के रूप में आत्मा के साथ सदा हृदय में रहते हैं, चाहे कोई भी हो योनि हो, शरीर की सारी शक्ति हृदय से ही आती है क्योंकि आत्मा हृदय में ही रहती है, सुनिए बताया है कि जब heart transplant होता है तो क्या होता है, ऐसे ही आत्मा सोते सोते भी कभी बाहर चली जाती है, मगर चेतना की डोर हृदय से बंधी रहती है
https://youtu.be/CfOy92MjXFg&t=3324
मृत्यु के बाद जब शरीर से आत्मा निकल जाती है, तो पीछे वाले रोते हैं, मगर वही आत्मा कहीं और जन्म लेती है और वहाँ खुशियां मना रहे होते हैं, हम फालतू में रोते हैं और हंसते हैं
https://youtu.be/CfOy92MjXFg&t=3474
भगवान जीव के हृदय में विराजमान रहते हैं और वेदों के द्वारा समझे जाते हैं
O conqueror of wealth, there is no truth superior to Me. Everything rests upon Me, as pearls are strung on a thread.
भगवान ने मोती की माला का उदाहरण क्यों लिया, क्योंकि धागा दिखता नहीं मगर पूरी माला धागे पर टिकी है
https://vedabase.io/en/library/bg/7/7/
https://youtu.be/CfOy92MjXFg&t=3499
भगवान वैकुंठ में भी है और सब जगह कण कण में भी विराजमान हैं
https://youtu.be/CfOy92MjXFg&t=3560
ये संपूर्ण जगत मेरे अव्यक्त रूप (यानि ब्रह्म ज्योति) से व्याप्त है
By Me, in My unmanifested form, this entire universe is pervaded. All beings are in Me, but I am not in them.
https://vedabase.io/en/library/bg/9/4/
https://youtu.be/CfOy92MjXFg&t=3583
मेरे द्वारा उत्पन्न वस्तुएँ मेरे में स्थित नहीं रहती
And yet everything that is created does not rest in Me. Behold My mystic opulence! Although I am the maintainer of all living entities and although I am everywhere, I am not a part of this cosmic manifestation, for My Self is the very source of creation
https://vedabase.io/en/library/bg/9/5/
https://youtu.be/CfOy92MjXFg&t=3602
मंदिरों को वैकुंठ बताया गया है, उदाहरण : जैसे दूतावास (embassy) मैं राजदूत (ambassador) रहते हैं
https://youtu.be/CfOy92MjXFg&t=3635
This material nature, which is one of My energies, is working under My direction, O son of Kuntī, producing all moving and nonmoving beings. Under its rule this manifestation is created and annihilated again and again.
संपूर्ण विराट जगत मेरे नियंत्रण में है, ये भौतिक जगत मेरी अनेक शक्तियों में से एक है, भगवान की अनेकों शक्तियां हैं
https://vedabase.io/en/library/bg/9/10/
https://youtu.be/CfOy92MjXFg&t=3727
Those who worship the demigods will take birth among the demigods; those who worship the ancestors go to the ancestors; those who worship ghosts and spirits will take birth among such beings; and those who worship Me will live with Me.
लोग अक्सर कहते हैं सभी पथ भगवान को जाते हैं, किसी की भी पूजा कर लो, सब भगवान तक पहुँचते हैं - ये कह के लोग सब को मूर्ख बना रहे हैं और मूर्ख बन रहे हैं
https://vedabase.io/en/library/bg/9/25/
https://youtu.be/CfOy92MjXFg&t=3750
देवी देवता और भगवान में फर्क है, जैसे CM हो और उनके ministers हों, दोनों में फर्क तो है, देवी देवता तो हमने 33 करोड़ बना रखे हैं
https://youtu.be/CfOy92MjXFg&t=3817
बचपन से ही हम भावुक होते आए हैं और जब भावुक होते हैं तो बुद्धि काम करना बंद कर देती है, कहावत है ना गधी पसंद आये तो परी क्या चीज़ है, इसीलिए शास्त्र कहते हैं पहले ज्ञान लगाओ, फिर भाव (devotional feelings) लगाओ, इसीलिए अपना भव सही जगह लगाओ, नहीं तो लोग समझते हैं कि मैं अपने जीवन के 60 साल बेवकूफ बनता रहा और इसीलिए अपनी ego hurt होती है, जबकि भौतिक जगत में ऐसा नहीं होता है, मान लीजिए 30 साल से आपको नुकसान हो रहा है मगर अब आप को एक फायदे वाली युक्ति समझ में आयी है, तो आप तुरंत फायदे वाली युक्ति अपना लोगे और पुरानी नुकसान वाली युक्ति को छोड़ दोगे, और जब आध्यात्मिक जीवन की बात आती है उसमें तो किसी का interest ही नहीं है
https://youtu.be/CfOy92MjXFg&t=3835
जिनकी बुद्धि (यानी जिनका ज्ञान) भौतिक इच्छाओं द्वारा मारी गई हो, क्योंकि भौतिक इच्छायें शरीर के सुख के लिए उत्पन्न होती हैं, मगर आप शरीर तो हो नहीं, आप तो आत्मा हो
https://youtu.be/CfOy92MjXFg&t=3912
After many births and deaths, he who is actually in knowledge surrenders unto Me, knowing Me to be the cause of all causes and all that is. Such a great soul is very rare.
https://vedabase.io/en/library/bg/7/19/
https://youtu.be/CfOy92MjXFg&t=3993
Those whose intelligence has been stolen by material desires surrender unto demigods and follow the particular rules and regulations of worship according to their own natures.
https://vedabase.io/en/library/bg/7/20/
यानी जो ज्ञानवान है वो तो भगवान श्रीकृष्ण की शरण में जाएगा और जो ज्ञानवान नहीं है, जिनकी बुद्धि मर चुकी है, वो अन्य देवी देवताओं के शरण में जाएगा
https://youtu.be/CfOy92MjXFg&t=4039
I am in everyone’s heart as the Supersoul. As soon as one desires to worship some demigod, I make his faith steady so that he can devote himself to that particular deity.
Endowed with such a faith, he endeavors to worship a particular demigod and obtains his desires. But in actuality these benefits are bestowed by Me alone.
जब कोई अन्य देवी देवताओं की पूजा करता है तो मैं उस व्यक्ति की श्रद्धा उस देवी देवता में दृढ़ करता हूँ, यानी भगवान व्यक्ति की कोई भी इच्छा पूर्ण करने में मदद करते हैं (चाहे वो इच्छा सही हो या गलत), कहने का तात्पर्य ये है की जिस देवी देवता की पूजा कर रहे हो, उनमें इतनी शक्ति नहीं कि आपकी श्रद्धा को दृढ़ कर सके और इसीलिए भगवान परमात्मा रूप में (जो स्वयं आपके हृदय में बैठे हैं) आपकी श्रद्धा दृढ़ करते हैं
हालांकि वो व्यक्ति देवी देवताओं के द्वारा अपनी इच्छा पूर्ति करता है, लेकिन सच्चाई ये है कि ये सारे लाभ (यानि इच्छा पूर्ति) मेरे ही द्वारा दिए जाते हैं
https://vedabase.io/en/library/bg/7/21/
https://vedabase.io/en/library/bg/7/22/
https://youtu.be/CfOy92MjXFg&t=4075
अब समस्या यही है की 33 crore देवी देवता हैं और आपने दो तीन की पूजा करी तो बाकी देवी देवता नाराज होंगे, इसलिए यही उत्तम है कि एक केवल भगवान की शरण में ही जाया जाए क्योंकि वैसे भी आपकी इच्छापूर्ति या लाभ केवल भगवान ने ही देना है
https://youtu.be/CfOy92MjXFg&t=4149
जैसी गोकुल में इन्द्र का प्रकोप 7 दिन तक घोर वर्षा होती रही, क्योंकि इंद्र की पूजा नहीं हुई
https://youtu.be/CfOy92MjXFg&t=4172
Men of small intelligence worship the demigods, and their fruits are limited and temporary. Those who worship the demigods go to the planets of the demigods, but My devotees ultimately reach My supreme planet.
ये देवी देवता केवल भौतिक जगत के incharge हैं, मगर भौतिक जगत में है हर चीज़ केवल अस्थायी है (temporary), आप सभी स्वयं भी देवी देवता बन सकते हो केवल शिव और पार्वती को छोड़ कर
https://vedabase.io/en/library/bg/7/23/
https://youtu.be/CfOy92MjXFg&t=4199
जो देवी देवताओं की पूजा करते है वो अल्पबुद्धि के हैं और घोर अज्ञानता में पहुँच जाते हैं - और अज्ञानता केवल दुख देती है - वास्तव में भौतिक सुख ही दुख के ही मूल कारण हैं, ये सब दुख के बीच हैं, उदाहरण: मैं चाह रहा था कि मुझे ये post मिले नहीं मिली तो दुख था और अगर यदि मिल भी गई, तो भी दुख, कि ये छिन नहीं जाए, इसे कोई दूसरा competitor ना ले जाये, इसलिए हम सब कितने मूर्ख है कि भगवान के सामने जाकर क्या मांग रहे हैं भौतिक इच्छाओं की पूर्ति
https://youtu.be/CfOy92MjXFg&t=4304
यदि भौतिक सुख की इच्छा नहीं करोगे, तो दुख कहाँ से होगा, दुख होगा ही नहीं, पहले पुत्र या पुत्री पाने की इच्छा की, बाद में पालने की चिंता, फिर घर से बाहर जाएगा तो वापस आएगा कि नहीं आएगा, आगे post dated cheque की तरह भौतिक इच्छा का सुख दिखाई पड़ता रहता है केवल मगर कभी भुनता (cheque can never be encashed, in fact this cheque always bounces) नहीं है, यानी कभी सुख मिलता नहीं है
https://youtu.be/CfOy92MjXFg&t=4411
Those who are devotees of other gods and who worship them with faith actually worship only Me, O son of Kuntī, but they do so in a wrong way.
https://vedabase.io/en/library/bg/9/23/
वे वास्तव में मेरी ही पूजा करते हैं मगर ये विधिपूर्वक नहीं है, गलत तरीके से हैं, और जो भी काम गलत तरीके से हो वो कभी सुख नहीं दे सकता
https://youtu.be/CfOy92MjXFg&t=4455
Neither the hosts of demigods nor the great sages know My origin or opulences, for, in every respect, I am the source of the demigods and sages.
https://vedabase.io/en/library/bg/10/2/
https://youtu.be/CfOy92MjXFg&t=4518
हनुमान जी देवता नहीं शुद्ध निष्काम भक्त हैं और शुद्ध भक्त देवताओं से ऊपर होता है, प्रत्येक देवी / देवता सकाम भक्त हैं, एक बार हनुमान ने कह दिया की अगर मैं इन्द्र होता तो पूरे ब्रह्मांड में राम नाम गूंजता, श्री राम ने कह दिया “तथास्तु”, यानी आप स्वर्ग में अप्सराएं नहीं नाचेंगी, “हरे कृष्ण हरे कृष्ण हरे राम हरे राम” का महामंत्र गूंजेगा, मगर हनुमान सोच में पड़ गए कि मेरे को भक्त से सीड़ी नीचे उतरकर देव बनना पड़ेगा ?
https://youtu.be/CfOy92MjXFg&t=4535
हनुमान जी कौन हैं: रुद्राक्ष, आप हनुमान चालीसा में पढ़ते हो “राम काज करिबे को आतुर” मगर आप हनुमान जी से कहते हो कि राम काज छोड़ो, मेरे काम करो
https://youtu.be/CfOy92MjXFg&t=4621
अगर हनुमान जी की मूर्ति अकेली है मंदिर में तो बहुत ही गलत है हनुमान जी हमेशा राम की सेवा में होते हैं, होने चाहिए, केवल तभी भगवान हनुमान जी को प्रसन्नता मिलती है, हनुमान जी को प्रसन्न करना है तो राम और कृष्ण का नाम लो, राम व कृष्ण की आज्ञा का पालन करो, हनुमान जी के चमचे मत बनो, हनुमान जी कब प्रसन्न होंगे - जब आप राम या कृष्ण के भक्त बनोगे या हनुमान जी के भक्त बनोगे ? हनुमान जी के भक्त तभी कहलाओगे जब हनुमान जी की आज्ञा यानी जब राम या कृष्ण की आज्ञा का पालन करोगे
https://youtu.be/CfOy92MjXFg&t=4682
हनुमान जी अर्जुन के रथ पर क्यों सवार हुए थे, क्योंकि श्री कृष्ण की सेवा करनी थी, हनुमान जी तो परम भक्त हैं, भगवान नहीं हैं और यदि भक्त को भगवान कहो तो भक्त बहुत गुस्से में आ जाता है, हाँ यदि आप “राम भक्त हनुमान” कहोगे, तब हनुमान जी प्रसन्न होते हैं, हनुमान जी ज्ञानवान हैं और ज्ञानवान ही भगवान की शरण में जाते हैं जैसा कि Gita Shloka 7.19 में भगवान ने कहा है
https://youtu.be/CfOy92MjXFg&t=4735
Unintelligent men, who do not know Me perfectly, think that I, the Supreme Personality of Godhead, Kṛṣṇa, was impersonal before and have now assumed this personality. Due to their small knowledge, they do not know My higher nature, which is imperishable and supreme.
जो मुझे निराकार मानते हैं वे बुद्धि हीन हैं
https://vedabase.io/en/library/bg/7/24/
https://youtu.be/CfOy92MjXFg&t=4843
Arjuna inquired: Which are considered to be more perfect, those who are always properly engaged in Your devotional service or those who worship the impersonal Brahman, the unmanifested?
The Supreme Personality of Godhead said: Those who fix their minds on My personal form and are always engaged in worshiping Me with great and transcendental faith are considered by Me to be most perfect.
https://vedabase.io/en/library/bg/12/1/
https://vedabase.io/en/library/bg/12/2/
निराकार की बजाय साकार रूप में भगवान की भक्ति सर्वश्रेष्ठ है
https://youtu.be/CfOy92MjXFg&t=4904
श्रीमद्भागवत के शुरू में ही कहा गया है की केवल कृष्ण ही एकमात्र भगवान है, बाकी सब भगवान की कलाएं या शक्तियां हैं
https://youtu.be/CfOy92MjXFg&t=4971
ये गलत है की श्री कृष्ण विष्णु के अवतार हैं, तीन विष्णु हैं
When Krishna, the original Personality of Godhead, wishes to create the material world, He expands Himself into three Vishnu forms to do so. 1) Maha-Vishnu creates innumerable universes, 2) Garbhodakashayi Vishnu enters each universe and creates all the planetary systems, and 3) Ksirodakashayi Vishnu enters the hearts of all beings, as well as into each atom of the universe.
https://www.krishna.com/info/vishnu
https://youtu.be/CfOy92MjXFg&t=4991
श्रीमद्भागवत के शुरू में ही कहा गया है की केवल कृष्ण ही एकमात्र भगवान है, बाकी सब भगवान की कलाएं या शक्तियां हैं, उदाहरण सुनिए
https://youtu.be/CfOy92MjXFg&t=5106
भगवान के अनेक रूप हैं, भगवान अनेक रूप बल्कि अनंत रूप धारण कर सकते हैं एक ही समय पर, भगवान एक ही है मगर लीलाओं (यानि कार्यों) में भेद हैं, - पूरा वर्णन सुनिए
https://youtu.be/CfOy92MjXFg&t=5281
शिव और दुर्गा : दुर्गा शिव से पूछती है की अगर आप परम भगवान हो तो आप किस का ध्यान कर रहे हो, शिव ने उत्तर दिया मैं परम भगवान नहीं हूँ, मैं ध्यान करता हूँ राम (यानि कृष्ण का)
https://youtu.be/CfOy92MjXFg&t=5675
लोग कहते हैं कि राम ने रामेश्वरम में शिव की पूजा की, ऐसा क्यों ? उदाहरण : जब सुदामा श्रीकृष्ण से मिलने आये थे श्री कृष्ण नंगे पांव दौड़ के सुदामा को लेकर् आए, अपने सिंहासन पर बिठाया, उनके चरण धोए, उनका चरणामृत पिया तो, क्या सुदामा भगवान थे ?
https://youtu.be/CfOy92MjXFg&t=5733
जब राम जी ने रामेश्वर की स्थापना की तो वहाँ के लोग पुकारने लगे “रामेश्वर” यानी राम के इश्वर शिव, मगर इससे देवता नाराज हो गए, देवताओं ने कहा कि राम और शिव एक हैं, मगर इस बात से शिव नाराज हो गए और जो लिंग बनाया था उससे शिव प्रकट हुए और बोले की नहीं राम ही मेरे इश्वर हैं
https://youtu.be/CfOy92MjXFg&t=5768
तो ये रामेश्वर की घटना से चेतना के तीन स्तर बताए गये हैं
https://youtu.be/CfOy92MjXFg&t=5808
वास्तव में शिव से बड़ा वैष्णव कोई नहीं, वैष्णव यानी श्री राम या कृष्ण के परम भक्त
https://youtu.be/CfOy92MjXFg&t=5817
जब भी शिव की भक्ति करो तो शिव से मांगना मत कुछ भी क्योंकि सदैव ये हुआ है कि जो भी शिव ने दिया है उसी से उस व्यक्ति का सर्वनाश हुआ है
https://youtu.be/CfOy92MjXFg&t=5880
नरसी मेहता हुए थे भगवान शिव के परम भक्त, प्रसन्न होकर शिव ने नरसी मेहता को दर्शन दिए बोले, मांगो क्या चाहिए, नरसी मेहता जी ने कहा नहीं कुछ नहीं, भगवान शिव ने कहा कि नहीं कुछ तो मांगना पड़ेगा, तो नरसी मेहता ने कहा कि मुझे आपकी सबसे प्रिय वस्तु दे दीजिये, तो शिव उन्हें द्वारका लेके गए श्रीकृष्ण के दरबार में और श्रीकृष्ण उनको लेने दौड़ें आए नंगे पांव, जैसे सुदामा के लिए आए थे, श्री कृष्ण ने शिव से पूछा कैसे आए, शिव ने कहा नरसी मेहता ने मेरी सबसे प्रिय वस्तु मांगी थी, मेरे लिए तो आपकी भक्ति सबसे प्रिय है, श्रीकृष्ण ने कहा तो यहाँ आने की क्या जरूरत थी तुम मेरी भक्ति उसको वहीं से दे देते, शिव ने कहा नरसी मेहता के कारण आपके दर्शन हो गए
https://youtu.be/CfOy92MjXFg&t=5934
शंकर जी को प्रसन्न करना हो तो उन्हें हरे कृष्ण का महामंत्र सुनाएं, क्योंकि इस महामंत्र में श्री राम और श्री कृष्ण के नाम आते हैं, शंकर जी से केवल श्री कृष्ण भक्ति माँगिये, भौतिक वस्तु मांगी तो आप असुर कहलाओगे, गुरु जी का खुद का अनुभव सुनिए..., हनुमान जी से भी केवल राम भक्ति (same as कृष्ण भक्ति) ही मांगिये, और माँ पार्वती यानी दुर्गा किस की पूजा करती हैं, शिव की और इसलिए वो तभी प्रसन्न होती हैं, जब आप शिव की आज्ञा मानो, जो कि है, कृष्ण भक्ति करना
https://youtu.be/CfOy92MjXFg&t=6006
जब दुर्गा माँ ने शिव से पूछा कि यदि आप परम भगवान नहीं हैं, तो मुक्ति कौन देता है, शंकर जी ने बोला केवल विष्णु (यानी श्रीकृष्ण) ही मुक्ति दे सकते हैं
https://youtu.be/CfOy92MjXFg&t=6161
शंकर जी ने और बताया दुर्गा माँ को कि सब देवी देवता उपासनीय हैं मगर भजनीय केवल श्री कृष्ण ही हैं, उदाहरण एक नई बहू joint family में जाती है, सेवा सास, ससुर, जेठ, देवर सबकी करती है, मगर हृदय में केवल एक पति ही रहते हैं, हमें सभी देवी देवताओं का सम्मान करना है, अनादर नहीं करना, मगर प्रेम केवल श्री कृष्ण से ही करना है
https://youtu.be/CfOy92MjXFg&t=6187
सब की आराधना में सर्वश्रेष्ठ आराधना है विष्णु की (यानि श्री कृष्ण की), हमारे जो वेद है वह कर्मकांड, ज्ञानकांड और उपासनाकाण्ड में विभाजित हैं
https://youtu.be/CfOy92MjXFg&t=6259
दुर्गा यानी दुर्ग ये भौतिक जगत के दुर्ग की incharge हैं, ये जगत एक जेल है
https://youtu.be/CfOy92MjXFg&t=6323
एक वृतांत सुनिए: एक German philosopher आया भरत में, एक भक्त उन्हें मंदिर में लेकर गया जहाँ शिव, दुर्गा और श्रीराधा कृष्ण थे, उनसे पूछा कि आपको क्या लगता है की परम भगवान कौन हैं, उन्होंने कहा शिव तो ध्यान कर रहे हैं, जिसका ध्यान कर रहे हैं वोही श्रेष्ठ होंगे, दुर्गा अस्त्र शस्त्र लेकर खड़ी हैं, शेर पर सवार, वो इस जगत नुमा जेल की संरक्षक (incharge) हैं, दुर्गा जी कहती हैं कि जो असुर हैं, सब मेरे पास खुद ही आ जाते हैं, मरने के लिए
https://youtu.be/CfOy92MjXFg&t=6335
असुर वो है जो केवल भौतिक इच्छाओं पूर्ति को ही सब कुछ मानता है, यानि केवल शरीर समझता है अपने आप को, भगवद गीता का सोलवां (sixteenth) अध्याय पढ़ लीजिये, आंखें खुल जाएंगी कि हम मंदिर क्यों जा रहे हैं, भौतिक इच्छाओं की पूर्ति के लिए, जो की बहुत ही असुरिक वृत्ती (demonic tendency) है
https://vedabase.io/en/library/bg/16/
https://youtu.be/CfOy92MjXFg&t=6461
German philosopher उससे पूछा कि राधा कृष्ण क्यों भगवान मान रहे हो, बोले कि केवल यही हैं जो आनंद में हैं और आनंद ले रहे हैं, विष्णु भी गदा और चक्र लेके खड़े हैं, जब कि श्री कृष्ण केवल बांसुरी बजा रहे हैं
https://youtu.be/CfOy92MjXFg&t=6477
श्रीकृष्ण के अवतारों का वर्णन सुनिए” अवतार भी श्री कृष्ण की सेवा ही करते हैं, एक अवतार के बाद, दूसरा, तीसरा, चौथा, इस क्रम में श्री विष्णु भी आते हैं
https://youtu.be/CfOy92MjXFg&t=6512
भगवान की सेवा कैसे की जाए यानी उन्हें कैसे प्रसन्न किया जाए, उनसे कैसे संबंध बनाया जाए, केवल एक ही तरीका है, कि उन की आज्ञा मानी जाए, जो गीता में लिखी गई है
https://youtu.be/CfOy92MjXFg&t=6551
और सेवा तभी सार्थक है जब प्रेम से की जाए
https://youtu.be/CfOy92MjXFg&t=6555
क्या भगवान में लीन (merge) होने की इच्छा रखना सही है : नहीं ये मूर्खता भरी बात है, भगवान में कभी लीन नहीं हो सकते, हम सनातन काल से उनके अंश (as individual soul) थे और अंश ही रहेंगे, इसलिए लीन होने को आध्यात्मिक आत्महत्या से तुलना की गई है
https://youtu.be/CfOy92MjXFg&t=6564
हम सब वैकुंठ में थे मगर हमारी इच्छा उठी कि भगवान मजा कर रहे हैं तो हम भी मज़ा करेंगे, इसलिए भगवान ने सृष्टि बनाई और हमें भौतिक जगत में भेज दिया, कि लो मजा करो, गलती हमारी है भगवान की नहीं, भगवान तो चाहते हैं कि हम उनके घर में वापस जायें, मगर हम मजा करने के चक्कर में, इस माया जाल यानि संसार रूपी जेल में फंसे हुए हैं और दुख ही दुख झेल रहे हैं
https://youtu.be/CfOy92MjXFg&t=6618
कुल जीवों की संख्या जो भगवान के अंश हैं, उसका बहुत ही न्यूनतम से न्यूनतम प्रतिशत यहाँ भौतिक संसार में है, भगवान को जरूरत नहीं है यहाँ आने की, हम अपने वैकुंठ के घर को ताला लगाकर आए हैं और यहाँ भौतिक जगत में permanent घर बनाने की कोशिश में लगे हैं जो कभी सफल नहीं होगी, भगवान ने हमें स्वतंत्रता दी है और स्वतंत्रता में जबरदस्ती नहीं हो सकती यानी भगवान ने हम पर छोड़ा है कि हम भगवान से प्रेम करें या नहीं, नहीं करते तो भौतिक जगत में ही 84,00,000 योनियों में घूमना पड़ेगा, और यदि भगवान से प्रेम करते हैं तो भगवान (हमारे माता पिता) तुरंत अपने घर बुला लेते हैं, सदैव से यह होता आया है कि माता पिता अपने बच्चों से ज़्यादा प्यार करते हैं बजाए कि जितना बच्चे माता पिता से करते हैं
https://youtu.be/CfOy92MjXFg&t=6641
भगवान ने हमें स्वतंत्रता दी है इसीलिए यहाँ पर इनाम और सजा दोनों का इंतज़ाम किया है, यदि स्वतंत्रता ही नहीं हो तो क्या इनाम और क्या सजा, भगवान ने गीता में नियम बता दिए हैं, अगर हम नियमों का पालन करते हैं तो इनाम भगवान के धाम वापस जाना का अवसर मिलेगा अगर नियमों का पालन नहीं करते हैं तो फंसे रहेंगें भौतिक जगत के 84,00,000 योनियों में
https://youtu.be/CfOy92MjXFg&t=6747
हम तो “भगवद्गीता as it is” पेश कर रहे हैं यथा रूप, कुछ भी तोड़ मरोड़ नहीं कर रहे, जैसा भगवान ने कहा है बिल्कुल वैसा ही दोहरा रहे हैं, जन्म मृत्यु जरा व्याधि जो रिसर्च करते हैं, वे तो मूर्ख हैं
https://youtu.be/CfOy92MjXFg&t=6785
एक कुत्ते को आहार (food) के लिये IIT वगैरह किसी कॉलेज में पढ़ने की जरूरत नहीं है, बच्चे पैदा करने के लिए matrimonial देने की जरूरत नहीं है, लड़की लड़का ढूंढ रहे हैं, और चैन से सोने के लिए इतने बड़े बड़े घर बना रहें हैं, लगे हैं गधे की तरह पैसा कमाने
https://youtu.be/CfOy92MjXFg&t=6833
सनातन का मतलब जिसका कोई आरंभ नहीं है और ना कोई अंत है, maths में इसे infinite कहते हैं
https://youtu.be/CfOy92MjXFg&t=6861
population क्यों बढ़ रही है, अरे भाई आठवीं, नौवीं से पास हो के 10वीं में आये मगर10वीं में फेल होते जा रहे हैं, वैसे भी अनंत कोटि ब्रह्माण्ड हैं, अनंत कोटि जीव हैं, और वैकुंठ से हम भौतिक दुनिया में गिर भी रहें हैं, कुछ वापस भी जा रहे हैं, आप इस प्रश्न उत्तर के चक्कर में क्यों पड़े हो, आप अपने आप को निकालो इस भौतिक जगत से और वैकुंठ धाम जाने का इंतजाम करो
https://youtu.be/CfOy92MjXFg&t=6891
हम प्रश्न भी ऐसे करते है बेकार के, जिसे हम खुद ही जीवन में लागू (apply) नहीं कर सकते, मेरे से भी ऐसा बेवकूफ़ी वाला प्रश्न किया था किसी ने, कि प्रभु जी श्री राम की पादुका सबसे पहले किसने हाथ में ली, अरे भाई इससे आपको क्या लाभ होने वाला है, क्या आपकी भक्ति बढ़ने वाली है ?
https://youtu.be/CfOy92MjXFg&t=6924
अक्सर लोग कहते हैं कहाँ दुनिया भक्ति कर रही है, कहा लोग गीता पड़ते हैं, india में 99% लोगों के पास गाड़ी नहीं है गरीब है ये नहीं कहेंगे की चलो मैं भी गरीब हो जाता हूँ, हम argument करेंगे कि आध्यात्मिक क्यों नहीं करना है, भौतिक जगत में सब कुछ चाहिए सर्वश्रेष्ठ
https://youtu.be/CfOy92MjXFg&t=6955
श्रीमद् भागवत भी कहता है स्वार्थी बनो आध्यात्म में, यानि स्व+अर्थी, स्व यानी स्वयं को पहचानो, अर्थी यानी जीवन का अर्थ (लक्ष्य) जानो, लक्ष्य है श्री विष्णु तक पहुंचना
https://youtu.be/CfOy92MjXFg&t=6985
Standby link (in case youtube link does not work)