मरने के बाद क्या होता है ? Swami Mukundananda Hindi
https://www.youtube.com/watch?v=xXHmcIWsyaI
Full Text 1 सबसे पहले मैं शरीर नहीं आत्मा हूँ, आत्मा की उपस्थित के करण ये शरीर चेतन वत हो गया, आंख देखती है, कान सुनते हैं, नासिका सूंघती है, क्योंकि आत्मा शरीर में है, जिस दिन आत्मा निकली, शरीर मिट्टी हो गया, राजा रंक फकीर सब बराबर हो गए https://www.youtube.com/watch?v=xXHmcIWsyaI&t=15 2 यह शरीर जो है यह मिट्टी का बना हुआ है, मिट्टी से आहार बना, अन्न तरकारी फल यह सब मिट्टी से बने, उस तरकारी फल को हम लोग खाए तो हमारा शरीर बना, वह शरीर में पहले रस बना, रस से रक्त, रक्त से मांस, मांस से मैदा, मैदे से हड्डी, हड्डी से मज्जा (bone-marrow) यह शरीर का निर्माण हुआ आहार से, इसलिए संत लोग कहते हैं तुम्हारा शरीर एक मिट्टी का पात्र है, और जब आत्मा निकल जाएगी ये वापस मिट्टी में मिल जाएगा https://www.youtube.com/watch?v=xXHmcIWsyaI&t=50 3 शरीर के तीन अंत हो सकते हैं 1. या तो शरीर को जला दें जैसे हमारे हिंदू धर्म में जलाते हैं, आंख के सामने ही शरीर मिट्टी हो जाता है 2. कुछ लोग उसको जमीन में गाढ़ देते हैं तो भले वह बोर्ड लगाएं ऊपर से “Here lies John Smith”, अरे बोर्ड लगाने से क्या होगा वह मिट्टी के किटाणु उसे खा के मिट्टी बना दिए, 3. कुछ लोग नदी में फेंक देते हैं, तो नदी के जीव जंतु खाकर पाखाना (potty) बना देते हैं, शरीर का अंत मिट्टी ही होगा, आत्मा की उपस्थिती के करण ये शरीर चेतन वत हो गया, आंख देखती है, कान सुनते हैं नासिका सूंघती है, क्योंकि आत्मा शरीर में है, जिस दिन आत्मा निकली, शरीर पुनः मिट्टी हो गया, राजा रंक फकीर सब बराबर हो गए, इसलिए जब कोई मरता है तो हिंदी में कहते हैं हम उसकी माटी पर गए थे, कहाँ है वो माटी, अजी साहब उसका शरीर ही माटी है तो वह जो माटी का शरीर है उसको हम लोग “मैं” मानते हैं https://www.youtube.com/watch?v=xXHmcIWsyaI&t=100 4 अब हम किसी से पूछें, क्यों जी आपका परिचय आप कौन हैं बताइए, वह व्यक्ति अपना नाम बताता है, सर जी मेरा नाम है, गोविंद पटनायक, अरे पटनायक जी हम आपका नाम नहीं पूछे, हम आपसे पूछे आप कौन हैं, यह नाम जो है गोविंद, ये तो आपके माता-पिता ने आपको दिया जब आप 3 साल के थे, उससे पहले वह आपको क्या कहते थे, उससे पहले मुझे पप्पू कहते थे, तो आप जब पप्पू थे क्या आप अलग व्यक्ति थे ? जब आप गोविंद पटनायक हो गए क्या आप बदल गए ? नहीं, मैं व्यक्ति तो वही हूं इसका मतलब आप नाम नहीं हैं, वरना तो नाम को बदलेंगे तो आप भी बदल जाएंगे https://www.youtube.com/watch?v=xXHmcIWsyaI&t=194 5 आप बताइए आप कौन हैं जी वो कलेक्ट्रेट (collectorate) में सीनियर क्लर्क हूँ, ये सीनियर क्लर्क आप जो बोल रहे हैं, यह आपकी पदवी है, आप पहले जूनियर क्लर्क थे, उससे पहले आप टेंपरेरी जॉइन (temporary join) किया थे तो उस समय भी आप वही व्यक्ति थे, आपका पोस्ट अलग है, आप अलग हैं, अब आप बताइए आप कौन हैं, जी मैं Oodiya (from Orrissa) हूँ, देखिए ये तो आप शरीर के लिए बोल रहे हैं, तो पिछले जन्म में क्या थे जी मैं गुजराती था, उससे पहले बंगाली था, तो आपका शरीर बदलता रहता है, आप कौन हैं ये बताइए, उसको हम भूल ही गए कि मैं आत्मा हूँ https://www.youtube.com/watch?v=xXHmcIWsyaI&t=245 6 अगर मानते तो ये भी मानते कि मैं परमात्मा का अंश हूँ और यह भी मानते कि मेरे जीवन का लक्ष्य भगवान हैं, लेकिन हम तो अपने को मिट्टी का शरीर मान लिए, और शरीर संसार का अंश है, इसलिए हम संसार को अपना लक्ष्य बना लिए और तीसरी विपरीत बुद्धि की परिस्थिति “दुखेशु” संसार के जो विषय का सेवन में हम सुख खोज रहे है और परिणाम में हमको दुख मिल रहा है , लेकिन हम उसी को सुख मान के भागते चले जा रहे हैं https://www.youtube.com/watch?v=xXHmcIWsyaI&t=301 7 भागते भागते किसी को सुख मिला क्या ? अगर हम पूछे यहां पर 2000 लोग बैठे हैं, हम पूछे यहां पर कोई fact में, वास्तव में सुखी हैं ? तो बताओ, एक व्यक्ति भी हाथ ऊपर नहीं करेगा https://www.youtube.com/watch?v=xXHmcIWsyaI&t=352 8 वेद व्यास कहते हैं, इस संसार में दो ही प्रकार के लोग सुखी हैं “verse”, एक वह सुखी है जो महापुरुष हो गया, उसको तो भगवान का आनंद मिल रहा है, कोई Doubt की बात ही नहीं, एक वो सुखी है जो पागल है, उसको पता ही नहीं कि वह दुखी है, मान लो कोई शराब के नशे में वो अपने घर के सामने के नाले में गिर गया, शराब के नशे में आप उसको देखें, आपने कहा अरे भाई तुम यहां क्या कर रहे हो, जाओ अपने बेडरूम में लेटो, वह कहता है मैं बेडरूम में ही लेटा हूं और कहाँ लेटा हूं ? अब शराब के करण उसकी बुद्धि भ्रष्ट हो गई है, उसको लगता है यह नाला ही बेडरूम है, ऐसे ही वेदव्यास ने कहा अगर कोई पागल हो गया है वह कह सकता है मैं सुखी हूँ बाकी सब को तो मानना पड़ेगा कि अभी तक तो सुख मिला नहीं https://www.youtube.com/watch?v=xXHmcIWsyaI&t=371 9 हम सब सुख के लिए भाग रहें है और इतना भागने के बाद भी सुख मिला नहीं, इससे क्या निर्णय निकालें कि हम गलत दिशा में भाग रहे हैं ! हम शरीर के इंद्रियों के विषयों के द्वारा शरीर को सुख देना चाहते हैं, और इससे आत्मा का प्रयोजन (Purpose) तो हल होगा ही नहीं https://www.youtube.com/watch?v=xXHmcIWsyaI&t=465 10 ये तो ऐसी बात है की आप एक मछली को पानी से निकाल दिए, और आप मछली को सुख देने का प्रयास किये, सुगंधित तेल से मछली की मालिश करो, एयर कंडीशनर लगा दो, उसका मुंह खोल के उसको Espresso coffee पिला दो, मछली देवी, तुझे सुख मिला ? अब मछली बेचारी कुछ बोल तो सकती नहीं है, यदि बोल पाए तो यही कहेगी, मुझे यह सब नहीं चाहिए अरे मैं मछली हूं, मुझे सुख देना है तो वापस जल में डाल दो https://www.youtube.com/watch?v=xXHmcIWsyaI&t=496 11 ऐसे ही हम अपनी आत्मा को कहते हैं अच्छा चलो, चिल्ली का खेल चलो देखो, अब Darjeeling चलो, पहाड़ी के ऊपर मजा लो, तो आत्मा देवी, तुमको सुख मिला ? आत्मा कहती है, मैं तो पहले से भी दुखी हूं ! हम गलत दिशा में भाग रहे हैं और इससे हमारी संतुष्टि नहीं हो रही, और यह गड़बड़ी कब से चल रही है ? एक जनम की नहीं है, यह अनादि काल की है हमारी आत्मा जो है वह भी भगवान के समान अनादि है, ये हमारा पहला जन्म नहीं है, इससे पहले भी हम संसार में आए, उससे पहले भी हम आए हर बार भगवान हमको भुला देते हैं, हम भूल जाते हैं https://www.youtube.com/watch?v=xXHmcIWsyaI&t=538 12 अगर हम आपसे पूछें, पिछले जन्म में आपके पिताजी कौन थे ? अरे स्वामी जी, कुछ तो याद नहीं, इसी प्रकार से इस जन्म में आपके पिता माता मृत्यु पर सब भुला देते हैं, फिर से clean slate शुरू करते हैं, अब कुछ लोग कहते हैं कि भगवान हमको याद क्यों नहीं दिला देते पिछले जन्म में हम क्या थे, कहां थे ? भगवान हमको स्मरण दिला दें ना, जी नहीं, ऐसा होने से तो बहुत गड़बड़ी हो जाएगी, मान लो कि एक व्यक्ति को पूर्व जन्म याद रहे कितना टेंशन में आ जाएगा, यह तो मेरी पत्नी थी अब यह इसकी पत्नी हो गई, अरे यह तो मेरी प्रॉपर्टी थी, अब उसकी प्रॉपर्टी हो गई, कितनी परेशानी हो जाएगी, अनंत जन्मों के अपमान हमको याद आ जाएंगे, हम लोग तो 2 साल पुरानी बात को सोचकर टेंशन करते हैं, 2 साल पहले ननद ने मुझे ऐसा बोल दिया था, हम उसी बात को सोचकर टेंशन लाते हैं और यदि हमें अनंत जन्मों की बातें याद रह जाए, तो हमारे मस्तिष्क की स्थिति क्या होगी ? इसलिए भगवान ने कहा, मेरे प्यारे बच्चों तुमने जो जो किया पूर्व जन्म में, उसका हिसाब मैं रखूंगा, और सही समय पर तुमको फल भी देता जाऊंगा लेकिन तुमको पुराना जन्म याद नहीं रहेगा https://www.youtube.com/watch?v=xXHmcIWsyaI&t=602 13 नादि काल से हम मायाधीन (माया में घिरे हुए) घूम रहे हैं इस संसार में और हम गलत दिशा में आनंद खोज रहे हैं, हम चूने के पानी को मथ रहे हैं, और मक्खन की आशा करते हैं, मक्खन तो चूने के पानी में नहीं होता है वह दूध में, दही में होता है, तो इसी प्रकार से हम लोग जब समझेंगे कि हमारी आनंद की खोज गलत दिशा में चल रही है, तब फिर कल्याण का द्वारा खुलेगा https://www.youtube.com/watch?v=xXHmcIWsyaI&t=700 14 और यह गड़बड़ी का कारण क्या है ? कारण यह है कि हम अपने को शरीर मान बैठे हैं, इसलिए शरीर के सुख को अपना लक्ष्य बना लिया, जैसे मान लो कोई गणित को यहां से शुरू करे, 2+2 = 5 अब इसके आगे जो भी जोड़ लगाएंगे, उत्तर गलत ही होगा और पुरानी गलती बढ़ती चली जाएगी अब दोनों sides को 10 से गुना करो, अब वो गलती बढ़ती जा रही है ऐसे ही जब हम सोच लिए कि मैं तो शरीर हूं, तो शरीर के सुख को जीवन का लक्ष्य बना के भागते चले गए, अब हम निश्चय करें कि इस दिशा में कभी किसी को तृप्ति नहीं हुई, मैं शरीर नहीं आत्मा हूँ और वो आत्मा परमात्मा का अंश है, तब जाकर हम परमात्मा की प्राप्ति को लक्ष्य बनाएंगे, वरना तो हम पूरा प्रवचन सुन लेंगे और फिर वहीं पे पहुंच जाएंगे https://www.youtube.com/watch?v=xXHmcIWsyaI&t=746 Transcript 0:15 सबसे पहले 0:19 मैं शरीर नहीं आत्मा हूँ आत्मा की उपस्थित के करण 0:24 ये शरीर चेतन वत हो गया 0:28 आंख देखती है कान सुनते हैं नासिक सूंघती 0:32 है क्योंकि आत्मा शरीर में है 0:37 जिस दिन आत्मा निकली 0:40 शरीर पुन: मिट्टी हो गया राजा रंक फकीर सब 0:46 बराबर हो गए 0:50 यह शरीर जो है यह मिट्टी का बना हुआ है 0:56 मिट्टी से आहार बना अन्न तरकारी फल यह सब 1:03 मिट्टी से बने 1:04 उस तरकारी फल को हम लोग खाए 1:09 तो हमारा शरीर बना वह शरीर में रस पहले 1:14 बना रस से रक्त रक्त से मांस मांस से 1:18 मेदा – मेदे से हड्डी हड्डी से मज्जा 1:21 यह शरीर का निर्माण हुआ आहार से इसलिए संत 1:26 लोग कहते हैं तुम्हारा शरीर एक मिट्टी का 1:31 पात्र है 1:33 और जब आत्मा निकल जाएगी ये वापस मिट्टी 1:38 में मिल जाएगा 1:40 ये शरीर के तीन अंत हो सकते हैं या तो शरीर को जला दें जैसे हमारे हिंदू धर्म में जलाते हैं, आंख के सामने ही शरीर मिट्टी हो जाता है 1:57 कुछ लोग उसको जमीन में गाढ़ देते हैं 2:02 तो भले वह बोर्ड लगाएं ऊपर से “Here lies 2:06 John Smith” 2:08 अरे बोर्ड लगाने से क्या होगा वह मिट्टी के किटाणु उसे खा के मिट्टी 2:13 बना दिए, कुछ लोग नदी में फेंक देते हैं, तो नदी के जीव जंतु खाकर पाखाना (potty) बना देते हैं 2:25 अत: शरीर का अंत मिट्टी ही होगा 2:28 आत्मा की उपस्थिती के करण ये शरीर चेतन वत 2:35 हो गया आंख देखती है कान सुनते हैं नासिक 2:39 सूंघती है क्योंकि आत्मा शरीर में है 2:44 जिस दिन आत्मा निकली 2:47 शरीर पुनः मिट्टी हो गया राजा रंक फकीर 2:52 सब बराबर हो गए इसलिए जब कोई मरता है तो 2:59 हिंदी में कहते हैं हम उसकी माटी पर गए थे 3:03 कहाँ है वो माटी, अजी साहब उसका शरीर ही माटी है 3:08 तो वह जो माटी का शरीर है उसको हम लोग 3:12 मैं मानते हैं 3:14 अब हम किसी से पूछें क्यों जी आपका परिचय 3:19 आप कौन हैं बताइए 3:22 वह व्यक्ति अपना नाम बताता है 3:25 सर जी मेरा नाम है गोविंद पटनायक 3:28 अरे पटनायक जी हम आपका नाम नहीं पूछे हम 3:32 आपसे पूछे आप कौन हैं यह नाम जो है गोविंद ये 3:37 तो आपके माता-पिता ने आपको दिया जब आप 3 3:41 साल के थे उससे पहले वह आपको क्या कहते थे 3:44 उससे पहले मुझे पप्पू कहते थे 3:47 तो आप जब पप्पू थे क्या आप अलग व्यक्ति थे ? 3:50 जब आप गोविंद पटनायक हो गए क्या आप बदल गए 3:54 नहीं मैं व्यक्ति तो वही हूं इसका मतलब 3:58 आप नाम नहीं हैं वरना तो नाम को बदलेंगे आप 4:03 भी बदल जाएंगे 4:05 आप बताइए आप कौन हैं 4:09 जी वो कलेक्ट्रेट में सीनियर क्लर्क हूँ 4:13 ये सीनियर क्लर्क आप जो बोल रहे हैं यह 4:17 आपकी पदवी है 4:20 आप पहले जूनियर क्लर्क थे उससे पहले आप 4:24 टेंपरेरी जॉइन किया थे तो उस समय भी आप वही 4:28 व्यक्ति थे 4:29 आपका पोस्ट अलग है आप अलग हैं अब आप बताइए आप कौन हैं, जी मैं Oodiya (from Orrissa) हूँ, देखिए ये तो आप शरीर के लिए बोल रहे हैं, तो पिछले जन्म में क्या थे जी मैं गुजराती था, उससे पहले बंगाली था, तो आपका शरीर बदलता रहता है आप कौन हैं ये बताइए, उसको हम भूल ही गए कि मैं आत्मा हूँ, 5:01 अगर मानते तो ये भी मानते 5:04 कि मैं परमात्मा का अंश हूँ और यह भी मानते 5:09 कि मेरे जीवन का लक्ष्य भगवान हैं 5:13 लेकिन हम तो अपने को मिट्टी का शरीर मान 5:17 लिए 5:18 और शरीर संसार का अंश है इसलिए हम संसार 5:23 को अपना लक्ष्य बना लिए और तीसरी 5:28 विपरीत बुद्धि की परिस्थिति 5:32 “दुख्खेशू” 5:33 संसार के जो विषय का सेवन 5:39 में हम सुख खोज रहे है और परिणाम में हमको 5:44 दुख मिल रहा है 5:46 लेकिन हम उसी को सुख मान के भागते चले जा 5:50 रहे हैं 5:52 भागते भागते किसी को सुख मिला क्या 5:57 अगर हम पूछे यहां पर एक 2000 लोग बैठे हैं 6:02 हम पूछे यहां पर कोई fact में, वास्तव में 6:07 सुखी हैं? तो बताओ 6:11 एक व्यक्ति भी हाथ ऊपर नहीं करेगा, वेद व्यास कहते हैं, इस संसार में दो ही प्रकार के लोग सुखी हैं “verse”, 6:33 एक वह सुखी है जो महापुरुष 6:38 हो गया 6:40 उसको तो भगवान का आनंद मिल रहा है कोई 6:43 Doubt की बात ही नहीं 6:46 एक वो सुखी है जो पागल है 6:51 उसको पता ही नहीं कि वह दुखी है 6:54 मान लो कोई शराब के नशे में 6:58 और वो अपने 7:00 घर के सामने के नाले में गिर गया 7:06 शराब के नशे में आप उसको देखें आपने कहा 7:10 अरे भाई तुम यहां क्या कर रहे हो, जाओ अपने बेडरूम में लेटो 7:16 वह कहता है मैं बेडरूम में ही लेटा हूं और कहाँ लेटा 7:18 हूं 7:21 अब शराब के करण उसकी बुद्धि भ्रष्ट हो गई 7:24 है उसको लगता है यह बेडरूम है 7:28 ऐसे ही वेदव्यास ने कहा अगर कोई पागल हो 7:32 गया है वह कह सकता है मैं सुखी हूँ या कोई पागल हो गया है तो वो कह सकता है मैं सुखी हूँ 7:38 बाकी सब को तो मानना पड़ेगा कि अभी तक तो 7:43 सुख मिला नहीं 7:45 हम सुख के लिए भाग रहें है सब और इतना भागने 7:50 के बाद भी सुख मिला नहीं 7:53 इससे क्या निर्णय निकालें 7:56 कि हम गलत दिशा में भाग रहे हैं 8:01 हम शरीर के इंद्रियों के विषयों के द्वारा 8:07 शरीर को सुख देना चाहते हैं 8:10 और इससे आत्मा का प्रयोजन तो हल होगा ही 8:14 नहीं 8:16 ये तो ऐसी बात है की आप एक मछली को पानी 8:21 से निकाल दिए 8:23 और आप मछली को सुख देने का 8:27 प्रयास किये 8:29 भई सुगंधित तेल से मछली की मालिश करो 8:33 एयर कंडीशनर लगा दो उसका मुंह खोल के उसको 8:38 Espresso coffee पिला दो 8:40 मछली देवी तुझे सुख मिला अब मछली बेचारी 8:45 कुछ बोल तो सकती नहीं है यदि बोल पाए तो 8:48 यही कहेगी मुझे यह सब नहीं चाहिए अरे मैं 8:52 मछली हूं मुझे सुख देना है तो वापस जल में 8:56 डाल दो 8:58 ऐसे ही हम अपनी आत्मा को कहते हैं अच्छा 9:02 चलो चिल्ली का लेख चलो देखो चलो अब 9:06 Darjeeling चलो पहाड़ी के ऊपर मजा लो 9:10 तो आत्मा देवी तुमको सुख मिला आत्मा कहती 9:14 है मैं तो पहले से भी दुखी हूं 9:18 हम गलत दिशा में भाग रहे हैं और इससे 9:23 हमारी संतुष्टि नहीं हो रही 9:28 और यह गड़बड़ी कब से चल रही है 9:32 एक जनम की नहीं है यह अनादि काल की है 9:37 हमारी आत्मा जो है वह भी भगवान के समान 9:41 अनादि है 9:49 ये हमारा पहला जन्म नहीं है इससे पहले भी हम 9:54 संसार में आए उससे पहले भी हम आए 9:57 अब वो हर बार भगवान हमको भुला देते हैं 10:02 हम भूल जाते हैं अगर हम आपसे पूछे पिछले जन्म 10:06 में आपके पिताजी कौन थे अरे स्वामी जी कुछ 10:09 तो याद नहीं इसी प्रकार से इस जन्म में 10:12 आपके पिता माता मृत्यु पर सब भुला देते हैं, फिर से clean slate शुरू करते हैं 10:20 अब कुछ लोग कहते हैं कि भगवान हमको याद 10:23 क्यों नहीं दिला देते पिछले जन्म में हम 10:26 क्या थे कहां थे भगवान हमको स्मरण दिला 10:30 दें ना 10:31 जी नहीं ऐसा होने से तो बहुत गड़बड़ी हो 10:35 जाएगी 10:37 मान लो कि एक व्यक्ति को पूर्व जन्म याद 10:41 रहे 10:43 कितना टेंशन में आ जाएगा यह तो मेरी पत्नी 10:46 थी अब यह इसकी पत्नी हो गई 10:49 अरे यह तो मेरी प्रॉपर्टी थी अब उसकी 10:51 प्रॉपर्टी हो गई 10:54 कितनी परेशानी हो जाएगी 10:58 अनंत जन्मों के अपमान हमको याद आ जाएंगे हम 11:03 लोग तो 2 साल पुरानी बात को सोचकर टेंशन 11:06 करते हैं 2 साल पहले ननद ने मुझे ऐसा बोल 11:11 दिया हो ऐसा बोल दिया, हम उसी बात को सोचकर टेंशन लाते हैं और यदि हमें अनंत जन्मों की बातें याद रह जाए 11:20 तो हमारे मस्तिष्क की स्थिति क्या होगी 11:25 इसलिए भगवान ने कहा मेरे प्यारे बच्चों 11:29 तुमने जो जो किया पूर्व जन्म में 11:33 उसका हिसाब मैं रखूंगा 11:35 और सही समय पर तुमको फल भी देता जाऊंगा 11:40 लेकिन तुमको याद नहीं रहेगा, अत: अनादि काल से हम मायाधीन घूम रहे हैं इस संसार में 11:49 और हम गलत दिशा में आनंद खोज रहे हैं 11:56 हम चूने के पानी को मथ रहे हैं 11:59 और मक्खन की आशा करते हैं 12:03 तो मक्खन चूने के पानी में नहीं होता है 12:07 वह दूध में दही में होता है 12:10 तो इसी प्रकार से हम लोग जब समझेंगे 12:16 कि हमारी आनंद खोज गलत साइड में चल रही है 12:21 तब फिर कल्याण का द्वारा खुलेगा 12:26 और यह गड़बड़ी का कारण क्या है कारण यह है 12:31 कि हम अपने को शरीर मान बैठे 12:34 तो शरीर के सुख को अपना लक्ष्य बना लिया 12:39 जैसे मान लो कोई गणित को यहां से शुरू 12:44 करें 12:50 2+2 = 5 अब इसके आगे जो भी जोड़ लगाएंगे उत्तर गलत ही होगा और पुरानी गलती बढ़ती चली जाएगी 13:21 दोनों sides को 10 से गुना करो अब वो गलती बढ़ती जा रही है 13:25 ऐसे ही जब हम सोच लिए कि मैं तो शरीर हूं तो 13:31 शरीर के सुख को जीवन का लक्ष्य बना के 13:34 भागते चले गए, अब हम निश्चय करें कि इस दिशा में कभी किसी को तृप्ति नहीं हुई, मैं शरीर नहीं आत्मा हूँ और वो आत्मा परमात्मा का अंश है 13:52 तब जाकर हम परमात्मा की प्राप्ति को लक्ष्य 13:58 बनाएंगे वरना तो हम पूरा प्रवचन सुन लेंगे 14:04 और फिर वहीं पे पहुंच जाएंगे Standby link (in case youtube link does not work) मरने के बाद क्या होता है Swami Mukundananda Hindi.mp4