Monday, March 27, 2023

मनुष्य को कर्म का फल क्यों भोगना पड़ता है | कर्म - 2 | by Swami Mukundanand

मनुष्य को कर्म का फल क्यों भोगना पड़ता है | कर्म - 2 | by Swami Mukundanand

https://www.youtube.com/watch?v=JGQYtqaKTDg Full text  1  अजी साहब भगवान हम सबसे करवा रहा है, हमारे हाथ में थोड़ी कुछ है, वो कठपुतली के समान हमको नचाता है, जैसे वो चाहता है वैसे हम करते हैं, बिना भगवान की इच्छा के तो एक पत्ता भी नहीं हिलता,  

तो इसलिए भगवान चाहता है किसी को महापुरुष बन जाए वो महापुरुष बन गया, किसी के लिए भगवान ने ऐसा नहीं चाहा वो अज्ञान में पड़ा हुआ है, जीव का क्या दोष है ? इसमें सब दोष तो भगवान का है, क्या यह सिद्धांत सही है या गलत है ?  https://www.youtube.com/watch?v=JGQYtqaKTDg&t=17  2  भगवान ने जब संसार बनाया तो सबको 40 वर्ष की उम्र दी थी, सब प्राणियों को और मनुष्यों को भी, अब मनुष्य को संतोष नहीं हुआ, असंतोष मनुष्य का स्वभाव है, मनुष्य एक दल बनाकर गया भगवान के पास, महाराज यह क्या आपने संसार डिजाइन किया है ?  40 साल में थोड़ी थोड़ी हमारी गृहस्ती सेट होती है और जीवन ही खत्म हो जाता है, आप कृपया हमारे जीवन को extend कर दीजिए भगवान ने कहा हम तुम्हारे request को अभी pending में रखते हैं, देखते हैं, क्या होता है  कुछ दिन बीते, भगवान के पास एक गधा पहुंचा, गधे ने कहा महाराज मैं कैसा प्राणी बना हूं मुझे कोई यहां से वहां ले जाता है कोई वहां से यहां ले जाता है, मैं 40 साल तक यही करता रहता हूं, आप मेरी आयु को कम कर दीजिए भगवान ने गधे की आयु से 20 साल minus कर दिए, तो गधे की आयु अभी 20 वर्ष की रह गई और वह  20 गधे के वर्ष भगवान ने मनुष्य की आयु में जोड़ दी,  तो मनुष्य को जब गधे के वर्ष gift में मिले उसकी आयु 60 वर्ष तक life expectancy पहुंच गई, भगवान ने कहा अब ठीक है ? मनुष्य ने कहा 60 वर्ष ? अरे महाराज अभी तो इतनी सारी इच्छाएं हैं, आप थोड़ा और extend कर दीजिए ना, भगवान ने कहा ठीक है, अब देखते हैं क्या होता है  https://www.youtube.com/watch?v=JGQYtqaKTDg&t=61  3  कुछ दिन और बीते तो भगवान के पास एक कुत्ता आया, कुत्ते ने कहा महाराज मैं भी क्या प्राणी हूं, मैं भौंकता ही रहता हूं, एक गाड़ी आती है, मैं भौंकते भौंकते यहां से वहां तक जाता हूं, फिर गाड़ी आती है भौंकते भौंकते वहां से यहां तक जाता हूं, आपने मुझे क्या बनाया कि 40 वर्ष तक भौंकता ही रहता हूं, आप मेरी आयु को कम कीजिए,  भगवान ने कुत्ते की आयु में से भी 20 वर्ष minus कर दिए, अब कुत्ते की life expectancy 20 वर्ष की रह गई, तो वह 20 कुत्ते के वर्ष भगवान ने मनुष्य में जोड़ दिए अब 20 वर्ष gift में मिले कुत्ते से मनुष्य की life expectancy 80 वर्ष की हो गई,  भगवान ने कहा 80 ठीक तो है ? महाराज ठीक है, लेकिन बिल्कुल ठीक है ऐसा नहीं है, क्योंकि अभी तो हमको मरने से पहले अपने पोते की शादी देखनी है, और नाती की शादी देखनी है, वह इच्छाएं कहां खत्म होती हैं, थोड़ा और बड़ा दीजिए ना, भगवान ने कहा, बैठे रहो देखते हैं क्या होता है  https://www.youtube.com/watch?v=JGQYtqaKTDg&t=172  4  Last में भगवान के पास एक उल्लू आया, उल्लू ने कहा महाराज आपने मुझे गलती से बना दिया, जब सब लोग सोते हैं तो मैं उड़ता रहता हूं, यहां से वहां एक छत से दूसरे छत में बढ़िया देखता हूं और दिन में जब सब जागते हैं तो मैं सो जाता हूं, यह 40 वर्ष मुझसे सहन नहीं होता, आप इसको कम कीजिए, भगवान ने उल्लू की आयु में से भी 20 वर्ष निकाल दिए, वह भी मनुष्य को दे दिए, अब मनुष्य की आयु 100 वर्ष की हुई  https://www.youtube.com/watch?v=JGQYtqaKTDg&t=243  5  सौ वर्ष कैसे हुए, पहले चालीस साल ठीक-ठाक, BP भी ठीक, sugar भी ठीक, मन भी ठीक, परिवार भी ठीक, लेकिन जैसे 40 की आयु शुरू हुई, अब गधे के वर्ष आ गए, वह गृहस्ती का बोझा लेके चल रहा है, retire होने से पहले घर का mortgage clear करना है, लड़की का विवाह करना है, लड़के को इंजीनियर बनाना है,  ये सब बोझा लेके चल रहा है, 40 से 60 वर्ष तक गधे के समान गृहस्ती की जिम्मेदारी,  और 60 वर्ष के हुए अब कुत्ते के वर्ष आ गए, बूढ़े की प्रमुख जिम्मेदारी है घर की देखभाल करो, बेटा कहता है पिता जी मैं बहू के साथ पिक्चर देखने जा रहा हूं, आप घर की देखभाल करना, कुत्ते के वर्ष हैं ना, अब वो बूढ़ा कुछ भी बोलता रहे, लोग कहते है बोलने दो उसकी आदत है, ये कुत्ते के वर्ष हैं,  60 से 80 तक, 80 के हुए अब उल्लू के वर्ष शुरू हो गए, क्योंकि अब देखना मुश्किल हो गया, मोतियाबिंद हो गया, डॉक्टर कहता है दूसरी आंख में भी हो जाये, दोनों को एक साथ निकालेंगे, अभी तुम बैठे रहो  https://www.youtube.com/watch?v=JGQYtqaKTDg&t=284  6  यह पूरा जीवन बीत गया, मनुष्य का last तक वैराग्य नहीं हुआ कि भगवान ने मुझे भेजा क्यों था ? इस संसार में मेरे जीवन का लक्ष्य क्या था ? मैं हूं कौन ? तो “प्यारे जरा तो मन से विचारो, आए कहां से, कर क्या रहे हो, सोचो विचारो, हरि को पुकारो, गोविंद दामोदर माधवेती”,  कहने का तात्पर्य ये है कि जीवन बीत जाता है और सत्संग में interest नहीं जागृत होता, रामायण कहती है कोई सत्संग में तभी आता है जब भगवान कृपा करते हैं, गुरु तभी मिलते हैं जब भगवान का अनुग्रह होता है, और भगवत ज्ञान भी तभी होता है जब भगवान कृपा करते हैं, जब ये बात समझ में आ गई, तब एक नया प्रश्न खड़ा हुआ  https://www.youtube.com/watch?v=JGQYtqaKTDg&t=372  7  यदि कृपा से ही गति मिलेगी, तो फिर साधन करने की कोई आवश्यकता ही नहीं रही, अर्थात आज का प्रवचन सुनकर बहुत लाभ हुआ, अब तो थोड़ा बहुत हम जो भजन भक्ति कर रहे थे, उसको बंद कर देंगे और बैठ जाएंगे,  अगर किसी ने पूछा भी कि क्या तुम साधना करते हो ? हम कहेंगे नहीं नहीं, वो मुकुंदानंद स्वामी ने हमको समझा दिया है कि साधना की आवश्यकता नहीं, भगवान तो कृपा से मिलते हैं, तो  इसलिए आजकल हम कृपा की wait कर रहे हैं, कृपा कहां से आएगी ? aeroplane से आएगी truck से आएगी या बैलगाड़ी से आएगी ? उत्तर से, दक्षिण से, ऊपर से, नीचे से ? तो यह समझ सही है क्या ? कि हमें कुछ करना ही नहीं है ? सब कृपा से ही होगा ?  https://www.youtube.com/watch?v=JGQYtqaKTDg&t=443  8  इससे एक कदम और आगे कुछ लोग निकल जाते हैं, वह कहते हैं कि हम लोग तो कुछ करते ही नहीं है भगवान ही सब कुछ कराते हैं, क्या मतलब ? “verse”,  अजी साहब भगवान हम सबसे करवा रहा है, हमारे हाथ में थोड़ी कुछ है, वो कठपुतली के समान हमको नचाता है, जैसे वो चाहता है वैसे हम करते हैं, बिना भगवान की इच्छा के तो एक पत्ता भी नहीं हिलता, इसलिए भगवान चाहता है किसी को महापुरुष बन जाए वो महापुरुष बन गया, किसी के लिए भगवान ने ऐसा नहीं चाहा वो अज्ञान में पड़ा हुआ है, जीव का क्या दोष है ? इसमें सब दोष भगवान का है  https://www.youtube.com/watch?v=JGQYtqaKTDg&t=504  9  जैसे दुर्योधन ने कहा था “verse” कि मैं जानता हूं कि सही क्या है, मैं ये भी जानता हूं गलत क्या है, लेकिन एक देवता अंदर बैठा है, वो जैसे कराता है मैं करता हूं, इसमें मेरा क्या दोष है ?  हम लोग भी ऐसे ही करते हैं, किसी से गलती हुई, ऐसा क्यों किया, sorry, गलती हो गई, क्यों? क्योंकि हम मनुष्य हैं ना यानी अपने दोषों के लिए भगवान को दोष देना, क्या यह सिद्धांत सही है या गलत है ? इस पर विचार करना और  यह विचार बहुत important है क्योंकि यह confusion 90% लोगों के मन में है कि हम करते हैं या भगवान कराता है ? यानी हमारे कर्मों की जिम्मेवारी हमारी है या भगवान की है ?  https://www.youtube.com/watch?v=JGQYtqaKTDg&t=571  10  तो देखिए भगवान नहीं कराता, क्या, भगवान नहीं कराता ? ना. अगर भगवान कराता तो हमारे सब कार्य ठीक ठीक होते, एक भी गलती नहीं होती, क्योंकि भगवान सर्वज्ञ हैं, यदि गाड़ी का ड्राइवर ठीक है तो गाड़ी भी ठीक-ठाक चलेगी,  यदि ड्राइवर शराब के नशे में है तो गाड़ी गडबड चलेगी, यदि भगवान हमारे ड्राइवर हैं, हमारे सब कार्य ठीक ठाक होने चाहिए  https://www.youtube.com/watch?v=JGQYtqaKTDg&t=670  11  दूसरी बात, यदि भगवान करवा रहा है तो फिर आप किसी भी व्यक्ति को किसी भी कार्य के लिए दंड नहीं दे सकते, मान लो एक मुल्जिम कोर्ट में आया है, जज ने कहा कि तुमने उसकी हत्या की थी सब प्रमाण सामने आ गए हैं, तुमको फांसी की सजा होनी चाहिए,  मुलजिम कहता है जज साहब, आपने क्या शास्त्र नहीं पड़े ? जो हम कर्म करते हैं ये हम नहीं करते हैं, ये भगवान कराते हैं, इसलिए इसमें हमारा कोई दोष नहीं है, अब भगवान ने हमसे उसकी हत्या करा दी तो आप हमको क्यों दंड देते हैं ?  भगवान को दंड दीजिए, तो जज क्या कहेगा, कि देखो भई, नियम समाज में यही है, तुम्हारे कर्मों के लिए तुम जिम्मेदार हो, भगवान को दोष मत दो तो अगर भगवान हमसे कर्म करा रहा था खराब खराब तो, या तो भगवान उसका फल स्वयं भोगें या अपने को रिहा कर दे, हम लोग क्यों भोगें ?  यह तो घोर अन्याय है, खाना खाया रमेश ने और उल्टी करे दिनेश, ऐसा तो नहीं होना चाहिए, भगवान हम से कर्म कराए और विधान अनुसार हम फल भोगें, तो यदि भगवान करा था आप किसी को किसी कार्य के लिए दंड दे ही नहीं सकते !  https://www.youtube.com/watch?v=JGQYtqaKTDg&t=698  12  तीसरी बात भगवान ने ही शास्त्र में लिखा, अर्जुन, यह कर्म करेगा, तो यह फल पाएगा, ऐसा कर्म करेगा तो ऐसा फल पाएगा, यह भगवान ने विधि और निषेध बनाया और अर्जुन को समझाया 50 सौं बार, ऐसे कर, ऐसे मत कर, अब यदि भगवान ही करा रहे हैं तो अर्जुन को समझाने की आवश्यकता क्या है ?  यदि भगवान Director हैं, तो अर्जुन को क्यों समझाएं ? अर्जुन को यही कह दें, कि अर्जुन मैं ही सब कर रहा हूं, दो लाइन में पुरी गीता खत्म हो जाएगी, अर्जुन जो हो रहा है, मैं करा रहा हूं, तुझे कुछ समझने की आवश्यकता नहीं, किंतु गीता के अंत में भी श्री कृष्ण ने यही कहा, “verse” ,  अर्जुन मैंने तुझे ज्ञान दे दिया अब तू इस पर विचार कर और उसके बाद तुझे जो करना है तू कर क्या मतलब ? मतलब कि अर्जुन कर्म करने में स्वतंत्र है  https://www.youtube.com/watch?v=JGQYtqaKTDg&t=818  13  तो साहब ऐसा क्यों कहते हैं कि भगवान कराता है ? शास्त्रों ने दोनों प्रकार की बातें कहीं हैं, कहीं कहीं जीव को करता बोला है, कहीं कहीं भगवान को करता बोला है, तो भगवान को करता क्यों बोल दिया ?  उसका करण यह है कि कर्म करने की शक्ति भगवान से आती है, हमारे इंद्रीय मन बुद्धि जड़ हैं उनको शक्ति प्रदान करता है भगवान लेकिन उस शक्ति का हम क्या उपयोग करते हैं यह हमारे हाथ में हैं ,  फिर से समझें, पावर हाउस ने बिजली दे दी अगर power house बिजली नहीं देगा हम कोई light का काम नहीं कर सकते, लेकिन एक बार बिजली आ गई तो आप बिजली का क्या उपयोग करेंगे, ये आपके हाथ में है आप चाहे कमरे को ठंडा करें, चाहे गरम करें, चाहे light जलाएं चाहे halogen जलाएं  और चाहे कोई तार पकड़ के मर जाए, positive negative (electric shock से), अब power house को दोष ना दें, मुझे electric shock क्यों लगा, ये सब power house का दोष है, power house वाले कहते हैं, भैया, हमने कृपा करके तुमको power दिया था, अब तुमने सदुपयोग किया या दुरुपयोग किया, ये तुम्हारे अपने हाथ में है  https://www.youtube.com/watch?v=JGQYtqaKTDg&t=912  14  ऐसे ही भगवान ने कहा कि देखो हमने तुमको कर्म करने की शक्ति दे दी, आंख को देखने की शक्ति, कान को सुनने की, नासिका को सूंघने की, अब तुम जो चाहे करो, चाहे सिनेमा हाल में बैठकर picture देखो, चाहे भगवान के मंदिर में जाकर श्री विग्रह (मूर्ति) के दर्शन करो जगन्नाथ जी के, जो भी करो,  भगवान को दोष मत दो, भगवान मुझे picture क्यों दिखाता है ? भगवान केवल देखने की शक्ति देता है, उस शक्ति का उपयोग वो आपके पास छोड़ता है, तो इसलिए भगवान तीन कार्य करते हैं, पहला वह हमें कर्म करने की शक्ति देते  हैं,  दूसरा हम जो कर्म करते हैं भगवान उसको नोट करते हैं ,  तीसरा हमारे कर्म के अनुसार भगवान हमको फल देते हैं,  अब जब फल आया तो हम complaint करते हैं कि भगवान ने मेरे साथ ऐसा क्यों किया ?  https://www.youtube.com/watch?v=JGQYtqaKTDg&t=1013  15  अरे भगवान को क्यों दोष देते हो ? भगवान ने क्या किया ? तो फिर और किसने किया ? भगवान ने जो किया, ये तो ऐसे है जैसे जज ने किसी को सजा दी, तुमने चोरी की थी, 5 साल के लिए jail जाओ,  अब मुल्जिम कह रहा है कि जज बदमाश है, बदमाश जज नहीं, जज केवल निर्णय दे रहा है, तो ऐसे ही भगवान ने हमारे कर्मों पर हमको निर्णय दे दिया, तो भगवान कराता है इसका गलत अर्थ नहीं निकालना, वो कर्म करने की शक्ति देता है, अतः अपने कर्मों के लिए हम स्वयं जिम्मेदार हैं, भगवान को अगर दोष देंगें, तो कभी अपना सुधार नहीं करेंगे  https://www.youtube.com/watch?v=JGQYtqaKTDg&t=1082  Transcript 0:17 अजी साहब भगवान हम सबसे करवा रहा है हमारे हाथ में थोड़ी कुछ 0:23 है 0:24 वो कठपुतली के समान हमको नचाता है जैसे 0:29 वो चाहता है वैसे हम करते हैं 0:32 बिना भगवान की इच्छा के तो एक पत्ता भी 0:35 नहीं हिलता तो इसलिए भगवान चाहता है किसी 0:39 को महापुरुष बन जाए वो महापुरुष बन गया किसी 0:43 के लिए भगवान ने ऐसा नहीं चाहा वो अज्ञान में 0:46 पड़ा हुआ है जीव का क्या दोष है इसमें सब 0:50 दोष तो भगवान का है क्या यह सिद्धांत सही 0:54 है 0:55 या गलत है ? 1:01  भगवान ने जब संसार बनाया तो सबको 40 वर्ष की उम्र दी थी, सब प्राणियों को और मनुष्यों को भी  1:13 अब मनुष्य को संतोष नहीं हुआ असंतोष 1:16 मनुष्य का स्वभाव है मनुष्य एक दल बनाकर गया 1:21 भगवान के पास महाराज यह क्या आपने संसार 1:24 डिजाइन किया है 40 साल में थोड़ी थोड़ी 1:28 हमारी गृहस्ती सेट होती है और जीवन ही खत्म 1:30 हो जाता है  1:32 आप कृपया हमारे जीवन को एक्सटेंड कर दीजिए 1:37 भगवान ने कहा हम तुम्हारे रिक्वेस्ट को 1:39 अभी पेंडिंग में रखते हैं देखते हैं क्या होता है  1:41 कुछ दिन बीते भगवान के पास एक गधा पहुंचा 1:47 गधे ने कहा महाराज मैं कैसा प्राणी बना 1:51 हूं मुझे कोई  यहां से वहां ले जाता है  1:54 कोई  वहां से यहां ले जाता है  1:56 मैं 40 साल तक यही करता रहता हूं 2:00 आप मेरी आयु को कम कर दीजिए 2:13 भगवान ने गधे की आयु से 20 साल minus कर 2:17 दिए तो गधे की आयु अभी 20 वर्ष की रह गई और वह 2:22 20 गधे के वर्ष भगवान ने मनुष्य की आयु 2:26 में जोड़ दी   2:28 तो मनुष्य को जब गधे के वर्ष गिफ्ट में 2:31 मिले उसकी आयु 60 वर्ष तक लाइफ 2:34 एक्सपेक्टेंसी पहुंच गई 2:37 भगवान ने कहा अब ठीक है ? 2:39 मनुष्य ने कहा 60 वर्ष ? अरे 2:42 महाराज अभी तो इतनी सारी इच्छाएं हैं 2:45 आप थोड़ा और extend कर दीजिए ना 2:49 भगवान ने कहा ठीक है अब देखते हैं क्या होता है  2:52 कुछ दिन और बीते तो भगवान के पास एक 2:55 कुत्ता आया 2:57 कुत्ते ने कहा महाराज मैं भी क्या प्राणी 3:00 हूं मैं भौंकता ही रहता हूं 3:02 एक गाड़ी आती है मैं भौंकते भौंकते यहां से 3:04 वहां तक जाता हूं फिर गाड़ी आती है भौंकते भौंकते 3:06 वहां से यहां तक जाता हूं आपने मुझे 3:09 क्या बनाया 40 वर्ष तक भौंकता ही रहता हूं 3:12 आप मेरी आयु को कम कीजिए 3:15 भगवान ने कुत्ते की आयु में से भी 20 वर्ष 3:20 minus कर दिए अब कुत्ते की लाइफ 3:23 एक्सपेक्टेंसी 20 वर्ष की रह गई तो वह 20 3:27 कुत्ते के वर्ष भगवान ने मनुष्य में जोड़ 3:29 दी 3:31 अब 20 वर्ष gift में मिले कुत्ते से 3:34 मनुष्य की लाइफ एक्सपेक्टेंसी 80 वर्ष की 3:38 हो गई 3:42 भगवान ने कहा 80 ठीक तो है ? महाराज ठीक है, लेकिन 3:45 बिल्कुल ठीक है ऐसा नहीं है क्योंकि अभी तो 3:48 हमको मरने से पहले अपने पोते की शादी देखनी 3:51 है और नाती की शादी देखनी है वह इच्छाएं 3:55 कहां खत्म होती हैं थोड़ा और बड़ा दीजिए ना 3:59 भगवान ने कहा बैठे रहो देखते हैं क्या 4:02 होता है  4:03 लास्ट में भगवान के पास एक उल्लू आया 4:08 उल्लू ने कहा महाराज आपने मुझे गलती से 4:12 बना दिया जब सब लोग सोते हैं तो मैं 4:17 उड़ता रहता हूं यहां से वहां एक छत से 4:20 दूसरे छत में बढ़िया देखता हूं और दिन में 4:24 जब सब जागते हैं तो मैं सो जाता हूं और 4:27 यह 40 वर्ष मुझसे सहन नहीं होता आप इसको कम 4:30 कीजिए 4:32 भगवान ने उल्लू की आयु में से भी 20 वर्ष 4:35 निकाल दिए वह भी मनुष्य को दे दिए 4:38 अब मनुष्य की आयु 100 वर्ष की हुई  4:44 सौ वर्ष कैसे हुए पहले चालीस साल  4:48 ठीक-ठाक, BP भी ठीक, sugar भी ठीक, मन भी ठीक, परिवार भी ठीक 4:54 लेकिन जैसे 40 की आयु शुरू हुई 4:57 अब यह गधे के वर्ष आ गए 5:01 वह गृहस्ती का बोझा लेके चल रहा है  5:04 रिटायर होने से पहले घर का mortgage clear  5:07 करना है लड़की का विवाह करना है लड़के को 5:10 इंजीनियर बनाना है ये बोझा लेके चल रहा है 5:12 40 से 60 वर्ष तक गधे के समान 5:16 गृहस्ती की जिम्मेदारी 5:19 और 60 वर्ष के हुए 5:22 अब कुत्ते के वर्ष आ गए 5:29 बूढ़े की प्रमुख जिम्मेदारी है घर की 5:32 देखभाल करो बेटा कहता है पिता जी मैं बहू के 5:35 साथ पिक्चर देखने जा रहा हूं आप घर की 5:37 देखभाल करना, कुत्ते के वर्ष हैं ना, अब वो बूढ़ा कुछ भी बोलता रहे, लोग कहते है बोलने दो 5:43 उसकी आदत है, ये कुत्ते के वर्ष हैं 60 से 80 तक, 80 के हुए अब उल्लू के वर्ष शुरू हो गए 5:55 क्योंकि अब देखना मुश्किल हो गया, मोतियाबिंद हो गया, डॉक्टर कहता है दूसरी आंख में भी हो जाये,  6:08 दोनों को एक साथ निकालेंगे अभी तुम बैठे 6:10 रहो  6:12 यह पूरा जीवन बीत गया मनुष्य का लास्ट तक 6:16 वैराग्य नहीं हुआ कि भगवान ने मुझे भेजा 6:20 क्यों था इस संसार में मेरे जीवन का 6:23 लक्ष्य क्या था मैं हूं कौन 6:27 तो 6:28 “प्यारे जरा तो मन से विचारों आए कहां से 6:35 कर क्या रहे हो 6:38 सोचो विचारो हरि को पुकारो गोविंद 6:45 दामोदर माधवेती”, कहने का तात्पर्य ये है कि जीवन बीत  6:52 जाता है और सत्संग में इंटरेस्ट नहीं 6:56 जागृत होता तो रामायण कहती है कोई सत्संग 7:00 में तभी आता है जब भगवान कृपा करते हैं 7:04 गुरु तभी मिलते हैं जब भगवान का अनुग्रह 7:09 होता है और भगवत ज्ञान भी तभी होता है जब भगवान 7:13 कृपा करते हैं, जब ये बात समझ में आ गई तब एक नया प्रश्न खड़ा हुआ  7:23 यदि कृपा से ही गति मिलेगी 7:27 तो फिर साधन करने की कोई आवश्यकता ही नहीं 7:31 रही 7:33 अर्थात आज का प्रवचन सुनकर बहुत लाभ हुआ 7:38 अब तो थोड़ा बहुत हम जो भजन भक्ति कर रहे 7:42 थे उसको बंद कर देंगे 7:44 और बैठ जाएंगे अगर किसी ने पूछा भी तुम 7:49 साधना करते हो 7:51 हम कहेंगे नहीं नहीं, वो मुकुंदानंद स्वामी ने हमको 7:54 समझा दिया 7:56 कि साधना की आवश्यकता नहीं भगवान तो कृपा 7:59 से मिलते हैं तो इसलिए आजकल हम कृपा की wait कर 8:04 रहे हैं कृपा कहां से आएगी एरोप्लेन से 8:07 आएगी ट्रक से आएगी या बैलगाड़ी से आएगी 8:11 उत्तर से दक्षिण से ऊपर से नीचे से 8:16 तो यह समझ सही है क्या ? कि हमें कुछ करना 8:20 ही नहीं है सब कृपा से ही होगा  8:24 इससे एक कदम और आगे कुछ लोग निकल जाते हैं  8:29 वह कहते हैं कि हम लोग तो कुछ करते ही 8:33 नहीं है भगवान ही सब कुछ कराते हैं  8:40 क्या मतलब ? “verse”  8:42 8:49 अजी साहब भगवान हम सबसे करवा 8:54 रहा है हमारे हाथ में थोड़ी कुछ है 8:58 वो कठपुतली के समान हमको नचाता है जैसे 9:02 वो चाहता है वैसे हम करते हैं  9:05 बिना भगवान की इच्छा के तो एक पत्ता भी 9:09 नहीं हिलता 9:11 9:18 इसलिए भगवान चाहता है किसी को महापुरुष बन 9:22 जाए वो महापुरुष बन गया 9:25 किसी के लिए भगवान ने ऐसा नहीं चाहा वो 9:28 अज्ञान में पड़ा हुआ है जीव का क्या दोष है 9:31 इसमें सब दोष भगवान का है  जैसे 9:35 दुर्योधन ने कहा था “verse”  9:39 9:57 दुर्योधन ने कहा मैं जानता हूं सही क्या 10:00 है 10:02 मैं ये भी जानता हूं गलत क्या है 10:06 लेकिन एक देवता अंदर बैठा है वो जैसे कराता है  10:10 मैं करता हूं मेरा इसमें क्या दोष है 10:14 हम लोग भी ऐसे ही करते हैं 10:17 किसी से गलती हुई ऐसा क्यों किया, sorry, गलती हो गई, क्यों? क्योंकि हम मनुष्य हैं ना   10:34 यानी अपने दोषों के लिए भगवान को दोष देना 10:39 क्या यह सिद्धांत सही है 10:42 या गलत है इस पर विचार करना 10:48 और यह विचार बहुत important है क्योंकि 10:52 यह confusion  10:55 90% लोगों के मन में कि हम करते हैं या  10:59 भगवान कराता है यानी हमारे कर्मों की जिम्मेवारी हमारी है  11:06 या भगवान की है ?  11:10 तो देखिए भगवान नहीं कराता 11:14 भगवान नहीं कराता ? ना, 11:17 अगर भगवान कराता 11:20 तो हमारे सब कार्य ठीक ठीक होते एक भी 11:26 गलती नहीं होती 11:30 क्योंकि भगवान 11:31 सर्वज्ञ हैं 11:33 यदि गाड़ी का ड्राइवर ठीक है तो गाड़ी भी 11:38 ठीक-ठाक चलेगी, यदि ड्राइवर शराब के नशे में है तो गाड़ी गडबड चलेगी, यदि भगवान हमारे ड्राइवर हैं, हमारे सब कार्य ठीक ठाक होने चाहिए, दूसरी बात यदि भगवान करवा रहा है   12:01 तो फिर आप किसी भी व्यक्ति को किसी भी 12:05 कार्य के लिए दंड नहीं दे सकते, मान लो एक मुल्जिम कोर्ट में आया है, जज ने कहा कि  12:16 तुमने उसकी हत्या की थी सब प्रमाण सामने आ  12:20 गए हैं तुमको फांसी की सजा होनी चाहिए 12:25 मुलजिम कहता है जज साहब आपने क्या शास्त्र 12:29 नहीं पड़े जो हम कर्म करते हैं ये 12:32 हम नहीं करते हैं ये भगवान कराते हैं इसलिए इसमें 12:36 हमारा कोई दोष नहीं है अब भगवान ने हमसे 12:39 उसकी हत्या करा दी तो आप हमको क्यों दंड 12:42 देते हैं भगवान को दंड दीजिए  12:46 तो जज क्या कहेगा कि देखो भई नियम समाज 12:52 में यही है तुम्हारे कर्मों के लिए तुम 12:56 जिम्मेदार हो भगवान को दोष मत दो 13:01 तो अगर भगवान हमसे कर्म करा रहा था खराब 13:05 खराब तो या तो भगवान उसका फल स्वयं भोगें 13:10 या अपने को रिहा कर दे हम लोग क्यों भोगें 13:14 यह तो घोर अन्याय है खाना खाया रमेश ने और उल्टी 13:19 करे दिनेश ऐसा तो नहीं होना चाहिए भगवान 13:23 हम से कर्म कराए और विधान अनुसार हम फल 13:27 भोगें 13:29 तो यदि भगवान करा था आप किसी को किसी 13:33 कार्य के लिए दंड दे ही नहीं सकते  13:38 तीसरी बात 13:40 भगवान ने ही शास्त्र में लिखा अर्जुन यह 13:46 कर्म करेगा तो यह फल पाएगा ऐसा कर्म करेगा 13:50 तो ऐसा फल पाएगा यह भगवान ने विधि और 13:55 निषेध बनाया और अर्जुन को समझाया 50 सौं  बार 14:00 ऐसे कर ऐसे मत कर 14:03 अब यदि भगवान ही करा रहे हैं 14:07 तो अर्जुन को समझाने की आवश्यकता क्या है 14:13 यदि भगवान डायरेक्टर हैं तो अर्जुन को क्यों 14:17 समझाएं 14:18 अर्जुन को यही कह दें कि अर्जुन मैं ही सब कर 14:21 रहा हूं 14:24 दो लाइन में पुरी गीता खत्म हो जाएगी 14:27 अर्जुन जो हो रहा है मैं करा रहा हूं तुझे 14:32 कुछ समझने की आवश्यकता नहीं 14:35 किंतु गीता के अंत में भी श्री कृष्ण ने 14:39 यही कहा “verse”  अर्जुन मैंने तुझे ज्ञान दे दिया 14:55 अब तू इस पर विचार कर और उसके बाद तुझे जो 15:01 करना है तू कर 15:04 क्या मतलब ? मतलब कि अर्जुन कर्म करने में 15:09 स्वतंत्र है  15:12 तो साहब ऐसा क्यों कहते हैं कि भगवान कराता 15:17 है 15:18 ये शास्त्रों ने दोनों प्रकार की बातें 15:21 कहीं, कहीं कहीं जीव को करता बोला, कहीं कहीं 15:25 भगवान को करता बोला 15:28 तो भगवान को करता क्यों बोल दिया 15:33 उसका करण यह है कि कर्म करने की शक्ति 15:38 भगवान से आती है, हमारे इंद्रीय मन बुद्धि जड़ हैं 15:45 उनको शक्ति प्रदान करता है भगवान लेकिन 15:50 उस शक्ति का हम क्या उपयोग करते हैं यह 15:55 हमारे हाथ में हैं  15:58 फिर से समझें 16:00 पावर हाउस ने बिजली दे दी  16:04 अगर पावर हाउस बिजली नहीं देगा हम कोई लाइट 16:08 का काम नहीं कर सकते, लेकिन एक बार बिजली आ गई तो आप बिजली का क्या उपयोग करेंगे, ये आपके हाथ में है  16:21 आप चाहे कमरे को ठंडा करें चाहे गरम  16:24 करें चाहे लाइट जलाएं चाहे हैलोजन जलाएं 16:27 और चाहे कोई तार पकड़ के मर जाए पॉजिटिव 16:31 नेगेटिव (electric shock से),  16:33 अब पावर हाउस को दोष ना दें मुझे electric shock 16:36 क्यों लगा ये सब पावर हाउस का दोष है 16:40 पावर हाउस वाले कहते हैं भैया हमने कृपा 16:43 करके तुमको पावर दिया था 16:46 अब तुमने सदुपयोग किया दुरुपयोग किया ये 16:50 तुम्हारी अपने हाथ में  16:53 ऐसे ही भगवान ने कहा कि देखो हमने तुमको 16:58 कर्म करने की शक्ति दे दी 17:01 आंख को देखने की शक्ति कान को सुनने की 17:05 नासिका को सूंघने की अब तुम जो चाहे करो 17:10 चाहे सिनेमा हाल में बैठकर पिक्चर देखो 17:14 चाहे भगवान के मंदिर में जाकर श्री विग्रह 17:17 के दर्शन करो जगन्नाथ जी के जो भी करो भगवान 17:21 को दोष मत दो भगवान मुझे पिक्चर क्यों 17:24 दिखाता है 17:27 भगवान केवल देखने की शक्ति देता है उस 17:32 शक्ति का उपयोग वो आपके पास छोड़ता है 17:37 तो इसलिए भगवान तीन कार्य करता है पहला वह 17:41 हमें कर्म करने की शक्ति देता है दूसरा हम 17:46 जो कर्म करते हैं भगवान उसको नोट करता 17:50 तीसरा हमारे कर्म के अनुसार भगवान हमको फल 17:56 देता है अब जब फल आया तो हम कंप्लेंट करते 17:59 हैं भगवान ने मेरे साथ ऐसा क्यों किया  18:02 अरे भगवान को क्यों दोष देते हो भगवान ने 18:06 क्या किया और किसने किया  18:08 नहीं भगवान ने जो किया ये तो ऐसे है जैसे जज 18:13 ने किसी को सजा दी तुमने चोरी की थी 5 साल 18:17 के लिए jail जाओ, अब मुल्जिम कह रहा है कि जज बदमाश है  18:23 बदमाश जज नहीं जज केवल निर्णय दे रहा है 18:27 तो ऐसे ही भगवान ने हमारे कर्मों पर हमको 18:32 निर्णय दे दिया तो भगवान कराता है इसका गलत 18:39 अर्थ नहीं निकालना वो कर्म करने की शक्ति 18:43 देता है अतः अपने कर्मों के लिए हम स्वयं 18:48 जिम्मेदार हैं भगवान को अगर दोष देंगे तो 18:53 कभी अपना सुधार नहीं करेंगे Standby link (in case youtube link does not work):  मनुष्य को कर्म का फल क्यों भोगना पड़ता है कर्म - 2 Swami Mukundananda Hindi.mp4