कृष्ण प्राप्ति के लक्षण, Krishna Prapti ke lakshan by Indresh Upadhyay Ji Maharaj
https://www.youtube.com/watch?v=8u0_G-rqy9c
Main Points: 1 सबसे पहला,आपका हृदय, प्रेम और दया से अथाह भर गया हो मतलब, किसी सामान्य से स्थिति को देखकर के भी आपका चित्त दया से भर जाता हो, आपके नेत्र सजल हो जाते हों, समझ जाना आपको कृष्ण मिल गए अरे सामान्य सी गैया विचरण कर रही है आप सोचोगे अरे बेचारी कैसे घूम रही है, यह ऐसी भावना, सहज दया प्रकट होने लग जाए समझो कृष्ण मिल गए https://www.youtube.com/watch?v=8u0_G-rqy9c&t=30 2 दूसरा आपके चित्त में विकार उत्पन्न जल्दी नहीं होते हैं, सदैव शुद्ध भाव बने रहते हैं, जैसे कई लोग होते हैं उनके बहुत जल्दी विकार आ जाते हैं, किसी के सुंदर रूप को देख लिया तो काम प्रकट हो जाता है, किसी के अति धन को देख लिया तो लोभ प्रकट हो जाता है, किसी की व्यंजनों को देख लिया तो उसके प्रति आसक्ति प्रकट हो जाती है, कहीं पर व्यसन वस्तु देख ली तो उसके प्रति भोग दृष्टि प्रकट हो जाती, पर आपकी स्थिति कैसी ? आपके जल्दी विकार उत्पन्न नहीं होते, चित्त में कोई कितना भी रूपवान आपके सामने आ जाए पर आप उसके रूप को देख कर के यह विचार नहीं करते कि यह मेरा हो जाए, आप बल्कि उसके रूप को देख के यह विचार करते हो यह इतना सुंदर है तो इसको बनाने वाले ठाकुर जी कितने सुंदर होंगे, ऐसे लक्षण बहुत कम लोगों में मिलेंगे आपको पर जिन्हें मिल जाए समझ जाना इनको कृष्ण मिल गए हैं https://www.youtube.com/watch?v=8u0_G-rqy9c&t=108 3 तीसरा लक्षण कृष्ण प्राप्ति का क्या है, कोई आपको बोल दे, ऐसे मजाक में बोले, कि भोपाल में गंगा जी बह रही हैं, तो आप उस पर विचार नहीं करोगे, आप मान ही जाओगे, अच्छा आ गई होंगी पहले तो नहीं थी अब आ गई होंगी, इतना भोलापन चित में आ जाएगा, आप चतुराई भूल जाओगे, आप अत्यंत सहज हो जाओगे, अत्यंत भोले हो जाओगे, कोई आपको कह देगा कि आज सूर्य चंद्र एक दूसरे के गले में गल डाल कर के आकाश में बैठे हैं, तो आप इस बात को मान लोगे, आप उस पर चिंतन नहीं करोगे, अच्छा, होगा - ऐसा समझ जाओ कृष्ण मिल गए https://www.youtube.com/watch?v=8u0_G-rqy9c&t=200 4 चौथी बात कृष्ण प्राप्त होंगे, तो आपके अंदर स्थिति कैसी हो जाएगी व्रत करना, नियम करना, जल्दी उठना, कथा सुनना, कीर्तन करना, साधन करना, इनको आप नियम की तरह नहीं करोगे इनको आप सौभाग्य की तरह करोगे यह मेरा सौभाग्य है हमें कल आपको व्रत करना है पूरे दिन कुछ खाना नहीं है तो आप इससे विचलित नहीं होगे, आप और आनंदित हो जाओगे, जैसे बालक को कह दो कि कल हम तुझे मेला ले जाएंगे तो रात भर सोता नहीं बालक, उसको इतनी एक्साइटमेंट रहती है, ऐसी उत्सुकता व्रत के लिए, नियम के लिए, सेवा के लिए, कथा के लिए, कीर्तन के लिए, धाम गमन के लिए उत्पन्न हो जाएं, समझो कृष्ण प्राप्त हो गए https://www.youtube.com/watch?v=8u0_G-rqy9c&t=253 5 और पांचवा लक्षण, रेलवे स्टेशन हो, एयरपोर्ट हो, बस स्टैंड हो, पब्लिक प्लेस हो, मॉल हो, कहीं भी कोई तिलक धारी दिखाई दे जाए, कोई कंठी पहना हुआ दिखाई दे जाए, भले ही आप अपने ऑफिस के काम से हो, आप ऑफिशियल वेष भूषा में हो, लेकिन दिख जाए कि कोई वैष्णव (श्री कृष्ण के अनन्य भक्त) सामने आ गया, है तो चित्त में अत्यंत आह्लाद (आनंद, खुशी, हर्ष), परिचय नहीं है आपका उससे, जानते नहीं हो, उसको लेकिन उसके वैष्णव भाव को देखकर के आप अत्यंत आनंदित हो जाओ, अत्यंत सुख में भर जाओ, आपका मन हो कि मैं जाकर इसको प्रणाम करके आऊं, समझ जाओ आपको कृष्ण मिल गए https://www.youtube.com/watch?v=8u0_G-rqy9c&t=350 6 कृष्ण मिल जाने का मतलब कृष्ण कि वे संग रहेंगे ?, नहीं, मीरा भाई अकेली विचरण करती थी पर उनके हर पद में लिखा यही है, “मेरे तो गिरधर गोपाल” “मीरा के प्रभु गिरधर नागर”, मतलब प्रत्यक्ष का में दिखते नहीं है, पर उनके स्वभाव और उनके अनुभव और उनकी क्रिया से पता चलता है कि मीरा भाई के साथ कृष्ण हर दम हैं, ऐसे ही हमारा स्वभाव, हमारे लक्षण, हमारे गुण, हमारी चाल चलन, क्रिया, बताती है कि हमारे साथ कृष्ण हैं कि नहीं https://www.youtube.com/watch?v=8u0_G-rqy9c&t=416 7 और कृष्ण प्राप्ति की प्रथम सीढ़ी क्या है, नाम जप, नाम संकीर्तन, ठाकुर जी के नाम का निदिध्यासन (बार-बार मनन करना या स्मरण करना), स्मरण और निरंतर उसी का चिंतन, उसी से ही यह गति पकड़ेगी, पहला gear ही है नाम जप, और उसी नाम को ही श्रीमद् भागवत में कहा गया, “परम सत्य”, “सत्यम परम धीमहि”, हम ऐसे परम सत्य भगवान श्री कृष्ण के नाम को प्रणाम करते हैं, नमन करते हैं, वंदन करते हैंhttps://www.youtube.com/watch?v=8u0_G-rqy9c&t=484
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0:00 मुझे श्री कृष्ण मिल गए इसको आप किस भाव 0:03 से देखोगे कि मेरे संग कृष्ण बैठते होंगे 0:06 मेरे संग कृष्ण खाते होंगे मेरे संग कृष्ण 0:09 सोते होंगे मेरे संग कृष्ण डोलते होंगे 0:12 इसको आप समझोगे कि इनको कृष्ण मिल गए 0:18 नहीं सब लोग बिल्कुल सावधानी से 0:22 सुनिए कृष्ण प्राप्ति के लक्षण क्या हैं 0:30 सबसे 0:32 पहला आपका हृदय, प्रेम से अथाह भर गया हो 0:38 प्रेम से अथाह गया मतलब किसी सामान्य से 0:41 स्थिति को देखकर के भी आपका चित्त दया से 0:44 भर जाता हो आपके नेत्र सजल हो जाते हो समझ 0:47 जाना आपको कृष्ण मिल गए 0:49 हैं दूसरा लक्षण सुनो अब ताली नहीं बजाओ 0:53 सुनो 0:54 बस हमें पता है आप सुन रहे हो कई बार ताली 0:58 के चक्कर में क्या होता चार लोगों ने सुनी 1:01 उन्होने बजाई 4 हज उसी के चक्कर में बजा 1:03 देते 1:05 हैं कुछ अच्छा ही बोला होगा तभी तो सब बजा 1:08 रहे हैं ताली मत बजा आप बस कथा 1:12 सुनो और हमको ताली की बहुत इच्छा नहीं है 1:15 बस जब कीर्तन किया करें तब बजाया करो 1:21 आप सबसे पहला लक्षण कि आपको कृष्ण प्राप्त 1:24 हो गए हो तो आपके चित्त में अथाह दया हो 1:28 जाएगी 1:30 अरे सामान्य सी गैया विचरण कर रही है उस 1:34 सामान्य सी गैया को विचरण करते हुए आप 1:37 सोचोगे अरे बेचारी कैसे घूम रही है यह ऐसी 1:40 भावना सहज दया प्रकट होने लग जाए समझो 1:43 कृष्ण मिल गए 1:48 दूसरा आपके चित्त 1:51 में विकार उत्पन्न जल्दी नहीं होते 1:55 हैं सदैव शुद्ध भाव बने रहते हैं जैसे कई 1:58 लोग होते हैं उनके बहुत जल्दी विकार आ 2:01 जाते 2:01 हैं किसी के सुंदर रूप को देख लिया तो काम 2:05 प्रकट हो जाता है किसी के अति धन को देख 2:07 लिया तो लोभ प्रकट हो जाता है किसी की 2:11 व्यंजनों को देख लिया तो उसके प्रति 2:12 आसक्ति प्रकट हो जाती 2:15 है कहीं पर व्यसन वस्तु देख ली तो उसके 2:19 प्रति भोग दृष्टि प्रकट हो जाती समझ रहे 2:22 ना बात 2:23 को पर आपकी स्थिति 2:26 कैसी आपकी जल्दी जल्दी विकार उत्पन्न नहीं 2:30 होते चित्त 2:31 में कोई कितना भी रूपवान आपके सामने आ जाए 2:35 पर आप उसके रूप को देख कर के यह विचार 2:37 नहीं करते कि यह मेरा हो जाए आप बल्कि 2:40 उसके रूप को देख के यह विचार करते हो यह 2:42 इतना सुंदर है तो इसको बनाने वाले ठाकुर 2:44 जी कितने सुंदर 2:45 होंगे यह इतना रूपवान है बेचारे आदत हो गई 2:50 आपकी ताली बजाने 2:53 की मारी फिर रुक ग अरे हमको तो बजानी नहीं 2:58 थी कोई बात नहीं 3:01 पर 3:02 सुनो यह हम लक्षण बता रहे हैं ऐसे लक्षण 3:06 बहुत कम लोगों में मिलेंगे आपको पर जिनम 3:09 मिल जाए ना समझ जाना इनको कृष्ण मिल गए 3:12 हैं इनके चित्त में कृष्ण है इनके साथ 3:16 कृष्ण है इसीलिए इनका स्वभाव व्यवहार ऐसा 3:19 ही Continue 3:20 है तीसरा लक्षण कृष्ण प्राप्ति का क्या है 3:25 कोई आपको बोल दे ऐसे मजाक में बोले क्या 3:28 भोपाल में गंगा जी बह रही 3:31 है तो आप उस पर विचार नहीं करोगे आप मान 3:34 ही जाओगे अच्छा आ गई होंगी पहले तो नहीं 3:37 थी अब आ गई होंगी इतना भोलापन चित में आ 3:41 जाएगा आप चतुराई भूल 3:46 जाओगे आप अत्यंत सहज हो जाओगे अत्यंत 3:50 भोले हो जाओगे समझ जाओ कृष्ण मिल 3:55 गए कोई आपको कह देगा कि आज सूर्य चंद्र एक 3:58 दूसरे के गले में गल डाल कर के आकाश में 4:00 बैठे तो आप मान लोगे इस बात को आप उस पर 4:03 चिंतन नहीं करोगे अच्छा होगा ऐसा समझ जाओ 4:06 कृष्ण मिल 4:13 गए चौथी बात कृष्ण प्राप्त होंगे तो आपके 4:17 अंदर स्थिति कैसी हो 4:20 जाएगी व्रत करना नियम करना जल्दी 4:26 उठना कथा सुनना कीर्तन करना साधन करना 4:31 इनको आप नियम की तरह नहीं करोगे इनको आप 4:34 सौभाग्य की तरह करोगे यह मेरा सौभाग्य है 4:38 कोई आपसे रात्रि 11:00 बजे बोले कि कल 4:40 सुबह 3:00 बजे उठना है तो आप आना काने अरे 4:42 राम राम नींद पूरी नहीं होने दे रहे हैं 4:44 मेरी क्या करें ये 3:00 बजे उठना है तो आप 4:47 उसके लिए इतने सौभाग्यशाली मानोगे अपने आप 4:49 अरे 3:00 बजे उठना है ठीक है सुबह तो 3:00 4:52 बजे उठेंगे हम कल आपको व्रत करना है पूरे 4:55 दिन कुछ खाना नहीं है तो आप इससे विचलित 4:57 नहीं होगे आप और आनंदित हो जाओगे अच्छा 5:00 मुझे व्रत करना 5:02 है जैसे कई लोग एकादशी का नियम ले लेते 5:05 हैं कि हमको एकादशी करनी है तो जैसे 5:07 एकादशी आने वाली हो दशमी को इतना खा लेते 5:10 हैं कि कल तो भूखा रहना है 5:13 हमको पर कृष्ण जिसके चित् में आ जाते हैं 5:17 वो व्रत को नियम की तरह नहीं सौभाग्य की 5:20 तरह करता है उत्सुकता की तरह करता 5:24 है जैसे बालक को कह दो कल हम तुझे मेला ले 5:27 जाएंगे तो रात भर सोता नहीं बालक 5:30 उसको इतनी एक्साइटमेंट रहती है इतना 5:32 प्रसन्न रहता कल मेला में जाऊंगा ऐसा ऐसी 5:35 उत्सुकता व्रत के लिए नियम के लिए सेवा के 5:39 लिए कथा के लिए कीर्तन के लिए धाम गमन के 5:42 लिए उत्पन्न हो जाए समझो कृष्ण प्राप्त हो गए 5:50 और पांचवा 5:56 लक्षण रेलवे स्टेशन हो एयरपोर्ट हो बस 6:00 स्टैंड 6:01 हो पब्लिक प्लेस हो मॉल 6:05 हो कहीं 6:07 भी कोई तिलक धारी दिखाई दे जाए कोई कंठी 6:12 पहना हुआ दिखाई दे जाए भले ही आप अपने 6:15 ऑफिस के काम से हो आप ऑफिशियल वेष भूषा 6:18 में हो लेकिन दिख जाए कि कोई वैष्णव सामने 6:22 आ गया 6:23 है तो चित्त में अत्यंत आह्लाद (आनंद, खुशी, हर्ष), परिचय नहीं 6:27 है आपका उससे 6:29 जानते नहीं हो उसको लेकिन उसके वैष्णव भाव 6:33 को देखकर के आप अत्यंत आनंदित हो जाओ 6:35 अत्यंत सुख में भर 6:40 जाओ आपका मन हो कि मैं जाकर इसको प्रणाम 6:43 करके आऊं समझ जाओ आपको कृष्ण मिल 6:51 गए यह कुछ लक्षण है कृष्ण प्राप्ति 6:56 के कृष्ण मिल जाने का मतलब कृष्ण संग 6:59 रहेंगे 7:00 नहीं मीरा भाई अकेली विचरण करती थी पर 7:04 उनके हर पद में लिख यही है मेरे तो गिरधर 7:07 गोपाल मीरा के प्रभु गिरधर नागर 7:11 मतलब प्रत्यक्ष का में दिखते नहीं है पर 7:14 उनके स्वभाव और उनके अनुभव और उनकी क्रिया 7:17 से पता चलता है कि मीरा भाई के साथ कृष्ण 7:19 हर दम 7:22 हैं ऐसे ही हमारा स्वभाव हमारे लक्षण हमारे 7:26 गुण हमारी चाल चलन क्रिया बताती है कि 7:29 हमारे साथ कृष्ण हैं कि 7:36 नहीं इसलिए 7:42 भैया कृष्ण प्राप्ति का मतलब प्रत्यक्ष 7:45 श्री कृष्ण संग रहे नहीं आपके स्वभाव में 7:50 आपके गुण में आपके व्यवहार में आपके 7:52 विचारधारा में परिवर्तन इस प्रकार का हो 7:55 जो हमने बताया समझो कृष्ण प्राप्त हो गए 8:04 और कृष्ण प्राप्ति की प्रथम सीढ़ी क्या 8:08 है नाम 8:10 जप नाम 8:13 संकीर्तन ठाकुर जी के नाम का निदिध्यासन (बार-बार मनन करना या स्मरण करना), स्मरण 8:17 और निरंतर उसी का चिंतन उसी से ही यह गति 8:22 पकड़ेगी पहला gear ही है नाम 8:26 जप और उसी नाम को ही श्रीमद् भागवत में 8:30 कहा गया परम सत्य, सत्यम परम धीमहि हम ऐसे 8:36 परम सत्य भगवान श्री कृष्ण के नाम को 8:39 प्रणाम करते हैं नमन करते हैं वंदन करते 8:43 हैं