श्याम अचानक आए गए ~श्री सूरदास जी भजन रचना by Hit Ambrish ji
श्याम अचानक आए गए ~श्री सूरदास जी भजन रचना| https://www.youtube.com/watch?v=yETtJq6a-rg Full Text: 1 0 “श्याम अचानक आए गए री” इन संतों के पास बैठने से ये भी खबर पड़ती है कि भगवान अचानक ही आते हैं, गोपी कहती है कि वृद्ध जैन गुरु जन बैठे हैं, कहने का एक तात्पर्य है मेरा मन संसार के किसी व्यवहार में लगा है और श्याम अचानक आ गए https://www.youtube.com/watch?v=yETtJq6a-rg&t=0 2 1:09 अच्छा वैसे भी सूचना देकर तो कोई अतिथि आता है अतिथि के साथ तो एक औपचारिक संबंध होता है भगवान तो जन्म जन्म से अपने हैं “मैं बैठी गुरु जन विच सजनी देखत ही मेरे नैन नऐ” (अर्थात झुक गए) Since I was sitting among my gurus & elderly persons, I saw Lord who had come but my eyes were lowered out of shyness https://www.youtube.com/watch?v=yETtJq6a-rg&t=69 3 2:19 सूरदास जी ने इस एक भाव में सृष्टि के समस्त भावों का सौंदर्य उड़ेल दिया है गुरु जन वृद्ध जन बैठे हैं कैसे प्रभु की ओर प्रभु के मुख चंद्र की ओर निहारूं https://www.youtube.com/watch?v=yETtJq6a-rg&t=139 4 3:08 तब एक बुद्धि करी मैं ऐसी बिंदी सौं कर परस कियो री https://www.youtube.com/watch?v=yETtJq6a-rg&t=188 5 3:46 कुछ समझे ? यानी मैंने अपनी बिंदी ठीक करने के बहाने से प्रभु को प्रणाम निवेदन कर दिया Then I thought of a solution that I offered my pranam to God (who had personally come to give darshan to me) by way of adjusting my bindi (tilak) on my forehead https://www.youtube.com/watch?v=yETtJq6a-rg&t=226 6 4:46 प्रेम की पाठशाला अलग है, प्रेम की पुस्तक भी अलग है प्रेम का पाठ भी अलग है और कहने वाले कहते हैं ये वो नगमा है जो हर साज पे गया नहीं जाता उसके पढ़ने वाले भी अलग होते हैं https://www.youtube.com/watch?v=yETtJq6a-rg&t=286 7 5 12 भगवान ने मेरा प्रणाम कैसे स्वीकार किया “आप हंसे उत पाग मसक करी, अंतर्यामी जान लिओ री” यानी लाल जी ने थोड़ी पगिया ठीक करके मेरे प्रणाम को स्वीकार कर लिया Lord also signalled quietly to me by smiling & adjusted His turban & thus He recognized my intent as He is all knowing sitting in hearts of everyone https://www.youtube.com/watch?v=yETtJq6a-rg&t=312 8 6:0 ऐसी होती है भक्त और भगवान के बीच में वार्ता ऐसे होता है गोपी और कृष्ण का संवाद https://www.youtube.com/watch?v=yETtJq6a-rg&t=360 9 6:12 नूपुर (घुँघरू) दाब चलूं मेरी सजनी होई ना जी पग शोर Let me go to Lord with very soft feet, so that my घुँघरू does not make any noise as noise will disturb Lord सेवा में प्रभु की निकट रहने की एक बड़ी सुंदर गरिमा है आचार्यों ने उस गौरव और उस गरिमा को जीवंत (enliven) किया है अपनी सेवा की परिपाटी (tradition) में https://www.youtube.com/watch?v=yETtJq6a-rg&t=372 10 6:28 “नूपुर दाब चलूं मेरी सजनी होई ना जी पग शोर” किसकी सेवा में हैं, आपके इष्ट का आपके आराध्य का स्वरूप कैसा है You have to serve Lord who does not like noise – so I have to act to please Him & not to disturb Him हमारी श्री किशोरी जी के लिए ध्रुव दास जी कहते हैं “काजर की रेख और जहां पानन की पीक भारी और सुकुमार ताई कैसे के बिचारिये” Shri Radhe (& Krishna) are so soft that even kajal in eyes & spit (पीक) after eating “paan” seems heavy burden on them, so we have to be extra careful in serving Them. https://www.youtube.com/watch?v=yETtJq6a-rg&t=388 11 6:49 आपके इष्ट का स्वरूप और स्वभाव कैसा है अपने इष्ट के स्वरूप के अनुकूल और स्वभाव के अनुरूप हो कर ही सेवा में आया जाता है You have to serve the Lord only according to what He likes https://www.youtube.com/watch?v=yETtJq6a-rg&t=409 12 6:58 इसीलिए तो हमारे रसिक संत कहते हैं कि श्रीजी के सेवा में जाने से पहले “तिए के तन को भाव धरी सेवा हित श्रृंगार और जुगल महल की टहल (सेवा) को तब पावे अधिकार” You have to clean up & decorate yourself properly with etiquette before doing seva to Lord. Listen to the following link for this: https://www.youtube.com/watch?v=DGnxVzZX6E0&t=418 13 7:12 पहले अपना श्रृंगार करके फिर श्री ठाकुर जी की निकट जाया जाता है और उसी सुकुमारता (softness) से, उसी सुंदरता (beauty) से, उसी सरस्ता (full of pleasure) से, उसी सरलता (simplicity) से, उसी निर्मलता (purity) से और उसी चतुरता (cleverness) से, उसी सुजानता (भद्रता, sociability, gentlemanliness) से, उसी नागरिकता (smartness) से नागर शिरोमणि की सेवा की जाती है नागर= smart/ clever, शिरोमणि = most (God is the Most Smart) https://www.youtube.com/watch?v=yETtJq6a-rg&t=432 14 7:37 वैसे तो भोर से सांझ अष्ट-याम श्री गोवर्धन नाथ को दुलराने वाले आप सनमुख बैठे हैं पर मैं तो आप आपका दर्शन करके यह कह पा रहा हूं ऐसी होती है दो प्रेमियों की वार्ता https://www.youtube.com/watch?v=yETtJq6a-rg&t=457 15 8:55 अगली वार्ता थोड़ी निजी है पर सूरदास जी का रहे हैं सो मैं भी कह देता हूं जैसे गोपी को थोड़ा संकोच होता है ना, गुरुजनों के मध्य में कैसे देखूं प्रभु की ओर ऐसे गुरुजनों के मध्य में मुझे भी थोड़ा संकोच है पर सूरदास जी कह रहे हैं उनकी बात का अनुगमन करते-करते में चलता हूं https://www.youtube.com/watch?v=yETtJq6a-rg&t=535 16 9:20 “लेकर कमल अधर पर सांवरो देखे हर्षी पुनी हृदय धरयो री” God touched the lotus flower on His lips (अधर) & smilingly (हर्षी) touched it to His heart https://www.youtube.com/watch?v=yETtJq6a-rg&t=560 17 10:06 ब्रह्मा जी की उत्पत्ति (born) कमल से हुई ऐसे ही विद्वान लोग अपनी अपनी दृष्टि से अर्थ लगाते हैं कमल अर्थात जो निर्मल है जो विकार से उत्पन्न हुआ है पर निर्मल है, जो निर्लिप्त है, उस पर जल की बूंद ठहरती नहीं https://www.youtube.com/watch?v=yETtJq6a-rg&t=606 18 10:28 इस संसार में कोई निर्लिप्त (detached) भाव है तो वह है प्रेम बाकी प्रत्येक भाव पर विषय का कीचड़ चढ़ जाता है, मगर प्रेम पर नहीं चढ़ता, प्रेम निर्लिप्त है और श्री लाल जी को विशेष प्रिय है वो कमल नयन हैं उनके कर कमल हैं, उनके चरण कमल हैं कमल से उपमा दी जाती है कमल विशेष प्रिय है क्योंकि निर्लिप्त है जैसे मयूर पिच्च धारण करते हैं अपने मस्तक पर उसका एक विशेष कारण है ऐसे कमल से क्यों उपमा दी जाती है कमल का सबसे अद्भुत गुण क्या है कि वो कीचड़ में रहकर भी निर्लिप्त है https://www.youtube.com/watch?v=yETtJq6a-rg&t=628 19 11:08 ऐसे प्रेम कहीं भी रहे पर वो निर्लिप्त है विशुद्ध है बुध्ध है पवित्र है पावन है https://www.youtube.com/watch?v=yETtJq6a-rg&t=668 20 11:17 तो कैसे चतुर (cleaver, smart) सुजान (gentle Man) है लालजी उस कमल पुष्प का स्पर्श किया और फिर हंसते हुए उसे अपने हृदय से लगा लिया अर्थात मुझे यह बता दिया कि तेरे प्रेम को मैं प्रेम से स्वीकार करके अपने हृदय में धारण करता हूं कमल प्रेम का प्रतीक है https://www.youtube.com/watch?v=yETtJq6a-rg&t=677 21 12:21 चरण छुए दो नैन लगाए मैं अपने भुज अंक भरयो री I touched Lord’s feet with my eyes gaze & I had to sit with my arms (भुज) rested on my knees (अंक) (as out of shyness in presence of my gurus & elders, I could not rush to meet God who was standing right in our room) https://www.youtube.com/watch?v=yETtJq6a-rg&t=741 22 12:48 अच्छा गोपी भी कम चतुर नहीं है और जब श्री लाल जी ने उस कमल पुष्प को हाथ में लेकर अपने अधरों से स्पर्श किया और हृदय से लगाया तो गोपी कहती है गुरुजनों के मध्य बैठी मैं क्या उत्तर दूं https://www.youtube.com/watch?v=yETtJq6a-rg&t=768 23 15:29 “तब एक बुद्धि करी मैं ऐसी बिंदी सौं कर परस कियो री” यानी मैंने अपनी बिंदी ठीक करने के बहाने से प्रभु को प्रणाम निवेदन कर दिया https://www.youtube.com/watch?v=yETtJq6a-rg&t=929 24 15:57 “आप हंसे उत पाग मसक करी, अंतर्यामी जान लिओ री” लाल जी ने थोड़ी पगिया ठीक करके मेरे प्रणाम को स्वीकार कर लिया https://www.youtube.com/watch?v=yETtJq6a-rg&t=957
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