Sunday, July 4, 2021

उद्धव प्रसंग - श्रीमद्भागवत का सबसे मार्मिक प्रसंग || देवी चित्रलेखा जी

 



उद्धव प्रसंग - श्रीमद्भागवत का सबसे मार्मिक प्रसंग || देवी चित्रलेखा जी 

https://www.youtube.com/watch?v=-dL4NXUEX3k


0 मथुरा में सब कार्य संपन्न करते हुए भी श्रीकृष्ण के चेहरे पे एक उदासी सी बनी हुई है - कारण ब्रिज का प्रेम - मथुरा में किसी ऐश्वर्य की कमी नहीं है - प्रणाम बहुत करने वाले बहुत हैं मगर गले लगाने वाला कोई नहीं

https://youtu.be/-dL4NXUEX3k&t=0

0.54 माँ देवकी खाने का थाल परोस के लाई श्री कृषण के सामने, उन्होंने खाने को देखा और आपने आंसू छुपाने के लिए ऊपर छत पर चले गए

https://youtu.be/-dL4NXUEX3k&t=54

 

3.24 उद्धव ऊपर आए, श्रीकृष्ण ने कहा वो खाने की थाल में माखन देखकर मुझे ब्रिज की स्मृति हो आई, मेरी मैया यशोदा पूरी रात नींद नहीं आती थी कि सुबह उठके कान्हा माखन मांगेगा, हे उद्धव, ये प्रेम का पाठ तुझे कैसे समझाऊँ, "मोहे ब्रिज बिसरत नाहीं" (I can never forget Brij),  मुझे याद आती है उस गाय के बछड़े की जो रोते रोते पूछ रहा था हे कृष्ण तुम वापस कब आओगे, सारा ब्रज बोलता था कि तुम्हारे बिना हम निष्प्राण हैं, कैसे सांस लेंगे हम

https://youtu.be/-dL4NXUEX3k&t=204

 

5.26 मेरे एक समय के भोजन न करने पर यशोदा पूरे ब्रिज के वैदों को बुला लेती थी कि क्या हो गया है मेरे कन्हैया को, सारी रात माँ जागती थी

https://youtu.be/-dL4NXUEX3k&t=326

 

5.45 हर सांस के साथ मुझे ब्रिज की या बहुत याद आती है, किंतु ये मजबूरियां ये कर्तव्य मुझे यहाँ से जाने नहीं देते, उद्धव तुम मेरा एक काम करो "तुम ब्रिज चले जाओ", बड़े से बड़ा वेदज्ञ, नारद मुनि, ब्रह्मा, शंकर सब गोपियों के पद की रज मांगते हैं, मेरा पितांबर ले जाओ, मुरली ले जाओ, मोर मुकुट ले जाओ और ये गले की माला बृज वासियों को दिखाने के लिए, इन्हें जा करके राधा को सुंघा देना, दिखा देना, वो यमुना के किसी घाट पर बेहोश पड़ी होंगी, उन्हें होश में लाना आसान नहीं है, जब ये माल के फूलों की खुशबू सूंघेगी तब उसे होश आएगा कि हाँ श्री कृष्ण आए  

https://youtu.be/-dL4NXUEX3k&t=345

 

9.06 उद्धव यशोदा मैया से मिले, मैया कान्हा के तकिये को लोरी सुनाती रहती है, कान्हा सो जा, तू कल भी नहीं सोया, पूरे ब्रज का यही हाल था सब कृष्ण को स्मरण ही करते रहते हैं फोटो लें शशी फोटो लें

https://youtu.be/-dL4NXUEX3k&t=546  

 

10.23 गोपियों से मिले उद्धव, गोपियाँ बावरीं बनके यमुना किनारे डूबी थी कृष्ण प्रेम में, एक गोपी लिख रही थी 1+1=1, उद्धव ने कहा 1+1=2 मगर गोपी ने कहा कि जब प्रेमी और प्रियतम मिल जाते हैं तो एक ही हो जाते हैं, "जब "मैं" (ego) था, तो प्रभु नहीं और जब प्रभु थे तो "मैं" नहीं, प्रेम गली अति सांकरी (too narrow) इसमें दो ना समाए", राधा भ्रमर (black betel, भँवरा) गीत गा रही थी, जहाँ काला रंग देखा तो कृष्ण की याद आ गई, सब गोपियों का एक ही प्रश्न कि कह के गए थे कि "परसों" (day after tomorrow) आयेंगे मगर बरसों हो गए नहीं आये

भ्रमर गीत available at:

https://tinyurl.com/22xyejgg

https://youtu.be/-dL4NXUEX3k&t=623

 

11.56 उद्धव की बुद्धि सबका इतना अपार प्रेम देखकर चकरा गई, "उद्धव सूधो हो गयो, सुन गोपिन के बोल", (सूधो = compelled to yield that love is greater than any wisdom) - ज्ञानी उद्धव प्रेमी उद्धव बन गए ब्रज में आ के

https://youtu.be/-dL4NXUEX3k&t=716


12.13 छह महीने उद्धव ब्रिज में रहे, जब कृष्ण से मिले, तो बोला आप ब्रिज में जाओ वहाँ वो खाते तुम्हारे लिए हैं, सोते तुम्हारे लिए हैं, वो जिंदा इसलिए हैं कि किसी दिन कन्हैया आ गया और माखन मांगा तो ? कृष्ण ने कहा उद्धव जो तू ने देखा ये मेरी बाह्य (external) लीला है अब तू मेरी आंतरिक (internal) लीला देख, जब आंख बंद की तो उद्धव ने देखा - यशोदा के पास तकिया नहीं स्वयं श्री कृषण लेटे हुए हैं, गोपियों के पास कृष्ण खड़े थे, श्रीकृष्ण ने कहा कि मैं दुनिया छोड़ सकता हूँ मैं अपने ब्रिज को नहीं छोड़ सकता, ब्रिज में नित्य लीला आज भी होती है

https://youtu.be/-dL4NXUEX3k&t=733

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उद्धव प्रसंग - श्रीमद्भागवत का सबसे मार्मिक प्रसंग देवी चित्रलेखा जी.mp4

 


Saturday, July 3, 2021

"प्रेम की पीड़ा " आंखे नम कर देने वाला विरह भाव देवी चित्रलेखा जी

 




"प्रेम की पीड़ा", आंखे नम कर देने वाला विरह भाव देवी चित्रलेखा जी

https://www.youtube.com/watch?v=4AE9PLOR5E8

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प्रेम की पीड़ा आंखे नम कर देने वाला विरह भाव

जब उद्धव (श्री कृष्ण के मित्र) ब्रिज में आए और सबसे पूछा कि आप क्या काम करते हो सबका एक ही उत्तर था की बस श्री कृष्ण को याद करते हैं

https://youtu.be/4AE9PLOR5E8&t=0

 

ब्रिज में एक और प्रेम धारा बहती है उसका नाम है श्री राधा और धन्य है श्री राधा जिनके पांव श्रीकृष्ण सहलाते हैं

https://youtu.be/4AE9PLOR5E8?t=45

 

जब श्री कृष्ण ब्रज को छोड़ मथुरा की तरफ जा रहे थे, सारी गोपियां श्री कृष्ण के रथ के सामने लेट जाती है और बोलीं हे कृष्ण हमारी सांस हमसे छीन ली जाएं तो हमारी क्या दशा होगी, कृष्ण से दूर मतलब प्राणों से दूर

https://youtu.be/4AE9PLOR5E8?t=95

 

गोपियों का प्रेमी दिल कह रहा था की ये अंतिम बार है जो श्री कृष्ण के दर्शन कर पा रही हैं

https://youtu.be/4AE9PLOR5E8?t=164  

 

श्रीकृष्ण ने गोपियों से पूछा राधा किधर है ?

https://youtu.be/4AE9PLOR5E8?t=193

 

श्रीकृष्ण ने राधा को कहा कोई जाने न जाने पर तुम तो जानती हो मेरे अवतार का उद्देश्य, क्या दूर हो जाने से प्रेम कम हो जाता है ? क्या राधा श्रीकृष्ण से अलग हो सकती है ?

https://youtu.be/4AE9PLOR5E8?t=267

 

श्रीकृष्ण ने कहा राधा को कहा कि मैं ब्रिज छोड़कर जा रहा हूँ, सिर्फ और सिर्फ तेरे भरोसे, मैं जानता हूँ कि इस ब्रिज को केवल तुम संभाल सकती हो, और मुझे वायदा करो की अपनी आंख से अश्रु (tears) नहीं गिरने दोगी

https://youtu.be/4AE9PLOR5E8?t=305  

 

किसी ने पूछा कि श्री राधा कौन है कहा कि जिसका रोम रोम कृष्ण के प्रेम से बना हो, वो दिखती एक कन्या सी हैं मगर वो कृष्ण का साक्षात प्रेम रूप हैं, प्रेम ने एक आकार धारण कर लिया है और उसी आकार का नाम राधा है, ये प्रेम की परिभाषा है कि यहाँ राधा कृष्ण को याद करती है और वहाँ द्वारका में कृष्ण के आंसू निकलने लगते हैं, इस प्रेम को संकीर्ण (narrow minded) मत समझिएगा, ये पुरुष नारी का प्रेम नहीं है

https://youtu.be/4AE9PLOR5E8?t=416

 

भरोसा बहुत प्रिय शब्द है, बृजवासियों को भरोसा था, यानी पूर्ण विश्वास था, कि श्रीकृष्ण वापिस आयेंगे क्योंकि वो कह के गए हैं , भले वो आएं  या ना आएं   

https://youtu.be/4AE9PLOR5E8?t=534

 

श्री कृष्ण तो वापिस ब्रिज नहीं आए, उन्होंने अपने मित्र उद्धव को भेजा बृज वासियों को समझाने के लिए मगर यहाँ कोई समझने के लिए तैयार ही नहीं था

https://youtu.be/4AE9PLOR5E8?t=585

 

श्री कृष्ण ने सोचा मैं भी तो जानूं कि क्या होता है राधा का प्रेम, क्योंकि श्री कृष्ण के पास भी राधा जैसा हृदय नहीं है, श्री कृष्ण ने सोचा मुझे भी जानना है कि कैसी होती है प्रेम की पीड़ा, इसलिए श्री राधा का हृदय लेकर श्री कृष्ण प्रकट हुए बंगाल में, श्री चैतन्य महाप्रभु के रूप में

https://youtu.be/4AE9PLOR5E8?t=624

 

श्री चैतन्य महाप्रभु के चारो तरफ लोगों को बिठाना पड़ता था की वहाँ पर कोई कृष्ण का नाम नहीं ले, क्योंकि कृष्ण का नाम सुनते ही, चैतन्य महाप्रभु का शरीर कांपने लगता था और धरा पर मूर्छित हो कर गिर जाते थे

https://youtu.be/4AE9PLOR5E8?t=725

 

और समस्त जगत में श्री चैतन्य महाप्रभु ने प्रेम का प्रचार प्रसार किया

https://youtu.be/4AE9PLOR5E8?t=763


Friday, July 2, 2021

मानव देह का महत्व एवं सदुपयोग || जीव का लक्ष ||Goal of Life || Jagadguru Shri Kripalu Ji Maharaj - Full Transcript Text


 


मानव देह का महत्व एवं सदुपयोग || जीव का लक्ष ||Goal of Life || Jagadguru Shri Kripalu Ji Maharaj  

https://youtu.be/Tgsk5DYOGns

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मानव देह का महत्व एवं सदुपयोग जीव का लक्ष Goal of Life

0.26 हमारा शरीर मनुष्य का है और यह 84 लाख योनि के शरीरों में सर्वश्रेष्ठ माना गया है

1.15 विदेह (one who has transcended body awareness) निमि (the then king)  ने कहा 9 योगीश्वरों से  कि ये मानव देह दुर्लभ है लेकिन क्षणभंगुर भी है, यानी अमूल्य होने का इतना बड़ा गुण भी है और क्षणभंगुर का इतना बड़ा दोष भी है, 1 second का भरोसा नहीं

1.46 और बड़ा भाग्यवान है जिसको मनुष्य जीवन मिल जाए और भी बढ़ भागी (most fortunate) है अगर संत मिल जाए इसके आगे कोई भाग्य नहीं होता (there is nothing more fortunate than this combination of a human birth & getting a saint in lfe)

2.21 यह मनुष्य जीवन इतना दुर्लभ है कि देवता लोग भी प्रार्थना करते हैं भगवान से, कि एक बार हमें मानव देह दे दीजिए, हमने गलती की कि हमने आपकी भक्ति नहीं की, हमने कर्म धर्म का पालन किया, उसकी वजह से स्वर्ग मिला

2.46 यह हमारे अच्छे संचित कर्मों और भगवान की कृपा दोनों मिलाकर मिलता है मनुष्य जीवन, लोग सोचते हैं चलो फिर मिल जाएगा मानव देह, ऐसा नहीं है कि आप लापरवाही करते रहो और मनुष्य जीवन मिलता रहे

3.15 यदि हरि और गुरु में मन लगा है तो मानव देह पक्का मिलेगा और किसी महापुरुष के घर में जन्म होगा कि पैदा होते ही आपको हों भगवान का वातावरण मिले

3.40 मगर यदि पाप कर्म अधिक है तो मनुष्य जन्म तो मिलेगा मगर किसी शराबी, कबाबी, नास्तिक के घर में जन्म होगा और उसके संग द्वारा आप पाप करते जाएंगे और परिणाम फिर 84,00,000 योनियों में घूमेंगे

4.0 यह बड़ा लंबा चौड़ा बही खाते का हिसाब है, कोई महापुरुष भी किसी व्यक्ति के बारे में इसके बारे में नहीं बता सकता, यह तो केवल भगवान हिसाब रखते हैं और वही कर्म का फल देते हैं

4.20 हमें तो संक्षेप में यही समझना है कि जहां तक हो सके अपने मन को हरि गुरु में लगाते रहे इसलिए भी कि अगला क्षण मिले ना मिले


Thursday, July 1, 2021

OPPORTUNITY COST IS 84 LAKH YONIS ,i.e., ALMOST INFINITE - मनुष्य जन्म बड़े भाग्य से मिलता है || 99% लोग ये जानते ही नहीं || Shri Kripalu Ji Maharaj - Full Transcript Text

 


OPPORTUNITY COST IS 84 LAKH YONIS ,i.e., ALMOST INFINITE ,i.e., if you do not utilise this opportunity of a human birth to go back to Godhead, you could be rotating in all the 84 LAKH YONIS before getting a chance to be born as a human being again  - मनुष्य जन्म बड़े भाग्य से मिलता है || 99% लोग ये जानते ही नहीं || Shri Kripalu Ji Maharaj

https://youtu.be/0apniS0EKPs (video unavailable) 

BUT 

https://www.youtube.com/shorts/Bb6l_FXGHWg

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मनुष्य जन्म बड़े भाग्य से मिलता है 99% लोग ये जानते ही नहीं

0.27 मानव देह पाकर यदि प्रेमानंद नहीं पाया तो 84,00,000 में घूमना पड़ेगा

1.10 कभी दया करके भगवान मानव देह देते हैं, रामायण में लिखते हैं कि भगवान कृपा करके देते हैं मनुष्य जीवन और एक तरफ यह भी लिखा है कि बड़ा सौभाग्य से प्राप्त होता है मनुष्य जीवन, दोनों ही बातें हैं : कर्म भी अच्छे हो और भगवान की कृपा भी हो क्योंकि कर्म तो जड़ है (अपने आप से तो कर्म कुछ कर नहीं सकता)

2.25 भगवान को परिश्रम करना पड़ा ना तुम्हें मानव देह देने के लिए, इसीलिए ये भगवान की कृपा है, तुमने कौन सी तनख्वाह दी है भगवान को

2 46 कर्म भी अपने अच्छे होने चाहिए क्योंकि यदि भगवान सब पर ही कृपा कर दें तो फिर जितने पशु, पक्षी, कीट, पतंग हैं, सभी मनुष्य बन जाएं, इतने मनुष्यहो जाएंगे कि पानी भी नहीं मिलेगा पीने को 

3 20 मनुष्य का शरीर दुर्लभ है मगर इसका सबसे बड़ा दोष यह है कि यह क्षणभंगुर (can lapse at any moment) है, हां हां समझ गए, तो करेंगे ? हाँ करेंगे, नहीं नहीं - अभी से कर भक्ती

3 50 एक क्षण की भी guarantee है यमराज के यहां से ?  देख रहे हो ना, वो जन्म लेते ही मर गया, वो IAS करके आ रहा था, accident में मर गया, तुम अपने को अमर क्यों समझ रहे हो ?

4 22 युधिष्ठिर और यक्ष (a demi angelic (अर्ध देव) person) की कथा, यक्ष ने सवाल पूछा, कि सबसे बड़ा आश्चर्य क्या है, युधिष्ठिर ने कहा कि सब लोग चारों तरफ देख रहे हैं कि सब मर रहे हैं, मगर अपने आप को कोई नहीं समझता कि हम भी मरेंगे, किसी भी क्षण  

6 50 राम नाम सत्य है केवल मरने पर बोलते हैं, जीते जी नहीं बोलते ? कितनी विडंबना (tragedy) है, यह है ज्ञान हमारा

7 50 दुकान पर पूजा का सामान खरीदने जाएंगे तो सबसे सस्ता घटिया वाला लेंगे, हमारी भावना कितनी दूषित है

8 53 वेद कह रहे हैं, हे मनुष्य ! मनुष्य जीवन का लाभ उठा लो, यह करोड़ों जन्म के बाद मिला है आपको, भगवान श्रीकृष्ण के शरणागत हो जाओ, अपना कल्याण कर लो

9.54 हे मनुष्यो, श्री कृष्ण की भक्ति करके अपना जीवन का लक्ष्य प्राप्त कर लो, नहीं तो करोड़ों बार 84,00,000 में घूमना पड़ेगा, फिर कभी मानव देह मिलेगा, मगर फिर आप कहोगे "कर लेंगे"

10 20 पहले तो 99% लोग जानते ही नहीं कि करना क्या है जीवन में मनुष्य जीवन पाके,  और जो जान गए हैं, वह कहते हैं "कर लेंगें" उधार कर लेते हैं,  retire होकर करेंगे, और यदि  पहले मर गए तो, फिर कुछ नहीं !

10 55 हम लोगों ने उधार करते करते अनंत जन्म बिता दिए


Wednesday, June 30, 2021

मरने के बाद का सच आपकी आँखें खोल देगा| What happens after death? Kripaluji Maharaj Pravachan - Full Transcript Text

 



मरने के बाद का सच आपकी आँखें खोल देगा| What happens after death? Kripaluji Maharaj Pravachan

https://youtu.be/Kwh1ojfH2rU

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मरने के बाद का सच आपकी आँखें खोल देगा What happens after death Kripaluji Maharaj Pravachan.mp4

0 तीन अलग अलग शलोक से confirm होता है कि लोग मरने के बाद, जो स्मरण अंत में किया जाए वही शरीर मिलेगा

0.45 + 3.30 मरने के समय जो मेरा स्मरण करेगा, मेरे लोक में आएगा, यानी जिसका मन मेरे में होगा वही मेरे पास आएगा

2.17  चार तरह के भाव हैं : दिव्य (भगवान और गुरु के बारे में) और सतो (देवताओं का),  रजो (मनुष्यों का), तमो (राक्षसों का) (माइक यनि माया से बने हुए) - मरने के समय जो जिस भाव में होगा, वैसा ही शरीर मिलेगा उसे अगले जन्म में 

4.20 जन्म और मृत्यु के समय बहुत कष्ट होता है जीव के शरीर को, इतनी पीड़ा कि सही नहीं जाती, इसलिए पहले मूर्छा (unconsciousness) होती है

6.30 कोई महापुरुष जिसने भगवत प्राप्ति कर ली है उसको कष्ट नहीं होता शरीर छोड़ते हुए अपनी इच्छा से, वही गो लोक जाता है

7.10 मृत्यु से पहले मूर्छा आती है इतना दर्द होता है, मृत्यु और जन्म के समय, अब कोई दर्द से मूर्छित हो गया तो उसका मन स्मरण क्या करेगा

8.27,11.30 अजामिल ने अपनी मृत्यु के समय, जब उन्होंने विष्णु दूतों और यमराज के दूतों की बहस सुनी,  वैराग्य हो गया, सोचा कि पूरा जीवन मैंने संसार के प्रपंचों (useless & worthless intricacies) में व्यर्थ बिता दिया, हरिद्वार जाकर एक वर्ष तक भक्ति की कृष्णा की और फिर भागवत प्राप्ति हुई

12.45 बिना भक्ति के, बिना भगवान में मन लगाए, ना कोई तरा है ना कोई तरेगा