Saturday, June 19, 2021

उधार ना करो - Shri Kripaluji Maharaj Pravachan Pravachan in hindi Motivational Speech - Full Transcript Text

 



उधार ना करो - Shri Kripaluji Maharaj Pravachan || Pravachan in hindi || Motivational Speech ||

 

https://www.youtube.com/watch?v=8D9WIcl8ABA

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उधार ना करो - Shri Kripaluji Maharaj Pravachan Pravachan in hindi Motivational Speech.mp4

 

0.08 वेदव्यासजी ने कहा कि युवावस्था में ही शुरू कर दो भगवान की भक्ति, ताकि युवावस्था के नशे में नहीं पढ़ो और संभल जाओ

0.41 युवावस्था का नशा इतना भयानक होता है की जान रहा है की मैं जा रहा हूँ गड्ढे में लेकिन जो होगा देखा जाएगा

2.33 वेदों में कहा गया है कि हे मनुष्यो, कल का उधार मत करो, हम सब लोगों में अनादि काल से यही दोष है कि परमार्थ के कार्य को उधार कर लेते हैं

3.01 हम कहते हैं "अरे पहले ये संसार का (गोबर गणेश का, नश्वर जगत का) जरूरी काम करो, परमार्थ का काम तो होता रहेगा"

3.28 पहली बात तो मनुष्य का जनम बड़े पुन्य और भागवत कृपा से मिलता है

3.40 दूसरी बात, तत्व ज्ञान कराने वाला कोई सही गुरु मिल जाये, ये और भी दुर्लभ है, ढूंढने में तो हम fail हो जाएंगे और इतना समय भी नहीं है कि संसार में ढूँढने जायें

4.12 और यदि सही गुरु मिल भी गए तो ये और भी दुर्लभ कि उन पर विश्वास हो

4.22 संत को हम अनंत बार मिल चुके पहले जन्मों में, लेकिन कोई जचा नहीं हमारी बुद्धि की कसौटी पर, जैसे शादी ब्याह में कहते है न की लड़का जचा नहीं, लड़की जची नहीं

4.57 एक बालक abcd पढ़ने वाला यदि professor का निर्णय पहले ही कर लेगा, फिर पढ़ाई शुरू करेगा, उसे तो परिभाषा भी नहीं मालूम कि संत कहते किसे हैं, अक्सर हम उसी को सही गुरु मान बैठते हैं जिसके यहाँ बड़ा आडंबर हो, बड़ी भीड़ हो, ऐसे ही हम वकीलों की, डॉक्टरों की पहचान करने के लिए यही पैमाना लगाते हैं

6.13 संसार में पाखंडी गुरुओं की कमी नहीं है, बच्चा चाहिए - आओ,  धन चाहिये - आओ,  हम तुम को तावीज़ बांध देंगे वगैरह

6.44 पाखंड का प्रचार भी बहुत तेज़ होता है, खासकर "सकाम" गुरुओं का, संसारी वस्तु देने का ढोंग रच ले कोई बाबा, बस भीड़ इकट्ठा हो जाएगी क्योंकि सब उसी के भूखे हैं

7.35  बड़ी भगवत्कृपा हो तो यह तीन चीज़े मिलती है 1. मानव देह 2. भगवान की प्यास और ये प्यास कैसे जगेगी, जब theory का ज्ञान होगा, जब वास्तविक संत से समझेंगे कि तुम कौन हो, तुम्हें क्या चाहिए, वो (भगवान) कैसे मिलेगा, तब होश में आता है मनुष्य, अरे मेरा शरीर इतना important है और मैंने बर्बाद कर दिया उसे, और क्या कमाल किया हमने - BA किया, MA किया IAS बने, Collector, Commissioner, Governor बने, लाख, करोड़, अरब इकट्ठा किया, शादी करी, बच्चे करे, दो चार महल इकट्ठे करे, फिर क्या हुआ, मर गए    

9.03 और ये संसार का समान तो यही रह गया मगर जो पाप किया ये सब इकट्ठा करने में, वो साथ में चला गया मरने के बाद, अब चलो बच्चू 84,00,000 योनियों में घूमो

9.20  तुम्हे कोई महात्मा मिले थे, हाँ मिले तो थे मगर "हमारे पास "time" नहीं था, क्या करें, तमाम फ़ोन करने पड़ते हैं इधर उधर करोड़ों का धंधा है"

9.51 हम लोग नासमझी से सब कुछ मिल भी जाये तब भी सब खो देते हैं

10.10 बड़ी भगवत्कृपा हो तो यह तीन चीज़े मिलती है 1. मानव देह 2. भगवान की प्यास 3. महापुरुष. मगर "बिन हरि कृपा, मिले नहीं संता" और "पुण्य पुंज (a very big collection of pious deeds) बिन, मिले नहीं संता". महापुरुष का मिलना सबसे दुर्लभ

10.29 और ये तीनों दुर्लभ चीजें मिल भी गई हो किसी को तो "कल से शुरू करेंगे भजन", अभी थोड़ा संसार का जरूरी काम है retire होने के बाद तो दिन रात यही करेंगे, मगर जब retire हुए तो फिर service ढूंढ रहे हैं

11.45 और बहुत कहा तो बोल देते हैं "करेंगे", और फिर खबर मिलती है की वो तो "चल बसे"

12.09 इसलिए वेद कहते है कि कल का उधार मत करो

12.20  प्रहलाद ने कहा था अरे मनुष्यो, बचपन से ही शुरू कर देना, भगवान की भक्ति, ताकि युवावस्था का नशा होता है ना, उसमें संभले रहो, तैयार रहो

13.19 और क्या पता युवावस्था आये ही नहीं, रोज़ तो हम देखते ही है की वो पैदा होते ही चल बसा, वो देखो IAS होके आ रहा था accident हुआ और मर गया, इसलिए हम कैसे challenge कर सकते हैं कि हमें ऐसा नहीं होगा, क्या तुम सृष्टि से अलग हो

14.50 मृत्यु का मामला ऐसा है की यहाँ सब फेल हो जाते हैं ऋषि मुनि महापुरुष सब, शंकराचार्य चले गए 32 साल की उम्र में

15.41 भगवान का कानून सबके लिए एक है

15.47 अभिमन्यु, गीता ज्ञानी अर्जुन के बेटे, धोखा देकर मारा गया मगर फिर भी उनके सगे मामा श्रीकृष्ण भगवान नें नहीं बचाया

16.12 और आज कल हम लोग 100 देखकर पंडित को मिलाकर मृतुंजय पाठ कराते हैं कि मेरा बेटा serious है मरने ना पाए, ऐसे भोले भाले लोग हैं भगवान को 100 में खरीद लो

16.45 भगवान भी नहीं काटते है प्रारब्ध को अपने पिताश्री दशरथ को नहीं बचाया  राम  ने

17.0 इसलिए वेद व्यास कहते हैं कि युवावस्था होते ही लग जाओ भगवान की भक्ति में क्योंकि युवावस्था का नशा इतना भयानक होता है की जान रहा है की मैं जा रहा हूँ गड्ढे में लेकिन जो होगा देखा जाएगा, और या तो मर जाते हैं या फिर होश में आते हैं बुढ़ापे में जब खूब attachment हो गया, बेटा बेटी नाता नाती पोता पोती के संसार में, चलो अब बुढ़ापे में तो थोड़ी भक्ति कर लो मगर ताकि मानव देह तो मिल सके दोबारा, मगर उसके लिए भी time नहीं है

18.05 कुर्सी पर पैर फैलाकर novel पढ़ रहे हैं, time pass कर रहें हैं, बच्चे नाती पोतों को गोद में लेकर लल्ला लल्ला कर रहे हैं यानी मर जाये तो छुट्टी हो, ये मानव शरीर जो मिला है ऐसे किसी प्रकार इसे खत्म कर दें, ये  हम लोगो का plan है, ये मूल्यांकन किया हमने अपने शरीर का

18.49 इसलिए कॉल (time) का उधार मत करो, हर समय होशियार रहो, क्योंकि मृत्यु के समय जहाँ मन रहेगा वही "गती" (type of species - which योनि) मिलेगी

19.05 अपने मन को पूरी तरह से हरि गुरु में लगाए रहो, वरना कल्पों तक मानव देह नहीं मिलेगा, 84,00,000 योनियों में घूमना पड़ेगा, वो दुख सहा नहीं जाएगा, जंगल में जानवर - ना खाने का ठिकाना, ना पीने का, उसका दुश्मन उसे खा जाने के लिए ढूंढ रहा है, कौन सी police है उन बेचारों के लिए, ये सब कुछ भोग चुके हैं हम लोग अनन्त बार, अब फिर यही सब भोगने का उपाय कर रहे हैं लापरवाही से, नशे में, अभी तो हम...