Tuesday, January 5, 2021

DO NOT RELINQUISH THE WORLD NOR HOLD IT - SIMPLY BECOME AWARE OF THE NATURE OF THE WORLD #Blog0064

Do not relinquish the world nor hold it - simply become aware of the nature of the world


किसी के लिए जीवन रंगमंच जैसा है
For some, life is a theatre.

किसी के लिए जीवन बड़ा सुखद है
For some, life is a bed of roses.

किसी के लिए जीवन बड़ा दुखद है
For some, life is troublesome.

वास्तव में जीवन युद्ध जैसा है आपको पल-पल लड़ना पड़ता है
Actually life is a war & you have to fight each moment.

And people who find a comfort zone in this material world, they are living in an illusion & illusion is the first of all pleasures.

सुख भ्रम से शुरू होता है, भूल से आगे बढ़ता है और भय में जाकर समाप्त होता है
Illusion (भ्रम) appears like a pleasure (सुख) to start with, and because the foundation was illusion, whatever we build up on that is in actuality a mistake (भूल) which therefore ends up in fear.

संसार का सुख भ्रम है, संसार के सुख को जितना पकड़ना चाहेंगे उतना आपसे वह दूर होता जाएगा
All worldly pleasures are an illusion; the more you try to grab them, farther they move away, very much like a mirage in desert.

संसार के किसी व्यक्ति के पीछे दोड़िए, वह आपकी भावना का दुरुपयोग करने लगेगा
If you try to follow a person too closely, he’d try to wring an advantage out of it.

और यदि छोड़ दीजिए, तो आपका बैरी हो जाएगा
And if you try to leave him, he would become inimical

दोनों ही युक्तियां नहीं है
Therefore neither following up a person too closely nor leaving him is the solution.


इसलिए जीवन जीने के लिए आप अति के छोर पर जीवन नहीं जी सकते हैं
In life you cannot live at extremes. 

संतुलन की आवश्यकता है, जागने की आवश्यकता है, सावधान होने की आवश्यकता है
In life you need a balance, you need to be awakened / aware, you need to be cautious

बार-बार श्री कृष्ण अर्जुन को जगाने का प्रयास कर रहे हैं कि अर्जुन जाग जाए
In Gita, Krishna is trying to awaken up Arjuna repeatedly


तराजू के दो पलड़े, कोई इधर रहे कोई उधर, यह तो बालक भी खेल सकता है
Child can play with a balance without worrying to keep both parts in balance


पर तराजू को संतुलन में लाने के लिए दोनों पलड़ो पर एक भार रखने की आवश्यकता होती है, वह किसी योग्य व्यक्ति का कार्य है, यह बच्चे का खेल नहीं है
But to make both the parts equal in balance needs a skillful person and it is not a child's play.

उसी तरह से संसार को पकड़ लिया जाए यह भी विचार हीनता है,  और संसार को छोड़ दिया जाए यह भी विचार हीनता है
Likewise, you cannot be at the extreme ends: neither relinquish the world nor hold the world tightly

हां केवल जाग लिया जाए, यही पर्याप्त है
To become aware of the nature of the world would suffice -  that everything here is temporary like a dream (you can neither hold a dream nor avoid dreams), that both the pleasures & sorrows would follow each other one after the other like two sides of the same coin -  not to get too much excited in pleasure and not to get sorrowful in sorrow & devote all thoughts & actions to the Creator of the Creation. 

DO NOT RELINQUISH THE WORLD, JUST BE AWARE THAT THIS WORLD IS A DREAM


रहिए इसी संसार में, 
केवल जान लीजिए 
जैसे स्वप्न को पकड़ा भी नहीं जा सकता 
स्वपन को छोड़ा भी नहीं जा सकता 
स्वप्न से जागा जा सकता है संसार भी बिल्कुल वैसा ही है 

धन छोड़ने की आवश्यकता नहीं है 
धन असत्य है 
यह जान लेना पर्याप्त है 
इसका उपयोग किया जा सकता है 
यह जान लेना पर्याप्त है 
उसे छोड़कर भाग जाने की कोई आवश्यकता नहीं है 
You can just be aware 
You need to awaken yourself 

गीता में कृष्णा भी अर्जुन को यही उपदेश दे रहे हैं कि 
"जाग जा, भाग मत" 
तू युद्ध से भाग रहा है 
यह ठीक नहीं है 
कोई राजा अगर त्यागी बन जाए तो उसमें राजा की वृत्ति (tendency) नहीं जाती वह त्यागीओं में भी राजा बन के रहना चाहता है 

कुछ व्यक्ति अपने आपको दूसरे नंबर पर नहीं देख सकते 
उनको स्वर्ग में नौकर बन के रहने की बजाय 
नर्क का राजा बन के रहना उचित लगता है 

अधिकतम समय हम सत्य कर्म भी केवल अपनी अहम की प्रतिष्ठा के लिए करते हैं, 
Mostly, we do pious deeds also just wanting to message our ego