*Gita Full Course Part 1 of 7*
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Gita Full Course Part 6 of 7 (भाग - 6)
https://www.youtube.com/watch?v=j-4TUf1WTKw&list=PLI9pJ1j5Go3vKJPXVUv_NhNwB6seW2qHC&index=7
भगवद्गीता कोई भी समझ सकता है https://youtu.be/j-4TUf1WTKw?list=PLI9pJ1j5Go3vKJPXVUv_NhNwB6seW2qHC&t=68 इतनी टेक्नोलॉजी के बावजूद लोग दुखी हैं, जितनी बुराईयां समाज में हो सकती है सब मौजूद हैं, TV और newspaper भरें पड़े हैं बुरी खबरों से, मगर हमारी कबूतर जैसी हालत है, देखकर भी आंख मूँद लेते हैं, ताकि बिल्ली भाग जाए, मगर बिल्ली नहीं भागेगी, कबूतर को खा ही लेगी https://youtu.be/j-4TUf1WTKw&t=83 आज ₹15 लाख में आतंकवादी (as a human bomb) अपनी जान देने के लिए तैयार है https://youtu.be/j-4TUf1WTKw&t=126 आप क्या समझते हैं ये progress हुई है, नहीं regression (पीछे जाना) हुई है, गलती बुजुर्गों की है जिन्होंने अपने बच्चों के लिए गलत समाज छोड़ दिया है, पश्चाताप का एक ही मार्ग है कि आध्यात्मिक ज्ञान लेना होगा, आज के युवाओं को भी और बुजुर्गों को भी https://youtu.be/j-4TUf1WTKw&t=160 जब व्यक्ति अपने स्वयं को भी नहीं पहचान पाए, तो उसे अज्ञानता की हद, यानि पागल कहते हैं और हम सब पागल हैं, क्योंकि हम खुद नहीं जानते की हम शरीर नहीं आत्मा हैं https://youtu.be/j-4TUf1WTKw&t=294 जो ये मानता है कि सृष्टि का कोई रचैता (creator) नहीं है, वास्तव में वो अंधविश्वासी है, यदि मुझसे कोई कहे कि आपके पिता नहीं है तो ये सारासर गलत है, हो सकता है उस व्यक्ति ने मेरे पिता को नहीं देखा हो, मगर मेरे पिता तो हैं हीं https://youtu.be/j-4TUf1WTKw&t=343 भगवान को जानना क्यों आवश्यक है, क्योंकि उसके बिना पता ही नहीं चलेगा कि हमारे जीवन का लक्ष्य क्या है https://youtu.be/j-4TUf1WTKw&t=377 भगवान का सब कारणों के कारण हैं, भगवान सनातन हैं https://youtu.be/j-4TUf1WTKw&t=393 कलयुग में सभी लोग अपने जीवन का लक्ष्य अलग अलग समझ रहे हैं (जबकि वास्तव में जीवन का लक्ष्य एक ही है भागवत प्रेम की प्राप्ति यदि सभी इस लक्ष्य की तरह बड़ें तो वही वैकुंठ हो जाएगा) https://youtu.be/j-4TUf1WTKw&t=420 Those who worship the demigods will take birth among the demigods; those who worship the ancestors go to the ancestors; those who worship ghosts and spirits will take birth among such beings; and those who worship Me will live with Me. लोग अक्सर कहते हैं सभी पथ भगवान को जाते हैं, किसी की भी पूजा कर लो, सब भगवान तक पहुँचते हैं - ये कह के लोग सब को मूर्ख बना रहे हैं और मूर्ख बन रहे हैं https://vedabase.io/en/library/bg/9/25/ https://youtu.be/j-4TUf1WTKw&t=521 हम सब भी कोई भी देवी देवता बन सकते हैं, केवल शिव और पार्वती को छोड़कर, देवता कौन लोग बनते हैं जो भगवान (यानि राम, कृष्ण या कोई भी विष्णु अवतार) की भक्ति तो करते हैं मगर सकाम (with a material desire) कि भगवान मुझे भी कुछ बना देना https://youtu.be/j-4TUf1WTKw&t=565 ब्रह्मा जी की भी एक post है जो 100 जन्मों तक वर्णाश्रम धर्म के सभी नियमों का पालन करें तो वो ब्रह्मा जी के post के योग्य है, कर्मयोगी, ज्ञानयोगी और भक्त (मगर सकाम कुछ power / post के लिए) तीनों पा सकते हैं, कोई भी देवता या देवी की post, देवता यानी भगवान के manager भौतिक जगत को चलाने के लिए https://youtu.be/j-4TUf1WTKw&t=637 जो देवी देवता की पूजा करते हैं और उनसे कुछ मांगते हैं उनका ज्ञान हर लिया गया है और वो अल्पबुद्धि के कहलाते हैं - ये भगवान कह रहे हैं गीता में https://youtu.be/j-4TUf1WTKw&t=710 भगवान के चार प्रकार की भक्त होते हैं आर्त (while in trouble, seeking God’s help), अर्थाथ (worship God for money), जिज्ञासु (eager to know about God) और ज्ञानी (wise who surrender to Lord) - ये चारों प्रकार के भक्त पुण्य आत्मा कहलाते हैं, जबकि देवी देवताओं की पूजा करने वाले अल्पबुद्धि के कहलाते हैं https://youtu.be/j-4TUf1WTKw&t=722 उदाहरण: एक बच्चा है जिसका गला खराब है और उसके पास ₹20 है अगर वो ice-cream वाले के पास जाता है और पैसे देता है तो उसे ice-cream दे देगा, मगर वो वही बालक यदि अपने पिता के पास जाता है और ice-cream मांगता है तो पिता नहीं देंगे, बोलेंगे तेरा गला खराब है जब ठीक हो जाएगा तब दूंगा ; ऐसे ही देवी देवता आपको तुरंत फल तो दे देंगे मगर उसमें आपका भला नहीं होने वाला (यानी आप 84,00,000 योनियों में ही भटकते रहोगे), भला केवल श्रीकृष्ण के पास जाने से ही होगा (भला होने का मतलब है भगवान के धाम की प्राप्ति, और 84,00,000 योनियों से छुटकारा) https://youtu.be/j-4TUf1WTKw&t=744 ऐसे ही बचपन में पिता बालक को blade से नहीं खेलने देते मगर वही बालक जब सयाना और बड़ा हो जाता है तब उसको पैसे देते हैं कि blade लेकर आओ और दाड़ी बनाओ https://youtu.be/j-4TUf1WTKw&t=843 ध्यान रखना की हम से ज्यादा अक्लमंद हैं भगवान और जो करते हैं हमारी भलाई के लिए ही करते हैं, इसलिए देवी देवताओं के पास इच्छा लेकर मत जाईये https://youtu.be/j-4TUf1WTKw&t=862 शास्त्रों में प्रश्न करना गलत नहीं माना लेकिन बहस (argument) करने को गलत माना है, हमारे सभी शास्त्र, गीता, श्रीमद भागवत प्रश्न उत्तर के रूप में हैं https://youtu.be/j-4TUf1WTKw&t=912 मैं lecture दे रहा हूँ क्योंकि यदि आपको ज्ञान नहीं होगा तो प्रश्न क्या करोगे, physics का उच्चतम ज्ञान Quantum Physics है और अगर मैं बोलूं कि आप इसके ऊपर प्रश्न कीजिये तो क्या करेंगे आप, क्योंकि इसके बारे में तो कुछ मालूम नहीं https://youtu.be/j-4TUf1WTKw&t=1048 हमने जो ज्ञान दिया इससे अगर किसी के मन में उथल पुथल हुई तो बहुत अच्छी बात है यानी ज्ञान भीतर गया, क्योंकि दही को जब मथोगे (churn) तो क्या बगैर उथल पुथल के मक्खन निकलेगा ? बगैर मंथन के समुद्र से अमृत भी नहीं निकलता है, मंथन किस समय सबसे पहले हम बाहर क्या निकलता है : जहर (poison) यानी सब negativity बाहर निकल जाती है और मन निर्मल हो जाता है और निर्मल मन ही भगवान को प्रिय है, एक बात ध्यान रहे कि मंथन के समय अध्यात्म से दूर भागना मत https://youtu.be/j-4TUf1WTKw&t=1081 अर्जुन ने ये जानते हुए कि श्रीकृष्ण भगवान हैं तब भी अनेक प्रश्न किये, अर्जुन ने पूछा भगवान एक तरफ आप कहते हो कि कर्म करो, दूसरी तरफ कहते हो बुद्धि श्रेष्ठ है, “शंका” / “संशय” (doubt) से बड़ा हमारा दुश्मन और कोई नहीं है, वो गुरु क्या जो प्रश्नों के उत्तर ना दे सके और वो शिष्य क्या जो प्रश्न ना कर सके https://youtu.be/j-4TUf1WTKw&t=1155 He who knows Me as the unborn, as the beginningless, as the Supreme Lord of all the worlds – he only, undeluded among men, is freed from all sins. https://vedabase.io/en/library/bg/10/3/ जो मुझे अजन्मा और समस्त लोकों का स्वामी जानता है वो अज्ञानता से मुक्त हो जाता है, और फिर भगवान की जानकार (गीता ज्ञान) और पालन करके, उसके सभी पाप नष्ट हो जाते हैं https://youtu.be/j-4TUf1WTKw&t=1196 ऊपर वाली बात कई जगह दोहराई है भगवान ने, और हम दास के दास के दास के दास के दास....., ये सब गीता का सार कौन तैयार कर रहा है – मैं, बोल कौन रहा है – मैं, लिख कौन रहा है – मैं, और आप क्या कर रहे हैं केवल पढ़ रहे हैं या सुन रहे हैं तो मालिक कौन हुए, आप - इसलिए आपको प्रभु कहकर पुकारा जाता है (प्रभु का मतलब है यहाँ भगवान नहीं मगर मालिक, पर प्रभु आपके अंदर बैठे हैं इसलिए) https://youtu.be/j-4TUf1WTKw&t=1261 मैं ही सभी यज्ञों का स्वामी हूँ (यज्ञ का मतलब कोई भी कार्य जो आप भगवान को अर्पण कर रहे हो) https://youtu.be/j-4TUf1WTKw&t=1351 इन जो मेरी वास्तविक दिव्य प्रकृति कौ नहीं पहचान पाते वो नीचे गिर जाते हैं, हम Darwin Theory (of evolution) को नहीं मानते, science भी बहुत हद तक नहीं मानती https://youtu.be/j-4TUf1WTKw&t=1372 उदाहरण एक pilot को आप साइकिल दे और कहें उड़ा, तो कैसे उड़ा सकता है, हाँ उसको हवाई जहाज दें तो उड़ा देगा, ऐसे ही कुत्ते के शरीर में हम बोले हरि नाम लो, तो कुत्ता नहीं ले पाएगा, और ऐसे ही अगर हम हवाई जहाज को सड़क पर दौड़ा दे तो क्या होगा, हम तो मरेंगे ही और दूसरों को भी मार देंगें, और वही हम कर रहे हैं, हमने हवाई जहाज को साइकिल बना दिया, हम वास्तव में आत्मा हैं, मगर अपने आप को शरीर समझकर केवल सड़क पर दौड़ा रहे हैं, जबकि हम उड़ने के भी काबिल हैं (उड़ने का मतलब भगवान के घर जाने के काबिल) https://youtu.be/j-4TUf1WTKw&t=1412 हमें कौन सी योनि मिलेगी हम खुद ही फैसला करते हैं अपने कर्मों और इच्छा द्वारा, हम कैसे चिड़िया बनते हैं, या क्यूँ शेर (lion) बनते हैं, या क्यों पेड़ बनते हैं, पूरा वर्णन सुनिए..., केवल मनुष्य योनि ही है, जब हम भगवान के धाम को प्राप्त कर सकते हैं, मगर हम प्राप्त क्या करने की कोशिश में लगे रहते हैं, आहार (food), निद्रा (sleep ), भय (defending) और मैथुनम (sex) https://youtu.be/j-4TUf1WTKw&t=1483 pilot हवाई जहाज से 3 घंटे में चेन्नई पहुँच सकता है मगर उसी हवाई जहाज को सड़क पर चला रहा है, तो कितनी मूर्खता कर रहा है - हम यही कर रहे हैं, इस मानव शरीर से हम इसी जीवन में भगवत धाम प्राप्ति कर सकते हैं और सब दुखों से छुटकारा पा सकते हैं, मगर नहीं - हमें तो जन्मो जन्मो तक 84,00,000 योनियों में भटकने में ही मज़ा आ रहा है https://youtu.be/j-4TUf1WTKw&t=1605 प्रकृति, जिसमें हम रहते हैं, को जानना क्यों आवश्यक है https://youtu.be/j-4TUf1WTKw&t=1648 प्रकृति दो प्रकार की है 1. भौतिक (जड़) और 2. आध्यात्मिक (spiritual), भौतिक: जड़ (non-living), असत्य (temporary), अचित्त (without consciousness), निरआनन्द (without any feeling of happiness) https://youtu.be/j-4TUf1WTKw&t=1703 आध्यात्मिक (spiritual): सत चित्त और आनन्द (और आत्मा क्या है : सत चित्त और आनन्द) https://youtu.be/j-4TUf1WTKw&t=1745 धर्म क्या है https://youtu.be/j-4TUf1WTKw&t=1761 धर्म एक वस्तु का वो गुण होता है जो उसे अलग नहीं किया जा सकता, आग का धर्म है : ऊर्जा और रौशनी देना, चीनी का धर्म है मिठास देना, नमक का धर्म है नमकीन बनाना, पानी का धर्म है गीला करना https://youtu.be/j-4TUf1WTKw&t=1904 मानव धर्म क्या है, सेवा करना एक मानव का धर्म है, ये अलग बात है कि सेवा किसकी कर रहा है, बीवी की, पति की, बच्चों की, Boss की, या अपने मन / इंद्रियों की, या अपने पालतू कुत्ते (dog) की (वास्तव में कुत्ता मालिक है और हम कुत्ते के नौकर हैं, जब dog potty करता है तो आप उसे उठाते हो, अरे आपका स्वयं का नौकर भी आपके साथ आपकी potty में नहीं जाता), प्रभुपाद जी कहते थे ये पागलपन की परिकाष्ठा (climax) है कि वास्तव में कुत्ता मालिक है, और हम नौकर, मगर वे अपने आप को समझते हैं कुत्ते के मालिक, सारा दिन गधे की तरह मेहनत करके, पैसा कमा कर् आप लाते हो कुत्ते के लिए बिस्कुट, कुत्ते के लिए खाना, कुत्ता A/C में बैठ कर मजे से सब खाता पीता है, मालिक कौन हुआ ? https://youtu.be/j-4TUf1WTKw&t=2041 सेवा हमारा धर्म है और सबको सेवा करनी ही पड़ती है, मगर कुछ गड़बड़ हो रही है, क्योंकि सेवा से तो आनंद मिलना चाहिए https://youtu.be/j-4TUf1WTKw&t=2224 उदाहरण: शरीर एक मात्र uniform / dress की तरह है, माना कि शरीर / uniform का अपना एक धर्म है, जैसे परिवार को पालना इत्यादि मगर क्योंकि आत्मा सनातन है, आत्मा का धर्म सबसे ऊंचा है, और आत्मा का धर्म है भगवान की भक्ति क्योंकि आत्मा भगवान का अंश है, आनंद प्राप्त तभी होगी जब हम आत्मा का धर्म के लिए जागरूक (aware / conscious) रहेंगे और पालन करेंगे https://youtu.be/j-4TUf1WTKw&t=2251 आज समस्या यही है कि हूँ तो मैं आत्मा, मगर अपने आप को शरीर समझ बैठा हूँ, इसलिए शरीर का धर्म तो निभा रहा हूँ, मगर आत्मा का धर्म नहीं निभा रहा https://youtu.be/j-4TUf1WTKw&t=2481 हाँ आज लोगों से पूछो: माता पिता की सेवा ज़्यादा महत्वपूर्ण है या भगवान की ? प्रहलाद महाराज ने अपने बाप की बात क्यों नहीं मानी, प्रह्लाद के पिता प्रह्लाद को कहते थे, कि भगवान को भूल जाओ, मुझे ही भगवान मानो https://youtu.be/j-4TUf1WTKw&t=2493 माता पिता बनने के योग्य नहीं है यदि अपने बालक को जन्म मृत्यु के कुछ चक्कर से निकालने के लिए सक्षम नहीं हैं, केवल बच्चे पैदा करने से कोई माता पिता नहीं बन जाता, अपने शादी के साथ फेरे तो लगा लिए अग्नि को साक्षी मानकर, अग्नि का मतलब यज्ञ, यज्ञ का मतलब विष्णु (श्रीकृष्ण के अवतार), मगर शादी के बाद विष्णु को एक कोने में टांग दिया, हे विष्णु अब बस, तुम्हारा काम हो चुका है ! https://youtu.be/j-4TUf1WTKw&t=2522 मानव का ये धर्म है कि सब कार्य विष्णु की प्रसन्नता के लिए किये जाएं, बच्चे तो जानवर भी पैदा करते हैं, चिड़िया भी कहाँ कहाँ से खाना लाकर अपने बच्चों के मुँह में डालती है, मगर जब जानवर के बच्चे थोड़ा चलने फिरने लगते हैं तो माँ बाप से अलग हो जाते हैं, मानव के बच्चे भी अलग हो जाते हैं जियूँ ही थोड़ी समझ आयी, तो हम जानवर से ज्यादा श्रेष्ठ कहाँ हुए ? https://youtu.be/j-4TUf1WTKw&t=2570 हम श्रेष्ठ हुए इसलिए कि हम एक पत्नी व्रत हैं ? ये भी गलत है, fish category में sea horse पूरा जीवन एक ही नर और मादा साथ रहते हैं, हम श्रेष्ठ कहाँ हुए ? https://youtu.be/j-4TUf1WTKw&t=2625 आजकल तो live-in relationships (not marriage) का जमाना आ गया है, parents आते हैं मेरे पास, कहते हैं बच्चे ने हमें छोड़ दिया, मैं कहता हूँ आप ही ने तो सिखाया था उन्हें कि सारी जिंदगी केवल पैसा कमाने के पीछे भागना, वही तुम्हारा लक्ष्य है, अब आपके पास तो कुछ पैसा है नहीं, इसलिए आपको छोड़ ही देगा https://youtu.be/j-4TUf1WTKw&t=2657 माँ बाप ने ही तो बच्चे को सिखाया है की अरे भक्ति बुढ़ापे में करना, अभी तेरी उम्र नहीं है भक्ति करने की, माँ बाप से पूछो, जो बूढ़े हो गए हैं, क्या वो आज भक्ति कर रहे हैं ? तो वो कहते है नहीं, अब बुढ़ापे में भक्ति कहाँ होगी, तो इसका मतलब माँ बाप ने ही अपने बालक को मूर्ख बनाया https://youtu.be/j-4TUf1WTKw&t=2730 इसीलिए प्रभुपाद जी कहते थे कि आज 99% माता पिता mini हिरणकश्यप हैं, क्योंकि अपने बच्चों को विष्णु से नहीं मिलने दे रहे, वो बालक भगवान का भेजा हुआ एक जीव है, आपका अपना नहीं है, भगवान ने उस जीव को आपके घर में इसलिए मनुष्य योनि देकर भेजा, कि ये माता पिता बालक को संसार के कुचक्र से निकाल देंगे यानि मेरे पास वापिस आएगा, मगर इससे ठीक उलट, हमने बालक को सांसारिक जन्म मृत्यु जरा व्याधि के कुचक्र में फँसने के लिए और प्रोत्साहित और प्रेरित कर दिया https://youtu.be/j-4TUf1WTKw&t=2758 ध्यान रहे कि हम सबने शरीर त्यागना हैं और उसके बाद क्या होगा कौन सी योनि मिलेगी ? मैं इसलिए आप सबको जोर दे के, बार बार समझाने की कोशिश कर रहा हूँ कि आप मेरे सगे हो, हम सब आत्माएं है और हम सब के पिता एक ही हैं – भगवान https://youtu.be/j-4TUf1WTKw&t=2825 क्या करें, सच्चाई जो केवल अध्यात्म में है आपको बताने वाला कोई है नहीं, सब केवल आपको खुश करने में लगे हैं, सच्चाई बताना और जानना कड़वा लगता है, डॉक्टर आपका कोई भी body part काटने में नहीं हिचकिचाएगा (will not hesitate) यदि वो gangrene से पीड़ित हो https://youtu.be/j-4TUf1WTKw&t=2884 प्रभुपाद कहते थे कि साधु एक डॉक्टर ही होता है, जो आप का इलाज करता है, जन्म मृत्यु की घोर बिमारी से, यदि आपको कड़वे सत्य सुनने पड़ें, तो अवश्य सुनिए क्योंकि जो पीड़ा ये सुनने से होगी, ये पीड़ा जन्म मृत्यु के कुचक्र में फंसने की पीड़ा से बहुत बहुत बहुत कम है https://youtu.be/j-4TUf1WTKw&t=2925 भगवान की आज्ञा जानना और आज्ञा का पालन करना बहुत अनिवार्य हैं https://youtu.be/j-4TUf1WTKw&t=2991 हिंदुस्तान में माताएं तो जाती है सत्संग में मगर पुरुष नहीं जाते क्योंकि बोलते है हम कमा रहें हैं, तू क्या पुरुष लोग नहीं मरेंगे ? शास्त्रों में लिखा है कि पति का किया कर्म बैंक 50% पत्नी के खाते में जाता है मगर पत्नी का पति को कुछ credit/discredit नहीं जाता, मगर वोही कर्म यदि भक्ति है, तो 50% पत्नी को जाने के बावजूद पति के पास 100% ही रहेगा क्योंकि भक्ति पूर्ण है https://youtu.be/j-4TUf1WTKw&t=3006 भक्ति का formula है : 2 + 2 = 4 & 2 – 2 = 4 और भौतिक formula : 2 + 2 = 0 & 2 – 2 = 0, क्योंकि भौतिक में जब शरीर त्यागते हैं तो सब कुछ 0 (0, शून्य) ही हो जाता है https://youtu.be/j-4TUf1WTKw&t=3145 माता और पिता के ऊपर बहुत बड़ा दायित्व है बच्चों के प्रति कि उन्हें आध्यात्मिक में लगाया जाये https://youtu.be/j-4TUf1WTKw&t=3177 भगवान कहते हैं ये material world है “दुखाल्यम अशाशवतम” (दुखाल्यम = दुखों का घर, अशाशवतम = अस्थाई, temporary), ये संसार है दुखों का घर और अस्थाई, इस के कारण यहाँ पे सुख आपको कभी मिल ही नहीं सकता, असुर इस संसार में सुख पाने की कोशिश करता राहत है क्योंकि वो भगवान का विरोधी है , भगवान ने कहा है कि यहाँ केवल दुख ही है, मगर असुर ये मानने को तैयार नहीं कि यहाँ केवल दुख है, इसलिए असुर सदैव यहाँ सुख पाने की तलाश में रहता है जो उसको कभी मिलेगा नहीं, असुर कहता है, मैं धरती पर ही वैकुंठ बनाऊंगा, मरूँगा नहीं, सब को काबू में रखूँगा, मैं अपने परिवार को सुखी रखूँगा और मैं भी सुख पाऊंगा, मैं जहाँ भी देखूं सब मेरा है, चाहे वो दूसरे की पत्नी हो, चाहे वो दूसरे का राज्य हो https://youtu.be/j-4TUf1WTKw&t=3189 भगवान गीता में कहते हैं कि ये संसार है : अनित्यम, असुखयम लोकम (असुखयम यानि सुख नहीं है इस संसार में, केवल दुख की कमी को हम सुख मान लेते हैं) https://youtu.be/j-4TUf1WTKw&t=3301 ब्राह्मण का फर्ज है कि यजमान (जो यज्ञ करवा रहें हैं) जब यज्ञ कराना चाहे, तो उन्हें साफ कह दे कि देखिये इच्छा पूर्ति के लिए मैं आपका यज्ञ कर रहा हूँ, मगर आपको सुख नहीं मिल सकता, यज्ञ कराना हो तो कराओ नहीं करना हो तो मत कराओ, महाराष्ट्र में शादी में हर मंत्र के बाद एक शब्द बोला जाता है “सावधान” https://youtu.be/j-4TUf1WTKw&t=3362 रामदास जी, शिवाजी के गुरु, इन जब पंडित जी बार बार बोल रहे थे “सावधान”, पूछा कि सावधान क्यों बोल रहे हो, पंडित जी ने कहा आपको तैरना आता है? रामदास जी ने कहा “नहीं”, मगर आप को समुद्र में फेंका जा रहा है तो राम दास जी फेरों से उठ लिए और शादी नहीं करी, बोले मैं शादी के लिए तैयार नहीं हूँ, इसीलिए प्रभुपाद जी के गुरु भक्ति वेदांत सरस्वती ठाकुर जी ने भी शादी नहीं करी, बोले कि मैं अपने एक भी बालक को भक्त बनाने की सामर्थ्य नहीं रखता, इसलिए शादी नहीं कर सकता https://youtu.be/j-4TUf1WTKw&t=3409 In this material world, ब्रह्मलोक सबसे श्रेष्ठ है क्योंकि वहाँ दुख सबसे कम है, सुख वहाँ भी नहीं है, और भगवान ने यह भी स्पष्ट कर दिया कि ब्रह्मलोक जाने पर भी मृत्यु लोक को वापिस दुबारा आना पड़ता है यानी ब्रह्मलोक जाने से भी आप की मोक्ष प्राप्ति नहीं हुई https://youtu.be/j-4TUf1WTKw&t=3516 जब पुण्य बहुत अधिक होते हैं तो स्वर्ग प्राप्ति होती है, स्वर्ग में दुख कम हैं, सुख वहाँ भी नहीं है, स्वर्ग में आपकी उम्र सीधे 16 साल की होती है, बुढ़ापा भी नहीं होता, बिमारी भी नहीं होती, वह आप खूब भोग विलास करते हो, मगर मृत्यु अवश्य होती है https://youtu.be/j-4TUf1WTKw&t=3555 उदाहरण: पूरा विवरण सुनिए कि कैसे स्वर्ग के बाद मृत्युलोक में आत्मा प्रवेश करती है, इस तरीके से जन्म मृत्यु का चक्कर, किसी भी 84 लाख योनि में से एक, चलता रहता है https://youtu.be/j-4TUf1WTKw&t=3601 भगवान कहते है यदि आत्मा मेरे पास वापिस आ जाये तो उसका पुनर जन्म नहीं होता https://youtu.be/j-4TUf1WTKw&t=3695 हम सब रोगी हैं, भव रोग के, यानी “जनम मृत्यु जरा व्याधि”, यानी ये संसार एक “hospital” है, मगर हमने इसको समझ लिया है “hotel” - ऐसे में रोगी का क्या हाल होगा ? यानी hospital में इलाज करने की बजाय, हम वो कार्य कर रहे हैं, जिससे भव रोग की बिमारी बढ़ रही है https://youtu.be/j-4TUf1WTKw&t=3718 और हम सब बद्ध जीव हैं, यानी बंधे हुए, यानी ये संसार एक जेल भी है, मतलब एक jail के अंदर hospital में हैं, पहले तो hospital से निकलना है फिर jail से भी निकलना है https://youtu.be/j-4TUf1WTKw&t=3768 और यहाँ पर हम मज़ा करना चाह रहे हैं, जब skin disease होती है तो खुजली होती है और खुजली करने (scratch) में बहुत मजा आता है, मगर skin disease खुजली करने से और बढ़ जाती है, इस संसार का सुख भी ऐसा ही है https://youtu.be/j-4TUf1WTKw&t=3805 जो व्यक्ति “जनम मृत्यु जरा व्याधि” को दुख समझता है, वो ज्ञानी है, ऐसा भगवान ने कहा है https://youtu.be/j-4TUf1WTKw&t=3881 “जन्म एक बंधन है” -और बंधन में कोई प्रसन्न हो नहीं सकता https://youtu.be/j-4TUf1WTKw&t=3907 बड़ी अजीब सी बात है की लोग दुख पाना चाहते हैं ये देखने के लिए कि सुख का कितना मजा है “You don't have to be kicked by an ass to understand how it feels not to be kicked by the ass” “एक गधे की लात खाना जरूरी नहीं है, ये जानने के लिए कि गधे की लात ना पड़े तो कितना मजा आता है” कहने का तात्पर्य ये है : हे गधे, मुझे लात मार, क्योंकि तेरे लात मारने से जो मुझे दुख मिलेगा, उसके बाद मुझे मालूम पड़ेगा कि तू लात नहीं मारेगा, तो कितना मजा है जब तक cancer नहीं होए तो सवस्थ होने का कितना मजा है कैसे मालूम पड़ेगा - क्या बीमार होना ज़रूरी है, ये जानने के लिए कि सवस्थ होने में कितना मजा है क्या गरीब होना जरूरी है ये जानने के लिए कि अमीरी में कितना मजा है क्या अज्ञानी रहना जरूरी है ये जानने के लिए के ज्ञान में कितना मजा है कैसी मूर्खता भरी बातें हम करते हैं https://youtu.be/j-4TUf1WTKw&t=3925 अब पता नहीं, भगवान से अलग रहने के लिए, क्या क्या funda लगाते हैं हम लोग, पूरा दिमाग लगा देंगे कि (1) किसी तरह से भगवान की बात नहीं मानी जाए और (2) भगवान है ही नहीं https://youtu.be/j-4TUf1WTKw&t=3997 भौतिक जगत की प्रकृति का दूसरा नाम है “कुंठा” (यानि “दुखी”) और भगवान की spiritual प्रकृति का नाम है “वैकुंठा" यानी जहाँ पर दुख नहीं है https://youtu.be/j-4TUf1WTKw&t=4007 हम शरीर नहीं आत्मा हैं जो कि सच्चितानंद है और ये संसार है कुंठा, तो क्या ये संसार आत्मा का घर है - कदापि नहीं, हमारी हालत है उस मछली जैसी जिसको पानी से बाहर निकाला जाये और कहा जाए कि मैंने तेरे लिए 1,000 कमरों का महल बनाया है, जिसमें हजारों तरह के स्वादिष्ट खाने तुम्हे मिलेंगें, तो मछली क्या कहेगी माफ करो, मुझे तो वापिस पानी में ही डाल दो वापिस https://youtu.be/j-4TUf1WTKw&t=4027 हम भी वास्तव में मछली की तरह ही तड़प रहे हैं, जन्मो जन्मो से, इस संसार में, मैं ये कर लूँ तो खुश हो जाऊँ, मैं वो पालू तो प्रसन्न हो जाऊं, इतना पैसा इकट्ठा कर लूँ तो चैन मिल जायेगा, इस घर में शादी हो जाये तू खुश हो जाएंगे सभी, ऐसा बड़ा नाम वाला leader हो जाऊंगा तो आनन्द मिल जायेगा, बचपन से लेकर अंत तक छटपटाते रहे, कभी स्कूल कॉलेज की पढ़ाई में, कभी नौकरी में, कभी बच्चों और परिवार की देखरेख में, अंत में तड़पते तड़पते मर गए, फिर अगला जन्म मिला किसी योनि में, फिर छटपटाना शुरू https://youtu.be/j-4TUf1WTKw&t=4084 हकीकत में ढूंढ क्या रहे हैं “आनंद”, जो केवल भगवान के घर वापसी में ही मिल सकता है, क्योंकि ये संसार तो एक जेल और हॉस्पिटल है जहाँ पर कोई अपना घर हो ही नहीं सकता https://youtu.be/j-4TUf1WTKw&t=4117 इस अशाश्वत (temporary) संसार में भी दो चीजें है: व्यक्त (manifest, which can be seen by eyes) और अव्यक्त (not manifest, which cannot be seen by eyes), हवा अव्यक्त है, मन अव्यक्त है, मगर इस संसार से परे एक शाश्वत (eternal, परा) जगत है, जब इस संसार में सब कुछ नष्ट हो जाता है (प्रलय), तब भी वो शाश्वत जगत (धाम) वैसा ही रहता है, और वही लक्ष्य प्राप्ति योग्य है (should be the most desired goal of human life) और इस शाश्वत जगत को प्राप्त करने के बाद कोई मृत्युलोक में वापिस नहीं आता -और भगवत धाम साकार है तो भगवान भी साकार हैं, और हम जीव भी साकार हैं https://youtu.be/j-4TUf1WTKw&t=4135 That supreme abode of Mine is not illumined by the sun or moon, nor by fire or electricity. Those who reach it never return to this material world. मेरा वैकुंठ धाम ना तो सूर्य और ना ही चन्द्रमा से प्रकाशित होता है, और ना अग्नि ना बिजली से, मगर भगवान की अंग कांति (effulgence, light) से ही प्रकाशित होता है https://vedabase.io/en/library/bg/15/6/ https://youtu.be/j-4TUf1WTKw&t=4238 तो हमारा लक्ष्य हुआ भगवान का बैकुंठ धाम यानी आपने वास्तव के शाश्वत घर में वापस जाना, अब किसी को घर वापस जाने का रास्ता बताओ तो लोग उसे कहते हैं पागल है https://youtu.be/j-4TUf1WTKw&t=4279 सबसे श्रेष्ठ दान है : विद्या दान, भौतिक जगत का ज्ञान को “अविद्या” बताया गया है, शास्त्रों में , “अविद्या” वो अज्ञान है जो जन्म मृत्यु के चक्कर में फंसाये रखे, और विद्या वो है जो जन्म मृत्यु के कुचक्र से निकाल दे https://youtu.be/j-4TUf1WTKw&t=4294 मान लीजिये आप मुकेश अंबानी के लड़के को जानते है है और आप Somalia (एक गरीब देश) गए, वहाँ पर आपने उसी लड़के को सड़क पर भीख मांगते हुए देखा, अब आप बताइए कौन सा मददगार ज्यादा महत्वपूर्ण है (1) पहले ने कहा, आओ मैं तुम्हें खाना खिलाता हूँ और खाना खिलाकर छोड़ दिया (2) दूसरे ने कहा: आओ मैं तुम्हें अपने पिता मुकेश अंबानी से मिलवा देता हूँ, ताकि तुम्हें कभी भीख दोबारा मांगने की आवश्यकता हीं नहीं हो, स्पष्ट है दूसरे व्यक्ति की मदद बहुत ही महत्वपूर्ण और लाभदायक जन्मों जन्मों का सुन्दर परिवर्तन करने वाली है https://youtu.be/j-4TUf1WTKw&t=4326 ये दान और पुण्य करने वाले पहले प्रकार के व्यक्ति हैं खा-पी ले, डॉक्टरी का इलाज करा ले और कंबल ले ले, मगर यही पड़ा रह https://youtu.be/j-4TUf1WTKw&t=4389 और दूसरे प्रकार का है भक्त जो भिखारी को बोलता है भाई मैं भी तेरे जैसा ही हूँ, आओ दोनों अपने पिता के घर वापिस चलते हैं, कई बार Mercedes गाड़ी में बैठा हुआ व्यक्ति गरीब को देखकर बोलता है “बेचारा”, अरे भाई तुम भी तो बेचारे हो, तेरे को भी tension है, भिखारी को भी tension है, दुखी वो भी है और दुखी तुम भी हो, बल्कि वो तो तुम से बेहतर है रात को एकदम सो जाता है तुम्हें तो नींद भी नहीं आती, वो खाना ढूँढता है भूख मिटाने के लिए, तुम भूख ढूंढ़ते हो खाना खाने के लिए, यानी भक्त वो है जिसने तुम्हें भी पहचान लिया और वो भगवान को भी जानता है, भक्त कहता है मुझे वैकुंठ से भेजा गया है मैं तुम्हें भी लेने आया हूँ वहीं वापिस चलने https://youtu.be/j-4TUf1WTKw&t=4400 हम भक्त आपको वैकुंठ चलने को कह रहे हैं इसका ये मतलब नहीं है की सब कुछ छोड़ दो यहाँ, जीना तो पड़ेगा, जीने के लिए खाना भी पड़ेगा, खाने के लिए काम तो करना पड़ेगा, काम के लिए थोड़ी अविद्या (भौतिक ज्ञान, worldly knowledge) अपनानी पड़ेगी, मगर ये सब कर रहे हैं ज्ञान लेने के लिए, जी किस लिए रहे हैं भगवत धाम वापिस जाने के लिए https://youtu.be/j-4TUf1WTKw&t=4470 हम मंदिर क्यों जाते हैं ताकि भगवान के धाम पहुँच सके, मंदिर भगवान का दूतावास है, यहाँ पर भगवत धाम का visa लगता है https://youtu.be/j-4TUf1WTKw&t=4501 हम बद्ध जीव कहलाते हैं, हम किस चीज़ से बंधे हैं, गुणों से, गुण का मतलब होता है रस्सा (rope), तीन गुण होते हैं: सतो, रजो, तमो, भौतिक जगत में हर व्यक्ति या वस्तु इन तीन चीजों के मिश्रण (combination) से ही बनी है, और ये तीनों गुण सूक्ष्म (subtle) हैं https://youtu.be/j-4TUf1WTKw&t=4570 हमेशा सूक्ष्म (subtle) से स्थूल (gross) बनता है, जैसे hydrogen (subtle) और oxygen (subtle) को मिलाया जाए तो पानी (gross) बनता है, जैसे आपने अपना घर बनाया तो पहले आपके मन में विचार (subtle) आया जो कि है और फिर घर बना जो कि (gross) है, आपको मरने के बाद अपना अगला शरीर (gross) वैसा ही मिलेंगा जैसे आपके मन (subtle) में बिचार हैं https://youtu.be/j-4TUf1WTKw&t=4630 इसी प्रकार से जो तीन गुण सतो, रजो, तमो हैं, हैं तो सूक्ष्म (subtle), मगर सभी स्थूल (gross) का कारण ये ही हैं https://youtu.be/j-4TUf1WTKw&t=4695 The Three Modes of Material Nature, इसका detailed version सुनिए https://vedabase.io/en/library/bg/14/ https://youtu.be/j-4TUf1WTKw&t=4716 The Most Confidential Knowledge https://vedabase.io/en/library/bg/9/ https://youtu.be/j-4TUf1WTKw&t=4781 ये ज्ञान सब ज्ञानों में से सर्वश्रेष्ठ है , ये तीन गुणों (रस्सियों, ropes) के बारे में जानना क्यों आवश्यक है क्योंकि ये उस ताले की चाबी है जिससे हम बंधे हुए हैं https://vedabase.io/en/library/bg/14/1/ https://youtu.be/j-4TUf1WTKw&t=4807 जो व्यक्ति प्रकृति, जीव और इन तीन गुणों के बारे में समझ गया उसकी मुक्ति सुनिश्चित (sure) है, ये भौतिक प्रकृति क्या है “दुखाल्यम” (दुखदायी), मैं जीव हूँ (शरीर नहीं), सनातन हूँ, शाश्वत (eternal) हूँ, सच्चितानंद हूँ, मगर फिर भी इस “दुखाल्यम” में फंसा/ बंधा हुआ हूँ, मुझे इससे बाहर निकलना है https://youtu.be/j-4TUf1WTKw&t=4911 जो यह बात जान / रहस्य समझ गया, वर्तमान स्थिति कैसी भी हो मगर ऐसे व्यक्ति का दोबारा जन्म नहीं होता, https://youtu.be/j-4TUf1WTKw&t=4952 & वन (जंगल) में जाने की आवश्यकता नहीं है, यानी जो भी है आप कार्य (job etc.) कर रहें हैं उसे छोड़ने की आवश्यकता नहीं है https://youtu.be/j-4TUf1WTKw&t=5040 चाहे आप ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य या शूद्र हों (caste), मगर जनम से नहीं, ये विभाजन गुण और कर्मों से होते हैं, यदि आप नौकरी करते हैं तो आप शूद्र हैं https://youtu.be/j-4TUf1WTKw&t=4964 इस ज्ञान (प्रकृति, जीव और इन तीन गुणों के बारे में) में स्थिर होकर मनुष्य मुझ जैसी दिव्य प्रकृति को प्राप्त कर सकता है यानी अपने वास्तविक स्वरूप को पहचान जाएगा https://youtu.be/j-4TUf1WTKw&t=5061 ये तीन गुण बांधते हैं और विविधता (variety) पैदा करते हैं, जैसे red, yellow,blue तीन रंगों के मिश्रण से सभी बाकी अनंत रंग बन जाते हैं, ऐसे ही दिन गुण सतो रजो तमो के मिश्रण से अनंत विविधता (variety) पैदा होती है और ये तीन गुण सर्व व्यापक (present everywhere) हैं, और ये तीन गुण भ्रमित (illusion) करते हैं, भुला देते हैं अपने स्वरूप को, ये तीन हमें बांधेंगे कैसे, जब हम स्वयं को भूल जाएंगे, और यही हमारा रोग है की हम भूल गए हैं की हम वास्तव में हैं क्या (आत्मा, ना कि शरीर) https://youtu.be/j-4TUf1WTKw&t=5089 इनहीं तीन गुणों के कारण हम मोह ग्रस्त हो कर, भगवान को नहीं जान पाते https://youtu.be/j-4TUf1WTKw&t=5154 ये तीन गुणों के बारे में समझिए, तमो गुण में आप गलत को सही समझते हो और सही को गलत, धर्म को अधर्म और अधर्म को धर्म मान बैठते हैं, इनसे आलस्य और नींद पैदा होती हैं, इस गुण में आप ये चाहते हो कि मुझे कुछ भी काम नहीं करना पड़े, मगर इंद्रीय तृप्ती (sense gratification) हो जाये, https://youtu.be/j-4TUf1WTKw&t=5165 तमो गुण को बताया गया है लोहे का रस्सा, रजो गुण को चांदी का रस्सा, मगर दोनों हालत में हम बंधे तो हैं ही, रजोगुण वाले व्यक्ति में इच्छाओं की कोई सीमा नहीं होती, उत्कंठा (anxiety) और तृष्णा (cravings, desires) में लालायित रहता है, इच्छा पूर्ति ना होने पर विलाप (lament) करता है, व्यक्ति भ्रमित रहता है और confused रहता है यानी क्या सही है क्या गलत है उसी उधेड़बुन में लगा रहता है, धर्म क्या है अधर्म क्या है स्पष्ट नहीं होता, इसमें उसे तुरंत इन्द्रिय तृप्ति नहीं चाहिए मगर बोलता है कि मैं मेहनत करूँगा, factory लगाऊंगा, नौकरी करूँगा, फिर इन्द्रिय तृप्ति करूँगा https://youtu.be/j-4TUf1WTKw&t=5205 तमो गुण वाला व्यक्ति बदमाश होता है, drug addict होता है, उसे हर समय नशा चाहिए (intoxication) https://youtu.be/j-4TUf1WTKw&t=5277 सतो गुण: इसमें ज्ञान है, संतोष है, प्रकाशित करता है, इसमें आप जानते हो कि सही क्या है और गलत क्या है, ये आपको पापों से मुक्त करता है क्योंकि आप भौतिक इच्छाओं के पीछे नहीं भागते, मगर ये भी बांधता है भौतिक सुख की अनुभूति से, इसलिए आध्यात्मिक चेष्टा नहीं करते https://youtu.be/j-4TUf1WTKw&t=5323 कई लोग कहते है की भगवान क्यों नहीं मार्गदर्शन करते हैं, जब व्यक्ति तमो गुण से भरपूर होता है और आलस्य और नींद में ही रहता है तो भगवान की बात नहीं सुन पाता, ऐसे ही रजो गुण वाला व्यक्ति की इच्छाएं इतनी प्रबल होती हैं कि भगवान की वाणी को नहीं सुनता, सतो गुण में इतना संतोष होता है, भगवान बोलते रह जाते हैं मगर हम नहीं सुन पाते https://youtu.be/j-4TUf1WTKw&t=5371 This divine energy of Mine, consisting of the three modes of material nature, is difficult to overcome. But those who have surrendered unto Me can easily cross beyond it. https://vedabase.io/en/library/bg/7/14/ https://youtu.be/j-4TUf1WTKw&t=5444 इस धरती पर, स्वर्ग लोक में और सभी देवी देवता, कोई ऐसा नहीं है जो इन तीनों गुण से ना बंधा हो यानी देवी, देवता भी आपको भवसागर से नहीं तार सकते, महादेव शिव को छोड़कर मगर ज्यों ही आपने अपने लिए कुछ मांगा महादेव शिव से, तो आप असुर कहलाओगे https://youtu.be/j-4TUf1WTKw&t=5467 लड़कियां जाती है अपने लिए पति मांगने, शिव के पास, सुनिए ....... https://youtu.be/j-4TUf1WTKw&t=5507 वास्तव में 99% लोग शिव से कुछ मांगते हैं, शिव से ये नहीं कहते कि हे शिव, बताईये मैं आपके लिए क्या करूँ, यानी ऐसे लोग अपने आप को भक्त कहलाने लायक नहीं हैं, वे शिव को अपना भक्त मानते हैं....., क्योंकि जो आज्ञा मानता है वो होता है भक्त, इसलिए जिसकी भक्ति करना चाहो पहले विचार करो कि वो आज्ञा क्या दे रहे हैं, जैसे हनुमान जी के लिए कहा जाता है “राम काज करिबे को आतुर”, हम कहते हैं नहीं हनुमान जी, राम जी को side में करिए, “मेरा काम करिबे को आतुर बनिए” https://youtu.be/j-4TUf1WTKw&t=5581 दलदल में फंस जाओ तो अपने आप बाहर नहीं निकल सकते, और दूसरी negative quality ये है कि जितना अधिक हिलोगे उतना ही और उसमें और धस्ते जाओगे, भौतिक जगत में भी ऐसा ही है जितना आप स्वयं निकलने का प्रयत्न करोगे आप और फंसते जाओगे, दलदल में फंसा व्यक्ति चिल्लाता है “बचाओ” और भौतिक जगत से बचने का एक ही तरीका है हरे कृष्ण हरे कृष्ण महामंत्र से पुकारो, यानी भगवान को पुकारते हैं, तो भगवान गुरु को भेजते हैं, गुरु रस्सा फेंकता है और रस्सा क्या है भगवान के आदेश, गुरु को अपना स्वयं का आदेश देने का कोई अधिकार नहीं है, आज के ज्यादातर गुरु खुद दलदल में फंसे हैं, दूसरे को क्या निकालेंगे, मूर्ख बना रहे हैं https://youtu.be/j-4TUf1WTKw&t=5649 जो वैष्णव गुरु है जब वो आपको रस्सा फेंकते हैं भवसागर रूपी दलदल से बाहर निकलने का, हम कुछ दिनों के लिए जब सत्संग में होते हैं केवल उतने समय के लिए तो पकड़ लेते हैं रस्से को, मगर सत्संग से बाहर आते ही, रस्से को छोड़ देते हैं, इसलिए भवसागर में ही डुबकियां लगाते रहते हैं, वास्तव में चाहिए यह कि श्रद्धा और विश्वास से रस्से को पकड़े रखे, तो भवसागर रूपी दलदल से अवश्य बाहर निकल आएगा https://youtu.be/j-4TUf1WTKw&t=5738 भगवान और भगवान के भक्त, इन तीनों लोगों ने गुणों के दलदल से बाहर हैं, इसलिए वो सबको भवसागर के रोग से निकालने की क्षमता और सामर्थ रखते हैं https://youtu.be/j-4TUf1WTKw&t=5769 The Vedas deal mainly with the subject of the three modes of material nature. O Arjuna, become transcendental to these three modes. Be free from all dualities and from all anxieties for gain and safety, and be established in the self. हम केवल भगवान का आदेश आपके सामने यथारूप रख रहे हैं और यही भगवान के आदेश भव रूपी सागर से बाहर निकालने के लिए रस्सी का काम करते हैं https://vedabase.io/en/library/bg/2/45/ https://youtu.be/j-4TUf1WTKw&t=5781 & वेदों में भी उन तीन गुणों के बारे में जो लिखा है ऊनहें त्याग दो क्योंकि तुम्हें इन से भी ऊपर उठना है, वेद यानी ज्ञान, कखग से लेकर ज्ञान की परकाष्ठा यानि कविता यानी गीता तक पहुँचता है, भगवान ने प्रत्येक तरह के व्यक्ति यानी प्रत्येक गुण के व्यक्ति के लिए कुछ ना कुछ दिया है ताकि तमो गुण वाला व्यक्ति रजोगुण में पहुंचे और रजो गुण वाला सतो गुण में, ध्यान रहे कि भौतिक जगत में तीनों गुण अशुद्ध हैं, मिश्रित हैं, मगर इन तीनों गुणों से ऊपर भी वैकुंठ धाम में एक और गुण है, “वसुदेव” (“वासुदेव” नहीं) गुण जो शुद्ध सतो गुण है, जीवन में भी इन तीन गुणों में स्पर्धा (competition) चलती है, कभी कोई गुण अधिक होता है, कभी दूसरा कभी तीसरा, जैसे रात को तमोगुण हावी होता है और नींद आती है https://youtu.be/j-4TUf1WTKw&t=5918 अक्लमंद व्यक्ति तमो गुण जैसे नींद का भी, लाभ के लिए इस्तेमाल कर लेता है, 6 घंटे से ज्यादा नहीं सोना चाहिए, नो उसे 12 बजे तक की नींद 6 घंटे की नींद के बराबर होती है, 12 से 4 बजे तक की नींद 4 घंटे की नींद के बराबर होती है, सुबह 4:00 बजे के बाद जितना सोते हो केवल आधी नींद मिलती है, early to bed & early to rise make a man health, wealthy & wise, हम ये नहीं कहते कि जल्दी उठो, हम ये कहते हैं कि जल्दी सो जाओ क्योंकि जल्दी सोओगे तो जल्दी उठोगे ही https://youtu.be/j-4TUf1WTKw&t=6000 Men of small knowledge are very much attached to the flowery words of the Vedas, which recommend various fruitive activities for elevation to heavenly planets, resultant good birth, power, and so forth. Being desirous of sense gratification and opulent life, they say that there is nothing more than this. https://vedabase.io/en/library/bg/2/42-43/ https://youtu.be/j-4TUf1WTKw&t=5825 In the minds of those who are too attached to sense enjoyment and material opulence, and who are bewildered by such things, the resolute determination for devotional service to the Supreme Lord does not take place. https://vedabase.io/en/library/bg/2/44/ https://youtu.be/j-4TUf1WTKw&t=5875 https://youtu.be/j-4TUf1WTKw&t=5890 1 38 10 प्रश्न उठता है कि इन तीन गुणों से ऊपर कैसे उठें, जैसे कांटे को कांटा निकालता है, वैसे ही इन तीन गुणों को ही इस्तेमाल करके इन तीन गुणों से बाहर आया जाता है, तमो, रजो, सतो - तीनों गुण में प्रत्येक में छ: (six ) प्रकार होते हैं https://youtu.be/j-4TUf1WTKw&t=6073 शिव और दुर्गा जी के उपासकों को तमोगुण में माना गया है, अन्य देवताओं के उपासकों को रजो गुण में माना गया है, विष्णु के उपासकों को सतो गुण में माना गया है https://youtu.be/j-4TUf1WTKw&t=6113 “अमर पुराण” यानी श्रीमद् भागवत और गीता - इन तीनों गुणों से ऊपर बताई गई है, यदि आपको वेदों में कुछ विरोध आभासी (contradictory) बात लगे तो अपना उत्तर लीजिये श्रीमद् भागवत और गीता से https://youtu.be/j-4TUf1WTKw&t=6148 In science, at lower level, it is taught that the light travels in straight line, later we are informed that light moves in waves, still later we are told that light is a particle, still higher we are informed that light is both a wave and a particle (termed as “wavicle” (wave + particle)) https://youtu.be/j-4TUf1WTKw&t=6180 ठीक इसी प्रकार वेदों में भी अलग अलग स्तर पर अलग अलग बातें बताई गयी हैं मगर अंतिम निर्णय श्रीमद् भागवत और गीता से ही लीजिए, जैसे एक छोटे बच्चे से पूछो, 3-2= मगर वही सवाल दूसरे तरीके से पूछो 2-3 = ? तो बच्चा कहेगा पापा आपको सवाल पूछना भी नहीं आता जबकि 2-3 = -1 in higher class https://youtu.be/j-4TUf1WTKw&t=6248 इस कलयुग में आपके पास है special help है कि आप सीधा post graduate करें और श्रीमद् भागवत और गीता पढ़ सकें, जिसका जन्म भारतवर्ष में हुआ है वो अपनी “graduation” (यानि basic आध्यात्मिक ज्ञान) कर चुका है अपने पिछले जन्मों में, अब वो top level का ज्ञान लेने के लिए योग्य है https://youtu.be/j-4TUf1WTKw&t=6286 उदाहरण: जैसे आप Sony TV company में गए वहाँ पर 22,000 manager हैं, अब आप ऊन managers के चक्कर में पड़ गए, आप यह भूल गए की factory का मालिक कौन है, ठीक इसी प्रकार हिंदुस्तान में भी लोगों से गलती ये हुई कि लोग देवी देवताओं को मानने लग गये जो अनेक हैं, मगर भगवान को भूल गए जो एक हैं, Bible वाले Christians कहते हैं कि आपको तो ये भी नहीं मालूम कि आपका भगवान कौन है, अरे भाई हमारे सनातन धर्म के शास्त्र भी यही कहते हैं की भगवान एक ही हैं मगर मूर्ख लोग पचासों को मानने लग गये तो किस का कसूर है ? ये अध्यात्म क्षेत्र एक super market नहीं है, आज एक मंदिर बनाएं तो 50 देवी देवताओं की मूर्तियां लगा दी जाती है, ताकि प्रत्येक मूर्ति के सामने तिजोरी में कुछ डाल के जाएं, मंदिरों को भी पैसा बनाने का धंधा बना दिया, ये सब मूर्खता कलयुग में होती है https://youtu.be/j-4TUf1WTKw&t=6310 भगवान अवतार लेते हैं धर्म की स्थापना के लिए, क्या भगवान ने कभी कहा की यदा यदा mercedes देने आता हूँ या पति या पत्नी देने आता हूँ या बच्चे देने, भगवान धर्म देने आते हैं क्योंकि धर्म के बिना आप पाप करोगे और पाप की वजह से आप जीवन भर तड़पते थे, तड़पते हो और तड़पते रहोगे, इसीलिए भगवान मूल का इलाज करते हैं (Therefore Lord tries to give us a panacea for all diseases but we fools do not take it), और धर्म क्या है भगवान की सेवा करना, अंश का धर्म है पूर्ण की सेवा करना https://youtu.be/j-4TUf1WTKw&t=6374 आप भगवान के सामने दंडवत प्रणाम करें और मांगे केवल “कृष्ण भक्ति”, आजकल मूर्खता बड़े प्रश्न करते हैं कि अरे वृन्दावन में भी तो गोपियों ने “कात्यायनी देवी” की पूजा करी थी, मगर उन्हें कोई बताए कि किस लिए करी थी, श्रीकृष्ण को प्राप्त करने के लिए, रुकमणी और सीता ने भी दुर्गा की पूजा करी थी, किस लिए करी थी, श्रीकृष्ण को प्राप्त करने के लिए, तो देवी देवताओं की पूजा करके और अपने भौतिक जगत के लिए कुछ मांगना -ऐसा नहीं करना, अपनी अल्प बुद्धि इस्तेमाल नहीं करना, बुरी हालत हो जाएगी https://youtu.be/j-4TUf1WTKw&t=6417 किसी की आयु कितनी है सिर्फ भगवान को मालूम है, हमारा धर्म खिचड़ी नहीं है स्पष्ट है, जितनी detail हमारे पास है किसी और धर्म में नहीं है, गीता केवल वैष्णव भक्त यानी Prabhupad जी की पड़िए (Bhagwad Gita - As It Is), बाकी ज्ञानी, ध्यानी, तपस्वी, योगी द्वारा commented नहीं), I am telling you my own experience after reading 48 different translations of Gita & therefore with God’s grace, there is no question that I cannot answer: Following are the recommended links: Bhagwad Gita - As It Is: https://vedabase.io/en/library/bg/ *Srimad Bhagavat* : https://vedabase.io/en/library/sb/ https://youtu.be/j-4TUf1WTKw&t=6455 एक तीसरी क्लास का बच्चा अपने heart surgeon पिता से पूछे कि heart surgery कैसे होती है, पिता बता भी देंगे, तो बच्चे को समझ में आएगा क्या ? ऐसे ही हम अभी अध्यात्म की छोटी कक्षा में है और सवाल करते हैं बड़े PhD जैसे, उत्तर समझ में आएँगे क्या? https://youtu.be/j-4TUf1WTKw&t=6507 इसीलिए आपसे अनुरोध करते हैं की केवल “Bhagwad Gita - As It Is” & “Srimad Bhagavat” ही पढ़ें बाकी शास्त्र पढ़ने की आवश्यकता नहीं https://youtu.be/j-4TUf1WTKw&t=6534 सत्य तो सत्य ही है, लोग कहते हैं कुछ भी पढ़ लो “चलता है” सब रास्ते भगवान की ओर जाते हैं, अरे भाई नहीं चलता है, क्या भगवान तक आपकी बात पहुँच रही है ? तो क्यों time waste कर रहे हैं ? यदि कृष्ण की बात कर रहे हो, तो कृष्ण तक बात पहुँच रही है, क्यों क्योंकि वो हृदय में विराजमान हैं https://youtu.be/j-4TUf1WTKw&t=6561 जो बात करने योग्य है और जो करनी चाहिए (यानी भगवान श्रीकृष्ण की) उसके लिए हमारे पास समय नहीं है https://youtu.be/j-4TUf1WTKw&t=6580 क्या फालतू की बातों में हम सारा समय व्यर्थ बिता देते हैं, “उसने इतना पैसा खाया है”, अरे माला लीजिये और “japa morning walk” करिये, 1 घंटे में करीब सात “माला” हो जाती हैं, यदि लोगों से बात करने की इच्छा है तो सब लोगों अपनी अपनी गीता खोलीये और एक एक श्लोक पड़ कर सुनाइए दूसरों को https://youtu.be/j-4TUf1WTKw&t=6582 भगवान की आरती पांच दीपक से करें जाती है क्योंकि भक्ति के पांच भाव होते हैं, शांत, दास, सख्य, वात्सल्य, माधुर्य और ये पांचों भाव मैं आपको अर्पण करता हूँ भगवन https://iskcondesiretree.com/profiles/blogs/5-1 https://youtu.be/j-4TUf1WTKw&t=6665 ये तीन गुण पैदा होते हैं संगत से, जैसी संगत वैसे गुण, इसलिए ज्यादा से ज्यादा भगवान के भक्तों का संग करना चाहिए https://youtu.be/j-4TUf1WTKw&t=6703 काल :सुबह का समय सतो गुण के लिए है, दोपहर का रजो गुण के लिए और रात्रि का तमो गुण के लिए, जितने भी रजोगुण और तमोगुण वाले देवी देवता हैं इनकी पूजा रात को ही होती है, विष्णु की पूजा कभी रात को बल्कि सुबह ही होती है, रात का समय तो भूतों और पिशाचों के लिए है https://youtu.be/j-4TUf1WTKw&t=6736 कर्म: किसके लिए कर्म करते हो यह महत्वपूर्ण है https://youtu.be/j-4TUf1WTKw&t=6796 ध्यान: किसका ध्यान करते हो, मन मैं क्या विचार लाते हो https://youtu.be/j-4TUf1WTKw&t=6855 क्या मंत्र जपते हो, मंत्र भी तीन गुणों में होते हैं सतो, रजो और तमो, ब्रह्मा जी स्वयं बता रहे है कि कल युग के जीवों का उद्धार महामंत्र से ही होगा यानि: हरे कृष्ण हरे कृष्ण, कृष्ण कृष्ण हरे हरे हरे राम हरे राम, राम राम हरे हरे प्रत्येक युग के लिए अलग अलग मंत्र होते हैं मगर कलियुग में इससे श्रेष्ठ कोई और उपाय नहीं है https://youtu.be/j-4TUf1WTKw&t=6886 आप कहोगे गायत्री मंत्र, जब तक पवित्र नहीं हो अंदर बाहर से तब तक गायत्री को छूने का भी अधिकार नहीं है, गायत्री छोड़ो “ओम” तक बोलने का भी अधिकार नहीं है, यदि शुद्धता ना हो, प्राण कहते हैं कि कलयुग में सभी “शूद्र” पैदा होते हैं, और शुद्ध के लिए कोई भी मंत्र जपने का अधिकार नहीं है केवल महामन्त्र किसी भी स्थिति या हालत या वर्ण में जप सकते हैं https://youtu.be/j-4TUf1WTKw&t=6971 सतयुग में ध्यान, त्रेता में हवन, द्वापर में मंदिर और कलियुग में हरिनाम ही उत्तम हैं भागवत प्राप्ति के लिए, मन को भागने के लिए दो द्वार हैं कान और मुँह, दोनों को बंद कर दिये मन ठहर जाएगा https://youtu.be/j-4TUf1WTKw&t=7060 ब्रह्म का क्या अर्थ है: वो दिव्य है सनातन है और सदैव बढ़ता रहता है और सत्य का प्रतीक है https://youtu.be/j-4TUf1WTKw&t=7091 क्या इस जन्म का फल अगले जन्म में मिलता है: नहीं इस जन्म में भी और अगले जनम में भी मिल सकता है https://youtu.be/j-4TUf1WTKw&t=7122 पुनरजनम के बारे में research report कैसे मिलेगी: type “Ian Stevenson” in google https://med.virginia.edu/perceptual-studies/wp-content/uploads/sites/360/2015/11/REI36Tucker-1.pdf Twenty Cases Suggestive of Reincarnation : https://www.goodreads.com/en/book/show/205259 https://youtu.be/j-4TUf1WTKw&t=7143 क्या आध्यात्मिक गुरु बदल सकते हैं ? (यदि वे कृष्ण भक्त नहीं हैं तो गुरु हो ही नहीं सकते, वास्तव में गुरु है ही नहीं), यदि वे कृष्ण भक्त हैं, तो सुनिये.... https://youtu.be/j-4TUf1WTKw&t=7157 अनपढ़, अज्ञानी और अल्पबुद्धि के जीव भगवान को कैसे प्राप्त कर सकते हैं: भगवान गीता में कहते हैं केवल प्रेम करना है हृदय से केवल वही एक qualification चाहिए, भगवत प्राप्ति के लिए https://youtu.be/j-4TUf1WTKw&t=7250 Standby link (in case youtube link does not work) :