Monday, June 21, 2021

कृष्ण रास लीला - भागवत महापुराण का प्राण - रास पंचाध्यायी का अद्भुत वर्णन Krishna Ras Raas Leela - Full Transcript Text




भागवत महापुराण का प्राण - रास पंचाध्यायी का अद्भुत वर्णन | Jagadguru Shri Kripalu Ji Maharaj



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कृष्ण रास लीला


भगवान के दिव्य रूप को हम माया से बंधे जीव नहीं समझ पा सकते, माया से ऊपर उठना पड़ेगा


पांच तरह की गोपियां होती है। सखी, नित्य सखी, प्राण सखी, प्रिय सखी, परम श्रेष्ठ सखी


किसी भी भाव - काम (lust), e.g., by Gopis, क्रोध (anger), भय (fear) , e.g., by Kansa, स्नेह (love), द्वेष (hatred) , e.g., by Shishupal, ईर्ष्या (jealousy)  - से भजिए भगवान श्री कृष्ण को, बस उनसे जुड़ जाइए, मगर सबसे उत्तम भक्ति से, स्मरण (remembrance), श्रवण (hearing), भगवत धाम की प्राप्ति हो सकती है  


पूरी श्रीमद भागवत (holiest granth) का सारांश (1) श्री कृष्ण भक्ति के बिना सब ज्ञान व्यर्थ है (2) कर्मों का पालन करने से दो ही चीजें प्राप्त होती है कीर्ति और धन जो कि दोनों सांसारिक हैं - इसके लिए कोई बहुत परिश्रम करे, पूरा जीवन बिता दे, तो वह बुद्धिमान नहीं है - यानी ज्ञान और कर्म दोनों का खंडन कर दिया श्रीमद भागवत के अंत में

  • https://youtu.be/zgfnRRK5x6g?t=1677


  • श्रीकृष्ण ने ही उद्धव को समझाया था की धर्म कर्म से कुछ नहीं होगा बस केवल स्वर्ग ही मिलेगा और स्वर्ग में भी मृत्यु लोक की तरह बहुत क्लेश (tribulations) है 
  • https://youtu.be/zgfnRRK5x6g?t=1904


मेरा पति यदि मुझे आप की शरण में आने के लिए रोकता है तो इसका मतलब वो पातकी (पापी, sinful) है


गोपियों ने श्रीकृष्ण को कहा: हे श्री कृष्ण आप हमारा चित्त / मन वापिस कर दीजिये तो मैं घर चली जाऊंगी


प्रेम भक्ति, स्नेह भक्ति, मान भक्ति, प्रणय भक्ति, राग भक्ति, अनुराग भक्ति, भाव-आवेश भक्ति


सुख देव जी ने कसम खायी थी की राधा नाम नहीं बोलेंगे पूरी  श्रीमद भागवत में


ये रास पंचाध्यायी श्रीमद् भागवत में बहुत गूढ़ है समझने के लिए, शब्द कुछ हैं मतलब कुछ और है


गोपियों ने गोपी गीत गाया- 19 श्लोक - श्रीकृष्ण को प्रकट करने के लिए - ये पूरी भागवत में सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण है


जो भगवान के नाम, रूप, गुण, धाम की कथाओं, लीलाओं का प्रचार करते है सब में, वो बहुत बड़े दानी हैं


जब आप गाय चराने जाते थे जंगल में, तो एक एक क्षण (त्रुटि) हमारे एक युग के समान प्रतीत होता था


अब पूरी भागवत का सबसे सर्वश्रेष्ठ श्लोक, गोपी गीत का 19 वां श्लोक, गोपी ने कहा: श्रीकृष्ण जब आप के तलवों (soles of Your feet) को मैं अपने स्तन (breasts) पर रखती हूँ तो सोचती हूँ की आप के तलवों को मेरे स्तन के स्पर्श से तकलीफ / दुख न पहुँचे - यानी श्री कृष्ण के सुख की कामना - यही सर्वोत्तम भक्ति है - इस बात पर श्रीकृष्ण पिघल गए


भगवान कहीं गए नहीं थे वो तो सर्वव्यापी है, आंख मिचौली खेलते है अपने भक्तों के साथ, भक्तों का प्रेम बढ़ाने के लिए, उनकी परीक्षा लेने के लिए