Friday, August 27, 2021

ना रंग है ना रूप है ना गुणों की कोई खान है, फिर श्याम कैसे शरण मिले, इसी सोच में मेरे प्राण हैं by Indresh ji



ना रंग है ना रूप है ना गुणों की कोई खान है

फिर श्याम कैसे शरण मिले

इसी सोच में मेरे प्राण हैं  

https://youtu.be/HjeyTRltME0?t=31  नफरत है जिनसे उन्हें सदा, उन्हीं अवगुणों में हूँ मैं बंधा   https://youtu.be/HjeyTRltME0?t=97  प्रभु आप कहते हो: " निर्मल मन जन मोहे पावा मोहे छल छिद्र कपट ना भावा" I like (मोहे पावा, i.e., gets Me) those (जन) with simplicity (निर्मल मन), i.e., without any malice in heart I do not like (ना भावा) : छल (deceitful), छिद्र (those who find faults in others), कपट (selfish materialistic people, i.e., क+पट, i.e., that which covers (पट) सुख (क means सुख)) https://youtu.be/HjeyTRltME0?t=127  कभी कुटिलता है, कपट भी है, हठ भी है अभिमान है, फिर श्याम कैसे शरण मिले, इसी सोच में मेरे प्राण हैं   https://youtu.be/HjeyTRltME0?t=183  सुख शांति की तो तलाश है साधन ना एक भी पास है, ना तो योग जप तप कर्म है, ना तो धर्म है, पुण्य दान है फिर श्याम कैसे शरण मिले, इसी सोच में मेरे प्राण हैं      https://youtu.be/HjeyTRltME0?t=294  एक आसरा है तो है यही, क्यों करेंगे मुझ पर कृपा निधि https://youtu.be/HjeyTRltME0?t=430  (केवल एक आसरा है) एक दीनता का हूँ बिंदु मैं, वो कृपालुता के निधान हैं, मेरे श्याम कैसे शरण मिले , इसी सोच में मेरे प्राण हैं (दीनता = humility) https://youtu.be/HjeyTRltME0?t=497  summary  https://youtu.be/HjeyTRltME0?t=566  मन क्रम विचार से, लगी लौ इस संसार से, पर स्वप्न में भी भूल के कभी ना उनका कुछ भी ध्यान है, श्याम कैसे शरण मिले, इसी सोच में मेरे प्राण हैं https://youtu.be/HjeyTRltME0?t=647  concluding remarks, हर मनुष्य इस भाव को अपने ऊपर लगाकर देखे   https://youtu.be/HjeyTRltME0?t=709