Saturday, October 23, 2021

हमारी भक्ति की चरम स्थिति ऐसी होनी चाहिए कि मेरा सुमिरन हरि करे मैं पाऊं विश्राम , The peak state of our loving devotion should be such that Lord remembers me and I get eternal blissful rest - by Shri Indresh Upadhyay ji

हमारी भक्ति की चरम स्थिति ऐसी होनी चाहिए कि मेरा सुमिरन हरि करे मैं पाऊं विश्राम - by Shri Indresh Upadhyay ji

The peak state of our loving devotion should be such that Lord remembers me and I get eternal blissful rest

https://youtu.be/s1nhgNRmuc4


0 15 कई लोग भागवत की आयोजन  इसलिए करते हैं कि पितरों की संतुष्टि हो जाए केवल इसी वजह से नहीं करानी चाहिए

https://youtu.be/s1nhgNRmuc4?t=15  1 30 असली मकसद यह है: परम धर्म करने की इच्छायें हम में जागृत हो जाएं https://youtu.be/s1nhgNRmuc4?t=90  1 53 धर्म और परम धर्म में अंतर https://youtu.be/s1nhgNRmuc4?t=113  2 52  भागवत का अधिकारी कौन है जिसमें मातसर्य (ईर्ष्या, jealousy) भाव नहीं हो https://youtu.be/s1nhgNRmuc4?t=172  3 52  95% लोगों में मातसर्य (ईर्ष्या, jealousy) होता है https://youtu.be/s1nhgNRmuc4?t=232  4 17  तब तक सत्संग सुनो नाम जप करो जब तक ऐसा व्यक्ति जिसके प्रति आपकी ईर्ष्या थी पहले, अब आपको प्रिय लगने लगे, और जिस दिन ऐसा होने लगे कि आपको प्रेम हो, ईर्ष्या की बजाय, तो समझ लेना राम जी मिलने वाले हैं आपको https://youtu.be/s1nhgNRmuc4?t=257  5 30 राम जी को रावण से ईर्ष्या अगर होती तो हनुमान को, अंगद को नहीं भेजते लंका में रावण के पास https://youtu.be/s1nhgNRmuc4?t=330  5 58  श्री कृष्णा भी शांतिदूत बनकर पहले स्वयं गए दुर्योधन के पास ईर्ष्या होती तो नहीं जाते https://youtu.be/s1nhgNRmuc4?t=358  6 58  कंस को भी पहले कितने संदेश भेजें कितने राक्षस मार के कि भैया अब तो सुधर जा https://youtu.be/s1nhgNRmuc4?t=418  7 11  हमें यदि ईर्ष्या होगी किसी के साथ तो हम सुधारने की बजाय सीधा युद्ध करने पहुंच जाएंगे, FIR नोट कर लो https://youtu.be/s1nhgNRmuc4?t=431  7 27  जब ईर्ष्या का भाव नष्ट होता है तो अगले से संवाद किया जाता है विवाद नहीं, वैष्णव अपने आप को हरा देगा मगर विवाद नहीं करेगा https://youtu.be/s1nhgNRmuc4?t=447  7 57  यदि ईर्ष्या का भाव होगा तो मंच पर बैठा वक्ता भी किसी पर प्रभाव नहीं कर पाएगा और अगर यदि श्रोता हुआ तो सब भूल जाएगा 4 घंटे की कथा https://youtu.be/s1nhgNRmuc4?t=477 8 15 यह ईर्ष्या एक किस्म का बांध है वह कानों में तो आने देगा कथा को मगर हृदय में उतरने नहीं देगा https://youtu.be/s1nhgNRmuc4?t=495  8 34 और यह मातसर्य दोष हटेगा कैसे सत्संग से, असल में सभी विकारों और दोशों की दवाई है सत्संग https://youtu.be/s1nhgNRmuc4?t=514  9 17 तो पहली चीज आपको मातसर्य भाव खत्म करना है तब आप अधिकारी बनोगे कथा सुनने के लिए https://youtu.be/s1nhgNRmuc4?t=557  9 48   चिंता मत करना, आर्त (पीड़ा) भगाना, धन मिलाना दुख हटाना, यह सब कथा का उद्देश्य नहीं है कथा का उद्देश्य है श्री कृष्ण आपको भगवान से हटकर अपनत्व यानी किसी संबंध के रूप में आपके प्रिय लगने लगेंगे https://youtu.be/s1nhgNRmuc4?t=588  11 08  यदि कथा सुनने इस मकसद से बैठेंगे कि कृष्ण को अपना बनाना है तो यह 100% गारंटी देता हूं मैं कि यह होगा कथा सुनने के बाद https://youtu.be/s1nhgNRmuc4?t=668  11 34 आप कहोगे कि मैं तो अभी भी कृष्ण को सखा मानता हूं लेकिन कथा सुनने के बाद श्री कृष्ण भी आपके सखा मानेंगे और दूसरा आप श्री कृष्ण के पीछे-पीछे नहीं चलोगे श्री कृष्ण आपके संग चलेंगे https://youtu.be/s1nhgNRmuc4?t=694  12 30 जहां ले चलोगे वहीं मैं चलूंगा यह भक्ति की प्रारंभिक स्थिति है, मगर भक्ति की चरम सीमा क्या है जब ठाकुर जी कहेंगे जहां ले चलोगे वहीं मैं चलूंगा https://youtu.be/s1nhgNRmuc4?t=750  13 14  मेरा सुमिरन हरि करें मैं पांऊं विश्राम https://youtu.be/s1nhgNRmuc4?t=794  14 02  इसका प्रमाण यह है कि जैसे सूरदास जी ने सवा लाख पद लिखने थे, एक लाख पद के बाद ही वह पधार गए, तो बाकी पद कहते हैं भगवान ने लिखे और अंत में “सूर श्याम” करके लिखे, जबकि सूरदास के पद में अंत में “सूरदास” होता था https://youtu.be/s1nhgNRmuc4?t=842  15 07  हरि जी मोरी क्या बिगाड़ेगी, जाएगी लाज तुम्हारी, पछताई हो जब देख मुझे उभारी, यह पद सूर श्याम यानी भगवान ने लिखा है, सूरदास जी ने नहीं https://youtu.be/s1nhgNRmuc4?t=907  15 43  तुलसीदास जी ने रामायण तो लिख दी मगर जरूर रघुनाथ जी ने बोला होगा कहा होगा और नाम तुलसीदास जी का लिखवा दिया https://youtu.be/s1nhgNRmuc4?t=943 16 12 गीत गोविंद जब लिखा जयदेव ने तो आखरी पद लिखना था तो लिखा नहीं जा रहा था, याद नहीं आ रहा था क्या लिखे पत्नी को बोला स्नान करने जा रहा हूं, पूरा किस्सा सुनिए https://youtu.be/s1nhgNRmuc4?t=972  19 30  भगवान को तुम भजो वह तो ठीक है मगर एक स्थिति ऐसी आए जब भगवान आपको भजें वह है चरम सीमा भक्ति की https://youtu.be/s1nhgNRmuc4?t=1170 19 49  यह प्रमाण देखना हो कि भगवान मुझसे प्रसन्न हैं कि नहीं तो मंदिर में उनके श्रृंगार में क्या-क्या लगने वाला है, पहले से सोच लो यदि उनमें से कुछ भी हुआ वैसा जैसे आपने सोचा था, तो समझो भगवान आपसे प्रसन्न हैं https://youtu.be/s1nhgNRmuc4?t=1189 21 14  जब मुझे स्पष्ट मालूम हुआ कि महाकाल मिलना चाहते थे ठाकुर जी से वास्तव में गले लगाना चाहते थे https://youtu.be/s1nhgNRmuc4?t=1274  24 52  पंडित ने ठाकुर जी को नहला दिया महाकाल के अभिषेक में, मैं डर रहा था कि आज तो ठाकुर जी ठिठुर गए होंगे, चलो हम तो बच गए, मगर फूलों की माला पंडित जी ने मुझे पहना दी, दो ढाई किलो पानी सब मुझ पर पड़ा और मैं भी ठिठुर गया https://youtu.be/s1nhgNRmuc4?t=1492  26 41  रोज शयन के समय ठाकुर जी को गीत गोविंद सुनाओ, एक दिन ऐसा आएगा जब आपको स्पष्ट ठाकुर जी दिखेंगे सिंहासन पर बैठे हुए आपका गीत गोविंद सुन रहे https://youtu.be/s1nhgNRmuc4?t=1601  27 37  नाभा गोस्वामी जी का उदाहरण सुनिए https://youtu.be/s1nhgNRmuc4?t=1657  27 55  गीत गोविंद गाया https://youtu.be/s1nhgNRmuc4?t=1675 

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