Gita Full Course Part 7 of 7 (भाग - 7)
https://www.youtube.com/watch?v=U4VYmrqYmro&list=PLI9pJ1j5Go3vKJPXVUv_NhNwB6seW2qHC&index=7
हम इस प्रकृति में आनंद ढूंढ रहे हैं मगर भगवान कह रहे है ये तो “दुखाल्यम अशाश्वतम”-यानी दुखों का घर है और वो भी temporary, हम ढूंढ तो सही चीज़ रहे हैं आनंद - मगर गलत जगह ढूंढ रहे हैं, बहुत मेहनत के बाद यदि आपको कोई सुखदायक चीज़ मिल भी गई तो बहुत देर टिकने वाली नहीं, या तो चीज चली जाएगी या हम चले जाएंगे, इसलिए यह temporary होने का भय बना ही रहता है
https://youtu.be/U4VYmrqYmro&t=4
देवी देवता इस भौतिक प्रकृति के manager हैं, ब्रह्मा लोकतंत्र सभी देवी देवता मिलाकर तीन गुणों (सतो रजो तमो) के अधीन हैं (शिव को छोड़कर ,i.e., except Shiva), जिसका नाम है “माया”, शिव को केवल विष्णु (कृष्ण के अवतार) ही माया में डाल सकते हैं, जैसे कृष्ण ने मोहिनी रूप धारण किया था
https://youtu.be/U4VYmrqYmro&t=96
जब भी बचाया है श्री कृष्ण ने ही बचाया है, जैसे शिव ने भस्मासुर को वरदान दिया था कि जिसके सिर के ऊपर हाथ रखेगा वो भस्म में हो जाएगा, फिर उसने शिव के सिर के ऊपर ही हाथ रखना चाहा, शिव भागते रहे, मगर बाद में विष्णु जी ने ही बचाया भस्मासुर को भस्म करके
https://youtu.be/U4VYmrqYmro&t=139
शिवजी तो नित्य ध्यान में ही रहते हैं, इसीलिए वो तीन गुणों के अधीन नहीं आते, ऐसे ही भगवान के भक्त भी तीन गुणों के अधीन नहीं आते
https://youtu.be/U4VYmrqYmro&t=177
33 करोड़ देवी देवताओं को कैसे प्रसन्न रखा जाए, श्रीमद भागवत कहती है कि श्री कृष्ण को संतुष्ट कर दो, सभी संतुष्ट हो जाएंगे, यदि श्रीकृष्ण को संतुष्ट नहीं कर पाए तो बाकी सभी 33 crore देवी देवताओं को कैसे कर सकते हो ?
दिल में तो केवल भगवान ही होने चाहिए बाकी सब देवी देवताओं का सम्मान, आदर होना चाहिए
https://youtube.com/shorts/nG_NlUAbeNg
https://youtu.be/U4VYmrqYmro&t=194
भौतिक जगत “कुंठा” और आध्यात्मिक जगत “वैकुंठ” (वै = परे, beyond), ये बात हम पहले भी कर चुके हैं, “कुंठा” (यानी दुख) यानी जो space और time में सीमित है, “वैकुंठ” जो space और time मैं सीमित नहीं है
https://youtu.be/U4VYmrqYmro&t=263
तीन लोक हैं, भौतिक जगत को देवी धाम भी कहते हैं, शिव लोक का नाम है महेश धाम, महेश धाम से श्रेष्ठ हरि धाम (यानी “वैकुंठ”)
https://youtu.be/U4VYmrqYmro&t=326
मतलब ये हुआ कि देवी की पूजा करोगे तो इस भौतिक संसार में रहोगे, यहाँ देवी यानी दुर्गा, यहाँ पार्वती की बात नहीं हो रही है क्योंकि पार्वती तो सदैव शिव के साथ ही रहती हैं ,उनका काम नहीं है भौतिक जगत को चलाना
https://youtu.be/U4VYmrqYmro&t=354
महेश धाम के आधे हिस्से में भूत पिशाच हैं और आधे हिस्से में सदा हरि नाम संकीर्तन चलता रहता है, यानी महा मंत्र: महा मंत्र =
हरे कृष्ण हरे कृष्ण, कृष्ण कृष्ण हरे हरे
हरे राम हरे राम, राम राम हरे हरे
लेकिन ये कीर्तन केवल शिव के सही भक्तों को ही प्राप्त होता है, सही भक्त वो हैं जो शिव से कुछ मांगते नहीं मगर शिव की आज्ञा पालन करते रहते हैं, और शिव की आज्ञा यही रहती है कि राम और कृष्ण की भक्ति करो
https://youtu.be/U4VYmrqYmro&t=390
ये माया के तीन गुण आप को फंसाते हैं इस भौतिक जगत में, भगवान ने कहा है जो इन तीन गुणों की गति समझ गया वो तर गया
https://youtu.be/U4VYmrqYmro&t=439
जब हम इन तीन गुणों के रोग में जकड़े हुए हैं तो पहली चीज़ है परहेज बाद में दवाई काम करती है (जैसे गला खराब हो तो डॉक्टर कहता है पहले खट्टी चीज़ मत खाना जैसे कि दही, बाद में दवाई लेना), इसलिए हमें पहला काम ये करना पड़ेगा कि हम इन तीन गुणों के प्रभाव से बचें, दूसरा हम इन तीन गुणों से ऊपर कैसे उठें -क्योंकि भगवान ने स्वयं अर्जुन को कहा है कि इन तीन गुणों के ऊपर उठो, और इन तीन गुणों के इलावा है चौथा गुण, वसुदेव गुण जो कि दिव्य है
https://youtu.be/U4VYmrqYmro&t=449
हमें कौन से गुण में जाना चाहिए, वसुदेव गुण क्योंकि वसुदेव गुण दिव्य है, हमारी आत्मा भी दिव्य है, इसलिए आत्मा वहीं संतुष्ट रहेगी
https://youtu.be/U4VYmrqYmro&t=509
18 पुराणों में छ: (six) सतो गुण में, छ: रजो गुण में, और छ: तमो गुण में हैं, और ये तीनों गुण मिश्रित अवस्था में ही मिलते हैं, जैसे शराब (intoxicant) पीने वाला उसमें तुम गुण प्रधान हैं मगर रजो भी उसको इस्तेमाल करना पड़ेगा यानी मेहनत करनी पड़ेगी पैसा कमाने के लिए और दिमाग भी लगाना पड़ेगा यानी सतो गुण का भी इस्तेमाल करना पड़ेगा
https://youtu.be/U4VYmrqYmro&t=535
तीनों गुणों में स्पर्धा (competition) चलती रहती है कभी एक हावी, कभी दूसरा हावी, अब इस स्पर्धा में कौन जीतता है, ये आपके और मेरे हाथ में है, हमारी मानसिक स्थिति पर है
https://youtu.be/U4VYmrqYmro&t=630
एक घोड़े को नियंत्रित किया जाता है लगाम से और हाथी को एक अंकुश से, इंद्रियों को control किया जाता है जिव्या (tongue) से, छ: (six) इन्द्रियां (senses) हैं, पांच स्थूल (gross) इन्द्रियां और छठी (sixth) मन (सूक्ष्म, subtle), मन इंद्रियों का राजा है, जीभ चखती भी है और बोलती भी है
https://youtu.be/U4VYmrqYmro&t=655
बड़ी मशहूर कहावत है जैसा आहार वैसा व्यवहार (as you eat, so you are), जैसा अन्न वैसा मन, जैसा पानी वैसी वाणी, medical science (American research) also has agreed that food determines your behaviour but they cannot pinpoint which food leads to which behaviour, हम स्वदेशी वस्तुओं का सही मोल नहीं करते वही चीज़ जब विदेश से आती है तब हम उसकी कीमत समझते हैं, यही गीता जब बाहर से होकर वापिस भारत आयी, तब लोगों को इसके बारे में समझ आई
https://youtu.be/U4VYmrqYmro&t=720
इस भौतिक जगत में प्रत्येक वस्तु एक गुण से जुड़ी है और उस वस्तु का संग करने से वही गुण का प्रभाव हम में आता है, सबसे ज्यादा और महत्वपूर्ण असर होता है आहार का (the food we eat)
https://youtu.be/U4VYmrqYmro&t=773
भगवान ने कहा है की मन ही आपका सबसे बड़ा शत्रु भी है और सबसे बड़ा मित्र भी, यदि मन आपके काबू में नहीं है तो सबसे बड़ा शत्रु है और यदि मन काबू में है तो सबसे बड़ा मित्र है, हम सोचते रहते है की वो अमुक व्यक्ति मेरा शत्रु है और दूसरा भी शत्रु है मगर ये नहीं मालूम कि सबसे बड़ा शत्रु तो आपके अंदर ही है - आप ही का मन
https://youtu.be/U4VYmrqYmro&t=819
एक व्यक्ति उतना ही दुखी हो सकता है जितना वो स्वयं होना चाहे, शोक करना (दुख होना) allowed है मगर विलाप (बिलख-बिलख कर रोना) करना नहीं
https://youtu.be/U4VYmrqYmro&t=870
जितनी आसक्ती (मोह, attachment) होगी, उतना ही दुख गहरा होता चला जायेगा, उसके बिछड़ने से
https://youtu.be/U4VYmrqYmro&t=975
आहार का सीधा असर मन पर पड़ता है, हमारे शास्त्रों में मांसाहारी और शाकाहारी पर कोई चर्चा नहीं है मगर तीन गुणों के प्रकार का अन्न पर है
https://youtu.be/U4VYmrqYmro&t=988
अब आपसे एक प्रश्न पूछता हूँ यदि A=2, B=2, C=2, D=2 हो तो क्या मैं A की बजाय D और D की बजाय A लिख सकता हूँ ?
https://youtu.be/U4VYmrqYmro&t=1005
जितने भी non veg food और मसूर की दाल हैं, सब रजो और तमो को
https://youtu.be/U4VYmrqYmro&t=1041
हमारे शास्त्र बहुत स्पष्ट है की यदि आपने मन को बिगाड़ लिया, तो सब कुछ बिगाड़ लिया यानी पूरा जीवन बिगाड़ लिया
https://youtu.be/U4VYmrqYmro&t=1151
प्याज (onion), लहसुन (garlic) की उत्पत्ति गाय के मांस से हुई है, ये भी कहा गया कि राहु (असुर) का जब गला कटा था तो उसके खून से इनकी उत्पत्ति हुई थी, इसलिए प्याज लहसुन खाने से बहुत नुकसान होता है आप सोच भी नहीं सकते, आप कहेंगे औषधि है, medical science कहती है, अरे औषधि को औषधि की मात्रा में लो, जीभ के स्वाद के लिए नहीं, बुखार में crocin की छोटी सी tablet ली जाती है, crocin की सब्जी बना के नहीं खायी जाती
https://youtu.be/U4VYmrqYmro&t=1161
मैं बचपन में सोचा करता था कि (मैं शुक्रगुजार हूँ भगवान का, कि मुझे भक्ति मिली), ये मेरा नौकर क्यों है मैं इस का नौकर क्यों नहीं, वो सड़क पर जो कौड़ी बैठा है, मैं कोड़ी (leprosy diseased) क्यों नहीं बना, इसने क्या किया था की ये कौड़ी बना, ये नौकर बना, भगवान तो ऐसा नहीं करते क्योंकि भगवान तो कृपानिधान हैं, निष्कर्ष ये निकला की हम लोगों की ही गडबड की हुई है
https://youtu.be/U4VYmrqYmro&t=1269
फिर विचार आया कि इन प्रश्नों का उत्तर ढूंढा जाए, मेरा आपसे अनुरोध करता हूँ कि अपने आहार पर ध्यान दीजिए, केवल जीभ के taste के लिये अपना जीवन खराब नहीं करें
https://youtu.be/U4VYmrqYmro&t=1333
उदाहरण सुनिए एक लड़की ने कैसे non veg छोड़ा
https://youtu.be/U4VYmrqYmro&t=1354
तीन लोगों को यदि बिगड़ गए तो पूरा समाज खत्म स्त्री, ब्राह्मण, क्षत्रिय
https://youtu.be/U4VYmrqYmro&t=1414
ब्राह्मण वो जो ब्रह्म को जानने के लिए जान दे दे, क्षत्रिय हो जो धर्म के पालन और अपने वचन रखने के लिए जान दे दे, वैशय वो जो धन के लिए जान भी दे दे, शुद्र वो जो salary पाने के लिए जान दे दे
https://youtu.be/U4VYmrqYmro&t=1465
सतो गुण में पहुंचने के लिए आपको non veg, प्याज (onion), लहसुन (garlic) और मसूर की दाल छोड़नी पड़ेगी
https://youtu.be/U4VYmrqYmro&t=1493
हमने कल धर्म की बात की थी car का धर्म अलग है, driver / owner का धर्म अलग है, मगर car अपने driver / owner के लिए होती है ना कि driver / owner अपनी car के लिए, ऐसे ही शरीर का धर्म अलग है, आत्मा का धर्म अलग है, मगर शरीर आत्मा के लिए है ना की आत्मा शरीर के लिए, हाँ जी हाँ सबसे बड़ी विडंबना यही है कि हम सब क्रियाएं केवल शरीर के लिए ही कर रहे हैं आत्मा के लिए कुछ नहीं कर रहे, जबकि भगवान ने शरीर बनाया है आत्मा की प्रसन्नता के लिए
https://youtu.be/U4VYmrqYmro&t=1516
आज योग का भी मजाक बना दिया, वास्तव में योग का शरीर से कुछ मतलब नहीं है, मन से भी नहीं, योग वास्तव में है चेतना (Consciousness) की शुद्धि के लिए और चेतना आत्मा की शक्ति है इसलिए चेतना भी दिव्य है जबकि मन और शरीर तो भौतिक हैं, मन को control करना है मगर चित्त को शुद्ध करना है, जब तक चित्त शुद्ध नहीं होगा मन भी control में नहीं आ सकता
https://youtu.be/U4VYmrqYmro&t=1572
योग के लिए पहली चीज यम और नियम (Dos & Don’ts), so called योग जो शरीर के लिए किया जाए उसे स्वास्थ्य शिविर का नाम दें, ना कि योग शिविर
https://youtu.be/U4VYmrqYmro&t=1631
योग का अर्थ होता है जुड़ना भगवान से, जो नित्य भगवान से जुड़ा है वो समाधि में हैं
https://youtu.be/U4VYmrqYmro&t=1661
सबसे प्रथम आहार शुद्ध करिये, जीव हत्या बंद करिए, क्योंकि इससे बड़ा पाप कोई नहीं है, सब veg ही खाते हैं हाथी, गैंडा, गाय, बकरी etc.
https://youtu.be/U4VYmrqYmro&t=1685
कई बार लोग पूछते हैं कि मैं शराब भी पीता हूँ और non veg भी खाता हूँ एक चीज़ छोड़ सकता हूँ क्या छोडूं, मैं कहता हूँ, non veg छोड़ दो क्योंकि उससे आपकी बुद्धि शुद्ध हो जाएगी और इसलिए बाद में शराब भी छोड़ दोगे, लोग कहते हैं नहीं हम बच्चे की सेहत के लिए non veg खाते हैं, अरे कहां अच्छा कर रहे हो, बेड़ा गर्ग कर रहे हो उनका
https://youtu.be/U4VYmrqYmro&t=1715
अब प्याज (onion), लहसुन (garlic) भी उसी category में हैं non veg की, ये भी तमो और रजो गुण प्रधान हैं, प्याज, लहसुन को जब (1) काटते हो तो आँखों में रोने के आंसू आ जाते हैं, (2) जब इनको पकाते हो तो लाल हो जाती हैं, जैसे खून का रंग (3) जब इनको भूनते हो तो वही बदबू आती है जो माँस के पकने से आती
https://youtu.be/U4VYmrqYmro&t=1746
आप non veg और प्याज (onion), लहसुन (garlic) को छोड़कर देखिये कैसे चुटकी (जल्दी) में आपकी प्रवृत्तियाँ (attitude/thinking/behaviour) change होती हैं, आध्यात्म में मन लगने लगेगा, मन एकदम शांत हो जायेगा
https://youtu.be/U4VYmrqYmro&t=1802
मंत्र: भैरों का मंत्र जपोगे तो तमो गुण पाओगे
https://youtu.be/U4VYmrqYmro&t=1826
आप कहोगे की काली के सामने बकरा काटा जाता है मगर जानते हो क्या मंत्र बोला जाता है “हे बकरे इस जन्म में, मैं तेरे को काट रहा हूँ, अगले जन्म में मैं बकरा बनूँगा तू मेरे को काटियो”, मांस यानी माम+सा यानी मैं तेरे जैसा, ब्राह्मणों का काम है मंत्र का मतलब बताना, सभी धर्मों में भी ऐसा ही है सुनिए....
https://youtu.be/U4VYmrqYmro&t=1861
शराब का licence क्यों दिया जाता है, हर पान की दुकान पे शराब क्यों नहीं बिकती क्योंकि शराब हानिकारक है मगर कुछ लोग तो पियेंगे ही, इसलिए जितना कम हो सके ; ऐसे ही वेदों ने जानवर बलिदान की बड़ी सीमित इजाजत दी मगर केवल सबसे न्यूनतम शूद्र के लिए, है तो यह हानिकारक (तमो गुण) मगर कुछ लोग तो खायेंगे ही
https://youtu.be/U4VYmrqYmro&t=1988
कोई भी मंत्र अगर जपते हो तो साथ में हरे कृष्णा का महामंत्र अवश्य करें
https://youtu.be/U4VYmrqYmro&t=2017
संस्कार (शुद्धि): मनुष्य शरीर मिलता ही शुद्धि के लिए है
https://youtu.be/U4VYmrqYmro&t=2032
सबसे महत्वपूर्ण संस्कार है “दीक्षा” (गुरु से), शास्त्र कहते हैं एक जनम तो जानवर का भी होता है मगर इंसान के दो जनम (द्विज) होने चाहिए, दूसरा जन्म है गुरु से दीक्षा, जैसे मेरा नाम पहले विवेक था दीक्षा के बाद वृंदावन चंद्र दास, यदि गुरु कृष्ण भक्त नहीं है तो ऐसे गुरु को नहीं अपनाओ, नहीं तो गुरु और आप दोनों नर्क जाओगे
https://youtu.be/U4VYmrqYmro&t=2083
यदि गुरु आपकी शंकाओं का समाधान नहीं कर पाता और आपके जीवन का परिवर्तन नहीं कर पाता तो यानी आपकी दीक्षा नहीं हुई, आप शिष्य नहीं हो, इसलिए non veg और प्याज (onion), लहसुन (garlic) और मसूर की दाल को त्याग दो, शुद्धि करो, शिष्य बनो, गुरु बनाने की चेष्टा ना करो
https://youtu.be/U4VYmrqYmro&t=2168
सबकी और माता पिता का सम्मान करिए मगर यदि गलत दिशा दें तो स्वीकार मत करें, प्रहलाद महाराज ने भी हमें यही सिखाया
https://youtu.be/U4VYmrqYmro&t=2229
इन जानिए क्या है अच्छा आत्मा के लिए शरीर के लिए वो अपने आप अच्छा हो ही जायेगा, जब owner अच्छा होगा तो गाड़ी भी अच्छी होगी
https://youtu.be/U4VYmrqYmro&t=2280
काल: भगवान कहते हैं कि काल के रूप में, मैं सब कुछ हर रहा हूँ, आरंभ में पूरी सृष्टि “प्रधान” कहलाती है जब ये सूक्ष्म (subtle) अवस्था में होती है, फिर विष्णु जी उस पर अपनी नजर फेरते हैं तो तीन गुणों वाली सृष्टि स्थूल रूप में उत्पन्न हो जाती है, इस नजर को कहते हैं “काल”, शिव का भी यही स्वरूप है, इसलिए उनका नाम “महाकालेश्वर” भी है
https://youtu.be/U4VYmrqYmro&t=2318
शिव भी दो प्रकार के हैं, एक जिनकी उम्र है (जो एक जीव भी बन सकता है), और एक जो सनातन हैं
https://youtu.be/U4VYmrqYmro&t=2434
4,32,000 वर्ष का एक कल युग होता है, इससे दुगना द्वापर युग होता है, इससे तीन गुना त्रेता युग होता है और इससे चार गुना सत युग होता है , 43 लाख 20 हजार वर्ष का एक चतुर्युग (चारों युगों की कुल अवधि मिलाकर) होता है, ऐसे एक हजार चतुर्युगों के बराबर ब्रह्मा के 12 घंटे का दिन होता हैं और ऐसे ही 12 घंटे का रात होती है, इस हिसाब से 100 वर्ष की उम्र होती है ब्रह्मा जी की, हमारे छ: महीने के बराबर देवताओं का 1 दिन होता है
https://youtu.be/U4VYmrqYmro&t=2462
समय चुटकी बजाते (click of fingers) ही निकल जाता है, कॉल की गति देखनी है तो पीछे का गुजरा हुआ कॉल देखिए, अक्लमंद व्यक्ति इसका भली भांति इस्तेमाल करता है, ब्रह्मा जी के लिए भी उनकी उम्र चुटकी के समान ही है
https://youtu.be/U4VYmrqYmro&t=2734
महाविष्णु के सांस बाहर छोड़ने से सब ब्रह्मांड प्रकट होते हैं, और सांस अंदर लेने से प्रलय होती है, हमारा ब्रह्मांड सबसे छोटा है - चतुर्मुखी ब्रह्मा वाले, ऐसे ही लाखों और 10 लाखों मुख वाले ब्रह्मा के ब्रह्मांड भी हैं, और ऐसे ही जितना ब्रह्मांड बाहर की तरफ दूर होते हैं उनके ब्रह्मा की उम्र भी उतने गुना बढ़ती जाती है, आप इससे अनुमान लगा लीजिये की भगवान की एक सांस की गति क्या है
https://youtu.be/U4VYmrqYmro&t=2867
श्रीकृष्ण अर्जुन को कहते हैं गीता में, कि मेरे अंश मात्र से विष्णु पैदा हुए और विष्णु से सारे ब्रह्मांडों की सृष्टि हुई, यानी श्री विष्णु श्री कृष्ण के अवतार के अवतार के अवतार के अवतार के अवतार हैं
https://youtu.be/U4VYmrqYmro&t=3044
प्रभूपाद जी कहते थे की हमारी Dr Frog’s philosophy (मेंडक) है
https://youtu.be/U4VYmrqYmro&t=3094
हम अपने अल्प बुद्धि से भगवान को समझने की चेष्टा करते हैं, हम उन्हें नहीं समझ सकते उनकी कृपा के बिना, वे अचिंत्य हैं (inconceivable) यानी हमारे चिंतन से भी परे हैं
https://youtu.be/U4VYmrqYmro&t=3223
समय अमूल्य है, क्या हुआ इसका कोई मोल नहीं, जो समय हाथ से निकल गया वो कभी दोबारा नहीं आने वाला है, समय most perishable commodity है, पैसे से आप समय नहीं कमा सकते, समय से पैसा कमा सकते हो
https://youtu.be/U4VYmrqYmro&t=3249
समय का सदुपयोग कैसे करें, कर्म से
https://youtu.be/U4VYmrqYmro&t=3290
जैसी सूर्य की रौशनी सफेद होती है मगर उसको glass prism से गुजारा जाए, तो सात रंगों में बंट जाती है, ऐसे ही काल वैकुंठ में केवल वर्तमान के रूप में होता है मगर जब भौतिक जगत में कॉल आता है तो तीन हिस्सों में बढ़ जाता है past, present, future
https://youtu.be/U4VYmrqYmro&t=3309
आप देखिए, जो क्षण गुजर गया, वो भूतकाल, जो अगला क्षण आने वाला है, वो भविष्य, तो वर्तमान कहाँ गया, इस भौतिक जगत में वर्तमान करीब ना के बराबर ही है - और आनंद किस में मिलता है वर्तमान में, मगर वर्तमान यहाँ करीब ना के बराबर है तो आप सोचिये कि यहाँ आनंद कैसे मिल सकता है - इस पर विचार करिए
https://youtu.be/U4VYmrqYmro&t=3355
और वैकुंठ में केवल वर्तमान होता है, इसलिए वहाँ केवल आनंद ही आनंद होता है, जो चाहिए होता है उसी क्षण मिलता है, भविष्य का कोई चक्कर ही नहीं
https://youtu.be/U4VYmrqYmro&t=3422
कर्म: भगवान कहते हैं : कोई व्यक्ति कर्म किए बिना एक क्षण भी नहीं रह सकता
The Supreme Personality of Godhead said: The indestructible, transcendental living entity is called Brahman, and his eternal nature is called adhyātma, the self. Action pertaining to the development of the material bodies of the living entities is called karma, or fruitive activities.
यानी आपका नया शरीर आपका करम ही तय करता है, बार बार जो जन्म मृत्यु जरा व्याधि के कुचक्र में फंसाये, उसे कर्म कहते हैं, और भ्रमित लोग तारीफ करते है की बड़ा “कर्मयोगी” है
https://vedabase.io/en/library/bg/8/3/
https://youtu.be/U4VYmrqYmro&t=3451
Even the intelligent are bewildered in determining what is action and what is inaction. Now I shall explain to you what action is, knowing which you shall be liberated from all misfortune.
The intricacies of action are very hard to understand. Therefore one should know properly what action is (कर्म), what forbidden action (विकर्म) is and what inaction (अकर्म) is.
https://vedabase.io/en/library/bg/4/16/
https://vedabase.io/en/library/bg/4/17/
https://youtu.be/U4VYmrqYmro&t=3535
कर्म जो शास्त्रों के आधार पर किए जाएं उन्हें पुण्य कहते हैं,
विकर्म जो शास्त्रों के आधार पर नहीं किए जाने चाहियें, उन्हें पाप कहते हैं,
कर्म और विकर्म दोनों करने के बाद शरीर धारण करना पड़ता है मृत्युलोक यानी पाप और पुण्य का फल भोगने के लिए
मगर अकर्म यानी ऐसा करम जिसका फल भोगने के लिए भौतिक जगत में शरीर धारण नहीं करना पड़ता उसका फल सीधा वैकुण्ठ में मिलता है, अकर्म का दूसरा नाम है भक्ति
https://youtu.be/U4VYmrqYmro&t=3560
भाग्य: कर्म के फल को भाग्य कहते हैं, भगवान भाग्य नहीं बनाते, आप अपना भाग्य स्वयं बनाते हैं, कोई व्यक्ति top पर पहुँच गया, तो कहते हैं भाग्यशाली है, अरे उसका भाग्य खुद का बनाया हुआ है
https://youtu.be/U4VYmrqYmro&t=3635
कर्म = फल, दो प्रकार के फल सफलता और असफलता, कर्म : (1) इस जनम में किये हुए (+), (-), (x) or (divided by) (2) पिछले जन्मों के किए हुए अनुसार – इन दोनों के मिश्रण (combination) से आपको फल मिलते हैं
https://youtu.be/U4VYmrqYmro&t=3694
पिछले जन्म तो भगवान जानबूझ कर भुलवा देते हैं नहीं तो बहुत बुरी हालत हो जाए हमारी, जीवन में दुख आते हैं तो कौन भुलवा देता हैं उन्हें, समय - नहीं भुलवाए, तो मर जाएं हम, पिछले जन्म के दुख तो छोड़ो, इस जनम की दुख भी हम सहन नहीं कर पाते, यदि काल नहीं भुलवाता, ये भगवान की कृपा ही तो है
https://youtu.be/U4VYmrqYmro&t=3822
भीषम पितामह ने कहा कि पिछले सौ जन्म, मैंने कोई गलत काम नहीं किया फिर मुझे तीरों की शैय्या क्यों मिली, भगवान ने कहा मुझे तुम्हारा पिछला 101 वां जन्म भी याद है, उदाहरण लीजिये की यदि आपको पिछला जन्म याद है कि आप अरबपति थे और इस बार आप मात्र ₹10,000 कमाने के लिए गधे की तरह काम कर रहे हो, तो क्या आप जी पाओगे ?
https://youtu.be/U4VYmrqYmro&t=3853
गुरु नानक जा रहे थे एक गांव में और उन्होंने देखा एक बकरा अनाज के बोरे में मुंह मार रहा है और तीन लड़के उसे डंडा मार रहें हैं, उन्होंने बताया कि ये बकरा पिछले जनम में इन तीनों बेटों का बाप था, उसी पिता ने ये अनाज की दुकान बनाई थी मगर कुछ अच्छा काम नहीं किया, अब ये हालत हो रही है अपने ही घर में खाने को नहीं मिल रहा है और डंडे भी पड़ रहे हैं, जब भी आपके घर में कोई जानवर, कीड़े वगैरह आते हैं कुछ खाने के लिए, सब आप के पूर्व जन्म के रिश्तेदार है
https://youtu.be/U4VYmrqYmro&t=3900
गुरु नानक जी को एक बहुत रईस व्यक्ति मिला उसने गुरु नानक जी से कहा की क्या सेवा करूँ, गुरु नानक ने कहा ये सुई है मुझे अगले जनम में दे देना, व्यक्ति बोला कैसे संभव है नानक जी ने उसे बोला तो फिर इतना संग्रह (इकट्ठा) क्यों कर रहे हो, जब तुम ये सब को अगले जन्म में साथ नहीं ले जा सकते
https://youtu.be/U4VYmrqYmro&t=4018
ये मनुष्य जीवन का लक्ष्य है भगवत धाम वापस जाना
https://youtu.be/U4VYmrqYmro&t=4064
Work done as a sacrifice for Viṣṇu has to be performed; otherwise work causes bondage in this material world. Therefore, O son of Kuntī, perform your prescribed duties for His satisfaction, and in that way you will always remain free from bondage.
जो कार्य विष्णु (श्री कृष्ण के अवतार) की संतुष्टि के लिए किया जाए उसे यज्ञ कहते हैं, भगवान कहते हैं कि केवल यज्ञ के लिए कार्य कर नहीं तो वही कर्म बंधन का कारण बनेगा
मगर आप लोग क्या बोलते हो कि गीता के अनुसार कर्म करे जा, यानी कर्म बंधन में फंसे जा, आपने यज्ञ को तो गायब ही कर दिया, वाह !
https://vedabase.io/en/library/bg/3/9/
https://youtu.be/U4VYmrqYmro&t=4070
Whatever you do, whatever you eat, whatever you offer or give away, and whatever austerities you perform – do that, O son of Kuntī, as an offering to Me.
https://vedabase.io/en/library/bg/9/27/
https://youtu.be/U4VYmrqYmro&t=4126
हिंदुस्तान में गीता का बेड़ा गर्क कर दिया ये सीख कर कि “कर्म करे जा, यानी कर्म बंधन में फंसे जा”, पहले ही एक जेल में बैठे हैं और फिर और बांधों, और बांधों
https://youtu.be/U4VYmrqYmro&t=4149
कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन
You have a right to perform your prescribed duty, but you are not entitled to the fruits of action. Never consider yourself the cause of the results of your activities, and never be attached to not doing your duty.
गीता में स्पष्ट किया है भगवान ने कि तेरा केवल कर्म पर अधिकार है, फल पर तेरा अधिकार नहीं है, इस श्लोक से स्पष्ट होता है कि हम केवल भगवान के दास हैं जो कि केवल कर्म करेंगे और हमारे मालिक, हमारे स्वामी भगवान हैं
https://vedabase.io/en/library/bg/2/47/
https://youtu.be/U4VYmrqYmro&t=4170
Ignorance of the law does not absolve (क्षमा नहीं मिलेगी) you of the crime, आप ये नहीं कह सकते की मुझे भगवान का मालूम नहीं था अपने धंधे के बारे में तो बहुत कुछ मालूम था, income tax ,sales tax कैसे बचाना है, license कैसे लेना है सब मालूम कर लिया मगर भगवान का आदेश यानी कानून की किताब गीता पढ़ने का समय ही नहीं दिया
https://youtu.be/U4VYmrqYmro&t=4222
कुत्ता अगर red light cross करे तो पुलिस वाला पीछे नहीं भागता है, मगर कोई मनुष्य cross करे और कहे कि मुझे नहीं मालूम था, तो पकड़ा जाएगा, यमराज भी यही कहते है अच्छा नहीं मालूम था, आजा तुझे बताता हूँ लग जा लाइन में
https://youtu.be/U4VYmrqYmro&t=4256
ये मनुष्य जीवन आहार (food), निद्रा (sleep), भय (defending), मैथुन (sex) के लिए नहीं मिला, अभी बच्चा पैदा भी नहीं हुआ होता, माँ बाप घोड़ी पर बैठाने के पहले ही चक्कर में पड़ जाते हैं, गृहस्थ जीवन का abcd नहीं मालूम, कहते हैं “गृहस्थी” है - नहीं “गृहस्थ आश्रम” कहा गया है, ऐसे ही ब्रह्मचर्य आश्रम, वनप्रस्थ आश्रम, सन्यास आश्रम हैं और आश्रम में सबसे पहला काम भगवान की भक्ति होती हैं बाकी चीजें बाद में, मगर वास्तव में भगवान का नाम दूर दूर तक नहीं, पति कहता है पत्नी भगवान की भक्ति कर तो रही है, अरे पति जी तुम क्यों नहीं कर रहे हो तुम गृहस्थ आश्रम में नहीं हो ? तुम बाहर चौकीदार हो ? जवाब तो आपको देना पड़ेगा प्रभु जी, अक्लमंद बात को समझ जाएगा और मान लेगा, मूर्ख नहीं मानेगा
https://youtu.be/U4VYmrqYmro&t=4276
लोग कहते हैं अच्छे लोगों के साथ बुरा होता है और बुरे लोगों के साथ अच्छा होता है - ऐसा क्यों, उदाहरण सुनिए: असल में हम सब अपराधी हैं और इसीलिए जगत रूपी जेल के अंदर बंद है और जेल के अंदर कैदी के कर्म अच्छे नहीं होते, इसीलिए जेल में बंद है.... अब आगे अच्छा बनने की कोशिश करो, भगवान भी यही कह रहे हैं की तूने पीछे बहुत पाप किये मगर अब धर्म पर चल, मैं तेरे सारे पाप नष्ट कर दूंगा यानी जेल से निकाल लूँगा
https://www.youtube.com/shorts/2gQK6SDSdec
https://youtu.be/U4VYmrqYmro&t=4351
कई बार लोग कहते हैं मैं पाप कर्म नहीं करना चाहता मगर जबरदस्ती अंदर से हो जाते हैं, अर्जुन ने भी यही कहा था हम अक्सर कह देते हैं कि भगवान ने ऐसा करवा दिया, हम भगवान ने कहा कि तमो और रजो गुण के कारण तेरी पाप वृत्ती नहीं जाती, अब तू ज्ञान ले और बुद्धि का इस्तेमाल करके इन गुणों से ऊपर उठ, प्रभु जी क्या करें प्याज छूटता ही नहीं – रजो गुण, और तमोगुण भी यही कहता है - अभी मज़ा ले लें, बाद में देखेंगे क्या होता है, अरे मूर्ख, बाद में देर नहीं है, चुटकी मारते ही ये जीवन समाप्त हो जाएगा
https://youtu.be/U4VYmrqYmro&t=4527
बचपन में भी मैं यही सोचता था कि आयू का समय कितना कम है हमारे पास और कितना करना बाकी है भगवान को पाने के लिए
https://youtu.be/U4VYmrqYmro&t=4603
कर्म वो होता है जो बार बार हमें भौतिक जगत में नया शरीर दिलाता है, जैसे हमने पहले बात की, कर्म तीन प्रकार के हैं, कर्म, विकरम और अकर्म और भक्ति अकर्म है यानी एक कार्य है (जो कर्म बंधन से परे है), ये चार भगवान जीव प्रकृति, काल सनातन हैं, कर्म सनातन नहीं है क्योंकि यदि कर्म सनातन होता तो फिर हम फंस गए होते, कभी कर्म बंधन के बाहर निकल ही नहीं पाते, कर्म यानी पुण्य कर्म यानी पाप इन दोनों का फल तो भुगतना ही पड़ेगा, पुण्य करोगे तो अच्छे परिवार में जनम मिलेगा, पाप करोगे तो पीड़ा और दुख अधिक मिलेंगे मगर दोनों पुण्य और पाप में दुख तो है ही, क्योंकि ये संसार “दुखआल्यम” (दुखों का घर) है
https://youtu.be/U4VYmrqYmro&t=4639
हम सभी मुक्ति चाहते हैं दुखों से इस माप से हम साधू हुए, मगर समस्या ये है कि आप apprentice (trainee) साधू रह गए, असली साधू नहीं बन पाए, असली साधू होता है जो जड़ से समस्या को दूर करने की चेष्टा करे
https://youtu.be/U4VYmrqYmro&t=4696
आप सभी योग भी करते हो भूख लगती है तो खाने से जुड़ते हो, ये तो योग ही हुआ, योग से ही मुक्ति मिलती है, खाने से जुड़ते ही भूख से मुक्ति मिलती है, गरीब है तो पैसे से योग करते हो तो गरीबी से मुक्ति मिलती है, अज्ञानी है तो ज्ञान से जुड़े और अज्ञानता से मुक्ति मिली, अक्लमंद व्यक्ति वही है जो ये जान जाए की कौन से योग से पूर्ण मुक्ति मिलती है
https://youtu.be/U4VYmrqYmro&t=4755
A man engaged in devotional service rids himself of both good and bad reactions even in this life. Therefore strive for yoga, which is the art of all work.
कार्य करने के कौशल (expertise, skill) को योग कहते हैं, हमे ऐसा कार्य करना है जो कर्म भी ना हो और विकर्म भी ना हो
https://vedabase.io/en/library/bg/2/50/
https://youtu.be/U4VYmrqYmro&t=4806
योग यानी जुड़ना हम कहते हैं चित्त को शुद्ध करना है वास्तव में यह चित्त को भगवान से योग (जुड़ने) का प्रभाव है
https://youtu.be/U4VYmrqYmro&t=4864
अलग अलग वस्तुओं से जुड़ने पर अलग अलग मुक्तियाँ प्राप्त होती हैं, हमें ये मालूम होना चाहिए की कौन सी जगह सही है जिससे जुड़ना है, पानी तो पेड़ की जड़ में ही डालना चाहिए ना कि पत्तों में, और ये सब जानना और करना है चुटकी में (यानी तुरंत), जब तक हम जीवन को चुटकी के संदर्भ में नहीं देखोगे तो बात नहीं बनने वाली यानी आप serious नहीं होंगे, आप सोचेंगे ये मैं कल कर लूँगा, बस वहीं बात खत्म हो जाती है
https://youtu.be/U4VYmrqYmro&t=4904
जिसे आध्यात्म में आगे बढ़ना हो, उसे ये सोचना चाहिए कि अगले ही क्षण मृत्यु आ सकती है, जिसे भौतिक जगत में इंद्रिय तृप्ति करनी हो, उसे सोचना चाहिए मैं कभी नहीं मरूँगा, इसलिए रावण, कंस, हिरणकश्यप कभी मरना नहीं चाहते थे, क्या प्रहलाद ने भगवान को बोला था मुझे नहीं मरना है, मुझे बचा लो, प्रहलाद तो केवल भक्ति में लीन थे, हालांकि प्रह्लाद को मारने की कई बार कोशिश हुई
https://youtu.be/U4VYmrqYmro&t=4972
होली में होलिका दहन की राख हम घर में क्यों लेके आते हैं, ,राख प्रह्लाद की नहीं मगर राक्षसिनी होलिका की है, भक्त प्रह्लाद का डंडा निकालकर तो फेक देते हो, यह मूर्खता है कलियुग की
https://youtu.be/U4VYmrqYmro&t=5014
जो ऊपर से धार्मिक बनते हैं मगर हैं तो राक्षस, ये धर्म का सबसे ज्यादा नुकसान करते हैं, तुम अच्छे बनो, तुम ईमानदार बनो, बस ये कहकर कहानी खत्म करते हैं (भगवान की भक्ति का नाम भी नहीं) नो
https://youtu.be/U4VYmrqYmro&t=5118
यौगिक सीड़ी (yogic ladder) : A yogī (भक्ति योग) is greater than the ascetic (तपस्वी), greater than the empiricist (ज्ञान योगी) and greater than the fruitive (सकाम कर्म योगी) worker. Therefore, O Arjuna, in all circumstances, be a yogī (भक्त).
https://vedabase.io/en/library/bg/6/46/
https://youtu.be/U4VYmrqYmro&t=5241
And of all yogīs, the one with great faith who always abides in Me, thinks of Me within himself and renders transcendental loving service to Me – he is the most intimately united with Me in yoga and is the highest of all. That is My opinion.
भगवान कह रहे हैं सबसे श्रेष्ठ योगी वो है जो मेरी भक्ति करता है
https://vedabase.io/en/library/bg/6/47/
https://youtu.be/U4VYmrqYmro&t=5369
मनुष्यों के प्रकार: (1) कर्मी (ये योग में नहीं आता): lowest level जानवर की तरह, ये व्यक्ति ये ना देवी देवताओं में ना भगवान में विश्वास करता है, उसका केवल एक ही उद्देश्य होता है मुझे अपनी इन्द्रिय तृप्ति करनी है – by hook or crook (चाहे सीधी ऊँगली से घी निकले, चाहे टेढ़ी ऊँगली से)
https://youtu.be/U4VYmrqYmro&t=5413
(2) कर्म कांडी (ये योग में नहीं आता): 2nd from lowest: ये देवी देवताओं के पास तो जाता है मगर इन्द्रिय तृप्ति के लिए
https://youtu.be/U4VYmrqYmro&t=5442
(3) कर्म योगी (योगी शब्द तभी सार्थक है जब वो भगवान से जुड़े), कर्म में एक होता है प्रयास, दूसरा होता है फल, कर्म योगी दो प्रकार के होते हैं “सकाम” और “निष्काम
“सकाम” कर्म योगी कृष्ण भगवान को तो मानता है मगर उसे इन्द्र तृप्ति फिर भी चाहिए, ये अपने कर्म से भी आसक्त (attached) है और फल से भी आसक्त है मगर फल का कुछ हिस्सा भगवान को अर्पण करता है
https://youtu.be/U4VYmrqYmro&t=5459
“निष्काम” कर्म योगी : फल से आसक्त (attached) नहीं है मगर कर्म से आसक्त है, “मैं अपना काम पूरे दिल से करता हूँ फल मिले या न मिले” - यदि कृष्ण भगवान से जुड़ा है तो “निष्काम कर्म योगी” मगर यदि केवल देवी देवताओं से जुड़ा है तो कर्मकांडी, यानी नीचे गिर गया
https://youtu.be/U4VYmrqYmro&t=5516
जब तक आप “निष्काम” कर्म योगी नहीं बनते तो आध्यात्मिक ज्ञान हासिल नहीं कर सकते, इसके बाद ने अगली सीढ़ी है ”ज्ञानी” की, कुछ समय पश्चात “निष्काम” कर्म योगी सोचता है कि मैं प्रयास भी क्यों करूँ, प्रयास तो मैं शरीर के लिए कर रहा हूँ, जबकि मैं शरीर तो हूँ नहीं, आत्मा हूँ
https://youtu.be/U4VYmrqYmro&t=5540
एक होते है ज्ञानी एक होते है “ज्ञान योगी”, “ज्ञान योगी” अपने ज्ञान को कृष्ण के प्रति अर्पण करते हैं मगर ज्ञानी अपने आप को निराकार मानने लगते हैं
https://youtu.be/U4VYmrqYmro&t=5582
निराकार उदाहरण : नेति, नेति -मैं ये नहीं हूँ वो नहीं हूँ, आखिर में मैं ही नहीं हूँ, ये सोचते हैं कि जब हम कुछ काम ही नहीं करेंगे तो दुख भी नहीं होगा मगर ये धारणा गलत है, जैसे किसी का पांव टूटा हो तो चलने में दर्द होता है, ये लोग कहते हैं कि पांव ही ना होता तो दुख ना होता मगर इन मूर्खों को ये नहीं मालूम कि पांव अगर सही होते तो चलने में बहुत मजा आता है, ऐसे लोग अपना लक्ष्य ब्रह्म में लीन होना मानते हैं यानी लीन होने से हम ही नहीं रहेंगे तो दुख भी नहीं होगा, अरे भाई तो फिर आनंद भी कैसे होगा यदि आप ही नहीं रहोगे तो
https://youtu.be/U4VYmrqYmro&t=5596
जब मरने के समय बद्ध (encaged) आत्मा शरीर छोड़ती है, तो ये शरीर निष्क्रिय हो जाता है यानी क्रियमान कौन है आत्मा या शरीर: उत्तर है आत्मा, अब आप सोचिए कि मुक्त होने के बाद आत्मा और सक्रिय होगी या निष्क्रिय: उत्तर है सक्रिय, तात्पर्य ये है कि आत्मा लीन नहीं हो सकती ब्रह्म में
https://youtu.be/U4VYmrqYmro&t=5671
ज्ञानी कहते हैं कि कार्य करने से दुख होता है, नहीं भाई गलत कार्य करने से दुख होता है, सही कार्य करोगे तो दुख नहीं होता, इसलिए ब्रह्म में लीन होने का ख्याल छोड़ो, मगर ज्ञानी की गति यही होती है कि कुछ समय के लिए ये ब्रह्म में लीन हो जाते हैं मगर फिर भौतिक जगत में जब आते हैं तो शास्त्रों के अनुसार ऐसे ज्ञानी बहुत बड़े social worker बनते हैं, मगर अध्यात्म से कट जाते हैं, केवल शरीर की सेवा में लग जाते हैं
https://youtu.be/U4VYmrqYmro&t=5719
शरीर की सेवा या आत्मा की सेवा: कौन सी महत्वपूर्ण है, आत्मा की, मगर अक्सर सब किसकी सेवा करते रहते हैं, शरीर की - मूर्ख है या अकलमंद हैं, आत्मा की सेवा कौन करता है आजकल यदि श्रीमद् भागवत भी सुन के आये, तो कहते हैं बड़ा मज़ा आया, तो क्या Qawali कीर्तन हो रहा था ? तू मजा करने गया था या जीवन बदलने गया था ?
https://youtu.be/U4VYmrqYmro&t=5756
श्रीमद भागवत का भी मजाक बना दिया......सुनिए
https://youtu.be/U4VYmrqYmro&t=5785
जिससे पूछो मुक्ति क्या है बोलते हैं ब्रह्म में लीन होना, अरे भाई मालूम भी है इसका मतलब ?
https://youtu.be/U4VYmrqYmro&t=5877
सिर्फ वही जो श्री कृष्ण भगवान के द्वारा मारा जाता है उसी को वैकुंठ मिलता है
https://youtu.be/U4VYmrqYmro&t=5908
The thoughts of My pure devotees dwell in Me, their lives are fully devoted to My service, and they derive great satisfaction and bliss from always enlightening one another and conversing about Me.
मेरे शुद्ध भक्त के विचार मुझ में वास करते हैं ....
https://vedabase.io/en/library/bg/10/9/
https://youtu.be/U4VYmrqYmro&t=6012
In all activities just depend upon Me and work always under My protection. In such devotional service, be fully conscious of Me.
सारे कार्यों के लिए मुझ पर निर्भर रहो....
https://vedabase.io/en/library/bg/18/57/
https://youtu.be/U4VYmrqYmro&t=6031
Abandon all varieties of religion and just surrender unto Me. I shall deliver you from all sinful reactions. Do not fear.
भगवान श्री कृष्ण ने स्पष्ट कर दिया कि मेरी भक्ति ही सर्वश्रेष्ठ भक्ति है ....
https://vedabase.io/en/library/bg/18/66/
https://youtu.be/U4VYmrqYmro&t=6044
हम भगवान के अंश है और अंश का धर्म है पूर्ण की प्रेममयी सेवा करना, छोटी सी माचिस की तीली से लकड़ी जलने लगती है, अगर लकड़ी के अंदर आग नहीं होती तो उसे आग लग ही नहीं सकती, ऐसे ही वास्तव में आप श्री कृष्ण के अंश के नाते उनके भक्त हो मगर ये अग्नि बुझी हुई जैसे लकड़ी में, भक्ति का यही कार्य है कि आपके अंदर बुझी हुई प्रेम भक्ति की अग्नि को दुबारा प्रज्ज्वलित कर दे
https://youtu.be/U4VYmrqYmro&t=6092
अक्सर लोग कहते हैं आध्यात्म का मतलब है कि कोई कामना ही ना हो, इच्छा ना रखने की इच्छा भी एक इच्छा है, इसलिए इच्छा रहित तो हो ही नहीं सकते, हमारी आत्मा की एक ही तो शक्ति है इच्छा-शक्ति, मकर ध्यान रहे कि भक्त केवल भगवान की इच्छा पालन कर रहा है इसलिए इच्छा रखते हुए भी वह इच्छा विहीन है, क्योंकि वो अपने लिए कोई इच्छा नहीं रखता है
https://youtu.be/U4VYmrqYmro&t=6195
Those whose minds are established in sameness and equanimity have already conquered the conditions of birth and death. They are flawless like Brahman, and thus they are already situated in Brahman.
जो समस्त परिस्थितियों में अविचलित भाव से…
https://vedabase.io/en/library/bg/5/19/
https://youtu.be/U4VYmrqYmro&t=6232
This divine energy of Mine, consisting of the three modes of material nature, is difficult to overcome. But those who have surrendered unto Me can easily cross beyond it.
https://vedabase.io/en/library/bg/7/14/
https://youtu.be/U4VYmrqYmro&t=6254
He who knows Me as the unborn, as the beginningless, as the Supreme Lord of all the worlds – he only, undeluded among men, is freed from all sins.
जो मुझे अजन्मा, अनादि…
https://vedabase.io/en/library/bg/10/3/
https://youtu.be/U4VYmrqYmro&t=6273
Persons who have acted piously in previous lives and in this life and whose sinful actions are completely eradicated are freed from the dualities of delusion, and they engage themselves in My service with determination.
वे मोह के दवंद से मुक्त हो जाते हैं ....
https://vedabase.io/en/library/bg/7/28/
https://youtu.be/U4VYmrqYmro&t=6282
One who knows the transcendental nature of My appearance and activities does not, upon leaving the body, take his birth again in this material world, but attains My eternal abode, O Arjuna.
जन्म कर्म दिव्यम ..
https://vedabase.io/en/library/bg/4/9/
https://youtu.be/U4VYmrqYmro&t=6317
I am never manifest to the foolish and unintelligent. For them I am covered by My internal potency, and therefore they do not know that I am unborn and infallible.
https://vedabase.io/en/library/bg/7/25/
https://youtu.be/U4VYmrqYmro&t=6331
My dear Arjuna, only by undivided devotional service can I be understood as I am, standing before you, and can thus be seen directly. Only in this way can you enter into the mysteries of My understanding.
केवल भक्ति से मुझे भगवान को यथारूप जाना जा सकता है जब मनुष्य ऐसी भक्ति ….वह वैकुंठ जगत में प्रवेश कर सकता है
केवल मेरी अनन्य भक्ति द्वारा ....
https://vedabase.io/en/library/bg/11/54/
https://youtu.be/U4VYmrqYmro&t=6355
&
https://youtu.be/U4VYmrqYmro&t=6384
भगवान सपष्ट शब्दों में कह रहे हैं केवल मेरी भक्ति से ही मैं प्रसन्न होता हूँ, देवी देवताओं के पास वो जाते हैं जो अल्प बुद्धि के हों और जिनका ज्ञान हर लिया गया हो
https://youtu.be/U4VYmrqYmro&t=6365
Always think of Me, become My devotee, worship Me and offer your homage unto Me. Thus you will come to Me without fail. I promise you this because you are My very dear friend.
मुझे नमस्कार करो, मेरी पूजा करो....
https://vedabase.io/en/library/bg/18/65/
https://youtu.be/U4VYmrqYmro&t=6413
But those who worship Me, giving up all their activities unto Me and being devoted to Me without deviation, engaged in devotional service and always meditating upon Me, having fixed their minds upon Me, O son of Pṛthā – for them I am the swift deliverer from the ocean of birth and death.
जो अपने सारे कार्यों को मुझ में समर्पित करके ….
https://vedabase.io/en/library/bg/12/6-7/
https://youtu.be/U4VYmrqYmro&t=6431
To those who are constantly devoted to serving Me with love, I give the understanding by which they can come to Me.
जो प्रेम पूर्वक मेरी सेवा में निरंतर लगे रहते हैं….
भक्तों के लिए भगवान एक judge (परमात्मा) की बजाय एक पिता बन जाते हैं और भक्त का मार्गदर्शन और मदद करते हैं सही दिशा में यानी अपनी ओर खींचने का, उदाहरण सुनिए....
https://vedabase.io/en/library/bg/10/10/
https://youtu.be/U4VYmrqYmro&t=6460
A person who accepts the path of devotional service is not bereft of the results derived from studying the Vedas, performing sacrifices, undergoing austerities, giving charity or pursuing philosophical and fruitive activities. Simply by performing devotional service, he attains all these, and at the end he reaches the supreme eternal abode.
मेरा भक्त सकाम कर्मफलों से भी वंचित नहीं रहता ….
श्रीमद भागवत में भी यही कहा गया है की आप चाहे सारे कार्य कर लो मगर भक्ति नहीं करोगे तो कुछ लाभ नहीं, मगर यदि केवल भक्ति करो बाकी सब काम छोड़ दो तब भी कुछ नुकसान नहीं है, भगवान कहते है कि छोटी सी अल्प भक्ति से भी, मैं बड़े से बड़े भय से तार देता हूँ
https://vedabase.io/en/library/bg/8/28/
https://youtu.be/U4VYmrqYmro&t=6549
After many births and deaths, he who is actually in knowledge surrenders unto Me, knowing Me to be the cause of all causes and all that is. Such a great soul is very rare.
बहुनाम जन्मनाम …
यानी एक भक्त ही पूर्ण ज्ञानी है, बाकी सब apprentice गुरु हैं .....
https://vedabase.io/en/library/bg/7/19/
https://youtu.be/U4VYmrqYmro&t=6625
O son of Pṛthā, those who are not deluded, the great souls, are under the protection of the divine nature. They are fully engaged in devotional service because they know Me as the Supreme Personality of Godhead, original and inexhaustible.
मोह मुक्त महात्मा जन ईश्वरीय प्रकृति के संरक्षण में रहते हैं, और पूर्णता भक्ति में लगे रहते हैं वे मुझे आदि तथा अविनाशी भगवान के रूप में जानते हैं
यानी महात्मा लोग हर समय श्रीकृष्ण को स्मरण में रखते हैं, यानी जो लोग कहते हैं केवल 5 मिनट भगवान को याद कर लो तो बहुत है, नहीं गलत - भगवान को समय समरण रखना है
https://vedabase.io/en/library/bg/9/13/
https://youtu.be/U4VYmrqYmro&t=6665
Therefore, Arjuna, you should always think of Me in the form of Kṛṣṇa and at the same time carry out your prescribed duty of fighting. With your activities dedicated to Me and your mind and intelligence fixed on Me, you will attain Me without doubt.
कई लोग कहते हैं हम काम करते हुए भक्ति करते हैं, वास्तव में भगवान ये चाहते हैं कि भक्ति करते हुए काम करें, यानी सभी समय मुझे स्मरण रखते हुए युद्ध करो, युद्ध करते हुए मुझे याद नहीं करो क्योंकि यदि युद्ध (यानी अपने रोज के काम) को प्राथमिकता दोगे तुम मुझे समरण नहीं कर पाओगे
https://vedabase.io/en/library/bg/8/7/
https://youtu.be/U4VYmrqYmro&t=6725
But those who always worship Me with exclusive devotion, meditating on My transcendental form – to them I carry what they lack, and I preserve what they have.
https://vedabase.io/en/library/bg/9/22/
https://youtu.be/U4VYmrqYmro&t=6839
देवता भी मनुष्य योनि पाने के लिए तरसते हैं क्योंकि केवल मनुष्य योनि में ही भगवान श्री कृष्ण की अनन्य भक्ति हो सकती है, देवी देवता होकर भी भगवान की अनन्य भक्ति नहीं हो सकती, कहने का तात्पर्य ये कि हमारी मनुष्य योनि देवी देवताओं से भी ज्यादा श्रेष्ठ है, शिव से केवल एक ही चीज मांगे, वो है श्री कृष्ण की भक्ति, इतना सुनहरी मौका आपको मिला है मनुष्य जीवन पाकर क्यों इसे व्यर्थ गंवा रहे हो
https://youtu.be/U4VYmrqYmro&t=6872
I envy no one, nor am I partial to anyone. I am equal to all. But whoever renders service unto Me in devotion is a friend, is in Me, and I am also a friend to him.
किस श्लोक में भगवान ने कहा है की कैसे मैं निष्पक्ष हूँ और कैसे मैं पक्षपात करता हूँ, यानी जो मेरी भक्ति नहीं करते उनके लिए मैं समभाव हूँ मगर जो मेरी भक्ति करते हैं मैं उनके साथ पक्षपात करता हूँ
https://vedabase.io/en/library/bg/9/29/
https://youtu.be/U4VYmrqYmro&t=6960
भगवान ये भी कहते है कि मैं सब जीवों का मित्र हूँ - तो यदि कोई chief minister का मित्र हो, तो क्या उससे आप झगड़ा करोगे? कदापि नहीं, जब सभी जीव, जानवर मिलाकर, भगवान के मित्र हैं, तो ईर्ष्या, द्वेष, झगड़े क्यों करते हो सबसे ? भगवान यहाँ हिंदू, मुस्लिम, ईसाई (Christian) की बात नहीं कर रहे, आत्मा किसी धर्म विशेष की नहीं होती, इसीलिए भगवान गीता में आरंभ करते हैं आत्मा से, शरीर से नहीं, क्योंकि शरीर की कुछ अहमियत नहीं है केवल भगवान में सेवा लगाने की इलावा
https://youtu.be/U4VYmrqYmro&t=7073
भक्ति ज्ञान ध्यान से श्रेष्ठ क्यों मानी गई है, ज्ञान लक्ष्य प्राप्त होने पर समाप्त हो जाता है ऐसे ही ध्यान, मगर भक्ति लक्ष्य प्राप्त होने पर बड़ती ही जाती है, यानी ज्ञान और ध्यान सनातन नहीं है मगर भगवान सनातन हैं इसलिए भगवान द्वारा ही मिलते हैं, क्योंकि भक्ति भी भगवान की तरह सनातन है, ज्ञान और ध्यान दोनों केवल भक्ति के सहायक हैं, ताकि भगवान की सेवा अच्छी तरह से की जा सके
https://youtu.be/U4VYmrqYmro&t=7155
अब प्रश्न उठता है कि गीता का सार (सिद्धांत) क्या है
https://youtu.be/U4VYmrqYmro&t=7227
Because you are My very dear friend, I am speaking to you My supreme instruction, the most confidential knowledge of all. Hear this from Me, for it is for your benefit.
https://vedabase.io/en/library/bg/18/64/
https://youtu.be/U4VYmrqYmro&t=7277
Engage your mind always in thinking of Me, become My devotee, offer obeisances to Me and worship Me. Being completely absorbed in Me, surely you will come to Me.
यदि शिव शंकर के ऊपर 50,000 लिटर दूध रोज चड़ाओ, कुछ नहीं होने वाला, यदि आप उनकी आज्ञा का पालन नहीं करते और उनकी आज्ञा है श्री कृष्ण की भक्ति करो, इसलिए यदि श्रीकृष्ण की भक्ति नहीं करते तो असुर (demon) हैं और असुर ही रह जाएंगे
और भगवान ने स्पष्ट कहा है यदि इस तरह से करोगे, तो तुम मेरे पास अवश्य आओगे, यानी भगवान ने जीवन का लक्ष्य भी यहाँ दर्शा दिया
हमें भगवान का परम मित्र बनना है, वास्तव में हम हैं, मगर हम भूल चुकें हैं
https://vedabase.io/en/library/bg/9/34/
https://youtu.be/U4VYmrqYmro&t=7382
Abandon all varieties of religion and just surrender unto Me. I shall deliver you from all sinful reactions. Do not fear.
आप कहोगे ये कैसे होगा, मैं तो पापी हूँ, दुष्कर्मी हूँ, भगवान कह रहे हैं कि सब धर्मों को छोड़ कर केवल मेरी शरण में आजा, मैं तुम्हारे सारे पाप - यानी पिछले किए हुए पाप, वर्तमान के पाप, और आगे पाप करने की प्रवृत्ति (inclination) तीनों को हर लूँगा
https://vedabase.io/en/library/bg/18/66/
https://youtu.be/U4VYmrqYmro&t=7524
सर्वधर्मान्परित्यज्य मामेकं शरणं व्रज।
अहं त्वा सर्वपापेभ्यो मोक्षयिष्यामि मा शुचः
सर्वधर्मान् all duties, परित्यज्य having abandoned, माम् to Me, एकम् alone, शरणम् refuge, व्रज take, अहम् I, त्वा thee, सर्वपापेभ्यः from all sins, मोक्षयिष्यामि will liberate, मा dont, शुचः grieve
सर्वधर्मान्परित्यज्य मामेकं शरणं व्रज।
अहं त्वां सर्वपापेभ्यो मोक्षयिष्यामि मा शुचः
सर्व-धर्मान् सभी प्रकार के धर्मः परित्यज्य-परित्याग कर; माम्-मेरी; एकम्-केवल; शरणम्-शरण में; व्रज-जाओ; अहम्-मैं; त्वाम्-मुमको; सर्व-समस्त; पापेभ्यः-पापों से; मोक्षयिष्यामि-मुक्त करूँगा; मा मत; शुचः-डरो मत।
ये गीता का सार है, ये वेदों का सार है, ये सब ज्ञान का सार है - यानी सारे कर्म करना केवल भगवान के लिए
और मैं तुम्हें हर व्यक्ति या वस्तु, जो तुझे मेरे पास पहुंचने में बाधा बन रही हैं, से मोक्ष (मुक्ति) दिला दूंगा
https://youtu.be/U4VYmrqYmro&t=7596
हमारा मुख्य (primary) रिश्ता है भगवान से बाकी सब रिश्ते बाद (secondary) में आते हैं, भगवान हमारा साथ कभी नहीं छोड़ते एक कीड़े की भी योनि में, लेकिन समस्या यह है की हमने अपना मुँह भगवान की तरह कभी मोड़ा ही नहीं
https://youtu.be/U4VYmrqYmro&t=7658
सब क्रियाओं का मकसद यही है कि भगवान से कैसे योग करें, यानी कैसे जुड़ें, हमारी प्राथमिक जरूरतें है रोटी कपड़ा और मकान, पहली बात करते हैं मकान की: श्रीमद भागवत कहती है कि भगवान की मूर्ति या तस्वीर और भगवान में कोई भेद नहीं है, अपने घर के मंदिर के बिल्कुल बीच (center) में भगवान की मूर्ति लगाएं, जहां भगवान विराजते हैं वो जगह घर होती है या मंदिर, मंदिर ही होती है ; इस भाव से यदि आप अपने घर को मंदिर मानते है तो घर के लिए किया प्रत्येक काम आपकी भक्ति हो जाएगा, माता घर की सफाई कर रही है तो मंदिर की सेवा कर रहीं हैं, यानी आपका घर मंदिर है आप मंदिर के Trustee हो
https://youtu.be/U4VYmrqYmro&t=7712
यदि हम प्रत्येक घर को मंदिर मानते हैं तो भगवान ने अलग अलग Trustee बनाए हैं अलग अलग घरों के लिए, ध्यान रहे कि Trustee ही बनके रहना, घर से आसक्ति पैदा नहीं कर लेना, obviously यदि घर को मंदिर के भाव से देखोगे तो घर का बहुत ज्यादा अच्छे तरीके से ध्यान रखोगे, यानी आप नौकरी, पेशा, धंधा कर रहे हो वो सब भक्ति बन गया क्योंकि आपको अपना घर यानी मंदिर चलाना है as a Trustee
https://youtu.be/U4VYmrqYmro&t=7852
आहार: 40% धन लोगों का आहार में खर्च होता है, पहले आप फल सब्जी लाया करते थे तो बच्चों के लिए, पति, पत्नी के लिए ले जाते थे मगर अब घर को मंदिर बना लिया है तो आप ये फल और सब्जी भगवान के भोग के लिए ले जा रहे हो, non-veg , प्याज, लहसुन, मसूर की दाल, भगवान नहीं खाते तो इसलिए आप घर में लाओगे भी नहीं, तात्पर्य ये कि घर में जो भी कुछ पकेगा, बनेगा - केवल भगवान के भोग के लिए और हम उनका प्रसाद पाएंगें
https://youtu.be/U4VYmrqYmro&t=7907
यदि आप भगवान को भोग लगाए बिना कुछ भी भोजन ग्रहण करते हो तो वो पाप ही ग्रहण कर रहे हो क्योंकि गेहूं, फल, सब्जियों में भी जीव होते हैं, इसीलिए इस भौतिक जगत में कुछ भी शुद्ध पुण्य नहीं है पाप भी मिश्रित है यानी head है तो tail भी साथ है
https://youtu.be/U4VYmrqYmro&t=7991
आप जो भी भोजन बना रहे हो घर में, भगवान के लिए बना रहे हो, इसलिए प्रसन्न चित्त होकर, भगवान का भजन जैसे महामंत्र गाते हुए बनायें, भगवान के लिए एक थाली अलग से रखिये, भगवान से संबंध (close relation) बनाने के लिए, साधना करनी पड़ती है, थाली जब भगवान को भोग लगाते हैं तो साथ में तुलसी रखिए और वैष्णव गुरु (pure devotee of Krishna) की तस्वीर या मूर्ति भी रखिए (ऐसा गुरु नहीं जो श्रीकृष्ण को भगवान नहीं मानता या ब्रह्म में लीन होने की बात करता हो)
https://youtu.be/U4VYmrqYmro&t=8027
भगवान को पूरा भोजन अर्पण करना है, ना कि केवल दूध मिश्री, हम भगवान के अंश हैं और भगवान अनंत हैं, यदि हमें थोड़ा सा बुरा लगता है तो भगवान को अनंत गुना बुरा लग सकता है, यदि हमें थोड़ी सी भूख लगती है तो भगवान को अनंत गुना भूख लग सकती है मगर भगवान की भूख तो भाव से मिटती है, जैसे आप अपने बच्चे को खिलाते हो ठूस कर (in larger than required quantity) वैसे ही भगवान को भोग लगाएं प्रेम सहित, साथ में जल भी रखिए, भगवान को भी कुछ समय दें भोजन ग्रहण करने के लिए ये नहीं कि भोजन लाएं और पांच seconds में उठा लिया कि लग गया भोग, भोजन भगवान को अर्पण करके पर्दा कर दीजिए 15 मिनट के लिए, फिर ताली या घंटी बजाकर पर्दा खोलें और भोजन को प्रसाद की तरह ग्रहण करें
https://youtu.be/U4VYmrqYmro&t=8115
The devotees of the Lord are released from all kinds of sins because they eat food which is offered first for sacrifice. Others, who prepare food for personal sense enjoyment, verily eat only sin.
भगवान को भोग क्यों लगता है क्योंकि वो भोक्ता हैं, भोग उसी को लगता है, जो स्वामी हो, और प्रसाद होता है कृपा, जो कि दास लेते हैं, भोग लगाए हुए भोजन से सब पाप भगवान निकाल लेते हैं
https://vedabase.io/en/library/bg/3/13/
https://youtu.be/U4VYmrqYmro&t=8283
लोग कहते हैं भाई सबके लिए अच्छा करो काफी है अरे अपने बेटे को खाना खिलाते हो या भगवान का प्रसाद खिलाते हो, खाना खाया जाता है जो कि जानवर भी करते हैं, मगर प्रसाद पाया जाता है, जिसे ज्ञान मिलता है, वो बेटा विचार करता है, कि मेरा ऐसे माता पिता के पास जन्म क्यों हुआ कि सारा जीवन मुझे पाप खिलाके मेरे जन्म, जन्मांतर बिगाड़ दिए
https://youtu.be/U4VYmrqYmro&t=8310
वैष्णव लोग कंठी (गले) में तुलसी माला क्यों पहनते हैं, यमराज छू नहीं सकते वैष्णव भक्त को, पर ये वही पहन सकता है जो धर्म के चार नियमों पर चलता है सत्यता, तपस्या, दया और शुद्धता - जो ये चार नियम पालन करता है वही मनुष्य कहलाने योग्य है, दया करो अपने पर भी और दूसरे जीवों पर भी, non-veg नहीं और प्याज, लहसुन नहीं, तपस्या यानी नशा छोड़ दो हर प्रकार का, क्योंकि नशा इंद्रियों को काबू नहीं होने देता, शुद्धता यानी शादी के बाहर शारीरिक संबंध नहीं करें से क्योंकि ये तन और मन दोनों को अशुद्ध करता है, सत्यता यानी जुआ नहीं खेलना
“धर्म हीना पशु समाना” – without dharma ,i.e., who does not follow above four principles, man is an animal
Hence , ISKCON declares Four Big Vices / Four Pillars of Sinful Life / Regulative Principles of Iskcon : no meat eating, no intoxication, no gambling, no illicit sex
https://youtu.be/U4VYmrqYmro&t=8356
कपड़े कैसे पहनने चाहिए, हृदय में कौन होता है आत्मा और परमात्मा और इसलिए यह शरीर मंदिर है, इसलिए शरीर को सुसज्जित करने के लिए 12 तिलक लगाये जाते हैँ
https://youtu.be/U4VYmrqYmro&t=8488
दिल मी भगवान की मूर्ति के ऊपर एक छत्र (covering) होता है ओर मंदिर के ऊपर भी एक गोपुरम (dome shaped) होता है, ऐसे ही हृदय, यानी आत्मा और परमात्मा का स्थान, के ऊपर शरीर है और शरीर कि रक्षा के लिए कपड़े, यानी कपड़ों के लिए जो आप कमा रहे हो, खर्च कर रहे हो, किसके लिए, हृदय रूपी मंदिर को ढकने के लिए
https://youtu.be/U4VYmrqYmro&t=8528
नींद यानी सोना भी ज़रूरी है शरीर को स्वस्थ रखने के लिए, जल्दी सोएंगे जल्दी उठेंगे, ताकि सवस्थ शरीर ही भगवान की सेवा में लग पाएगा, और समय व्यर्थ नहीं गंवाएंगे क्योंकि जीवन का लक्ष्य है भगवत धाम में लौटना
https://youtu.be/U4VYmrqYmro&t=8559
ध्यान योग था सतयुग के लिए, ½ घंटे के ध्यान से कुछ विशेष लाभ नहीं, सतयुग में उम्र 1,00,000 वर्ष हुआ करती थी इसलिए 10,000 से 20,000 वर्ष तक ध्यान लगा सकते थे और भगवान के दर्शन करते थे, इसलिए ध्यान योग बहुत कठिन है इस कलयुग में सुनिए…
To practice yoga, one should go to a secluded place and should lay kuśa grass on the ground and then cover it with a deerskin and a soft cloth. The seat should be neither too high nor too low and should be situated in a sacred place. The yogī should then sit on it very firmly and practice yoga to purify the heart by controlling his mind, senses and activities and fixing the mind on one point.
https://vedabase.io/en/library/bg/6/11-12/
https://youtu.be/U4VYmrqYmro&t=8584
यज्ञ: त्रेता युग में प्रमुख तौर पर किया जाता था और जो भी यज्ञ विधि अनुसार पूर्ण हुआ उसके तुरंत बाद इच्छानुसार वो प्राप्त हुआ, इसके भी बड़े कठोर नियम है, उच्चारण के, सामग्री के इत्यादि, यदि कुछ गलत हो गया तो उल्टा प्रभाव हो जाता है, शादी के दौरान भी अग्नि को साक्षी माना जाता है क्योंकि अग्नि विष्णु जी का एक रूप है, यज्ञ ही विष्णु हैं
https://youtu.be/U4VYmrqYmro&t=8657
द्वापर युग में मंदिर में भगवान का दर्शन महत्वपूर्ण था, भगवान के दर्शन के लिए लोग टोकरों में कीमती जवाहरात लेकर जाते थे, आजकल ₹1 फेंकते हैं हनुमानजी के ऊपर, जैसे भगवान भिखारी हैं, भगवान प्रेम भाव देखते हैं, उपहार (gift) नहीं,
https://youtu.be/U4VYmrqYmro&t=8804
कलियुग में भगवान का कीर्तन ही एक मात्र साधन है भागवत प्राप्ति का
harer nāma harer nāma
harer nāmaiva kevalam
kalau nāsty eva nāsty eva
nāsty eva gatir anyathā
hareḥ nāma — the holy name of the Lord Hari; hareḥ nāma — the holy name of the Lord Hari; hareḥ nāma — the holy name of the Lord; eva — certainly; kevalam — only; kalau — in this Age of Kali; na asti — there is not; eva — certainly; na asti — there is not; eva — certainly; na asti — there is not; eva — certainly; gatiḥ — means; anyathā — other.
और हरि का नाम से मतलब है हरि का महामंत्र:
हरे कृष्ण हरे कृष्ण, कृष्ण कृष्ण हरे हरे
हरे राम हरे राम, राम राम हरे हरे
https://vedabase.io/en/library/cc/madhya/6/242/
https://youtu.be/U4VYmrqYmro&t=8852
श्री कृष्ण अवतार के रूप में आते हैं एक बार, ब्रह्मा जी के एक (1) दिन में, फिर कलियुग में श्री कृष्ण एक भक्त का रूप लेकर आते हैं जैसे चैतन्य महाप्रभु आए, ये बताने के लिए कृष्ण भक्ति कैसे करनी चाहिए, ये शास्त्रों के अनेक श्लोकों में लिखा है, कलयुग में और कोई अवतार नहीं होता है
https://youtu.be/U4VYmrqYmro&t=8931
भगवान के दो प्रकार के रूप होते हैं ऐश्वर्या (Opulent, the Greatest) जैसे राम और माधुर्य (sweet, loving) जैसे श्री कृष्ण (द्वापर में) और चैतन्य महाप्रभु (कलयुग में)
https://youtu.be/U4VYmrqYmro&t=9000
श्री चैतन्य महाप्रभु कलियुग में अवतार लेते हैं और लिया, जैसे हम लोगों की lottery खुली हुई है, मनुष्य शरीर मिला ये पहली lottery है, भारतवर्ष में जन्म हुआ यह दूसरी lottery है, श्री चैतन्य महाप्रभु का संग कर सकते हो (शुद्ध भक्ति के लिए, केवल हरि नाम संकीर्तन से यानी महामन्त्र प्रेम से जपने से) ये तीसरी lottery
https://youtu.be/U4VYmrqYmro&t=9062
श्री चैतन्य महाप्रभु ने स्पष्ट किया कि कलयुग में भगवान अपने नाम के रूप में अवतार लेते हैं, मगर क्योंकि भगवान पूर्ण हैं इसलिए उनके नाम, रूप, लीला, धाम और भगवान में कोई भेद नहीं है, इसलिए जब भगवान भोग में भोजन पातें हैं, भोजन पूरा वैसे ही दिखता है जितना रखा था, क्योंकि भगवान पूर्ण हैँ, यदि पूर्ण के अनगिनत अंश भी कर लो, तब भी पूर्ण सदैव पूर्ण ही रहता है, इसलिए अंजान लोग पूछते हैं कि भगवान ने कहाँ खाया, मगर इसका उत्तर ये है कि देखने वाले की नज़र प्रेम भक्ति की नहीं है
https://youtu.be/U4VYmrqYmro&t=9086
भगवान का नाम मन के अलावा जुबान से भी सांख्य पूर्वक (जैसा कि शास्त्रों में लिखा है) लेना चाहिए इसलिए 108 मनकों की माला बनाई गई है (क्योंकि 108 मुख्य गोपिकायें हैँ), भाव ये होना चाहिए कि हे राधा रानी, हे श्री कृष्ण, मुझे अपनी सेवा का अवसर दीजिए, पूरा संसार सेवा ही तो मांग रहा है, कोई businessman अपने customer की, कोई नौकरी वाला अपने boss की, अपनी बीवी की, अपने पति की, अपने बच्चों की, क्यों ना भगवान की सेवा की जाए ताकि बाकी सब सेवाओं से सदा सदा के लिए बचा जा सके
https://youtu.be/U4VYmrqYmro&t=9126
हरे कृष्ण महामंत्र को ध्यानपूर्वक प्रेम से जपिये, भोजन को भोग लगाकर प्रसाद के रूप में पाइये, अपने घर को मंदिर बनाइए, कपड़े भी पहने तो शरीर को ढकने और रक्षा के लिए, जिस शरीर ने भगवान की सेवा करनी है, कपड़े दिखावट (extravagant show off) के लिए नहीं पहनें, इससे दूसरे जलते हैं और आप ही के घर का सर्व नाश होता है
https://youtu.be/U4VYmrqYmro&t=9211
आत्मा का दान देना सबसे बड़ा दान है या शरीर का ध्यान रखना सबसे बड़ा दान है ?, लोग कहते हैं गीता को समझने में कई जन्म लग जाते हैं, अरे अर्जुन को तो 15 मिनट में आ गई थी, यदि हम भी अर्जुन की तरह शरणागत हो जायें, भगवान ऐसा ज्ञान क्यों देंगे जो किसी को समझ में नहीं आये, मगर क्योंकि हम समझना नहीं चाहते इसलिए समझ नहीं आती
https://youtu.be/U4VYmrqYmro&t=9248
भगवान कह रहे हैं कि मेरा कीर्तन कर और सतत कर यानी मन को भगवान में लगातार लगा के रखो, इसमें क्या समझ नहीं आ रहा है, महामंत्र हमेशा मन में कहते रहें, महात्मा वही है जो भक्त ऐसा कर सके, market में जितनी भी गीता हैँ, सब ज्ञानी, ध्यानी और योगियों की है मगर भक्त की केवल एक है प्रभुपाद जी की, इसलिए इसे ले और पढ़ें
https://youtu.be/U4VYmrqYmro&t=9314
मैं तो चाहता हूँ कि आप सब इस गीता को पड़ें, भक्ति के बारे में प्रश्न करें और सहयोग करें कि हम सबको ये ज्ञान बांटे और भगवान की सेवा में लग पाएं, मैंने भी केवल 24 वर्ष की आयु में गीता पड़ी थी और प्रचार शुरू किया था और मैंने कुछ छोड़ा नहीं है, केवल Teacher बना हूँ गीता का
https://youtu.be/U4VYmrqYmro&t=9340
आप भी जिंस स्थिति में हैं उसी स्थिति में गीता ज्ञान प्राप्त करके और दूसरों को बांट सकते हैं, आप भी घर में खाने की बजाय प्रसाद पा सकते हैं, घर को मंदिर बना सकते हैं, क्या मैंने आपको कुछ छोड़ने के लिए बोला है ? नहीं, सिर्फ जुड़ने के लिए बोला है भगवान से, जीवन का लक्ष्य समझिए, लक्ष्य है भागवत धाम की प्राप्ति, बाकी सब क्रियाएं, जो केवल support या auxiliary activities हैँ, इस लक्ष्य प्राप्ति में सहयोग करनी चाहिए यानी, ये नहीं कि मंदिर जाकर आप भौतिक जगत की चीजें मांगते रहे
https://youtu.be/U4VYmrqYmro&t=9380
चैतन्य महाप्रभु का जन्मदिन. पूर्णिमा के दिन हुआ था और शाम 6:00 बजे तक हम व्रत करते हैं, होली हम यहाँ नहीं खेलते, वहीं भागवत धाम में खेलेंगे
ये जीवन मिला है athato brahm jijnasa :
"Now is the time to inquire about the Absolute Truth." The human form of life is especially meant for this purpose, and therefore the Vedānta-sūtra very concisely explains the human mission.
http://tinyurl.com/25xpnyce
https://vanipedia.org/wiki/Athato_Brahma_Jijnasa_-_an_essential_subject
https://youtu.be/U4VYmrqYmro&t=9402
कृष्ण प्रेम पाने का सबसे सरल और सुंदर तरीका क्या है : भक्ति
https://youtu.be/U4VYmrqYmro&t=9433
क्या पेड़ पौधों में जीव होता है ? हाँ होता है, अचेत वस्तुएं जैसे पत्थर में भी आत्मा होती है (मगर जब जीव बहुत ही नीचे गिर जाता है)
https://youtu.be/U4VYmrqYmro&t=9442
गीता का ज्ञान सदा ध्यान में रखना पड़ेगा, हफ्ते में एक बार नहीं, आप अपना धंधा हफ्ते में केवल एक बार करते हो या पूरा टाइम करते हो ?
https://youtu.be/U4VYmrqYmro&t=9453
भारत में धर्म का प्रचार अधिक है फिर भी इतनी बेईमानी क्यों है? मैं नहीं मानता कि भारत में धर्म के प्रचारक ज्यादा हैं बल्कि अधर्म के प्रचारक ज्यादा हैं
https://youtu.be/U4VYmrqYmro&t=9480
भारत में शुद्धता (purity) कैसे आएगी, हमें खुद शुद्ध बनना पड़ेगा, क्योंकि शुद्ध के leader शुद्ध होते हैं, अशुद्ध के लीडर अशुद्ध होते हैं
https://youtu.be/U4VYmrqYmro&t=9493
श्री कृष्ण का भोग यानी प्रसाद बाकी देवी देवताओं को भी खिलायें
https://youtu.be/U4VYmrqYmro&t=9505
एकादशी का व्रत अवश्य करना चाहिए, अन्न नहीं खाना मगर फल आहार कर सकते हैँ हरि वासर (यानी एकादशी, जन्माष्टमी, राम नवमी, नरसिम्हाँ) के दिन अवश्य व्रत करने चाहिए, बाकी त्योहारों पर पत्नी के व्रत करने से पति की उम्र कम होती है
https://www.speakingtree.in/blog/science-behind-ekadashi-fasting-hari-vasara
https://youtu.be/U4VYmrqYmro&t=9579
क्या स्त्री पुरुष से नीचे है? नहीं, पुरुष, स्त्री, बच्चे सबको भगवान की भक्ति करनी चाहिए, इसीलिए इसे ग्रहस्थ आश्रम का नाम दिया गया है, भगवान ने शरीर के सब अंगों को अलग अलग महत्वता दी है, हाथ पैर का काम नहीं कर सकता, पैर दिमाग का काम नहीं कर सकता इत्यादि
https://youtu.be/U4VYmrqYmro&t=9626
भक्त के प्रचार (preaching) से भी अधिक महत्वपूर्ण है उसका आचार (behaviour) ताकि लोग भक्ति के लिए प्रेरित हों
https://youtu.be/U4VYmrqYmro&t=9684
मन को नियंत्रण में रखने के लिए हरे कृष्ण महामन्त्र का जाप शुरू करिए, खाने की बजाय प्रसाद पाईये और भक्तों का संग यानी सत्संग कीजिये, अपने आप आपके आचरण में बदलाव आ जाएगा, जिसके कारण मन भी नियंत्रण में आ जायेगा
https://youtu.be/U4VYmrqYmro&t=9708
आलस्य (laziness) को कैसे खत्म करें ?
https://youtu.be/U4VYmrqYmro&t=9726
Standby link (in case youtube link does not work)