Friday, October 15, 2021

गरुड़ पुराण के रहस्य , Facts of Garud Puran in Hindi

  गरुड़ पुराण के रहस्य |

Facts of Garud Puran in Hindi    https://www.youtube.com/watch?v=fciatjdrAFg

Important points:   1 अगले जन्म में कौन स्त्री या पुरुष या पशु बनेगा Who will become a man or woman or animal in the next life? https://www.youtube.com/watch?v=fciatjdrAFg&t=108 2 मृत्यु के समय मनुष्य की  आसक्ति जिस ओर होती है, उसका जन्म इस आसक्ति के आधार  पर होता है, (सबसे उत्तम है यदि कृष्ण भगवान का स्मरण करते हुए मृत्यु हो) Whatever attachment a person has at the time of death, his birth takes place on the basis of this attachment (it is best if death occurs while remembering Lord Krishna). https://www.youtube.com/watch?v=fciatjdrAFg&t=254 3 जो व्यक्ति स्त्रियों  का अनादर करता है उनका अपमान करता है या अपनी स्त्री  को सताता है तो उसे अगले जन्म में स्त्री बनकर पूर्व  जन्म में की गई गलतियां का दंड भोगना पड़ता है The person who disrespects women, insults them or harasses his wife, then he has to suffer the punishment of the mistakes committed in the previous life by becoming a woman in the next life. https://www.youtube.com/watch?v=fciatjdrAFg&t=308 4 महिलाओं को मासिक धर्म का कष्ट देवराज इंद्र के करण  ही भोगना पड़ता है Women have to suffer the pain of menstruation only because of curse of Devraj Indra. https://www.youtube.com/watch?v=fciatjdrAFg&t=378 5 जब व्यक्ति मरने  लगता है तो उसकी आत्मा को लेने के लिए दो यमदूत आते हैं When a person dies, two Yamdoots come to take his soul. https://www.youtube.com/watch?v=fciatjdrAFg&t=595 6 जब आत्मा शरीर को त्याग  कर यमलोक की यात्रा प्रारंभ करती हैं तो इस दौरान उसे तीन  प्रकार के मार्ग मिलते हैं When the soul leaves the body and starts its journey towards Yamlok, during this time it gets three types of paths. https://www.youtube.com/watch?v=fciatjdrAFg&t=617 7 आत्मा जब शरीर छोड़ती है तो मुख्य तौर पर उसकी तीन  तरह की गतियां होती हैं When the soul leaves the body, there are mainly three types of outcomes: https://www.youtube.com/watch?v=fciatjdrAFg&t=710 8 जिस व्यक्ति ने किसी भी प्रकार का पाप  या नशा करके अपनी चेतन के स्तर को नीचे गिरा दिया, वे रेंगने वाले कीड़े मकोड़े या गहरे जल में रहने वाले जीव  जंतु के रूप में नया जीवन पाते हैं A person who has lowered his level of consciousness by committing any kind of sin or intoxication, finds a new life in the form of crawling insects or creatures living in deep water. https://www.youtube.com/watch?v=fciatjdrAFg&t=763 9 स्वर्ग और नरक में गई हुई आत्माएं  जब अपने कर्म फल का भोग कर लेती हैं तो उन्हें फिर  से पृथ्वी लोक पर आकर पुनः जन्म मृत्यु के चक्र में  उलझन पड़ता है, जो आत्माएं स्वर्ग से वापस आकर  पृथ्वी लोक में जन्म लेती हैं उन्हें मनुष्य यानी  प्राप्त होती है जबकि नरक से वापस आने वाली आत्मा  को पशु पक्षी पेड़ पौधे या अन्य योनियों में भटकना  पड़ता है When the souls who have gone to heaven and hell enjoy the fruits of their deeds, they come back to the earth and get entangled in the cycle of birth and death. The souls who come back from heaven and take birth on the earth as human beings. Whereas the soul coming back from hell has to wander as animals, birds, plants or other species. https://www.youtube.com/watch?v=fciatjdrAFg&t=801 10 अच्छे  कर्म करने वाली आत्माओं को यमलोक की  यात्रा नहीं करनी पड़ती ऐसी आत्माओं के लिए एक विमान  आता है जिसमें बैठकर वह विष्णु लोक यानी बैकुंठ  धाम चली जाती हैं माना जाता है जिन्हें विष्णु लोक  में रहने की अनुमति मिल जाति है उन्हें दोबारा जन्म  लेने की आवश्यकता नहीं पड़ती The souls who do good deeds do not have to travel to Yamalok. For such souls, a plane comes in which they go to Vishnu Loka i.e. Vaikuntha Dham. It is believed that those who are allowed to live in Vishnu Loka, they need not to take birth again in the material world https://www.youtube.com/watch?v=fciatjdrAFg&t=896 11 गरुण पुराण में यमपुरी के इस रास्ते में  वैतरणी नदी का उल्लेख मिलता है, वैतरणी नदी कई योजन  लंबी मल, मूत्र और रक्त से भरी हुई है इस नदी को  पार करना बहुत कष्टकारी होता है In Garun Purana, there is mention of Vaitarani river on this route of Yampuri, Vaitarani river is several yojana long and is full of feces, urine and blood & it is very painful to cross, https://www.youtube.com/watch?v=fciatjdrAFg&t=871 12   गोदान को सबसे बड़े दान की  श्रेणी में रखा गया है इसलिए गरुड़ पुराण में भगवान  विष्णु ने यह भी कहा है की यदि व्यक्ति ने जीवन में  गोदान किया है तथा शास्त्रों के अनुकूल जीवन यापन  किया है तो उसकी आत्मा को यमलोक के रास्ते में मिलने  वाली वैतरणी नदी का कष्ट नहीं भोगना पड़ता और उसे  नदी को पर करने के लिए नाव की व्यवस्था कर दी जाति  है, इसके विपरीत पापी आत्माएं जिन्होंने गोदान भी  नहीं किया होता, इस नदी में वे डूबती रहती हैं और  यमदूत उन्हें धक्का देकर बहुत कष्ट देते हैं Donation for cows has been kept in the category of the biggest donation, hence Lord Vishnu has also said in Garuda Purana that if a person has donated for cows in his life and has lived his life in accordance with the scriptures, then his soul will be saved from Vaitarani on the way to Yamalok & one does not have to suffer crossing this river and a boat is arranged to cross this river ; on the contrary, the sinful souls who have not even donated for cows, keep drowning in this river and the Yamdoots push them and give them a lot of trouble. https://www.youtube.com/watch?v=fciatjdrAFg&t=929 14 अगर आत्मा का विधि-विधान  से अंतिम संस्कार नहीं होता तो आत्मा लंबे समय तक  भटकती रहती है If the soul is not cremated as per the prescribed rituals, then the soul keeps wandering for a long time. https://www.youtube.com/watch?v=fciatjdrAFg&t=967 15 जिन  लोगों ने अपने जीवन में अच्छे कर्म किया होते हैं  मृत्यु के दौरान उनके प्राण आसानी से शरीर छोड़ते  हैं, वे जन्म और मृत्यु के चक्र से आगे निकाल जाते  हैं, वहीं जिन लोगों ने अपने जीवन में अच्छे कर्म  नहीं किया होते, उनके प्राणों को पुनर्जनम लेकर भौतिक  कष्टों को सहना पड़ता है People who have done good deeds in their life, their soul easily leaves the body at the time of death, they go beyond the cycle of birth and death, whereas those who have not done good deeds in their life, their soul does not leave the body easily & they have to endure material hardships by taking rebirth again & again https://www.youtube.com/watch?v=fciatjdrAFg&t=1007 16 आत्मा शरीर के बाएं हिस्से में हृदय के भीतर रहती है The soul resides within the heart on the left side of the body https://www.youtube.com/watch?v=fciatjdrAFg&t=1120 17 बाल की नोक को अगर 100 हिस्सों में  बांट दिया जाए और उसे सौवें हिस्सों को भी अगर 100 हिस्सों में बांटा जाए तो भी वहां आत्मा के आकर से बड़ा होगा  इसके अलावा आत्मा के भर के विषय में भी एक मान्यता  है की यह 21 ग्राम की होती है If the tip of the hair is divided into 100 parts and even if it is further subdivided into another hundred parts, even then it will be bigger than the size of the soul. Apart from this, there is a belief that the weight of the soul is 21 grams. https://www.youtube.com/watch?v=fciatjdrAFg&t=1223 18 नरक से आया हुआ जीव मां के गर्भ में कैसे  प्रवेश करता है How does a soul coming back from hell, enter the mother's womb? https://www.youtube.com/watch?v=fciatjdrAFg&t=1240 19 मरते समय आत्मा शरीर के नौं द्वारों में  से किसी एक से शरीर छोड़ती हैं At the time of death, the soul leaves the body through any one of its nine gates. https://www.youtube.com/watch?v=fciatjdrAFg&t=1314 20 जो लोग जीवन भर धर्म के मार्ग पर चलते हैं और उन्हें यमलोक में भी कष्ट नहीं भोगना पड़ता Those who follow the path of religion through their life do not have to suffer in Yamalok. https://www.youtube.com/watch?v=fciatjdrAFg&t=1393 Transcript form the video : 0:00 दोस्तों आत्मा का कोई लिंग नहीं होता आत्मा अपने  कर्मों के अनुसार कभी पुरुष शरीर को धारण करती है   0:07 तो कभी स्त्री शरीर को अब यहां प्रश्न यह उठाता है  की किन कर्मों को करने से आत्मा को अगले जन्म में   0:15 स्त्री शरीर मिलता है वैसे तो इस विषय पर विज्ञान  का अपना मत है और धर्म ग की अपनी मान्यताएं तो   0:24 क्या दोस्तों हमारे धर्म ग में क्या कुछ विशेष  करण बताए गए हैं जिसे करने वाला अगले जन्म में   0:31 स्त्री बंता है आज की ये वीडियो इसी विषय पर  है दोस्तों आज की वीडियो में हम स्त्री जन्म   0:38 की इन्हीं गुत्थियों को सुलझाने की कोशिश करेंगे  और आपको गरुण पुराण की उसे कथा के बड़े में भी   0:44 बताएंगे जिसमें देवराज इंद्र के करण महिलाओं को  मासिक धर्म के कासन को भोगनी का सिलसिला शुरू   0:51 हुआ इसके साथ ही इस वीडियो में आपको स्त्री जन्म  से जुड़े वैज्ञानिक करण भी पता चलेंगे दोस्तों   1:00 सब विधाता ने जीवन की उत्पत्ति के जीव बनाए एक  न और दूसरा मद परंतु शास्त्रों के अनुसार आत्मा   1:09 को इनमें से किसी भी श्रेणी में नहीं रखा गया गीता  में भी आत्मा को भौतिक तत्वों से पैर बताया गया है   1:16 ऐसा मत है की आत्मा का कोई लिंग नहीं होता लेकिन  जब यही आत्मा मनुष्य शरीर धरण करती है तो मूलता   1:25 कुछ कर्म से उसे स्त्री का शरीर मिलता है आई उन  कर्म को एक-एक करके विस्तार से जानते हैं नमस्कार   1:33 दोस्तों स्वागत है आपका हमारे चैनल वैदिक ज्ञान  संगम में आपसे अनुरोध है की चैनल को सब्सक्राइब   1:40 कर लेने और कमेंट बॉक्स में जय श्री नारायण लिखकर  परमात्मा को अपना आभार व्यक्त करें कई लोगों को   1:48 लगता है की स्त्री जन्म अच्छा है जबकि कई लोगों के  दिमाग में यह बात भी आई है की पुरुष जन्म ही अच्छा   1:56 है अब यदि कोई पुरुष यह मानता है की सभी जन्म ही  अच्छा होता है तो वह अपने इस जीवन में स्त्री जैसा   2:04 होने की कल्पना करता है यह भी हो सकता है की किसी  पुरुष में स्ट्रैंथ चित हो तो फिर वह अगले जन्म   2:12 में स्त्री ही बनेगा स्ट्रैंथ का अर्थ होता है की  ऐसा पुरुष जिसकी भावना और कर्म स्त्रियों जैसे हो   2:19 जबकि कई बार इसके ठीक उल्टा भी होता है दोस्तों आई  पहले धर्मशास्त्र समाज की मान्यताएं और वैज्ञानिक   2:27 तथ्य जान लेते हैं इसके बाद गरुड़ पुराण में लिखित  करण के ऊपर बात करेंगे धर्म शास्त्रों के अनुसार   2:35 यदि कोई पुरुष महिलाओं वाला आचरण करता है स्वभाव में  महिलाओं वाली आते ले आता है या वही कम करना चाहता है   2:43 जो एक महिला को करना चाहिए तो ऐसे पुरुषों की आत्मा  अगले जन्म में स्त्री का शरीर धरण करती हैं ठीक इसी   2:52 तरह अगर कोई मनुष्य पशुओं के समाज व्यवहार करता है  उन्हें चीजों का सेवन करता है जिसका पशु सेवन करते   2:59 हैं तो ऐसे लोगों को निश्चित रूप से अगले जन्म में  पशु बन्ना पड़ता है दोस्तों हमारा आधुनिक विज्ञान   3:07 बच्चे का जन्मस्थली रूप में होने का करण माता-पिता  द्वारा गलत समय में संभोग करने से जोड़कर बताता है   3:14 विज्ञान के अनुसार अगर कोई स्त्री रितु कल से कुछ  दिन पहले संभोग करती है तो बच्चे का जन्मस्त्री रूप   3:22 में होता है ऐसा इसलिए होता है क्योंकि रितु कल से  ठीक पहले महिलाओं के एक गुणसूत्र पुरुषों के वाणी   3:31 गन सूत्रों से कहानी ज्यादा प्रभावी होता है जबकि  रीतकाल के बाद पुरुषों के वे गुणसूत्र महिलाओं के   3:38 एक गुणसूत्र से ज्यादा प्रभावी हो जाते हैं इसलिए  यदि संभोग की भीम रितु कल के बाद होती है तो लड़का   3:46 होने की संभावना ज्यादा होती है और रितु कल से पहले  हो तो लड़की होने की संभावना ज्यादा होती है जिसका 3:59 ज्यादा समय तक जीवित राहत है पुरुष का शुक्राणु  बच्चे के लिंग निर्धारण करने के लिए पुरी तरह से   4:07 जिम्मेदार होता है दोस्तों आई अब आपको बताते हैं  की स्त्री जन्म को लेकर गरुण पुराण में क्या लिखा   4:14 है गरुण पुराण के अनुसार मृत्यु के समय मनुष्य की  आसक्ति जी और होती है उसका जन्म इस आसक्ति के आधार   4:22 पर होता है इसलिए अगले जन्म के विषय में सबसे  महत्वपूर्ण है मृत्यु के समय सोची गई बात जिन   4:30 आसक्तियों को लेकर व्यक्ति प्राण त्याग देता है अगले  जन्म में उन्हें ए शक्तियों को भोगनी के लिए फिर से   4:37 उसका जन्म होता है यदि कोई व्यक्ति मृत्यु के अंतिम  क्षण में किसी स्त्री को याद करते हुए प्राण त्यागता   4:45 है तो उसे अगले जन्म में स्त्री के रूप में जन्म  मिलता है वही अगर वो अंतिम क्षण में परमेश्वर का   4:53 नाम लेट है तो वो मुक्ति के मार्ग पर अग्रसर हो  जाता है यानी मृत्यु के अंतिम क्षण का प्यार ही   5:00 उसके अगले जन्म का आधार बंता है इसीलिए शास्त्रों  में कहा गया है की मरते समय हमेशा राम का नाम लेना   5:08 चाहिए कुछ मान्यताओं के अनुसार जो व्यक्ति स्त्रियों  का अनदर करता है उनका अपमान करता है या अपनी स्त्री   5:17 को सत्ता है तो उसे अगले जन्म में स्त्री बनकर पूर्व  जन्म में की गई गलतियां का दंड भोगना पड़ता है अपने   5:25 स्त्री जन्म में उसे वही सब कष्ट मिलते हैं जो कष्ट  उसने अपने पिछले जन्म में स्त्रियों को दिया होता है   5:31 दोस्तों अगर ज्योतिष की बात करें तो ज्योतिष विद्या  के अनुसार यदि व्यक्ति की जन्मपत्री के आठवी घर में   5:39 शुक्र और शनि मौजूद हो और इन्हें गुरु और चंद्र नहीं  देख रहे हो तो व्यक्ति का जन्म स्त्री के रूप में या   5:47 फिर नपुंसक के रूप में होता है दोस्तों स्त्री जन्म  में अनेक कष्ट उठाना पड़ता है आखिरकार हम लोग पुरुष   5:55 प्रधान समाज में जो रहते हैं स्त्री के लिए जहां मां  बन्ना एक बहुत बड़ा आशीर्वाद है वही मासिक चक्र का   6:03 कष्ट भोगना किसी अभिशाप से कम नहीं है स्त्रियों  को मासिक धर्म क्यों भोगना पड़ता है और इसका संबंध   6:11 देवराज इंद्र से कैसे हैं आई जानते हैं दोस्तों  इस बात की पुष्टि जरूर पुराण में भी की गई है की   6:18 महिलाओं को मासिक धर्म का कष्ट देवराज इंद्र के करण  ही भोगना पड़ता है एक बार देव गुरु बृहस्पति देवराज   6:27 इंद्र से नाराज हो गए इसी दौरान असुरों ने देवलोक  पर आक्रमण कर दिया और इंद्र को इंद्रलोक छोड़कर   6:35 जाना पड़ा इसके बाद देवराज इंद्र ब्रह्माजी के पास  पहुंचे और उनसे सहायता मांगी तब ब्रह्मा जी ने कहा   6:43 की पापोन के प्रायश्चित के लिए इंद्रदेव को किसी  ब्रह्मज्ञानी की सेवा करनी चाहिए तभी जाकर उनके दुख   6:50 का निवारण होगा अंत में इंद्र एक ब्रह्मज्ञानी  मनी की सेवा करने लगे लेकिन वह इस बात से   6:57 जान थे की उसे मनी की माता असुर थी ऐसे में पूजा के  दौरान इंद्रदेव द्वारा अर्पित साड़ी हवन सामग्री और   7:06 पूजा का फल असुरों को चला जाता था जब इंद्र को यह  बात पता चली तो वो बहुत नाराज हुए और उन्होंने उसे   7:14 मनी की हत्या कर दी हत्या करने से पहले इंद्र उसे  मनी को गुरु मानते थे और गुरु की हत्या करना घर पाप   7:22 है इसी करण उन्हें ब्रह्म हत्या का दोष भी ग गया ये  पाप एक भयानक दानव के रूप में उनका पीछा करने लगा   7:30 किसी तरह इंद्र एक फूल में चिप गए और कई वर्षों तक  इस में भगवान विष्णु की तपस्या करते रहे तपस्या से   7:39 प्रश्न होकर भगवान विष्णु ने इंद्र को ब्रह्म हत्या  के दोस्त से मुक्त होने का उपाय बताया विष्णु भगवान   7:46 ने कहा ब्रह्म हत्या महापाप है इसके दुष्प्रभाव से  तुम बैक नहीं सकते लेकिन यदि कोई तुम्हारा पाप बांट   7:55 ले तो निश्चय ही तुम्हारा उधर संभव सुझाव के अनुसार  इंद्र ने पेड़ जल भूमि और स्त्री को अपने पाप का   8:03 थोड़ा थोड़ा अंश देने के लिए माना लिया जिसके बदले  में इन सभी को इंद्र ने एक-एक वरदान दिया सबसे पहले   8:11 पेड़ ने ब्रह्म हत्या के पाप का एक चौथाई हिस्सा  लिया जिसके बदले में इंद्र ने पेड़ को अपने आप जीवित   8:18 होने का वरदान दिया इसके बाद जलने 1/4 हिस्सा लिया  तो इंद्र ने जल को वरदान दिया की जल को अन्य वस्तुओं   8:27 को पवित्र करने की शक्ति होगी इसी तरह पृथ्वी और  स्त्रियों को भी इंद्र से एक-एक वरदान मिला पौराणिक   8:35 मान्यताओं के अनुसार स्त्रियां इस ब्रह्म हत्याकांड  सदियों से उठाती ए रही है इसलिए उन्हें मासिक चक्र   8:43 के दौरान कष्ट भोगनी पढ़ते हैं और इस दौरान उन्हें  मंदिरों में अपने इस्ट के पास जान की अनुमति नहीं   8:50 है मान्यता है की तभी से स्त्रियों में मानसिक धर्म  का होना शुरू हुआ हालांकि आधुनिक युग में वैज्ञानिक   8:58 को माने वाले इन बटन को गंभीरता से नहीं लेते हैं  दोस्तों हार्ड मास से बना यह मनुष्य शरीर तो नश्वर   9:06 है पर आत्मा नहीं मृत्यु के पश्चात शरीर तो जल  कर रख हो जाता है परंतु आत्मा की एक नई यात्रा   9:14 शुरू होती है एक शरीर को त्यागने और नए शरीर को  धरण करने के बीच वो आत्मा कहां रहती है किन-किन   9:22 लोगों का भ्रमण करती हैं और नया शरीर अपने में उसे  कितना दिन लगता है आज के वीडियो में हम इसी रहस्य पर   9:30 चर्चा करेंगे तथा हिंदू धर्म ग के अनुसार मृत्यु के  बाद आत्मा के साथ जो कुछ भी होता है आत्मा को कितने   9:38 प्रकार के मार्गो से ले जय जाता है और नए जन कौन सी  गति प्राप्त होती है यह सब बताएंगे दोस्तों मनुष्य   9:47 के जन्म से पहले और मृत्यु के बाद आत्मा कहां जाति  है क्या करती है हर तरह के कष्ट जो आत्मा को सहाना   9:55 पड़ता है आदि रहस्यों को गरुड़ पुराण में बताया  तैयार है गरुड़ पुराण के अनुसार जब व्यक्ति मरने   10:02 लगता है तो उसे लेने के लिए दो यमदूत आते हैं  शरीर त्यागने से पहले व्यक्ति इन्हीं यमदूतों   10:09 को देखकर विचलित हो जाता है परंतु आत्मा जब शरीर  को त्याग देती है उसके बाद यमदूतों द्वारा आत्मा   10:17 को ले जाकर यमराज के सामने प्रस्तुत किया जाता  है पुराने के अनुसार जब आत्मा शरीर को त्याग   10:24 कर यात्रा प्रारंभ करती हैं तो इस दौरान उसे तीन  प्रकार के मार्ग मिलते हैं उसे आत्मा को किस मार्ग   10:31 पर ले जय जाएगा यह केवल उसके कर्मों पर निर्भर  करता है यह तीन मार्ग हैं आर्ची मार्ग धूम मार्ग   10:39 और उत्पत्ति विनाश मार पहले मार्ग है आर्ची मार्ग  यह मार्ग ब्राह्मण लोग और देवलोक की यात्रा के लिए 10:47 यात्रा पर ले जाता है और उत्पत्ति विनाश मार्ग  की यात्रा के लिए हैं आत्मा इन मार्गो से होते   10:57 हुए यमपुरी दोस्तों यजुर्वेद में लिखने  हैं अर्थात ब्रह्मलीन हो जाते हैं जो लोग   11:07 तत्वज्ञानी नहीं होते करने के बाद उनकी आत्मा  इन तीन मार्गो में से किसी एक मार्ग से होते   11:14 हुए यमलोक जाति है हालांकि किसी भी मार्ग से  जान वाली इन सभी आत्माओं को कुछ समय अलग-अलग   11:21 लोगों में रहने के बाद फिर से मृत्यु लोक में  आना ही पड़ता है अधिकतर आत्माओं को यही पर जन्म   11:28 लेकर और फिर यही मार्कर फिर से जन्म लेना होता  है परंतु नए जन्म से पहले इन आत्माओं को यमराज   11:36 के सामने जीवन में किया गए अच्छे बुरे कर्मों  का हिसाब देना पड़ता है हिंदू धर्म ग में लिखा 11:43 प्रमाण मनोमय विज्ञान 11:50 आत्मा जब शरीर छोड़ती है तो मुख्य तोर पर उसकी तीन  तरह की गतियां होती हैं पहले गति है उद्धव गति इस   12:03 गति के अंतर्गत व्यक्ति ऊपर के लोग की यात्रा करता  है ऐसा वही व्यक्ति कर सकता है जिसने जागृत स्वप्न   12:11 और सूसूक्ति अवस्था में खुद को साक्षी भाव में रखा  है या निरंतर भगवान की भक्ति की है ऐसा व्यक्ति पितृ   12:18 या देवियों ने सुख भोग कर फिर से धरती पर जन्म लेट  है दूसरी गति है स्थिर गति इस गति में व्यक्ति करने   12:27 के बाद ना तो ऊपर के लोक में जाता है और ना ही नीचे  के लोक में अर्थात उसे यही मृत्यु लोक में तुरंत ही   12:35 जन्म लेना होता है यहां पर सौभाग्य वाली बात यह  है की यह जन्म मनुष्य यानी का ही होता है तीसरी   12:43 गति है अधोगति जिस व्यक्ति ने किसी भी प्रकार का पाप  या नशा करके अपनी चेतन के स्तर को नीचे गिरा दिया 13:00 रेंगने वाले कीड़े मकोड़े या गहरी जल में रहने वाले जीव  जंतु के रूप में नया जीवन पाते हैं जो आत्मा   13:07 स्वर्ग पहुंचती हैं वे देवताओं के जैसे शरीर  प्राप्त करके अपने कर्मों का फल भोंकती हैं नरक   13:14 में वास करने वाली आत्माओं को भी एक दिव्या शरीर  मिलता है जिसकी मृत्यु नहीं परंतु उन्हें इस नए   13:21 शरीर से नरक में मिलने वाले विभिन्न तरह के कष्ट  सहने पढ़ते हैं स्वर्ग और नरक में गई हुई आत्माएं   13:29 जब अपने कर्म फल का भोग कर लेती हैं तो उन्हें फिर  से पृथ्वी लोक पर आकर पुनः जन्म मृत्यु के चक्र में   13:36 उलझन पड़ता है जो आत्माएं स्वर्ग से वापस आकर  पृथ्वी लोक में जन्म लेती हैं उन्हें मनुष्य यानी   13:43 प्राप्त होती है जबकि नरक से वापस आने वाली आत्मा  को पशु पक्षी पेड़ पौधे या अन्य योनियों में भटकना   13:51 पड़ता है जब व्यक्ति की मृत्यु होती है तो उसकी  आत्मा को कुछ घंटे के लिए यमलोक ले जय जाता है और   14:00 घंटे के अंदर ही आत्मा को वापस अमृत शरीर के पास भेज  दिया जाता है आत्मा अपने पुराने शरीर और परिजन को   14:08 छोड़कर जाना नहीं चाहती है इसीलिए वो बार-बार यही  प्रयास करती हैं की उसका पुराना शरीर उसे मिल जैन   14:15 यममाश में बंदे होने के करण आत्मा शरीर में वापस  प्रवेश नहीं कर पाती अमृत व्यक्ति के निमित्त 10   14:23 दिन तक जो भी पिंडदान किया जाते हैं उससे आत्मा  को एक नया शरीर प्राप्त होता है और 13वीं का पिंड   14:31 ग्रहण करके अमृत आत्मा यमलोक के मार्ग पर अग्रसर हो  जाति हैं गरुण पुराण में यमपुरी के इस रास्ते में   14:38 बेहतरीन नदी का उल्लेख मिलता है वैतरणी नदी कई योजन  लंबी माल मूत्र और रक्त से भारी हुई है इस नदी को   14:47 पर करना बहुत कष्टकारी होता है दोस्तों आप सोच रहे  होंगे की इसे पर करने में हर आत्मा को एक साथ सहाना   14:56 पड़ता होगा लेकिन ऐसा नहीं हर आत्मा को इन कठिनाइयां  का सामना नहीं करना पड़ता जी हां हमारा मतलब अच्छे   15:05 कर्म करने वाली उन आत्माओं से हैं जिन्हें यमलोक की  यात्रा नहीं करनी पड़ती ऐसी आत्माओं के लिए एक विमान   15:13 आता है जिसमें बैठकर वह विष्णु लोग यानी बैकुंठ  धाम चली जाति है माना जाता है जिन्हें विष्णु लोक   15:21 में रहने की अनुमति मिल जाति है उन्हें दोबारा जन्म  लेने की आवश्यकता नहीं पड़ती अर्थात उन्हें मोक्ष की   15:29 प्रताप होती है दोस्तों गोदान को सबसे बड़े दान की  श्रेणी में रखा गया है इसलिए गरुड़ पुराण में भगवान   15:36 विष्णु ने यह भी कहा है की यदि व्यक्ति ने जीवन में  गोदान किया है तथा शास्त्रों के अनुकूल जीवन यापन   15:44 किया है तो उसकी आत्मा को यमलोक के रास्ते में मिलने  वाली वैतरणी नदी का कष्ट नहीं भोगना पड़ता और उसे   15:51 नदी को पर करने के लिए नाक की व्यवस्था कर दी जाति  है इसके विपरीत पापी आत्माएं जिन्होंने गोदान भी   16:00 नहीं किया होता इस नदी में वे डूबती रहती हैं और  यमदूत उन्हें धक्का देकर बहुत कष्ट देते हैं हिंदू   16:07 धर्म ग के अनुसार इस मृत्यु लोक में कल मिलकर 84  लाख योनियों बताई गई है अगर आत्मा का विधि-विधान   16:15 से अंतिम संस्कार नहीं होता तो आत्मा लंबे समय तक  भटकती रहती है यही करण है की काल मृत्यु होने पर   16:23 आत्मा को जल्दी से शांति नहीं मिलती क्योंकि कई बार  काल मृत्यु में अंत्येष्टि क्रिया और उसके बाद किया   16:31 जान वाले कर्म सही तरीके से नहीं हो पाते ऐसी स्थिति  में मृतक की आत्मा भटकती रहती है या प्रेत यानी   16:39 धरण कर लेती है कर्मों के अनुसार अनेक योनियों में  जन्म लेने के बाद फिर उन्हें सा कम कर्म एवं मोक्ष   16:47 प्राप्त करने के लिए मानव शरीर प्राप्त होता है जिन  लोगों ने अपने जीवन में अच्छे कर्म किया होते हैं   16:53 मृत्यु के दौरान उनके प्राण आसानी से शरीर छोड़ते  हैं वे जन्म और मृत्यु के चक्र से आगे निकाल जाते   17:01 हैं वहीं जिन लोगों ने अपने जीवन में अच्छे कर्म  नहीं किया होते उनके प्राणों को पुनर्जन लेकर भौतिक   17:09 कष्टों को सहाना पड़ता है दोस्तों शरीर में हर अंक का  एक निश्चित स्थान है दिमाग सर में होता है दिल साइन   17:18 में और किडनियां पेट में हम सभी इन बटन को जानते हैं  लेकिन जब आत्मा की बात आई है तो हम बता नहीं पाते की   17:27 शरीर के अंदर आत्मा कहां रहती हैं हालांकि विज्ञान  अभी तक किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुंच पाया है और उसका   17:35 शोध जारी है पांटू हमारे धर्म ग में विशेष कर गरुड़  पुराण में आत्मा के आकर और स्थान के बड़े में बताया   17:43 गया है दोस्तों आपको जानकर हैरानी होगी की आत्मा में  भी वजन होता है और जब व्यक्ति ध्यान की कुछ अवस्था   17:52 को प्राप्त कर लेट है तब वह आत्मा के भर को महसूस कर  पता है आज की वीडियो में हम इन्हीं योनियों से पर्दा   18:00 हटाएंगे हमारे धर्म ग में आत्मा के निवास स्थान तथा  उसके वजन के बड़े में जो भी लिखा है आज की वीडियो   18:08 में देखेंगे और सिर्फ धर्म की दृष्टि से ही नहीं  बल्कि विज्ञान की दृष्टि से भी इन प्रश्नों के उत्तर   18:15 देने का प्रयास करेंगे दोस्तों गरुड़ पुराण हिंदुओं  के 18 पुराने में सबसे विशेष है आत्मा के विषय में   18:24 गरुड़ पुराण में रामबन तरीके से बताया गया है आत्मा  होती क्या है करने के बाद आत्मा के साथ क्या होता   18:32 है आत्मा पर लोग कब जाति है इत्यादि विषयों पर  इस्मी चर्चा की गई है इसी से जुड़ा एक और प्रश्न   18:40 है की आत्मा शरीर के किस अंग में रहती है दोस्तों  मान्यताओं के अनुसार आत्मा शरीर के बेन हिस में   18:47 हृदय के भीतर रहती है परंतु क्या यह सच है अगर है  तो आधुनिक विज्ञान हार्ट ट्रांसप्लांट कैसे कर सकता 18:59 शरीर से हृदय कुछ समय के लिए बाहर राहत है और  फिर भी शरीर की मृत्यु नहीं होती ऐसा क्यों ऐसे   19:07 विषयों पर विज्ञान और मान्यताओं के बीच हमेशा से ही  द्वंद रहा है आत्मा कहां रहती है यह जन से पहले यह   19:15 जानना आवश्यक है की आत्मा का वजन कितना होता है अगर  वैज्ञानिक प्रमाण की बात करें तो आत्मा के वजन को   19:23 नापने के लिए सन 1900 साथ में एक प्रयोग किया गया  इस प्रयोग में डॉक्टर डाकन नाम की एक फिजिशियन ने   19:32 एक ऐसे तराजू का निर्माण करवाया जो देखने में बिस्तर  जैसे था लेकिन 1 ग्राम से भी कम वजन को अच्छे से नाप   19:41 सकता था जो लोग गंभीर रूप से बीमा होते थे या जी  व्यक्ति की मृत्यु समीप होती थी उन्हें इस तराजू   19:49 पर लिटाकर मृत्यु के पहले और बाद में वजन नापा जाता  था अपने प्रयोग के अंत में सैकड़ो टेस्ट करने के बाद   19:57 डॉक्टर ने किया की जब इंसान मरता है तो उसके शरीर  से आधा से सव ओंस अर्थात 28 से 42 ग्राम वजन कम   20:07 हो जाता है गीता में भी आत्मा के आकर के विषय में  बताया गया है प्राणी का शरीर चाहे किसी भी आकर का   20:16 हो लेकिन उसकी आत्मा जिससे वह चल रही है वह इतनी  छोटी होती है जिसकी कल्पना भी नहीं की जा शक्ति   20:23 मान्यताओं के अनुसार बाल की नोक को अगर 100 हिस्सों में  बांट दिया जाए और उसे सौवें हिस्सों को भी अगर 100 हिस्सों 20:32 में बांटा जाए तो भी वहां आत्मा के आकर से बड़ा होगा  इसके अलावा आत्मा के भर के विषय में भी एक मान्यता   20:40 है की यह 21 ग्राम की होती है गरुड़ पुराण के चाटे  अध्याय में नरक से आया हुआ जीव मां के गर्भ में कैसे   20:49 प्रवेश करता है इसका वर्णन मिलता है इसमें स्पष्ट  रूप से बताया गया है की गर्भधारण करने के समय मां   20:57 के गर्भ के पास एक सूक्ष्मीश स्पंदन वाला क्षेत्र  तैयार होता है इस क्षेत्र में इस आत्मा का प्रवेश   21:04 होता है जिसका स्पंदन उसे क्षेत्र से मिलता-जुलता है  और वह गर्भ के आसपास रहने लगती है एक निश्चित समय के   21:13 बाद यही आत्मा भ्रूण में ब्रह्म रंध के रास्ते  प्रवेश कर जाति है योग विज्ञान के अनुसार सर के   21:20 सबसे ऊपरी बिंदु पर एक छेद या मार्ग होता है जिसे  ब्रह्मांड कहते हैं योग की भाषा में इस केंद्र को   21:28 सहस्रार चक्र या ब्रह्मांड के नाम से जाना जाता है  हिंदू धर्म ग में लिखा मस्तिष्क में निवास करती है   21:38 मृत्यु के बाद आत्मा शरीर से निकालकर अपने पाप और  पुणे का भोग करने के लिए अलग-अलग लोगों में जाति   21:46 हैं दोस्तों आत्मा होती क्या है शरीर के किस अंग  में रहती है इत्यादि जन के बाद अब आपको संक्षेप   21:54 में बताते हैं की आत्मा निकलते कहां से हैं गरुड़  पुराण के एक मरते समय आत्मा शरीर के नो द्वारों में   22:02 से किसी एक से शरीर छोड़ती हैं यह ना द्वारा दोनों  आंखें दोनों कान दोनों नासिक मो या फिर उत्सर्जन अंग   22:11 हैं जी व्यक्ति की आत्मा उत्सर्जन अंग से निकलते है  मरते समय वो माल मूत्र त्याग देते हैं हालांकि गरुड़   22:20 पुराण में इस तरह से प्राण का त्यागना अच्छा नहीं  माना गया है गरुड़ पुराण में भगवान विष्णु गरुड़ को   22:27 बताते हुए कहते हैं की जो लोग मो माया से ग्रसित  होते हैं और जीने की बहुत ज्यादा छह रखते हैं और   22:35 अपने परिजनों से जिनका मो बहुत ज्यादा होता है  ऐसे लोग मां से बैरागी नहीं हो पाते ऐसे लोगों   22:42 की मृत्यु निकट आने पर आंखें कम करना बैंड कर देती  हैं कान से सुने देना बैंड हो जाता है कफ अधिक होने   22:51 लगता है और व्यक्ति किसी से कुछ बोल नहीं पता ऐसे  लोग परिवार के मो के करण प्राण नहीं छोड़ना चाहते   22:59 फिर यमराज के दूध बलपूर्वक उनके प्राण निकलते हैं  और ऐसे में जब उनके प्राण आंखों से बलपूर्वक निकलते   23:07 हैं तो आंखें उलट जाति हैं किंतु शास्त्रों  के अनुसार ब्रह्म रणधीर से प्राण व्यू का   23:13 निकालना बड़ा ही शुभ माना गया है मान्यता है  की जो लोग जीवन भर धर्म के मार्ग पर चलते हैं 23:20 और उन्हें यमलोक में भी कष्ट नहीं भोगना पड़ता  शरीर के जी अंग से आत्मा का प्रवेश होता है अगर   23:30 इस अंग से आत्मा शरीर को त्यागती है तो इसका मतलब  है की आत्मा को मोक्ष मिलेगा और वह जीवन मृत्यु   23:38 के बंधन से मुक्त हो जाएगी अगर यह बातें आपको समझ  आई हो तो वीडियो को लाइक करें और अपने बंधु बांधो   23:47 को शेर करें और ऐसे ही वीडियो को देखने के लिए  हमारे चैनल वैदिक ज्ञान संगम को सब्सक्राइब करें 23:53 [संगीत]  Standby link (in case youtube link does not work) गरुण पुराण के रहस्य Facts of Garun Puran in Hindi Hindu Mythology.mp4