Sunday, December 27, 2020

NOT BY QUITTING THE WORLD, YOU GET DIVINE LOVE, ON THE OTHER HAND IT IS AFTER YOU TASTE GOD’S LOVE, DOES THE WORLD AUTOMATICALLY FEEL TASTELESS #Blog0060

NOT BY QUITTING THE WORLD, YOU GET DIVINE LOVE, ON THE OTHER HAND IT IS AFTER YOU TASTE GOD’S LOVE, DOES THE WORLD AUTOMATICALLY FEEL TASTELESS 


संसार छूटने से रस नहीं मिलता, रस मिलने से संसार छूटता है 
पहले भीतर से उपलब्धि होती है सत्संग की कृपा से गुरुजनों की कृपा से 
और बिना भीतर की उपलब्धि के छोड़ोगे तो गिर पड़ोगे, चोट लगेगी 

एक मस्ती वह होती है जो प्रयास करके पाई जाती है 
जैसे कि शराब पीकर लोग मस्त होते हैं 
उसका परिणाम क्या है दुर्गंध आती है, उन्माद (mania / hysteria) आता है 

और एक मस्ती वो है, जो मीरा जी गाती हैं: 
  
"राणा जी रूठे, हमारो क्या कर लेसी 
मैं तो हरि गुण गासयां री माई 
राजाजी रुठे, हमारो देश रखासी 
हरी रूठया, कठ जासयां री माई" 

Let everyone turn away from me, it does not matter as I'll be happy & content singing my Lord's glories - but if my Lord turns away from me, what will I do & where will I go? 


जैसे एक बंदर चश्मा ले लेता है कब छोड़ता है 
जब आप उसे कोई दूसरा फल दो
चश्मा बंदर के काम का नहीं है 

ऐसे ही संसार मन के काम का नहीं है 
पर मन संसार पकड़ लेता है 
और छोड़ता कब है जब कोई अच्छा फल दिया जाए 

ऐसे ही मन को कभी भगवान के नाम का, कभी रूप का, कभी लीला का, कभी धाम का फल दीजिए 
यह फल उसके हाथ में आएगा तब संसार छोड़ देगा मन 
छोड़िए मत -  त्याग करोगे, तो अभिमान की दुर्गंध आएगी कि मैंने छोड़ा है 
छूट जाएगा अपने आप 

"रंग में तेरे, रंग गई गिरिधर, छोड़ दिया जग सारा 
बन गई तेरे प्रेम की जोगन लेकर मन इकतारा 
मेरी बांह पकड़ लो श्याम रे 
बनवारी रे जीने का सहारा तेरा नाम रे 
मुझे दुनिया वालों से क्या काम रे"