मानव देह का महत्व एवं सदुपयोग || जीव का लक्ष ||Goal of Life || Jagadguru Shri Kripalu Ji Maharaj
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मानव देह का महत्व एवं सदुपयोग जीव का लक्ष Goal of Life
0.26 हमारा शरीर मनुष्य का है और यह 84 लाख योनि के शरीरों में सर्वश्रेष्ठ माना गया है
1.15
विदेह (one who has transcended body awareness) निमि
(the then king) ने कहा 9
योगीश्वरों से कि ये मानव देह दुर्लभ है लेकिन क्षणभंगुर भी है,
यानी
अमूल्य होने का इतना बड़ा गुण भी है और क्षणभंगुर का इतना बड़ा दोष भी है, 1
second का भरोसा नहीं
1.46
और बड़ा भाग्यवान है जिसको मनुष्य जीवन मिल जाए और भी बढ़ भागी (most
fortunate) है अगर संत मिल जाए इसके आगे कोई भाग्य
नहीं होता (there is nothing
more fortunate than this combination of a human birth & getting a saint in lfe)
2.21
यह मनुष्य जीवन इतना दुर्लभ है कि देवता लोग भी प्रार्थना करते हैं भगवान से, कि
एक बार हमें मानव देह दे दीजिए, हमने गलती की कि हमने आपकी भक्ति नहीं की,
हमने कर्म धर्म का पालन किया, उसकी वजह से स्वर्ग मिला
2.46
यह हमारे अच्छे संचित कर्मों और भगवान की कृपा दोनों मिलाकर मिलता है मनुष्य जीवन,
लोग सोचते हैं चलो फिर मिल जाएगा मानव देह, ऐसा नहीं है कि आप लापरवाही करते रहो और
मनुष्य जीवन मिलता रहे
3.15
यदि हरि और गुरु में मन लगा है तो मानव देह पक्का मिलेगा और किसी महापुरुष के घर में
जन्म होगा कि पैदा होते ही आपको हों भगवान का वातावरण मिले
3.40
मगर यदि पाप कर्म अधिक है तो मनुष्य जन्म तो मिलेगा मगर किसी शराबी, कबाबी, नास्तिक
के घर में जन्म होगा और उसके संग द्वारा आप पाप करते जाएंगे और परिणाम फिर 84,00,000
योनियों में घूमेंगे
4.0
यह बड़ा लंबा चौड़ा बही खाते का हिसाब है, कोई महापुरुष भी किसी व्यक्ति के बारे में
इसके बारे में नहीं बता सकता, यह तो केवल भगवान हिसाब रखते हैं और वही कर्म का फल देते
हैं
4.20 हमें
तो संक्षेप में यही समझना है कि जहां तक हो सके अपने मन को हरि गुरु में लगाते रहे
इसलिए भी कि अगला क्षण मिले ना मिले