उद्धव प्रसंग - श्रीमद्भागवत का सबसे मार्मिक प्रसंग || देवी चित्रलेखा जी
https://www.youtube.com/watch?v=-dL4NXUEX3k
0 मथुरा में सब कार्य संपन्न करते हुए भी श्रीकृष्ण के चेहरे पे एक उदासी सी बनी हुई है - कारण ब्रिज का प्रेम - मथुरा में किसी ऐश्वर्य की कमी नहीं है - प्रणाम बहुत करने वाले बहुत हैं मगर गले लगाने वाला कोई नहीं
https://youtu.be/-dL4NXUEX3k&t=0
0.54 माँ देवकी खाने का थाल परोस के लाई श्री कृषण के सामने, उन्होंने खाने
को देखा और आपने आंसू छुपाने के लिए ऊपर छत पर चले गए
https://youtu.be/-dL4NXUEX3k&t=54
3.24 उद्धव ऊपर आए, श्रीकृष्ण ने कहा
वो खाने की थाल में माखन देखकर मुझे ब्रिज की स्मृति हो आई, मेरी मैया यशोदा पूरी
रात नींद नहीं आती थी कि सुबह उठके कान्हा माखन मांगेगा, हे उद्धव, ये प्रेम का
पाठ तुझे कैसे समझाऊँ, "मोहे ब्रिज बिसरत नाहीं" (I can never
forget Brij), मुझे याद आती है उस गाय के बछड़े की जो रोते रोते पूछ
रहा था हे कृष्ण तुम वापस कब आओगे, सारा ब्रज
बोलता था कि तुम्हारे बिना हम
निष्प्राण हैं, कैसे सांस लेंगे हम
https://youtu.be/-dL4NXUEX3k&t=204
5.26 मेरे एक समय के भोजन न करने पर
यशोदा पूरे ब्रिज के वैदों को बुला लेती थी कि क्या हो गया है मेरे कन्हैया को, सारी
रात माँ जागती थी
https://youtu.be/-dL4NXUEX3k&t=326
5.45 हर सांस के साथ मुझे ब्रिज की
या बहुत याद आती है, किंतु ये मजबूरियां ये कर्तव्य मुझे यहाँ से जाने नहीं देते, उद्धव
तुम मेरा एक काम करो "तुम ब्रिज चले जाओ", बड़े से बड़ा वेदज्ञ, नारद मुनि,
ब्रह्मा, शंकर सब गोपियों के पद की रज मांगते हैं, मेरा पितांबर ले जाओ, मुरली ले
जाओ, मोर मुकुट ले जाओ और ये गले की माला बृज वासियों को दिखाने के लिए, इन्हें जा
करके राधा को सुंघा देना, दिखा देना, वो यमुना के किसी घाट पर बेहोश पड़ी होंगी,
उन्हें होश में लाना आसान नहीं है, जब ये माल के फूलों की खुशबू सूंघेगी तब उसे
होश आएगा कि हाँ श्री कृष्ण आए
https://youtu.be/-dL4NXUEX3k&t=345
9.06 उद्धव यशोदा मैया से मिले, मैया कान्हा के तकिये को लोरी सुनाती रहती
है, कान्हा सो जा, तू कल भी नहीं सोया, पूरे ब्रज का यही हाल था सब कृष्ण को स्मरण ही
करते रहते हैं फोटो लें शशी फोटो लें
https://youtu.be/-dL4NXUEX3k&t=546
10.23 गोपियों से मिले उद्धव, गोपियाँ
बावरीं बनके यमुना किनारे डूबी थी कृष्ण प्रेम में, एक गोपी लिख रही थी 1+1=1, उद्धव
ने कहा 1+1=2 मगर गोपी ने कहा कि जब प्रेमी और प्रियतम मिल जाते हैं तो एक ही हो
जाते हैं, "जब "मैं" (ego) था,
तो प्रभु नहीं और जब प्रभु थे तो "मैं" नहीं, प्रेम गली अति सांकरी (too
narrow) इसमें दो ना समाए", राधा भ्रमर (black betel, भँवरा) गीत गा रही थी, जहाँ काला रंग देखा तो
कृष्ण की याद आ गई, सब गोपियों का एक ही प्रश्न कि कह के गए थे कि "परसों"
(day after tomorrow) आयेंगे मगर बरसों हो गए नहीं आये
भ्रमर गीत available at:
https://youtu.be/-dL4NXUEX3k&t=623
11.56 उद्धव की बुद्धि सबका इतना
अपार प्रेम देखकर चकरा गई, "उद्धव सूधो हो गयो, सुन
गोपिन के बोल", (सूधो = compelled to yield that
love is greater than any wisdom) - ज्ञानी
उद्धव प्रेमी उद्धव बन गए ब्रज में आ के
https://youtu.be/-dL4NXUEX3k&t=716
12.13 छह महीने उद्धव ब्रिज में रहे, जब कृष्ण से मिले, तो
बोला आप ब्रिज में जाओ वहाँ वो खाते तुम्हारे लिए हैं, सोते तुम्हारे लिए हैं, वो जिंदा
इसलिए हैं कि किसी दिन कन्हैया आ गया और माखन मांगा तो ? कृष्ण ने कहा उद्धव जो तू
ने देखा ये मेरी बाह्य (external) लीला
है अब तू मेरी आंतरिक (internal) लीला
देख, जब आंख बंद की तो उद्धव ने देखा - यशोदा के पास तकिया नहीं स्वयं श्री कृषण लेटे
हुए हैं, गोपियों के पास कृष्ण खड़े थे, श्रीकृष्ण ने कहा कि मैं दुनिया छोड़ सकता
हूँ मैं अपने ब्रिज को नहीं छोड़ सकता, ब्रिज में नित्य लीला आज भी होती है
https://youtu.be/-dL4NXUEX3k&t=733
Standby link (in case youtube link does not work)
उद्धव प्रसंग - श्रीमद्भागवत का सबसे मार्मिक प्रसंग देवी चित्रलेखा जी.mp4