मनुष्य का मन सबसे बड़ा दुश्मन ! by Swami Mukundanand
Main Points 1 रामायण कहती है सबको मानस रोग लगा है, विरला (rare) ही जो जानता है, तो फिर वह उपाय का सोचता है। लोभ व्यक्ति को शांति से बैठने नहीं देता है, वह किसी भी चीज का लोभ हो, धन का लोभ, पावर (power) का लोभ, यश (fame) का लोभ, और चाहिए, बस अंदर से जीव अशांत रहता है, किंतु हमारा वेद कहता है कि सबसे बड़ा मानस रोग कुछ और है वह क्या है, अगर कर्म योग को सिद्ध करना है, दिन भर भगवत चिंतन में निरंतरता लानी है तो कुछ समय के लिए एकांत में जाकर भी साधना करनी होगी https://www.youtube.com/watch?v=SOl3enr0NSc&t=0 2 यह एकांत की साधना कैसे होगी, देखिए इसमें मन प्रमुख है, शरीर से साधना करते तो बहुत जन्म बीत गए, कबीर जी ने कहा “माला फेरत युग फिरा, फिरा ना मन का फेर, कर का मनका डार के, मन का मनका फेर” । अगर शरीर की शरणागति से भगवत प्राप्ति हो जाती, तो अगर एक जन्म में हमने एक बार भगवन नाम लिया, इसका मतलब अनंत जन्मों में अनंत बार भगवन नाम ले लिया, लेकिन भगवत प्राप्ति नहीं हुई, क्योंकि मन की गड़बड़ बनी रही, तो यह मन को जरा आज हम गहराई में समझें https://www.youtube.com/watch?v=SOl3enr0NSc&t=67 3 तो पाश्चात्य जगत में सिगमंड फ्रॉड, फादर ऑफ साइको एनालिसिस, माने जाते हैं, उसके बाद आए काल जियूंग, एडलर, स्किनर, मैस्लो, मिक लेलैंड इत्यादि सबने ने अपने एनालिसिस बताए कि यह मन कैसे कार्य करता है, किंतु वो आप उनके सब किताबों को पढ़े और श्री कृष्ण ने गीता में क्या कहा यह पढ़े, तो आप कहेंगे श्री कृष्ण तो मास्टर साइकोलॉजिस्ट (master psychologist) हैं तो हमारा वेद क्या कहता है साइकोलॉजी (psychology) के बारे में वेद कहता है, भई देखो यह आपका जो मन है, इसके कई रोग हैं, इन्हे मानस रोग (mental disease) कहते हैं https://www.youtube.com/watch?v=SOl3enr0NSc&t=130 4 क्रोध, लोभ, काम, ईर्षा, अहंकार, अब सबको पता है कि क्रोध आता है, लेकिन लोगों को यह नहीं पता कि क्रोध एक रोग है, तो वेदिक शास्त्रों ने उसे मानस रोग की संज्ञा दी “verse”, रामायण कहती है सबको मानस रोग लगा है, विरला (rare) ही जो जानता है तो फिर वो उपाय का सोचता है https://www.youtube.com/watch?v=SOl3enr0NSc&t=192 5 अब शरीर का एक रोग हो, तो पूरा दिन बेकार हो जाता है, अजी स्वामी जी मैं आपके प्रवचन में नहीं आ पाया, सर में दर्द हो रहा था, एक सर दर्द ने व्यक्ति को incapacitate (असक्षम) कर दिया और मन को इतने सारे रोग हैं, यह सब दुश्मन अंदर बैठे हुए हैं, अब इसमें एक दोष तो सबको पता है, क्रोध है https://www.youtube.com/watch?v=SOl3enr0NSc&t=238 6 क्रोध में व्यक्ति क्या नहीं कर देता ? गवर्नमेंट के कानून है, फिर भी क्रोध में मार धाड़, यहां तक की हत्या भी हो जाती है, उत्तर प्रदेश का आख्यान (किस्सा) है, दो भाई थे ठाकुर परिवार के तो बाप की प्रॉपर्टी के बंटवारे को लेकर मुकदमा चल रहा था, अब वह मुकदमा छोटा भाई जीत गया, वह जब वापस आ रहा था कोर्ट से, तो बड़े भाई के घर के आंगन के सामने से निकला और निकलते समय उसने अपनी मूंछ को यूं कर दिया, उत्तर प्रदेश में ठाकुर लोग बड़ी-बड़ी मूंछ रखते हैं, उसने ऐसे करा तो दूसरे भाई को गुस्सा आ गया, उसने डंडा लिया, उसकी पिटाई कर दी, इतनी पिटाई कर दी कि बेचारा मारा गया, जब इंक्वायरी (inquiry) हुई कि प्रोवोकेशन (provocation) क्या था ? पता चला, इतनी सी बात थी कि उसने मूंछ को ऊपर कर दिया था लेकिन क्रोध ऐसा दुश्मन मन अंदर बैठा है कि हत्या भी कर सकता है https://www.youtube.com/watch?v=SOl3enr0NSc&t=276 7 और दूसरा दुश्मन है लोभ, क्रोध तो विकसित होता है, फिर शांत हो जाता है, किंतु लोभ ऐसी चीज है कि जीवन भर वह बढ़ता ही चला जाता है, व्यक्ति लोभ को समाप्त करने के लिए भागता दौड़ता है, मगर लोभ का कहीं अंत नहीं होता https://www.youtube.com/watch?v=SOl3enr0NSc&t=361 8 एक राजा अपना रास्ता खो गया, शिकार करते समय जंगल में गांव वासी ने उसको रात्रि में शरण दी, सुबह राजा ने कहा, तुम जानते हो मैं इतने बड़े देश का सम्राट हूं, कल आना मैं तुमको वरदान दूंगा, वासी पहुंचा, राजा ने कहा क्या चाहिए मुंह मांगा, पूछो गांव वासी ने कहा महाराज अपने घोड़े पर सूर्योदय से लेकर सूर्यास्त तक जितनी जमीन मैं नाप सकूं, वह मेरी हो जाए, अब राजा चक्रवर्ती सम्राट था उसने कहा ठीक, वरदान दिया, अगले दिन वह गांव वासी निकला घोड़े पर अब एक घंटे में तो कई हेक्टेयर की जमीन हो गई, और सुबह के 10 बजे तक तो हजारों हेक्टेयर हो गई और मध्यान तक बहुत बड़ा भूखंड हो गया था । उसके अनेक आगे जेनरेशंस (generations) के लिए काफी था, किंतु उसके लोभ के लिए पर्याप्त नहीं था, अंदर जो लोभ बैठा हुआ था, कह रहा था, थोड़ा और हो जाए, थोड़ा और हो जाए, दोपहर तक वह घुड़ सवार इतना थक गया किंतु घोड़ा तो और भी थक गया, आखिर में घोड़ा collapse करा और घुड़सवार गिरा और उसका सिर पत्थर से टकराया और वही स्पॉट (spot) पर डेथ (death) हो गयी आसपास के लोग आए उसको दफनाने के लिए और जब दफनाया उन्होंने कहा आखिर में तो यह दो गज की जमीन ही काम आई, बाकी सब जमीन बेकार चली गई, तो सबको पता है कि सब छोड़ के ही जाना है, दुनिया में खूब कमाया, क्या हीरे, क्या मोती, लेकिन क्या करें यारों, कफन में जेब नहीं होती, साथ में तो कुछ जाता नहीं है, लेकिन लोभ व्यक्ति को शांति से बैठने नहीं देता है, वह किसी भी चीज का लोभ हो धन का लोभ, पावर (power) का लोभ, यश (fame) का लोभ, इतना यश हो गया, नहीं, अभी और चाहिए, अंदर से जीव अशांत रहता है https://www.youtube.com/watch?v=SOl3enr0NSc&t=390 9 किंतु हमारा वेद कहता है कि सबसे बड़ा मानस रोग कुछ और है, वह क्या है ? यह है कामना, कामना माने किसी भी प्रकार की कामना, देखने की, सुनने की, स्पर्श करने की, रस लेने की, धन की, प्रतिष्ठा की, यह कोई भी कामना हो, यह हमारे भीतर के संसार की सबसे बड़ी बीमारी है “verse” भागवत कहती है कि अगर कोई कामना को छोड़ दे तो वह भगवत स्वरूप हो जाएगा https://www.youtube.com/watch?v=SOl3enr0NSc&t=574 10 तो आप कहेंगें, साहब यह कामना में क्या है, हम तो इच्छा बनाते हैं, रस गुल्ला खाएंगे, इसमें क्या है ? क्रोध में विनाश होता है, लोभ में एनर्जी खर्च होती है, कामना बनाने में क्या है ? कामना तो कोई ऐसी खराब चीज नहीं लगती है। जी नहीं, यह कामना जो है, यही क्रोध और लोभ की जननी है, अर्थात क्रोध और लोभ दोनों की उत्पत्ति का कारण है कामना https://www.youtube.com/watch?v=SOl3enr0NSc&t=642 11 क्रोध क्यों आता है ? आपने कोई कामना बनाई मगर उसकी पूर्ति में रुकावट आ गई, बस क्रोध आ गया, मान लो आपने इच्छा बनाई साहब हम तो आइसक्रीम खाएंगे, मार्केट से जाकर आप बढ़िया से बढ़िया चॉकलेट चिप इत्यादि खरीद के लाए, अपने फ्रिज में रख के और कहा भई थोड़ा एक्सरसाइज (exercise) करके आएगें जब appetite हो जाएगा तो आइसक्रीम का और मजा आएगा, एक घंटे बाद आप वापस आए फ्रिज को खोला तो आइसक्रीम गायब थी, अब पत्नी से पूछा आइसक्रीम रखी थी कहां गई ? पत्नी ने कहा, पतिदेव आपने मेडिकल रिपोर्ट नहीं देखी ? आपका कोलेस्ट्रॉल बढा हुआ है, मैंने आइसक्रीम को उठा के फेंक दिया, आइसक्रीम को फेंक दिया ? अब उसको गुस्सा आया क्यों गुस्सा आया ? क्योंकि उसने कामना बनाई आइसक्रीम खाएंगे तो सुख मिलेगा, अब वो बाधा आ गई कामना पूर्ति में, तो क्रोध आ गया https://www.youtube.com/watch?v=SOl3enr0NSc&t=679 12 क्रोध अपने आप नहीं आता, भोले लोग कहते हैं, कोई कहता है, स्वामी जी बाकी तो सब ठीक है, बस एक गड़बड़ी है, गुस्सा बहुत आता है, बाकी सब ठीक है ? इंपॉसिबल (impossible) अगर गुस्सा आता है तो गुस्से का कारण कामना जरूर होगी, बिना कामना के क्रोध हो ही नहीं सकता, अब यह बात अलग है कि कामना सूक्ष्म है, आपको पता नहीं चल रहा किस चीज की कामना है, या तो शरीर के सुख की कामना है, नहीं तो मन के कंफर्ट (comfort) की कामना है, जो भी है वही कामना आपको गुस्सा दिला रही है https://www.youtube.com/watch?v=SOl3enr0NSc&t=761 13 अब मान लो कि वह कामना को आप पूरा कर देते, तो क्या होगा ? पत्नी ने आइसक्रीम नहीं फेंकी और एक घंटा आप पार्क में घूम के वापस आए तो आइसक्रीम एक टेबल स्पून से लिया, बहुत मजा आया, तो एक और चमच्च चाहिए अब एक और चमच्च चाहिए अब एक और चाहिए, अरे भाई 10 चम्मच खा लिए, पेट भर गया, आज तो भर गया, लेकिन पांच दिन बाद फिर से आइसक्रीम चाहिए, क्या मतलब “verse” जहां कामना पूरी होती है एक क्षण के लिए समाप्त होती है मगर कुछ देर के बाद द्विगुणित होकर भड़क जाती है, भोले लोग सोचते हैं कि साहब कामना को पूरा कर दो वह चली जाएगी, बिमारी https://www.youtube.com/watch?v=SOl3enr0NSc&t=810 14 भागवत में वेदव्यास ने कहा “verse”, भई देखो कहीं आग जल रही हो, आप उसको बुझाने के लिए घी डाल दें, एक क्षण के लिए तो आग शांत होगी तुरंत पश्चात और भड़क जाएगी। तो कामना की पूर्ति से लोभ आ जाता है, वो लोभ का कहीं अंत नहीं होता, कामना तो बढ़ती ही जाती है https://www.youtube.com/watch?v=SOl3enr0NSc&t=886 15 शास्त्र कहते हैं की कामना इतनी बड़ी है कि भगवान से भी बड़ी, देखो इतना बड़ा पहाड़, पहाड़ से बड़ा समुंद्र, समुंद्र से बड़ी पृथ्वी, पृथ्वी से क्या बड़ा है, अंतरिक्ष और अंतरिक्ष से बड़ा, वो तो फिर भगवान ही हैं। तो शास्त्र कहते हैं “verse”, ये कामना भगवान से भी बड़ी है, क्यों यदि एक व्यक्ति को सारे संसार के भोग सामग्री (वस्तुएं) मिल जाएं, उसकी कामना फिर भी शांत नहीं होगी https://www.youtube.com/watch?v=SOl3enr0NSc&t=944 16 अब आज मनोविज्ञान ने समझा है कि एक डोपामिन (Dopamine) नाम का केमिकल है, ब्रेन में, जो थ्रिल (thrill) करता है, फुलफिल (fulfill) नहीं करता, ब्रेन को डिजाइन करने वाले तो भगवान ही हैं, भगवान ने ही ऐसा बनाया है, आप देखिए अगर आप कामना बनाएंगे तो दो ही नतीजे हो सकते हैं या तो वह कामना पूरी होगी या पूरी नहीं होगी, पूरी होगी तो लोभ आ जाएगा और अगर रुकावट आएगी तो क्रोध आ जाएगा https://www.youtube.com/watch?v=SOl3enr0NSc&t=994 17 और जब क्रोध आया “verse”, अब तो इतनी सारी बीमारियां लग गई । गीता के अनुसार बुद्धि ही नष्ट हो गई तो जीवात्मा का पतन हो गया और सब का कारण कामना और यदि मान लो कोई ऐसा जीव हो जाए जो कामना न बनाए, उसे क्रोध आ ही नहीं सकता, आगे की सब बिमारियां नहीं आ सकती, लोभ भी नहीं आ सकता इसलिए शास्त्रों ने कहा कि “verse” जिसकी कामना चली गई वो ब्रह्म स्वरूप हो गया, कठउपनिषद कहता है “verse”, सब शास्त्र कह रहे हैं वो ब्रह्म स्वरूप हो जाएगा, इसलिए असली शांति तब मिलेगी जब कामनाएं जाएंगी https://www.youtube.com/watch?v=SOl3enr0NSc&t=1040 Transcript 0:00 रामायण कहती है सबको मानस रोग लगा है विरला 0:04 ही जो जानता है तो फिर वह उपाय का सोचता है 0:09 लोभ व्यक्ति को शांति से बैठने नहीं देता 0:13 है वह किसी भी चीज का लोभ हो धन का लोभ 0:20 पावर का लोभ यश का लोभ और 0:25 चाहिए बस अंदर से जीव अशांत 0:31 रहता है किंतु हमारा वेद कहता है कि सबसे 0:38 बड़ा मानस रोग कुछ और है वह क्या 0:48 है अगर कर्म योग को सिद्ध करना 0:53 है दिन भर भगवत चिंतन में निरंतरता लानी 0:58 है 1:01 तो कुछ समय के लिए एकांत में जाकर भी 1:05 साधना करनी 1:07 होगी यह एकांत की साधना कैसे 1:13 होगी देखिए इसमें मन प्रमुख है शरीर से 1:19 साधना करते तो बहुत जन्म बीत 1:23 गए कबीर जी ने कहा माला फेरत युग फिरा 1:30 फिरा ना मन का 1:31 फेर तो कर का मन का डार के मन का मनका 1:36 1:38 फेर अगर शरीर की शरणागति से भगवत प्राप्ति 1:43 हो 1:44 जाती तो अगर एक जन्म में हमने एक बार भगवन 1:49 नाम लिया इसका मतलब अनंत जन्मों में अनंत 1:53 बार भगवन नाम ले लिया लेकिन भगवत प्राप्ति 1:58 नहीं हुई क्योंकि मन की गड़बड़ बनी 2:03 रही तो यह मन को जरा आज हम गहराई में समझें 2:10 तो पाश्चात्य जगत में सिगमंड 2:14 फ्रॉड फादर ऑफ साइको एनालिसिस माने जाते 2:18 हैं उसके बाद आए काल जियूंग 2:23 एडलर स्किनर मैस्लो मिक लेलैंड 2:27 इत्यादि सबने ने अपने एनालिसिस बताए कि यह 2:33 मन कैसे कार्य करता है किंतु वो आप उनके 2:39 सब किताबों को 2:42 पढ़े और श्री कृष्ण ने गीता में क्या कहा 2:47 यह 2:48 पढ़े तो आप कहेंगे श्री कृष्ण तो मास्टर 2:52 साइकोलॉजिस्ट है तो हमारा वेद क्या कहता 2:57 है साइकोलॉजी के बारे में वेद कहता है भाई 3:01 देखो यह आपका जो मन है ना इसके कई रोग 3:07 हैं इन्हे मानस रोग कहते 3:12 हैं क्रोध 3:15 लोभ 3:17 काम 3:19 ईर्ष 3:20 अहंकार अब सबको पता है क्रोध आता 3:25 है लेकिन लोगों को यह नहीं पता कि क्रोध 3:29 एक रोग 3:30 है तो वेद ने वेदिक शास्त्रों ने उसे मानस 3:36 रोग की संज्ञा दी “verse” रामायण कहती है सबको मानस रोग लगा है 3:54 विरला ही जानता है तो फिर वो उपाय का 3:58 सोचता है अब शरीर का एक रोग हो तो पूरा 4:04 दिन बेकार हो जाता है अजी स्वामी जी मैं 4:10 आपके प्रवचन में नहीं आ पाया सर में दर्द 4:13 हो रहा 4:14 था एक सर दर्द ने व्यक्ति को incapacitate कर 4:21 दिया और मन को इतने सारे रोग 4:25 हैं यह दुश्मन अंदर बैठे हुए हैं 4:31 अब इसमें एक दोष तो सबको पता है क्रोध है 4:36 क्रोध में व्यक्ति क्या नहीं कर देता 4:40 गवर्नमेंट के कानून है फिर भी क्रोध में 4:44 मार धाड़ यहां तक की हत्या भी हो 4:49 जाती है उत्तर प्रदेश का आख्यान (किस्सा) 4:53 है दो भाई थे ठाकुर परिवार के तो बाप की 4:58 प्रॉपर्टी के बंटवारे को लेकर मुकदमा चल 5:02 रहा था अब वह मुकदमा छोटा भाई जीत 5:07 गया वह जब वापस आ रहा था कोर्ट 5:12 से तो बड़े भाई के घर के आंगन के सामने से 5:18 निकला और निकलते समय उसने अपनी मूंछ को 5:23 यूं कर दिया उत्तर प्रदेश में ठाकुर लोग 5:27 बड़ी-बड़ी मूंछ रखते हैं ना उसने ऐसे 5:30 कर दूसरे भाई को गुस्सा आ गया उसने डंडा 5:36 लिया उसकी पिटाई कर दी इतनी पिटाई कर दी 5:40 कि बेचारा मारा 5:42 गया जब इंक्वायरी हुई कि प्रोवोकेशन क्या 5:47 था पता चला कि इतनी सी बात थी उसने मूंछ 5:52 को ऊपर कर दिया 5:54 था लेकिन 5:57 क्रोध ऐसा दुश्मन मन अंदर बैठा 6:01 है और दूसरा दुश्मन है लोभ क्रोध 6:07 तो विकसित होता है फिर शांत हो जाता किंतु 6:14 लोभ ऐसी चीज है कि जीवन भर वह बढ़ता ही 6:19 चला जाता 6:21 है व्यक्ति लोभ को समाप्त करने के लिए 6:25 भागता है कहीं अंत नहीं होता 6:30 एक राजा अपना रास्ता खो गया शिकार करते 6:34 समय जंगल में गांव वासी ने उसको रात्रि 6:40 में शरण दी सुबह राजा ने कहा तुम जानते हो 6:45 मैं इतने बड़े देश का सम्राट हूं कल आना 6:50 मैं तुमको वरदान 6:53 दूंगा वासी पहुंचा राजा ने कहा क्या चाहिए मुंह 6:58 मांगा पूछो 7:01 गांव वासी ने कहा महाराज अपने घोड़े पर 7:05 सूर्योदय से लेकर सूर्यास्त तक जितनी जमीन 7:09 मैं नाप सकूं वह मेरी हो 7:11 जाए अब राजा चक्रवर्ती सम्राट था उसने कहा 7:16 ठीक 7:17 दिया अगले दिन वह गांव वासी निकला घोड़े 7:22 पर अब एक घंटे में तो कई हेक्टेयर की जमीन 7:26 हो गई और सुबह के 10 बजे तक तो हजारों 7:30 हेक्टेयर हो गई 7:34 और मध्यान तक बहुत बड़ा भूखंड हो गया था 7:40 उसके अनेक 7:43 आगे जेनरेशंस के लिए किंतु उसके लोभ के 7:49 लिए पर्याप्त नहीं था अंदर जो लोभ बैठा 7:53 हुआ था कह रहा था थोड़ा और हो जाए थोड़ा 7:57 और हो जाए 7:59 दोपहर तक वह इतना थक गया घुड़ सवार किंतु 8:04 घोड़ा तो और भी थक 8:08 गया लास्ट में घोड़ा 8:27 collapse करा और घुड़सवार गिरा और उसका सिर पत्थर से टकराया और वही स्पॉट पर डेथ हो गयी आसपास के लोग आए उसको दफनाने के 8:32 लिए और जब दफनाया उन्होंने कहा भी लास्ट 8:36 में तो यह दो गज की जमीन ही काम आई बाकी 8:41 सब जमीन बेकार चली 8:44 गई तो सबको पता 8:47 है कि छोड़ के ही जाना है दुनिया में खूब 8:52 कमाया क्या हीरे क्या 8:56 मोती लेकिन क्या करें यारों कफन में जेब 9:00 नहीं 9:01 होती व कफन जो होती है उसमें जेब नहीं 9:05 होती साथ में तो कुछ जाता नहीं है लेकिन 9:09 लोभ व्यक्ति को शांति से बैठने नहीं देता 9:14 है वह किसी भी चीज का लोभ हो धन का लोभ 9:20 पावर का लोभ यश का लोभ इतना यश हो गया 9:26 नहीं और चाहिए 9:30 अंदर से जीव अशांत रहता 9:34 है किंतु हमारा वेद कहता है कि सबसे बड़ा 9:41 मानस रोग कुछ और 9:44 है वह क्या 9:47 है यह है 9:51 कामना कामना 9:53 माने किसी भी प्रकार की 9:57 कामना देखने की सुनने की स्पर्श करने की 10:01 रस लेने 10:03 की धन की प्रतिष्ठा की यह कोई भी कामना हो 10:10 यह हमारे भीतर के संसार की सबसे बड़ी 10:16 बीमारी “verse” 10:29 भागवत कहती है कि अगर कोई कामना को छोड़ 10:35 दे वह भगवत स्वरूप हो 10:42 जाएगा तो आप कहे साहब यह कामना में क्या 10:45 हम तो इच्छा बनाते हैं रस गुल्ला खाएंगे 10:48 इसमें क्या है क्रोध में विनाश होता है 10:54 लोभ में एनर्जी खर्च होती है कामना बनाने 10:58 में क्या है 11:00 कामना तो कोई ऐसी खराब चीज नहीं लगती 11:04 है जी नहीं यह कामना जो है ना क्रोध और 11:11 लोभ की जननी 11:13 है अर्थात क्रोध और लोभ की उत्पत्ति का 11:19 कारण है कामना क्रोध क्यों आता है आपने 11:24 कोई कामना 11:26 बनाई उसकी पूर्ति में रुकावट आ गई बस 11:31 क्रोध आ 11:33 गया मान लो आपने इच्छा बनाई साहब हम तो 11:38 आइसक्रीम खाएंगे 11:41 मार्केट से जाकर आप बढ़िया से बढ़िया 11:46 चॉकलेट चिप इत्यादि खरीद के लाए अपने 11:50 फ्रिज में रख के और कहा भई थोड़ा 11:53 एक्सरसाइज करके आएगें जब appetite हो जाएगा तो 11:57 आइसक्रीम का और मजा 12:00 आएगा एक घंटे बाद आप वापस आए फ्रिज को 12:04 खोला तो आइसक्रीम गायब 12:08 थी अब पत्नी से पूछा आइसक्रीम रखी थी कहां 12:13 गई पत्नी ने कहा पतिदेव आपने मेडिकल 12:17 रिपोर्ट नहीं देखी आपका कोलेस्ट्रॉल बढा 12:20 हुआ है मैंने आइसक्रीम को उठा के फेंक 12:23 दिया आइसक्रीम को फेंक 12:26 दिया अब उसको गुस्सा आया 12:30 वो क्यों गुस्सा आया उसने कामना बनाई 12:34 आइसक्रीम खाएंगे तो सुख 12:36 मिलेगा अब वो बाधा आ गई कामना में तो 12:41 क्रोध आ गया क्रोध अपने आप नहीं आता भोले 12:47 लोग कहते हैं कोई कहता है स्वामी जी बाकी 12:51 तो सब ठीक है बस एक गड़बड़ी है गुस्सा 12:54 बहुत 12:55 आता बाकी सब ठीक है बाकी सब ठीक है ? 12:59 इंपॉसिबल (impossible) 13:01 अगर गुस्सा आता है तो गुस्सा का कारण 13:06 कामना जरूर 13:08 होगी बिना कामना के क्रोध हो ही नहीं 13:13 सकता अब यह बात अलग है कि कामना सूक्ष्म 13:18 है आपको पता नहीं चल रहा भई किस चीज की 13:22 कामना शरीर के सुख की कामना है मन के 13:26 कंफर्ट की कामना है जो भी है वही आपको 13:30 गुस्सा दिला रही है अब मान लो कि वह कामना 13:36 को आप पूरा कर 13:39 देते तो क्या होगा पत्नी ने आइसक्रीम नहीं 13:43 फेंकी और एक 13:47 घंटा आप पार्क में घूम के वापस आए तो 13:52 आइसक्रीम एक टेबल स्पून से लिया मजा आया 13:57 बहुत तो एक और चमच्च चाहिए अब एक और चमच्च 14:01 चाहिए अब एक और चाहिए अरे भाई 10 चम्मच 14:06 खा लिए पेट भर 14:09 गया आज तो भर गया लेकिन पांच दिन बाद फिर 14:14 से आइसक्रीम 14:15 चाहिए क्या मतलब “verse” जहां कामना पूरी होती है एक क्षण के 14:29 लिए समाप्त होती है कुछ देर के बाद 14:33 द्विगुणित होकर भड़क जाती 14:37 है भोले लोग सोचते हैं कि साहब कामना को 14:43 पूरा कर दो वह चली जाएगी 14:46 भागवत में वेदव्यास ने कहा “verse” भई देखो कहीं आग 15:02 जल रही हो आप उसको बुझाने के लिए घी डाल 15:07 दें एक क्षण के लिए तो आग शांत होगी तुरंत पश्चात 15:13 और भड़क 15:15 जाएगी तो कामना की पूर्ति से लोभ आ जाता 15:22 है वो लोभ का कहीं अंत नहीं 15:27 होता, कामना तो बढ़ती ही जाती है 15:44 शास्त्र कहते हैं की कामना इतनी बड़ी है कि भगवान से भी बड़ी 15:57 देखो इतना बड़ा पहाड़, पहाड़ से बड़ा 16:01 समुंद्र, समुंद्र से बड़ी पृथ्वी, पृथ्वी से 16:07 क्या बड़ा है, अंतरिक्ष अंतरिक्ष से बड़ा 16:11 वो तो फिर भगवान ही हैं तो शास्त्र कहते 16:15 हैं verse ये कामना भगवान से भी बड़ी है, क्यों यदि एक व्यक्ति को सारे संसार के भोग सामग्री (वस्तुएं) मिल जाएं, उसकी कामना फिर भी शांत नहीं होगी 16:34 अब 16:36 आज मनोविज्ञान ने समझा है कि एक डोपामिन 16:41 नाम का केमिकल है ब्रेन में जो थ्रिल (thrill) करता 16:45 है फुलफिल (fulfill) नहीं 16:48 करता ब्रेन को डिजाइन करने वाले तो भगवान 16:51 ही हैं ना भगवान ने ही ऐसा बनाया है, आप देखिए 16:58 अगर आप कामना 17:00 बनाएंगे तो दो ही नतीजे हो सकते हैं या तो वह 17:06 कामना पूरी 17:07 होगी या पूरी नहीं 17:10 होगी पूरी होगी तो लोभ आ 17:14 जाएगा और अगर रुकावट आएगी 17:17 तो क्रोध आ 17:20 जाएगा और जब क्रोध आया “verse” अब तो इतनी सारी बीमारियां लग गई 17:42 गीता के 17:43 अनुसार बुद्धि ही नष्ट हो गई तो जीवात्मा 17:46 का पतन हो गया और सब का कारण 17:52 कामना और यदि कामना ना बनांए मान लो कोई 17:57 ऐसा जीव हो जाए जो कामना न 18:01 बनाए क्रोध आ ही नहीं 18:04 सकता आगे की सब बीमारिया नहीं आ सकती लोभ 18:08 भी नहीं आ 18:09 सकता इसलिए शास्त्रों ने कहा कि “verse” 18:20 जिसकी कामना चली गई वो ब्रह्म स्वरूप 18:25 हो गया कठउपनिषद कहता है “verse” सब शास्त्र कह रहे हैं वो ब्रह्म 18:42 स्वरूप हो जाए इसलिए असली 18:47 शांति तब मिलेगी जब कामनाएं जाएंगी Standby link (in case youtube link does not work): मनुष्य का मन सबसे बड़ा दुश्मन। @SwamiMukundanandaHindi.mp4