BODY / SPIRIT SOUL | कब तक शरीर को चाटते रहोगे | HG Ravi Lochan Prabhu
https://www.youtube.com/watch?v=1WGe5F7pVGA
0.0 भगवान
अर्जुन से कह रहे है की इन तीनों गुणों से ऊपर उठो और ये तीन गुण है सतोगुण रजोगुण और तमोगुण
0.14 और प्राया (most often) सभी व्यक्तियों में इन तीनों गुणों का
मिश्रण होता है केवल एक गुण ही हो ऐसा नहीं होता है
0.24 सुबह जल्दी उठना,
ये सात्विक गुण है
1.02 और यही व्यक्ति
दिन में रजोगुणी हो जाता है बहुत परिश्रम करता है नौकरीपेशा में घर में आके tuition भी करना चाहता है, side income के लिए
1.35 वह
ये नहीं सोचता कि मेरे पास जो खाली समय है शाम को उसमें भगवद गीता या श्रीमद भागवत
पढ़ लूँ, भगवान का नाम ले लूँ
1.45 वही व्यक्ति जो सुबह सतोगुण में था, दोपहर को रजोगुण में था, रात
को नींद नहीं आती क्योंकि बहुत चिंता लिये हुए हैं सबकी, इसलिए drink करता है
2.02 इसलिए भगवान
अर्जुन से कह रहे है की इन तीनों गुणों से ऊपर उठो
2.12 जैसे हम भागवत
कथा करते हैं उससे पहले ये कहते है "ओम नमो भगवते वासुदेवायः"
Vasudev Sankarshana Pradyumna Aniruddha These
are the four controllers of the four gunas.
2.38 ये जो तीन गुण हैं सतोगुण रजोगुण और तमोगुण, इनके ऊपर है विशुद्ध सत्व और वासुदेव इस विशुद्ध सत्व को control करते हैं
3.07 जब तक कोई व्यक्ति इन तीनों
गुणों से ऊपर नहीं उठेगा वो भगवान की कथा समझ नहीं पाएगा, इसलिए इन तीनों गुणों से
ऊपर उठना हमारे लिए बहुत जरूरी है
3.20 उदाहरण के लिए : जैसे एक व्यक्ति को दिल्ली से बैंगलोर जाना है, जब तक वो व्यक्ति
घर में है तमोगुण में है, रजोगुण का मतलब है कि व्यक्ति घर से बाहर निकल गया है airport जाने के लिए, सत्व गुण का मतलब वो airport पर पहुँच गया है, व्यक्ति plane में take off कर गया यानी उसने विशुद्ध सत्व को
प्राप्त कर लिया
4.26 तात्पर्य ये की सत्व गुण में
बिना पहुँचे वो विशुद्ध सत्व को प्राप्त
नहीं कर सकता
4.45 इसलिए भक्तों को मुख्यता बोला
जाता है कि सुबह सुबह जल्दी उठिये, क्योंकि यदि सुबह जल्दी नहीं उठे तो सत्वगुण
में नहीं रह पाएंगे
5.24 जब तक कोई व्यक्ति सतोगुण में
नहीं आएगा भागवत संदेश को नहीं समझ पाएगा, रजोगुणी व्यक्ति एक जगह टिक के बैठ नहीं
सकता
6.04 जब तक कोई व्यक्ति सतोगुण में
नहीं है तब तक वो purpose of human life समझ नहीं
पाएगा
6.18 क्योंकि रजोगुणी या तमोगुणी व्यक्ति
जो important है उसे neglect करता रहेगा और जो neglect करना चाहिए उसे important & urgent समझकर करता
रहेगा
6.31 जैसे एक शराबी व्यक्ति भगवान के भक्ति
भजन की तरफ देखेगा भी नहीं, उसकी भगवान में कोई रुचि नहीं होगी
6.38 जगाई और मधाई की कथा - https://www.jagran.com/politics/national-know-about-jagai-and-madhai-brothers-of-west-bengal-18932392.html कौन थे जगाई-मधाई -
वो मांस और मदिरा का सेवन करते थे। गांव की
औरतों का पीछा करते थे। ब्राम्हण होने के बावजूद वो पूरी तरह से पथभ्रष्ट हो चुके
थे। एक बार चैतन्य महाप्रभु के शिष्य नित्यानन्द प्रभु उनके पास आए और जगाई-मधाई बंधुओं से कहा
कि वो इन दुर्व्यसनों को छोड़ कर हरि के नाम में डूब जाओ ....
7.31 और ये मत सोचिए की जगाई-मधाई कोई और हैं,
ये हम ही हैं, ये मत सोचिए की हम बहुत महान आत्माएं हो गई है
7.41 external devotee बनना तो बहुत आसान है मगर internal devotee बनना कठिन, जो price pay करना होता है वो हर किसी के बस की बात नहीं है
8.24 क्योंकि internal devotee को बहुत सारे challenges से संघर्ष करने पड़ते हैं
प्रति दिन, रोज़ सुबह जल्दी उठना और मन को समझाना की जाप करना है, गीता या भागवत
पढ़नी है और श्रीकृष्ण प्रसाद के अलावा कुछ नहीं खाना है,
8.49 ऐसे में मन revolt (बगावत) करता है, मन कहेगा आपको अरे नींद पूरी करो सो जाओ, असल
में मन ही थका हुआ है, मन हमारे अंदर एक inbuilt असुर (राक्षस / demon) है
9.29 कंस की दो पत्नियां थीं अस्ती और प्राप्ति -ऐसे ही हमारे राक्षस मन की दो
पत्नियां हैं अस्ती और प्राप्ति - अस्ती यानि आस्ते (धीरे धीरे), मन कहता है तेरे को जल्दी क्या है, जब भी
भजन करना हो मन कहता है आज करे सो कल कर, कल करे सो
परसों, जल्दी क्या है काम की जब जीना है बरसों, "आस्ते" यानि तमोगुण
10.08 दूसरा प्राप्ति यानी greed - ये रजोगुण है, इस प्रकार रजोगुण और तमोगुण दोनों राक्षसी मन
की पत्नियां हैं
10.27 इस प्रकार ये मन हमें बार बार गलत
दिशा की तरफ प्रेरित करता है जो important है उससे neglect कराता है, और जो neglect करना चाहिए, उसे important & urgent कह कर कराता
है
10.53 भगवान के जप
के समय मन इधर उधर भटकाता है, स्वप्न दिखाता है की मेरी भी एक कोठी होगी,
जिसमें मैं मंदिर बनाऊंगा मगर जब वास्तव में कोठी होगी तो मंदिर नहीं बनाएगा, बल्कि एक liquor bar बनाएगा
11.40 भगवान के जप के समय मन active mode में आ जाता है, और हम भी इसे साथ साथ relish (आनंद लेना) करने लग जाते
हैं
12.0 ये तीन गुण सतोगुण रजोगुण और तमोगुण ही सब कार्य हम से करवा रहे हैं
जीवात्मा का इन तीन गुणों से कुछ लेना देना नहीं है, रजोगुण और तमोगुण के कारण हम purpose of human life भूल चूके हैं, जो important है उसे हम neglect
करते हैं
12.35 हाँ
हमारे पास दो ही options हैं material body और spirit soul, यदि आप से पूछें कि इनमें से
क्या important है तो आप कहेंगे
spirit soul, मगर हम importance
किसको देते हैं material
body को, क्योंकि हमें मालूम है की ये material body नश्वर है खत्म हो जाएगी, मगर spirit soul अमर है
14.37 जब
हम नारियल खरीदते हैं तो जो ऊपर का shell
होता है हमें उससे कोई मतलब नहीं होता केवल अंदर का पानी पीना होता
है, ऐसे ही हमारा शरीर जो एक दिन फेंक दिया जायेगा मगर spirit soul important
है, valuable क्या है love of Godhead (जिसका अंश है हमारी spirit
soul)
16.0 यदि
आत्मा शरीर से निकल गयी तो और शरीर का कुछ value
नहीं है
16.25 जैसे
कोई पति पत्नी दोनों प्रेम करते थे, पति का देहांत हो गया तो क्या पत्नी पति के
शरीर को घर में रखेगी नहीं आधा घंटा भी नहीं
17.25 हम
अच्छी तरह जानते हैं की आत्मा के बिना शरीर की कोई worth / value नहीं है, लेकिन
तमोगुण और रजोगुण के कारण , हमारा मन जो important है उससे neglect कराता है, और जो neglect करना चाहिए, उसे important & urgent कह कर कराता है
18.04 माया के तीन गुणों की वजह से हम हमेशा childish
mentality में रहते हैं
18.17 जनम से हर कोई ही शूद्र है (Brahmins: Vedic
scholars, priests or teachers. Kshatriyas: Rulers, administrators or
warriors. Vaishyas: Agriculturalists, farmers or merchants. Shudras (शूद्र) : Artisans, laborers or servants.)
18.24
घर में जब fridge आता है और packing खुलती है तो बच्चे को fridge में interest नहीं होता मगर जो thermocol निकलती है उसमें interest होता है जबकि thermocol की तो 0 value है
19.0 आप बच्चे के सामने दो options दे दीजिए, 2 रुपये की toffee और Rs 2000 का नोट, तो बच्चा toffee ही लेगा क्योंकि
उसे Rs
2000 की value नहीं पता
18.50 ऐसे ही हम लोग हैं जिसके लिए मानव
जन्म मिला, जो अमूल्य है - भगवान प्राप्ति के लिए - उसे भूलकर सिर्फ शरीर पोषण में
लग गए जिसकी 0 value है
19.12 ऐसे ही बच्चों जैसे ही हम सब childish mentality में रहते हैं, हम जानते हैं की क्या सही है मगर मानते नहीं है
19.25 हमारे लिए
इस ज्ञान को विज्ञान बनाना बहुत जरुरी है, ये यानी time to time हमें बार बार इसे
स्मरण करना चाहिए ( कि हम आत्मा हैं शरीर नहीं - "This body is temporary")
20.00 ये रूप की
सुंदरता धीरे धीरे सब खत्म हो जाती है, मगर हम पूरा जीवन शरीर की सुंदरता में ही
निकाल देते हैं childish
mentality में
20.34 एक थैले में हम
गुलाब जामुन ले कर आते हैं और जब उन्हें निकाल लेते हैं तो थैले को फेंक देते हैं,
ऐसे ही हमारा शरीर है थैले की तरह
20.55 ऐसे ही शरीर के अंदर आत्मा जो है उसको
हम neglect करते रहते हैं और शरीर जो केवल एक थैली
(bag) है उस को पुष्ट करते रहते हैं, इसलिए अंदर की आत्मा दुखी है
21.40 एक माता जी
तोते को खरीद के लायी, पिंजरे (cage) के साथ, तोते में उनको इतना लगाव था कि पिंजरे को gold polish रोज़ करती, कुछ दिन
में तोता मर गया, दुकान के पास गई उसने पूछा तोते को क्या खिलाया था, माताजी ने
कहा तोते को तो कुछ खिलाया ही नहीं, क्या उसको भी कुछ खिलाना होता है ? वैसे ही
हमने अपनी आत्मा को तो कुछ खिलाया ही नहीं, कुछ भोजन
नहीं दिया यानी भगवान का नाम / कथा / भजन आत्मा को नहीं दिया,
23.13 ऐसे व्यक्ति
को कहते हैं की आपकी आत्मा "मर" गयी है, यानी उनकी रुचि
सही कार्यों की तरफ नहीं होती, हर सही चीज़ को गलत और हर गलत चीज़ को सही देखते हैं और सही prove करने की कोशिश भी
करते हैं
23.33 एक लड़के को
बहुत सुंदर लड़की दिखाई दी, बात करने पर लड़की ने कहा अच्छा 10 दिन में मेरे घर पर
आना, मगर 10 दिनों में लड़की ने कुछ गलत पदार्थ खाए, मल
मूत्र त्यागा, उलटी करी, सब इकट्ठा करके containers में रख लिया, जब लड़का आया तो देखा कि लड़की तो सुन्दर
नहीं रही, लड़की ने कहा अब तुम्हें दिखाती हूँ मेरी सुंदरता और सारे मल मूत्र के containers दिखाए
25.15 "beauty is skin deep" - 1 millimetre skin यदि उतार ली जाए तो नीचे सब एक ही तरह
के कुरूप (ugly) हैं जिसे कोई देखना नहीं चाहेगा
25.35 जो व्यक्ति
तमोगुण में होता है वो इसी शरीर की सुंदरता को सब कुछ मानता है
25.50 सतोगुणी लोग
ज्ञान अर्जित करने के प्रयास में रहते हैं
25.59 जो भी शुद्ध
सत्व में है केवल ज्ञान नहीं विज्ञान (practical application of knowledge) में रुचि रखते हैं, वो केवल कहते नहीं हैं कि नाम जप करो वो नाम जप
करते हैं, वो केवल कहते नहीं हैं कि गीता पढ़नी चाहिए,
वो गीता पढ़ते हैं, वो केवल कहते नहीं हैं कि भगवान के संदेश का प्रचार करना चाहिए, वो प्रचार करते हैं
26.26 राजसिक
व्यक्ति केवल greedy (लालची) होता है, एक दूसरे की टांग
खींचना, back biting करना
26.36 तामसिक व्यक्ति ये क्या लक्षण हैं ignorance में रहना, शराब पीना, कहीं
भी पढ़ें रहना, कभी भी सो जाना, कभी भी उठ जाना, कुछ भी खा लेना
27.32 अगर हम जानते हैं कि कोई bank bankrupt हो गया है, और हम उसमें
पैसा deposit करते हैं तो क्या हम intelligent हैं ? और हम दिन रात यही कर रहें हैं और
नतीजा क्या आता है दुख चिंता, injustice की feeling
28.11 यदि soul healthy रहेगी तो body भी naturally healthy रहेगी
28.18 आप वृन्दावन
जाइए, 70 साल के लोग गोवर्धन की परिक्रमा कर रहे होते हैं, श्री प्रभुपाद 70 साल
की आयु में अमेरिका गए
29.03 purpose यही है हमारा "तमसो
मां ज्योतिर्गमय" - from "darkness to light"
29.09 "light on darkness gone"
29.21 क्या आपने
कभी ऐसी जगह देखी है जहाँ पर light भी हो और darkness भी हो, नहीं
29.40 "कृष्णा
सूर्य सम (like), माया है अंधकार" - जहाँ कृष्ण होंगे वहाँ माया नहीं ठहर सकती
29.55, 30.26 इसलिए
यदि हम अपना अंधकार दूर करना चाहते हैं तो हमें श्रीकृष्ण की शरण में जाना होगा
30.05 हमें अंधकार
से डर क्यों लगता है, क्योंकि जीव का स्वभाव प्रकाश मई है
30.40 मान लो किसी
कमरे में 10 साल से अंधेरा है और अभी आपने tubelight चला दी तो कितना समय लगेगा रौशनी होने
में, एक सेकंड से भी कम
30.50 ऐसे ही
हमारे हृदय में जो जन्मों जन्मों से अंधकार है, श्रीकृष्ण के हृदय में आते ही
प्रकाश हो जाएगा, मोह नष्ट हो जाएगा और ये स्मृति मिलेगी
कि हम श्रीकृष्ण के नित्य दास हैं
31.27 अर्जुन श्री
कृष्ण से यही कह रहे हैं कि आपकी संगति से और आपकी कृपा से मेरा सब मोह खत्म हो
गया मेरा अंधकार दूर हो गया, मैं समझ चुका हूँ कि what is my duty
& responsibility
31.42
अभी तक मैं जो important है उसे neglect करता था और जो neglect करना चाहिए था, उसे important & urgent कह कर करता था
32.05 जो आप (श्री कृष्ण) कहेंगे मैं (अर्जुन)
वही करूँगा
32.12 उन्नत भक्त की यही पहचान है की कितना
श्री कृष्ण के वचनों पर चलेंगे
32.43 वही कृष्ण श्री चैतन्य महाप्रभु के रूप में आकर कह
रहें हैं 4 कि हरी नाम का जप करो
32.52 श्रीकृष्ण यही कह रहे हैं कि सब धर्मों को त्यागकर मेरी शरण में आ जाओ,
क्या हम इसके लिए तैयार हैं ?