What is it that a man can do but not the animal ?
ऐसा कौन सा कार्य है जो इंसान करता है और पशु नहीं करता
एक और रहस्य की बात, भजन के अतिरिक्त हम जो भी करते हैं (यानि जो पशु भी करता है) उसके लिए हमें छल करना पड़ता है कपट करना पड़ता है, पशु को वह भी नहीं करना पड़ता
आप जो वस्तु अर्जित करते हैं उस वस्तु के साथ भय भी अर्जित करते हैं, उस वस्तु के साथ पीड़ा भी अर्जित करते हैं, पशु के जीवन में यह दुर्दांत स्थिति भी नहीं है
(दुर्दांत = जिसका दमन या वश में करना कठिन हो, difficult to control)
यदि कसौटी पर कसोगे अपने जीवन को, तो यही पाओगे कि भजन हीन जीवन, पशु से भी निकृष्ट जीवन है
(निकृष्ट = abominable)
और यह दुर्दांत स्थिति कैसे उपजी, क्योंकि हमने महत जनों में, संत जनों में, श्रेष्ठ जनों में, शास्त्रों में अपना श्रद्धा, विश्वास खो दिया है, आप बहुत बुद्धिमान हैं , एक का दस कर लेते हैं
What is it that a man can do but not the animal ?
It is devotion to Lord. And besides devotion, whatever we earn, a lot of it has to be earned with deceit and selfish motive but animal doesn't have do that
Besides money, we earn associated fear & pain also whereas the animal is free of these.
If you compare the benchmarks, the human is much worse off than the animal, in fact it is abominable, i.e., if we do not consider भक्ति part.
It is ONLY the devotion that sets the man apart from animal.
तू बालक नहीं , भरयो सयानक (चतुराई से भरा है तू, लेकिन उस चतुराई की दिशा ठीक नहीं है)
But although man is very sharp in worldly matters of multiplying his money etc.( तू बालक नहीं, भरयो सयानक), how has the unfortunate situation been created that man forgot Lord? Because man’s faith in devotees, saints, vedas & shastras is lost.
“पड़ी नमाज, ते लयाज़ ना सिखया,
तेरियां किस कम पड़ियाँ नमाज़ां,
ते अमल ना कित्ता ,
तेरीयां किस कम दित्तियां आवाजा ,
बुल्ले शाह पता तां लगसी ,
जे चिड़ी फंसी हथ बाजाँ”
“you have read holy books but not learnt compassion
What is the use if you have not implemented the scriptures
What is the use of your crying hoarse the Lord’s name
All this false facade (of not sincerely devoting yourself to Lord) you have created, you will realise the folly & consequences once you are caught (फंसी हथ) by the vultures (बाजाँ ) of Yamraj (जे चिड़ी फंसी हथ बाजाँ)"
“मन वे के जात किसे नहीं पुछनी
ओथे अमला दे होन गे नबेड़े,
समझ मन मेरे, भजन कर गोविंदा”
“O foolish mind, nobody is going to ask your birth heredity (मन वे के जात किसे नहीं पुछनी)
There (at Yamraj’s place), only what you practiced is considered paramount (,i.e., whether you loved Lord or not) (ओथे अमला दे होन गे नबेड़े, (अमला =practices followed by you, नबेड़े =final decisions)
Therefore, devote yourself O mind, to Lord & sing His glories (समझ मन मेरे, भजन कर गोविंदा)”
“काहे कृष्ण भजत नहीं नींके, मनुष्य को तन पाए, भजो बृजनाथ को”
“why have not devoted lovingly to Lord Krishna even after getting human birth”