https://www.youtube.com/watch?v=juWmPcym5dg
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Jagadguru Shri Kripalu Ji Maharaj Pravachan Part 15.mp4
0.0 ब्रह्मसूत्र, वेद, उपनिषद सबका सार केवल "श्रीमद भागवत" में है
1.01 जैसे सब नदियों में सर्वश्रेष्ठ और पूज्य नदी गंगा है
1.11 जैसे सब देवताओं में, श्रीकृष्ण ही सर्वश्रेष्ठ और पूज्य हैं
1.19 जैसे सब वैष्णव भक्तों व संतों में श्री शंकर सबसे बड़े हैं
1.26 ऐसे ही सब ग्रंथों में, पुराणों में सर्वश्रेष्ठ और पूज्य और सर्व
और वेदांतों का भी सार है "श्रीमद भागवत", इसके जान लेने के
बाद कुछ भी और जानना आवश्यक नहीं रह जाता
2.36 और इस भागवत को सुना रहे हैं सुखदेव परमहंस
2.57 सुखदेव श्री वेद व्यास जी के लड़के है - ये माँ के पेट में 12 साल तक पड़े रहे, बाहर निकले ही नहीं, क्यों नहीं निकले - क्योंकि माया लग जाएगी
3.20 जब आप पेट में होते हैं तो भगवान आपको ज्ञान देते हैं, आप भगवान से प्रार्थना करते हैं कि हे भगवान: मुझे इस नर्क से निकालो, अब आप ही का भजन करेंगे और कुछ नहीं करेंगे
3.39 और जब बाहर निकले, पैदा हुए, तो उस कष्ट के दौरान सब ज्ञान भूल गया
4.10 वेद व्यास ने सुखदेव से पूछा कि तुम कौन हो, 12 साल से अपनी माँ पिंजला के पेट में पड़े हो (The child remained in the womb of his mother for twelve years, and when the father asked the son to come out, the son replied that he would not come out unless he were completely liberated from the influence of māyā. Vyāsadeva then assured the child that he would not be influenced by māyā)
4.19 सुख देव जी ने कहा कि मैं 84,00,000 योनियों में अनन्त बार घूमा हूँ, वेद व्यास जी को सुखदेव के ज्ञान ने अचम्भित कर दिया और उन्होंने सुखदेव को वर दिया कि बाहर आ जाओ आपको माया नहीं लगेगी
4.46 सुखदेव जी निकले माँ के पेट से और चल दिए जंगल की तरफ पूर्ण समाधि की अवस्था में क्योंकि माया तो उनको लगनी नहीं थी
5.49 आगे जा रहे हैं सुखदेव परमहंस और पीछे आ रहे हैं उनके पिता श्री वेद व्यास: पुत्र, रुको, रुको
6.25 मगर सुखदेव रुके नहीं वो परमहंस अवस्था में थे, परमहंस यानी इन्द्रियां पूरी तरह से नियंत्रण में हो
7.02 रास्ते में देवांगनाएं (अप्सराएं, fairies) बिना कपड़ों के स्नान कर रही थी सरोवर में, सुखदेव तो आगे चले गए मगर वेदव्यास पीछे आ रहे थे उन्होंने अपसराओं को देखा और धिक्कारने लगे कि ये बिना वस्त्र के क्यों नहा रहीं हैं पाप लगेगा क्योंकि ये वरुण देवता का अपमान है
7.34 और वेदव्यास को देखते ही उन अपसराओं ने कपड़े पहन
लिए, तो वेद व्यास ने कहा मेरा लड़का आगे गया तब तो आप ने
कपड़े नहीं पहने और मुझ बूढ़े के सामने पहन लिये
8.27 अपसराओं ने उत्तर दिया की आप हंस हैं और आपका बेटा परमहंस है, हंस माने जो ये तो जाने कि क्या अच्छा है क्या बुरा है और अच्छे को ही पकड़े, बुरे को नहीं पकड़े, सभी महापुरुष हंस अवस्था में तो रहते ही हैं मगर परमहंस की अवस्था में कभी कभी जाते हैं, और परमहंस केवल सब जगह भगवान को ही देखते हैं
10.05 ऐसे ही सुखदेव है भागवत के वक्ता और श्रोता कौन है परीक्षित
10.22 परीक्षित जब माँ के पेट में थे अब अश्वत्थामा ने इन पर ब्रह्मास्त्र चला दिया था और गर्भ में ही मार दिया था मगर श्री कृष्ण ने इन्हें पुन: जीवित कर दिया था गर्भ में ही,
और श्रीकृष्ण ने दर्शन दिया परीक्षित को गर्भ में ही (Parikshit was born to Uttara and Abhimanyu (son of Arjuna). He was the grandson of Arjuna and he was saved by Lord Krishna in the womb of his mother, when Ashwaththama directed Brahmastra on him)
10.54 जब परीक्षित पैदा हुए तो सब में ढूंढ रहे थे वो इतना सुन्दर बालक जो गर्भ में देखा था - इसलिए उनका नाम परीक्षित पड़ा
11.23 वो परीक्षित जिनके बारे में बहुत बड़े बड़े ऋषियों ने युधिष्ठिर को बताया था की परीक्षित की शक्तियां और योग्यताएं अद्भुत होंगीं, श्री ब्रह्मा, विष्णु, शंकर के सामान, वो परीक्षित भागवत सुन रहे हैं, वो अधिकारी है श्रीमद भागवत सुनने के
12.0 बड़ा आश्चर्य हुआ सनकादिक परमहंसों को कि सुखदेव ने
भागवत सुनाया कैसे, उन्होंने सूत जी से कहा कि हमारी बुद्धि ये
नहीं मानती, सुखदेव तो सुन भी नहीं सकते, पढ़ भी नहीं सकते, तो सुनाएंगे कैसे
13.45 18,000 श्लोक वाली श्रीमद भागवत कैसे सुना दी सुखदेव ने
14.11 सूत जी ने उत्तर दिया: माया से परे और आत्मा में रमण करने वाले परमहंस भी श्रीकृष्ण की लीला, श्रीकृष्ण के दर्शन पाकर भूल जाते हैं अपनी समाधि को और श्रीकृष्ण के दास बन जाते हैं
14.40 श्रीकृष्ण में ऐसे गुण हैं, ऐसा आकर्षण है, तभी तो इनका नाम पड़ा श्री कृष्ण, कृष्ण बना आकर्षण से, अपनी तरफ खींचने वाला
14.49 श्रीकृष्ण अपनी सुंदरता पर स्वयं मोहित हो जाते हैं
15.33 एक कारण और है कि सुखदेव जी को पूर्व जन्म में व्यसन था, संस्कार था, श्रीकृष्ण की कथा सुनने का
15.09 सुखदेवजी परमहंस जब जंगल गए थे तो एक काष्ठ (लकड़ी की तरह posture) समाधि में लीन हो गए, तो श्री वेद व्यास के कहने पर उनके शिष्यों ने श्रीकृष्ण केशृंगार का वर्णन किया सुख देव जी के कान में तो सुखदेव समाधि से बाहर आ गए हौ और पूछा शिष्यों से कि भगवान इतने सुंदर वो हैं तो कैसे मिलेंगें, और फिर समाधि में चले गए
19.06 श्री वेद व्यास के कहने पर उनके शिष्यों ने श्रीकृष्ण की परम दयालुता का वर्णन किया, पूतना का किस्सा बताया कि वो अपने स्तनों पर जहर लगाकर, उनको मारने की मंशा से गई थी, मगर उसे भी अपना लोक दे दिया क्योंकि पूतना ने अपना स्तन श्रीकृष्ण के मुँह में डाला, इसलिए श्रीकृष्ण ने उन्हें अपनी माँ का दर्जा दिया