Saturday, May 15, 2021

जहां ले चलोगे वहीं मैं चलूंगा vinod Agarwal ji

जहां ले चलोगे वहीं मैं चलूंगा


जहां ले चलोगे वहीं मैं चलूंगा

जहां नाथ रख लोगे, वहीं मैं रहूँगा


यह जीवन समर्पित चरण में तुम्हारे

तुम्ही मेरे सर्वस तुम्ही प्राण प्यारे

तुम्हे छोड़ कर नाथ किससे कहूँगा

जहाँ ले चलोगे वहीं मैं चलूँगा


ना कोई उलाहना, ना कोई अर्जी

करलो करालो जो है तेरी मर्जी

कहना भी होगा तो तुम्ही से कहूँगा

जहाँ ले चलोगे वहीं मैं चलूँग


दयानाथ दयनीय मेरी अवस्था

तेरे हाथ अब मेरी सारी व्यवस्था

जो भी कहोगे तुम, वही मैं करूँगा

जहाँ ले चलोगे वहीं मैं चलूँगा


vinod Agarwal ji

https://youtu.be/P_mHQ-MlczE?t=43

Standby link (in case youtube link does not work):

Jahaan Le Chaloge जहाँ ले चलोगे (BHAJAN) By - Shri Vinodji Agrawal - (Kannauj U.P.).mp4

&

https://youtu.be/XmT8XI1Kh9w?t=11


Chitra Vichitra ji

https://youtu.be/Y0ZTIqDOABc?t=207

 

Devkinandan Thakur Ji

https://www.youtube.com/watch?v=Yi3msDuMqtg

 

Nikunj Kamra ji

https://youtu.be/DIGq89KoBmc?t=21

 

Devi Chitralekhaji

https://www.youtube.com/watch?v=wlbAEVcwkUU

 

Gaurangi Gauri Ji

https://www.youtube.com/watch?v=GFhnNepEZKU

 

Indresh ji

https://youtu.be/d5ZHWUh_oBM&t=0

 

Rajan ji

https://www.youtube.com/watch?v=F7eqhwuSc6w

 

Prakash Gandhi ji

https://youtu.be/iuM3n--kUu8?t=12

 

Prembhushan ji

https://youtu.be/QG092alDxUc?t=41

 







Thursday, May 13, 2021

Vinod Agarwal Bhajan lyrics हरि मैं जैसो तैसो तेरो hari main jaiso taiso tero

 Vinod Agarwal Bhajan lyrics


hari main jaiso taiso tero

हरी मैं जैसो तैसो तेरो , राख शरण गिरिधारी प्यारे
तन भी तेरो मन भी तेरो, मैं चरणन को चेरो ,हरी मैं जैसो तैसो तेरो
दिन भी भूलूँ, रैन भी भूलूँ, भूल जायूँ जग सारा ,
तुम्हें भूलूँ ,कुंवर कन्हैया , तुम्हें भूलूँ सेठ सांवरिया ,चाकर दास तुम्हारा
मैं तो बिना दाम को चेरो ,तन भी तेरो मन भी तेरो, मैं चरणन को चेरो ,

तेरी रहमतों पे मेरे गुनाहों को नाज़ है , बंदा हूँ, जानता हूँ की तू बंदा नवाज़ (सेवक और भक्तों पर दया करने वाला, ईश्वर, बंदों पर कृपा करने वाला) है
पापी इतने पाप कर नहीं सकता, कि तेरी करुणा की नज़र पल में सब पापों को भस्म कर सकती है

मेरो चलन मत देखो रूठियो ,मोपे कृपा निधान, या ही पल जो दीन को, सुनिए रस की खान , सरसता मोपे डारो , दूजो ही मैं नाथ, अधम हूँ दास तिहारो
ज्ञान ध्यान कछु कर्म धर्म नहीं, मेरे  भरा हिये में खोट, सार जानूं नाम की ,मोहे करो कृपा की ओट
हरी जी मैं विषय रत अन अधिकारी , काम क्रोध को मैं  दास ,संभालो मोहे बांके बिहारी

तुम निर्बल के बल सुनी नाथ मैं ,तेरे दर पे आया,
तेरी कृपा हो तो सफल बनें ये काया ,नष्ट हो पाप ताप सब मेरो ,तन भी तेरो मन भी तेरो, मैं चरणन को चेरो

आशा और विश्वास कहे कि होगा दर्श तुम्हारा , पगला मन फिर काहे डोले, जो है श्याम सहारा हरी ,
अमर हो जनम जनम को फेरो ,तन भी तेरो मन भी तेरो, मैं चरणन को चेरो

जानू नहीं पूजा पाठ सेवा भाव विधि निषेध, प्रेम भक्ति ह्रदय नहीं, ही कर्म सुख सार है
संत पद सेवयो नहीं, गयो नहीं तीर्थ माहीं, यज्ञ दान तपो नाहीं , ही ज्ञान को विचार है , पापी हूँ कुचालि हूँ, अधम हूँ नीतारो नीच ,मोमे एक ही नहीं है गुण, अवगुण हज़ार हैं
श्याम भव तरण हेतु और उपाय कछु ,दीनबंधु एक तेरे नाम को आधार है

हरी मोहे परखिये नाहीं, हम परीक्षा योग्य तुम्हारे ,समझो यही मनमानी
पाप में जन्में ,पाप ही में सगरो जन्म सिरहानयो ,तुम सन्मुख फिर न्याय तुला पे कैसे कह ठहरानयो
दीनबंधु दीनवत्सल करुणामय भव भय हारी , देखि दुखी हरी चंद ही कर, गहि वेग लियो उभारी
हरी मैं जैसो तैसो तेरो

https://www.youtube.com/watch?v=7TfRG-HUQ3M&t=8s