Guru : Importance & Significance
"ज्ञान ध्यान कुछ कर्म न जाना , सार न जाना तेरी”
I am not aware of any ज्ञान (wisdom), nor am I meditating (ध्यान)
nor do I do any satkarm (pious deeds)
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“सब तो वड्डा सद्गुरु नानक, जिस कल राखी मेरी”
BUT even then, my Guru is the greatest (सब तो वड्डा) as he protected me yesterday & will protect me tomorrow also, simply because I love Him & so He reciprocates my love.
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"यह ससार कांटो की बाड़, उलझ उलझ मर जाना है
यह संसार कागज की पुड़िया, बूँद पड़े घुल जाना है
कहत कबीर, सुनो भाई साधो
सतगुरु नाम ठिकाना है, सतगुरु नाम ठिकाना है"
This world is a mesh of thorns (कांटो की बाड़) in which we all are going to perish (मर जाना है) all entangled up (उलझ उलझ).
And also this world is like a paper boat (कागज की पुड़िया) which will dissolve itself by a mere drop of water (बूँद पड़े).
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The only solace is Guru which can safely protect & make us reach our eternal blissful Home (ठिकाना है)(Lord's personal abode)
"गुरु बिनु भवनिधि तरई न कोई
जो बिरंचि संकर सम होई"
संत शिरोमणि गोस्वामी तुलसीदास ने रामचरितमानस में कहा कि चाहे सृष्टि के रचयिता ब्रह्मा (बिरंचि) हों या भगवान शंकर (संकर) हों, गुरु के बिना कोई भी जीवन में सफल नहीं हुआ है।
Without the help of Guru, none has been able to cross (तरई न कोई) this world of nescience (भवनिधि) - even if he be (सम होई) Lord Brahma (बिरंचि) or Lord Shankar
"गुरु को मानुष जानते
ते नर कहिए अंधे"
"Whoever considers Guru as an ordinary person, is blind".
"जो बात दवा से ना बन सके
वो बात दुआ से होती है
मुरशिद काबिल मिल जाए
तो बात खुदा से होती है "
(मुरशिद ,i.e., Guru, काबिल = capable)
"When the medicine fails, prayer succeeds
and
when you find a true Guru, you are able to talk to Lord"
“संत सभई गुरु देव हैं”
जिसके हृदय में भगवत प्रेम प्रकट हुआ है
वह आराध्य है वह प्रेम प्रदान करने वाला होगा
All saints (संत सभई) are Gurus - whoever has kindled love of Lord in his heart, he would give (प्रदान) love & is worthy of worship (आराध्य).
"भक्त, भक्ति, भगवंत, गुरु, चतुर नाम वपु एक
इन के पद वंदन किये नासत विघ्न अनेक"
भक्ति भगवान है और भगवान को भी बांधने वाली है
“Devotee (भक्त), Devotion (भक्ति), God (भगवंत), Guru (गुरु) ” – चतुर (all four) are same
(वपु =bodily,रूप), वंदन (worship), नासत (destroy), विघ्न (hurdles)
"गुरुर्ब्रह्मा ग्रुरुर्विष्णुः गुरुर्देवो महेश्वरः
गुरुः साक्षात् परं ब्रह्म तस्मै श्री गुरवे नमः ॥"
गुरु ब्रह्मा है, गुरु विष्णु है, गुरु शंकर है
गुरु साक्षात् परब्रह्म है; उन (तस्मै) सद्गुरु को प्रणाम ।