IMPORTANCE OF LOVINGLY SERVING GOD
नारद जी भगवान (नारायण) के पास पहुंचे एक बड़ी सुंदर पुस्तिका देखी
भगवान से पूछा यह क्या है
भगवान ने उत्तर दिया इसमें उन भक्तों के नाम है जो मेरा भजन करते हैं
नारद ने कहा तो हमारा नाम भी होगा भगवान ने कहा देखिए,
खोली पुस्तक - सबसे पहले नारद जी का नाम
नारद जी महाजन है परम भागवत है,भक्ति के सर्वश्रेष्ठ आचार्य हैं
जीव के कल्याण के लिए भक्ति का सांगोपांग (bhakti explained thoroughly) वर्णन सर्वप्रथम नारद जी ने किया है
इसलिए उनका नाम सबसे पहले था तो बहुत प्रसन्न हो गए
उलट-पुलट सब देखा पुस्तक में हनुमान जी का नाम कहीं नहीं है
हनुमान जी का नाम नहीं है कहीं प्रभु - भगवान बोले हनुमान जी से पूछो
हनुमान जी बैठे थे कहीं राम कथा में, राम कथा हो रही थी, छिपाए अपने रूप को एक कौड़ी के भेष में, कथा सुन रहे हैं
पूछने पर हनुमान जी ने कहा कि हम इसलिए थोड़ी भजन करते हैं कि हमारा किसी पुस्तक में नाम हो
नारद जी फिर नारायण के पास पहुंचे
वहां एक और सुंदर भव्य (divine) पुस्तिका देखी
पूरी उलट-पुलट कर पुस्तिका पूरी देख ली, उसमें फिर कहीं नाम नहीं हनुमान जी का
भगवान ने कहा कि प्रथम पृष्ठ आपने देखा ही नहीं
उन्होंने प्रथम पृष्ठ देखा तो हनुमान जी का नाम सबसे ऊपर, केवल एक ही नाम
नारद जी ने प्रभु से पूछा प्रभु इस पुस्तिका में कौन से भक्तों की सूचिका है
नारायण ने कहा कि इसमें उनकी सूचना है जिनका भजन हम करते हैं, जो मुझे प्रिय है
देखिए श्री हनुमान जी केवल अपनी सेवा के बल से किस श्रेणी में पहुंच गए कि भगवान के हृदय के स्वामी हो गए
“राम दुआरे तुम रखवारे, होत ना आज्ञा बिनु पैसारे”
Once Narada ji went to God and saw a beautiful book kept next to God.
On asking about this book, God told Narada that it is the list of devotees who sing His bhajans.
On exploring the book, Narada found his name on the top of the first page as Narada is forever ever chanting Lord’s name.
Naturally he was elated. But he was puzzled too why Hanuman ji's name was not there in that book.
On enquiry, God told Narada to ask Hanuman ji himself.
So Narada went to Hanuman ji who was sitting in a Ram katha disguised as a leper at the back so that none could recognise him.
Narada asked about the book with God.
Hanuman ji replied that he is not concerned about his name appearing in any book & that he simply loves God for God’s sake.
Not satisfied with the answer Narada went to God again, then he saw another lovely book kept near God.
On query, God offered him the book to browse.
And in that book, Narada found Hanuman ji’s name at the top of the first page.
On asking what does this book contain, God said this is the list of devotees for whom God Himself sings bhajans.
Imagine the status achieved by Hanuman ji on the strength of seva to God that he is made to sit in God’s heart.