WHEN WE BECOME THANKFUL FOR EACH LITTLE THING – IS WHEN WE ATTRACT LORD LIKE A MAGNET
क्यों भारत भूमि श्रेष्ठ है
कैसे, किस प्रकार यह स्वर फूटा होगा किसी संत, किसी ऋषि, किसी मनीषी के हृदय में
कि भाई, सब सुखी हो जाएं
सबसे पहले वह स्वयं सुखी हुआ होगा
पूर्णरूपेण भर गया होगा उसके रोम-रोम में सुख
तभी उसने गाया होगा:
“सुख पाया, सुख पाया, रहम तेरी सुख पाया”
भर गया होगा उस ह्रदय में पहले सुख
तृप्त हो गया होगा वह मन, तब सिर झुका होगा तब उसने गाया होगा
“मेहरबान, मेहरबान, साहिब मेरा मेहरबान”
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छोड़ दे हम बाकी सारी बातें
एकमात्र उद्देश्य, to be very precise, जिसको किसी लाग लपेट की आवश्यकता नहीं है वह एकमात्र उद्देश्य है
जब आप तृप्ति का अनुभव कर लें जीवन में, मन से, ईमान से,
या आपका धर्म आपको कहे कि “बस, बहुत कुछ पा लिया”,
जब जीवन में “अहो भाव” जगे
(अहो भाव = grateful feeling)
जब जीवन में धन्यवाद का भाव आ जाए