मेरा आप की कृपा से, सब काम हो रहा है
करते हो तुम कन्हैया, मेरा नाम हो रहा है
पतवार के बिना ही, मेरी नाव चल रही है
हैरान है ज़माना, मंजिल भी मिल रही है
करता नहीं मैं कुछ भी, सब काम हो रहा है
(पहले दया से, फिर कृपा से... क्या अंतर है? विनोदजी ने समझाया की दया होती है और कृपा की जाती है. उधाहरण के रूप में विनोदजी कहते है की
दया AK-47 rifle की तरह है, सब तरफ बरस रही, जिसको लगी लगी. लेकिन कृपा तो Revolver की तरह निशाना लगा कर की जाती है)
तुम साथ हो जो मेरे, किस चीज़ की कमी है
किसी और चीज़ की अब दरकार ही नहीं है
मैं तो नहीं हूँ काबिल, तेरा प्यार कैसे पाऊँ
टूटी हुई वाणी से, गुणगान कैसे गाऊं
करता नहीं मैं कुछ भी, सब काम हो रहा है
(विनोद जी कहते ही की उसके साथ का मतलब क्या है? वोह कोई बांसुरी बजता हुआ, पीताम्बर लहराता हुआ सामने थोड़े ही आ जायेगा. यह तो आग्रह है, यह ही हमारे मिलन में बाधक बन जाता है. इस आग्रह को भक्ति में दुराग्रह भी कह देते है. उसको आना किसी और रूप से था लेकिन जब हमने अपना आग्रह रख दिया, तो वो कहता है की जब मौका लगेगा तभी आऊँगा
अवतार वाद से पूरी बात नहीं बनती.
अवतार में भगवन भक्तो को जीवन जीने का तरीका बताते है.
अगर उनको अपने अवतार में इतना कुछ सहना पड़ा तो हमारी औकात ही क्या.
क्या वो अपने संकल्प मात्रा से हे सब संकट और बाधाएं दूर नहीं कर सकते है.
लेकिन उन्होंने समझाया है
अगर हम परेशानी में हो, और किसी बात से हमारा काम बन जाए तो समझना की वो इश्वर की कृपा ही थी.
ऐसे अवसर पर हम अपने पुरुषार्थ को, दूसरे के एहसान को ही मान लेते है. लेकिन अगर हम इश्वर की कृपा को मान लें, तो वोह अनुभव द्रढ़ हो जाएगा और हमें आगे लेता जाएगा
Vinod Agarwal Bhajan lyrics
https://www.youtube.com/watch?v=Ezhdk82sR1Y