Friday, October 30, 2020

IS GOD EASILY AVAILABLE? YES #Blog0039


Is God easily available? Yes


Arjun asked Krishna

"हे माधव, क्यों इतना कठिन है आपको पाना?

God replied "अर्जुन, मुझे पाना कठिन नहीं है, मुझे चाहना कठिन है.

जीव मुझे इसलिए नहीं पाता, क्योंकि वो मुझे चाहता ही नहीं ,वो मुझसे कुछ चाहता है मगर मुझे नहीं चाहता

जो व्यक्ति मुझे चाह लेता है, मैं उसके लिए सुलभ हो जाता हूँ"


"दुनिया पर विश्वास हो तो वो भी अंध है 

भगवान पर अंध विश्वास भी हो तो निश्चित सफल है" 


“IF YOU TRUST ANYONE IN THE WORLD, IT IS A BLIND FAITH ONLY

 

BUT IF YOU BLINDLY TRUST LORD, IT WOULD LEAD YOU TO AN ASSURED & ETERNAL BLISSFUL REST”

 

कहते हैं कि भक्ति करना किसी दुर्बल व्यक्ति का कार्य है

सरासर गलत है

 

जो व्यक्ति केवल so called “अंध विश्वास” पर, भगवान को बिना देखे, परखे, पहचाने, समझे, भूजे अपना पूरा जीवन दांव पर लगा दे

 

& he “surrenders” himself completely to Lord as suggested by Lord Himself in Gita, वो तो एक दुर्बल नहीं, एक सूरमा (very exceptionally brave) & अत्यंत भाग्यशाली (extremely fortunate) व्यक्ति का कार्य है भाई

as Lord Himself says :

 

बहुनाम जनमानम अंते, ज्ञानवान मम प्रपद्यंते” 

Gita Shloka 7.19 < click to read

Video 1 < click to Listen

Video 2 < click to Listen

AFTER MANY, MANY BIRTHS, ONE WHO IS ACTUALLY ADVANCED IN INTELLIGENCE SURRENDERS UNTO THE SUPREME LORD.         

WITHOUT THE SURRENDERING PROCESS, ONE CANNOT ACHIEVE LIBERATION.

Gita shloka 7.19 also implies that we take God as everything:

त्वमेव माता च पिता त्वमेव
त्वमेव बन्धुश्च सखा त्वमेव
त्वमेव विद्या च द्रविणं त्वमेव
त्वमेव सर्वम् मम देवदेवं

त्वमेव = You only (are), माता =my mother, पिता = my father, बन्धु = my brother, सखा = my friend, विद्या = my knowledge (ज्ञान), द्रविणं = my wealth, सर्वम् = my everything, देवदेवं = Highest of all devas

meaning of this shloka < click to read


Lord again says: "मामेव ये प्रपद्यन्ते, मायामेतां तरन्ति ते"

Gita Shloka 7.14 < click to read

video 3 < click to listen

क्योंकि यह अलौकिक (divine leela/maya) अर्थात् अति अद्भुत त्रिगुणमयी (comprising three modes of nature) 

"मेरी माया बड़ी  दुस्तरम (difficult to cross) है; परंतु जो पुरुष केवल मुझको ही निरन्तर भजते हैं, वे इस माया को पार कर जाते हैं अर्थात् संसार से तर जाते हैं "


"ONE WHO SURRENDERS (प्रपद्यन्ते) TO ME (मामेव), (HE- ते) SURELY CROSSES (तरन्ति) THIS OCEAN OF MY MAYA (मायामेतां)”

For attaining Lord, you do not have to do anything... 

संसार को पाने के लिए तो कितनी मेहनत है भगवान को पाने के लिए कुछ नहीं करना

(listen to Kripalu ji maharaj) 

video 4 < click to listen


यदि आप यह realise कर लें कि भगवान हमेशा आपके साथ हैं आपके अंदर बैठे हैं, साकार हैं ,i.e., He has a Personal Form - तो हो गई भगवत प्राप्ति और कुछ करना नहीं है

video 5 < click to listen


a devotee has said:

"दिल के आईने में है तस्वीर-ए-यार बस जरा गर्दन झुकाई देख ली" अब तो ऐसा हो कि इस हृदय मंदिर में आप विराजमान हो जाएं

जब चाहे तब आपको देख लें 

video 6 < click to listen

LET US SHOW OUR DEEP GRATITUDE TO HIM BY TAKING FIRST STEP TOWARDS HIM - WE CANNOT DO ANYTHING ELSE TO REPAY OUR DEBT TO HIM AS EVERYTHING IN THE CREATION (INCLUDING WE ALL) IS HIS PROPERTY ONLY - SO THAT HE TAKES ALL THE NEXT STEPS TOWARDS US.             

LORD IS EXTREMELY KIND & PATIENT – HE SIMPLY WAITS & WAITS FOR A BEING TO TAKE 1ST STEP TOWARDS HIM & THEN HE DOES THE REST.

BUT HOW UNFORTUNATE WE TURN OUT TO BE BY NOT EVEN TAKING ONE STEP TOWARDS HIM.  


Another important point is that Krishna and His spoken words in Gita are you "non different" ,i.e., if you read Gita or Srimad Bhagavatam, you are directly associating with God.

video 7 < click to listen 


SO, GOD IS EASILY AVAILABLE - IT STARTS SIMPLY WITH DESIRING HIM & CONSEQUENTLY SURRENDER TO HIM.