Thursday, November 19, 2020

SURRENDER COMPLETELY TO GOD WITHOUT ANY EXPECTATION #Blog0047


SURRENDER  COMPLETELY TO GOD WITHOUT ANY EXPECTATION      

निष्काम भाव से  सम्पूर्ण  समर्पण   
 

अब सौंप दिया इस जीवन का,   सब भार तुम्हारे हाथों में

है जीत तुम्हारे हाथों में और हार तुम्हारे हाथों में॥           

मेरा निश्चय है बस एक यही, एक बार तुम्हे पा जाऊं मैं

अर्पण करदूँ दुनिया भर का सब प्यार तुम्हारे हाथों में॥           

 

 

जो जग में रहूँ तो ऐसे रहूँ, जैसे जल में कमल का फूल रहे

मेरे सब गुण दोष समर्पित हों, करतार तुम्हारे हाथों में॥           


यदि मानव का मुझे जन्म मिले तो, तेरे चरणों का पुजारी बनूँ

 इस पूजा की एक एक रग का हो तार तुम्हारे हाथों में॥           


जब जब संसार का कैदी बनू, निष्काम भाव से कऱम करूँ

फिर अंत समय में प्राण तजूं, निराकार तुम्हारे हाथों में॥           

 

मुझ में तुझ में बस भेद यही मैं, नर हूँ तुम नारायण हो

मैं हूँ संसार के हाथों में, संसार तुम्हारे हाथों में॥