WHOEVER IS BEAUTIFUL AND KNOWS THAT HE IS BEAUTIFUL WOULD LIKE TO SEE THE MIRROR, NOT OTHERWISE
जो सुंदर व्यक्ति है और जिसे खबर है कि मैं सुंदर हूं
उस व्यक्ति को दर्पण देखना अच्छा लगेगा
जो व्यक्ति भीतर से स्वस्थ है, प्रसन्न है
उस व्यक्ति को विचार करना अच्छा लगेगा, उस व्यक्ति को आत्म चिंतन सुख देगा
whoever is beautiful and knows that he is beautiful, who is healthy & happy inside, would like to see the mirror
लेकिन जो भीतर से अभी स्वस्थ नहीं हुआ, जिसका मन रोगी है, जिसमें राग है द्वेष है, ईर्ष्या है, मद मात्सर्य भरा है अहंकार है, वह जब आत्म चिंतन करेगा...
आप सब से झूठ बुलवा सकते हैं आप दर्पण से झूठ नहीं बुलवा सकते, दर्पण कभी झूठ नहीं बोलता
आपका मन आपके सामने सत्य रखेगा, आत्म चिंतन में पढ़ेंगे तो आपका अनुभव सुखद नहीं होगा
लेकिन हमें उस दुखद अनुभव से जूझना होगा
But one who is weak inside, who has attachments and hate inside him, has jealousy, pride & envy ; when he tries to introspect, he would not have a pleasant experience initially because the mirror does not lie but continuous sincere effort will purify his heart inside & make him eligible for God’s devotion.