Tuesday, April 13, 2021

Vinod Agarwal Bhajan lyrics ना दौलत से, ना दुनिया से ना घर आबाद करने से तसल्ली दिल को मिलती है खुदा को याद करने से #blog0108



https://youtu.be/QrSLreGLimg?t=55
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https://youtu.be/Ks5YfewdFXs&t=75

ना दौलत से, ना दुनिया से ना घर आबाद करने से 

तसल्ली दिल को मिलती है खुदा को याद करने से  

BLISS IS NOT OBTAINED FROM MONEY, NOR FROM SELFISH NOURISHMENT OF FAMILY BUT HAPPINESS IS A CONSEQUENCE OF REMEMBERING LORD

 

वह दिल ही नहीं जिस दिल में कभी सांवरिया तेरी याद ना हो

THAT CANNOT BE CALLED A HEART WHEREIN THERE IS NO REMEMBRANCE OF YOU  

 

वह याद नहीं जिसमें तुझसे कुछ लुत्फ़ भरी फरियाद ना हो

THAT CANNOT BE CALLED A REMEMBRANCE WHEREIN THERE IS NO SWEET WISH ASKED FOR FROM YOU

 

फरियाद भी वो क्या जिसमें हो न चाह तुझसे मिलने की

THAT CANNOT BE CALLED A SWEET WISH WHEREIN THERE IS NO EAGERNESS TO MEET YOU

 

वह चाह नहीं जिसमें कि तेरे आशिक का घर बर्बाद ना हो

THAT CANNOT BE CALLED AN EAGERNESS WHEREIN THERE IS NO DISTURBANCE IN MY HOME

 

बर्बादी भी वो क्या जिसमें कुछ रुसवा ना सरे बाजार हुए

THAT CANNOT BE CALLED AN DISTURBANCE OF HOME WHEREIN YOU ACTUALLY DO NOT GET SCORNED

 

(प्रेमी हो और उसकी बदनामी ना हो कैसे संभव है, लेकिन वह प्रेम क्या कि बदनामी के डर से कदम पीछे हट जाएं)

 

रुसवाई ही वो क्या जिसमें कोई जोशे जनूँ आबाद ना हो

THAT CANNOT BE CALLED A SCORN WHEREIN THERE IS NO FURTHER ENTHUSIASM GENERATED (TO MEET YOU)

 

(जितनी जितनी बदनामी बढ़ती जाती है प्यार परवान (ROCKETS UP) चढ़ता जाता है, और भी उमंग और भी तरंग बढ़ती जाती है, कि जो होना था सो तो हो गया, अब किस बात की शर्म, आप कैसा शील (MODESTY), कैसा संकोच (DOUBT), कैसी मर्यादायें (LIMITATIONS), कैसी परंपराए (TRADITIONS), कैसी मान्यताएं (BELIEFS)

 

 वो जोशे जनूँ भी क्या जिसमें, कुछ बिंदु ना आंखों से टपकें

THAT CANNOT BE CALLED AN ENTHUSIASM WHEREIN THERE ARE NO TEARS SEEN IN YOUR EYES

 

 वह बिंदु भी क्या जिसमें उल्फत दरिया की लहर इजात ना हो (उल्फत=LOVE, उल्फत = INCREMENTED)

THAT CANNOT BE CALLED A TEAR WHICH DOES NOT ADD UP TO MAKE A RIVER

 

(COURTESY : SH VINOD_AGARWAL bhajan )         


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