मरने के बाद किसको मनुष्य शरीर अवश्य मिलेगा और किसको नहीं - who will get the human birth again or not ?
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उसको मरने के बाद मनुष्य शरीर अवश्य मिलेगा - Jagadguru Shree Kripaluji Maharaj Pravachan.mp4
0 कर्म कोई भी हो बुरा (पाप) या अच्छा (पुण्य), दोनों ही बंधन में डालते हैं
1.53 वेदों में 80000 रिचाएं (श्लोक) वर्णाश्रम धर्म का निरूपण (detail) करती हैं 16000 रिचाएं उपासना का वर्णन करती है, 4000 रिचाएं ग्यान का
3.56 पुण्य कर्म करने से स्वर्ग मिलता है
4 17 लेकिन स्वर्ग भी माया जैसा ही लोक है जैसे दुख यहां पर है वैसे वहां भी हैं
4 32 सिर्फ standard ऊपर है जैसे संसार का भिखारी और खरबपति - उन दोनों में अंतर दिखाई पड़ता है, fact में नहीं है
4 52 जो आनंद गाय को हरी घास में मिलता है वही आनंद हम लोगों को रसगुल्ला में मिलता है आनंद में अंतर नहीं है - देखने में केवल अंतर है
5 19 जैसे आप बच्चे से लाड करते हैं चुम्मा करते हैं, वैसे ही गाय भी करती है कोई अंतर नहीं है, केवल अंतर दिखाई पड़ता है
5.48 ऐसे ही स्वर्ग और संसार में केवल दिखने का अंतर है, उनका (स्वर्ग में) शरीर बहुत चमकदार होता है, खुशबू निकलती है उसमें पसीना नहीं आता, मल मूत्र नहीं होता, उस शरीर में - लेकिन मन जैसे आपका वैसे ही उनका
6.18 जैसे आपकी वासनाएं घटती बढ़ती रहती हैं, वैसे ही वहां भी
6.25 वहां भी 1 से 1 ऊपर स्तर है और अपने से ऊपर वाले को देखकर जलन होती है
6 52 जो स्वर्ग का राजा है इंद्र, वह भी उसी बीमारी से बीमार है - काम क्रोध लोभ मोह ; हमारे संसार की एक स्त्री (गौतम ऋषि की पत्नी अहिल्या) पर मोहित हो गया स्वर्ग का राजा इंद्र जहां पहले से ही उर्वशी और मेनका है
7.35 ध्रुव भक्ति कर रहे हैं भगवान की और इंद्र को जलन हो रही है, यह मेरा सिंहासन छीन लेगा, अप्सरा भेजो ध्रुव के पास उसका ध्यान भंग करने के लिए
7.59 वेद कहते हैं वह घोर मूर्ख हैं जो स्वर्ग के लिए इतनी मेहनत करते हैं, शुभ कर्म पुण्य कर्म करते हैं
8.15 बहुत परिश्रम है पुण्य करने में, यज्ञ करने में थोड़ा बहुत भी नियम में गलत हुआ तो दंड मिलेगा
8.40 जैसे नौकर ने एक दो बार चाय में चीनी नहीं डाली तो नौकर को दंड मिलता है निकाल दिया जाता है
9.12 ऐसे ही देवता लोग हैं जो मनुष्य की गलती पर सजा देते हैं पुण्य का फल तो दूर रह गया
9. 29 इसलिए वेद कहते हैं पुण्य से स्वर्ग मिलेगा कुछ समय के लिए
10.10 पाप अधिक होगा तो नर्क भेजे जाओगे कुछ समय के बाद फिर मृत्यु लोक में कुत्ते बिल्ली वगैरा की योनि में डाल दिया जाएगा
10.34 इसलिए जो मन को गुरु और हरी में लगा देगा वही कर्म बंधन को पार कर पाएगा
12.0 यदि कर्म भगवान की तरफ झुकाव वाले हुए तो मनुष्य शरीर इसी मृत्यु लोक में दोबारा मिलेगा अपनी साधना भगवान के प्रति पूरा करने के लिए - वरना 84,00,000 योनियों में किसी भी जाति में
12.30 भगवान सबके कर्मों का हिसाब (मन से किए हुए कर्म) रखते हैं और सबका अलग-अलग परिणाम होता है यानी किस योनी में कौन जाएगा
12 54 उसके कर्मों के हिसाब से भगवान किसी को नर्क, किसी को स्वर्ग, किसी को मनुष्य किसी को 8400000 योनियों में भेजते हैं
13.55 हम सब लोग सब योनियों भोग चुके हैं, बहुत दुर्लभ है और भगवत कृपा है कि मनुष्य का शरीर वापिस मिला है
14. 18 ऐसे ही नहीं मिल जाता मनुष्य का शरीर लापरवाही करने से काम नहीं चलेगा
14.26 हरि और गुरु में कितना मन लगा, आपका यदि लगा है तो मानव देह मिलना पक्का है और किसी महापुरुष के घर में जन्म होगा मगर यदि पाप कर्म भी साथ में है तो किसी नास्तिक, शराबी, कबाबी के घर में मनुष्य जन्म मिलेगा ऐसी संगत में आप फिर से पाप कर्म करेंगे और फिर 84,00,000 योनियों में जाना पड़ेगा
15.15 लाखों करोरों कर्मों का बड़ा लंबा चौड़ा बही खाता है कोई महापुरुष भी किसी व्यक्ति के बारे में कह नहीं सकता
15 26 भगवान स्वयं ही कर्मों का फल निर्धारित करते हैं
15.35 हमारा प्रयत्न यह होना चाहिए कि जितना ज्यादा से ज्यादा हो सके उतनी देर गुरु और हरी में मन लगाएं
15.48 जीवन का तो अगले क्षण का भी भरोसा नहीं है
16.16 आजकल के बच्चे पहले 6 महीने समय व्यर्थ करेंगे इधर उधर, जब परीक्षा का समय आएगा तो रातभर जागेंगे
16.40 लेकिन हमें तो पता ही नहीं है कि हमें कब ये शरीर छोड़ना पड़े, इसलिए हर क्षण का लाभ उठाएं, हरि गुण गाएं, मन हरि में लगाएं 1700 यह मन आपका दुश्मन है इसकी नहीं सुनना, जिद कर लो कि जो मन कह रहा है वह नहीं करेंगे, बहुत कर लिया मनमाना अब मन को वेद और गुरु के अनुसार नियंत्रण करना है 17:30 और यह बहाना नहीं चलेगा कि मन नहीं मानता
18.22 केवल दृढ़ संकल्प से मन को नियंत्रण करता है
18.32 शादी ब्याह में सारी रात जागतें हैं और और कीर्तन में एकदम से नींद आने लगती है यह लापरवाही है
19.05 किसी को फिक्र नहीं है कि कल हम रहेंगे कि नहीं
19.44 इसीलिए वेद कहते हैं कि कल कल कल, आगे आगे आगे मत करो, तुरंत करो - कौन जाने की अगला क्षण मिले ना मिले
20 30 और 23.01: यक्ष ने युधिष्ठिर से पूछा कि सबसे बड़ा आश्चर्य क्या है उन्होंने जवाब दिया कि सब देखते हैं कि उनके रिश्ते में, उनके संबंधों में या दूसरे लोग रोज मर रहे हैं मगर कोई यह नहीं समझता कि हमें भी मरना है यह सबसे बड़ा आश्चर्य है
24.40 यह मूर्ख मनुष्य की अंतिम सीमा है जो तुरंत सावधान नहीं होते
24.48 इसलिए अच्छे और बुरे कर्म दोनों छोड़कर गुरु और हरी में मन लगाएं यही एकमात्र तत्वज्ञान है, यही साधना है, यही बुद्धिमत्ता है