Vinod Agarwal Bhajan lyrics
dikha ke jhalak tum chup hi gaye
दिखला के झलक तुम छुप ही गये ,जी भर के नज़ारा हो न सका
दीदार हुआ एक बार मगर, दीदार दुबारा हो न सका
तूने दीवाना बनाया तो मैं दीवानी बनी
अब मुझे होश की दुनिया में तमाशा न बना
अब मैं बुद्धि जीवियों में जी नहीं पायूँगी ,क्योंकि मेरी बुद्धि का विलय हो गया है
है ये तमन्ना कि आज़ादे तमन्ना ही रहूँ, इसलिए दिले मायूस को अब और तमन्ना न बना
ये मन में मिलन की अग्नि लगाकर तुम चले गए, तुमने सोचा कि out of sight,out of mind ,no no my dear , मैं जानती हूँ कि जिसमें एक लम्बा इंतज़ार होता है, तब कहीं जाकर मोहब्बत का इकरार होता है
जितना तुम हमसे छिपते गए,उतनी ही मोहब्बत बढ़ती गयी
तुमने तो किनारा कर ही लिया,हमसे तो किनारा हो न सका
अंजाम हमें मालूम न था , भूले से मोहब्बत कर बैठे
हमने दिल भी दिया और जान भी दी ,पर तू ही हमारा हो न सका