हरि नाम नहीं तो जीना क्या HARI NAAM NAHI TO JEENA KYA
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0.0 अमृत है हरि नाम
है जगत में और इसे छोड़ विषय विष पीना क्या, हरि नाम
नहीं तो जीना क्या
1.01 भगवान का नाम
बुढ़ापे में जपेंगे, मगर क्या पता की बुढ़ापे तक जीवित रहेंगे हम
1.12 कॉल सदा अपने रस डोले, ना जाने कब सिर चढ़ बोले
1.35 हरी का नाम जपो निस-वासर (हर एक पल या हर समय), इसमें अब बरस महीना क्या, हरि
नाम नहीं तो जीना क्या
2.03 हाँ आप देखे होंगे सोमवार
को किसकी पूजा करनी चाहिए : शंकर जी, मंगलवार को :हनुमान जी की, बुधवार को हनुमान जी नहीं
मिलेंगे? बृहस्पतिवार को शंकरजी भाग जाएंगे मंदिर से, हम तो बटे ही हैं हम लोगों ने भगवान को
भी बांट दिया है
2.32 सोमवार को शंकर जी, मंगलवार को :हनुमान जी, बृहस्पतिवार
को : नारायणजी, शुक्रवार को संतोषी मैय्या,
शनिवार को हनुमानजी और शनिदेव,
यह दिन इसलिए बांटे गए थे कि कम से कम हफ्ते में एक बार तो हनुमान
जी के पास जाएगा
मगर एक सच्चे भक्त के लिए एक भगवान प्रति दिन प्रति पल बैठे हैं
3.54 तीरथ है हरि नाम हमारा, फिर क्यों फिरते मारा मारा, अंत समय
हरि नाम ना आवे, तो काशी और मदीना क्या
5.34 भूषन से सब अंग सजावे, रसना (tongue) पर हरि नाम ना आवे
6.08 साधक कहता है सब सजा लो, जाने के बाद कुछ बचेगा नहीं सब उतर
जाएगा, पूरा गहना लाद लो अब प्राण निकल गया, क्रिया क्रम बाद में होगा, घर वाले ही
बंटवारा करेंगे, नाक का हम लेंगे, कान का हम लेंगे,
हाथ का हम लेंगे, सब लड़ मरेंगे आपस में, गले में पड़ी माला को कोई नहीं पूछेगा ये
आपके साथ जाएगी
6.56 भूषन से सब अंग सजावे, रसना (tongue) पर हरि नाम ना आवे, देह पड़ी रह जाए यहीं पर, फिर कुंडल और नगीना क्या, हरि नाम नहीं तो जीना क्या