भक्ति में रस क्यों
नहीं मिल रहा है, भक्ति
में उत्साह कैसे बनाए रखें HG Ravi Lochan Prabhu
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भक्ति में रस क्यों नहीं मिल रहा है भक्ति में उत्साह कैसे बनाए रखें HG Ravi Lochan Prabhu.mp4
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इन बातों पर रोता है कि मैंने अपना जीवन व्यर्थ कर दिया भगवान का नाम नहीं लिया भगवान
के ग्रंथ नहीं पढ़े
1.02 एक व्यक्ति को पढ़ना नहीं आता था मगर
गीता सामने रखकर रो रहा था, चैतन्य महाप्रभु ने उनसे
पूछा कि क्यों रो रहे हो, कहा कि श्री कृष्ण कितने दयालु हैं किसी के लिए भी सारथी
बन जाते हैं, चैतन्य महाप्रभु ने उनसे बताया की तुम शास्त्रों का सार अच्छी तरह समझ
गए हो - ये थी एक उदाहरण सच्ची भक्ति की
3.38 नोत्पादयेद्यदि रतिं श्रम एव हि केवलम्
https://prabhupada.io/books/sb/1/2/8
अभी तक इतना करने
के बाद भी श्री कृष्ण के चरणो में रती (attraction) नहीं हुई तो सब केवल श्रम ही है (without getting attracted to Lord Krishna, rest everything is nothing but only wasteful hard labour)
4.14 गधा भी केवल मेहनत करता है और उस मेहनत
के बदले थोड़ी सी घास मिलती है उसको मालिक से घास वैसे भी free में उपलब्ध है उसको पर गधे की बुद्धि नहीं
है ऐसे ही हम भी अपनी बुद्धि का इस्तेमाल नहीं करते
5 51 इस
संसार में शुरू शुरू में सब चीजें बहुत मीठी लगती है अच्छी लगती हैं मगर धीरे-धीरे
रस जाता रहता है कम होता रहता है मगर श्री कृष्णा की मिठास हमेशा बढ़ती रहती है
6.24 शादी
में लोग कहते हैं You are my true soul mate मगर शादी के 2 महीने बाद एक दूसरे का मुंह नहीं देखना
चाहते
7 34 और हम ऐसे घोंचू लल्लू लाल हैं कि ऐसे संसार के संबंधों
में invest करते
जा रहे हैं
9.44 संसार से कुछ भी उम्मीद नहीं रखो कि आप को समझ पाएंगे
क्योंकि वे सार ग्रहीय नहीं है जो केवल एक भक्त होता है
10.21 संसार को तो यह भी नहीं पता क्या सही है क्या गलत
है मल त्यागने के बाद अपने आप को कैसे शुद्ध किया जाता है यह भी नहीं पता
10.57 worldly minded
people का संग नहीं करना
क्योंकि संसारी व्यक्ति देगा केवल संसार मगर जिसकी बुद्धि में श्री कृष्ण हैं वह आपको
देगा श्री कृष्ण