Sunday, September 26, 2021

काम, क्रोध, लोभ, व मोह से कैसे बचें? How to avoid lust, anger, greed and attachment - देवी चित्रलेखा जी

 https://www.youtube.com/watch?v=61iEYupz0iA

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Transcript

0:00

आम आदमी के अंदर

0:02

4 अवगुण पाए जाते हैं, अवगुण तो बहुत

0:08

हैं इंसान अवगुणों का भंडार है पर चार

0:11

विशेष नाम लिए जाते हैं जब भी अवगुणों की

0:14

बात आती है

0:16

एक काम

0:18

है क्रोध

0:21

लोभ और चौथा

0:23

यह मोह

0:26

कि इन चार अवगुणों की विशेष बात की जाती

0:30

है कि यह चार तो सभी में पाए जाते हैं

0:34

कुछ काम है क्रोध है लालच है और संसार के

0:38

प्रति मोह है विषयों के प्रति मोह है

0:42

है तो यह चार यह चारों जो अवगुण हैं यह

0:46

छूटेंगे कैसे हो

0:48

है और क्या भागवत इन चारों अवगुणों को

0:52

छुड़ाने के लिए सुनाई जाती है

0:55

बड़े ध्यान से सुनना है

0:58

[संगीत]

0:59

है क्योंकि

1:02

Foundation फाऊंडेशन मजबूत होगी तो बिल्डिंग भी अच्छी

1:05

बनेगी असल में हमारी सत्संग कथा भागवत

1:09

सुनने की Foundation फाऊंडेशन ही गलत है

1:13

कि हमारी नींव ही इस रूप में रख दी गई थी

1:16

कि भागवत सुनने से काम बन जाते हैं ऐसा बन

1:20

जाता है अब नींव ही गलत पड़ गई तो फिर

1:24

बिल्डिंग कहां से अच्छी बनी पहले समझ

1:26

लीजिए 

1:28

कि क्या भागवत सुनने से काम क्रोध लोभ मोह

1:32

को यह दूर हो जाएं अवगुण,  इसलिए सुनी जाती

1:36

है? नहीं

1:38

यह अवगुण दूर होना तो बड़ा मुश्किल काम है

1:42

तो भागवत क्या करेगी लिए काम क्रोध रहेंगे

1:46

आपके भीतर, लेकिन जो संसार के प्रति थे

1:50

अब वह मुड़कर के भागवत उन अवगुणों को

1:53

कृष्ण से जोड़ देगी और फिर वह गुण अपने आप

1:57

कृष्ण से जुडते ही गुण बन जाएंगे 

2:02

कैसे ?

2:04

काम यानी एक प्रकार की इच्छा

2:08

मैं

2:09

अभी अच्छा भगवान से कैसे जुड़ेगी 

2:13

काम हो इच्छा हो किसी की इच्छा हो भगवत

2:16

प्राप्ति की

2:20

श्रीमद्भागवत में जहां

2:24

रासपंचाध्याई वहां एक श्लोक आता है जब गोपियां

2:27

दौड़ी दौड़ी आ रही है श्रीकृष्ण से मिलन

2:31

के लिए जब बांसुरी सुनी है तब शुकदेव जी

2:35

ने गाया है निशम्य गीतम तधनंग वर्धनम

2:40

कैसा गीत बजाया है आज कृष्ण ने अनंग

2:44

वर्धन करने वाला काम को बढ़ाने वाला अनंग

2:48

वर्धनम

2:49

कि अब यहां यह प्रश्न हो सकता कि

2:53

कृष्ण की वेणू कृष्ण की बांसुरी काम बड़ा

2:57

सकती है कभी कामना बढ़ा सकते हो यहां काम

3:01

बड़ाया पर कैसा काम संसारी काम नहीं

3:04

कृष्ण दर्शन की इच्छा

3:07

उसको बढ़ाया गया है इसलिए शुकदेवजी ने कहा

3:10

अनंग वर्धनम

3:13

काम को बढ़ाने वाला गीत आज कृष्ण

3:16

ने गाया है,काम

3:18

यानी इच्छा इच्छा किसकी प्रियतम के

3:22

मिलन की 

3:24

तो फिर काम के बाद आता है क्रोध 

3:27

क्रोध सब के अंदर होता है

3:31

होता है कि नहीं होता है

3:36

ठीक है सा कोई सिद्ध महापुरुष यहां पर जो

3:39

हाथ उठाकर ले

3:41

की हिम्मत से कैसे के जी हां मुझे

3:43

क्रोध नहीं आता

3:46

कि हमने क्रोध को जीत लिया हे एक महात्मा

3:50

जी

3:51

40 साल हिमालय की गुफा में तप करके और तप

3:55

क्या क्रोध पर विजय प्राप्त करी


3:59

तपस्या करके आ गए बिहारी जी के मंदिर में

4:02

बिहारी जी के मंदिर तो आपको पता है इतनी

4:05

भीड़ होती है वहां कौन किसको कोई VIP वीआईपी

4:08

वीआईपी सब कोने में धरे रह जाते हैं सब

4:12

एक-दूसरे को धक्का देते हैं तो किसी का

4:14

पांव बाबा के पांव पर चड़ गया तो बाबा एक

4:16

दम गुस्से में बोले खबरदार तुझे पता नहीं

4:19

मैं कौन हूं मैं महात्मा 40 साल हिमालय 

4:23

में रहकर मैंने क्रोध पर विजय प्राप्त

4:25

क्यों तेरी यह हिम्मत तू मेरे पांव पर पांव रख रहा है


4:29

बात पर बड़ा हंसा वाह महात्मा जी 40

4:33

साल में आपने यह विजय प्राप्त करी के पांव

4:35

पर पांव धर दिया तो आप आग बबूला हुए

4:38

कहना बड़ा आसान है और क्रोध पर विजय

4:42

प्राप्त करना पड़ा बड़ा मुश्किल कार्य है

4:46

तो फिर क्या करें क्रोध 

4:50

जब भगवान से जुड़ जाएगा तो क्या होगा

4:53

वह इस फिर संसार पर क्रोध नहीं आएगा फिर

4:57

अपने आप पर क्रोध आएगा कि तू कैसे अपना

5:00

जीवन बर्बाद कर रहा है हर दिन तो अपने

5:03

व्यर्थ में गंवारा तूने अब तक भगवान की ओर

5:06

देखा तक नहीं फिर अपने आप पर क्रोध होता है

5:10

अपने आप पर हीन भावना आएगी

5:13

[संगीत]

5:14

कि कई लोग कहते मैं बस गलत होते नहीं देख

5:18

सकता बस यही नहीं सहा जाता मुझसे लेकिन जब

5:21

खुद गलत करते तब

5:23

मैं अपने आप को कभी कहा कि तू कितना अपना

5:27

समय व्यर्थ कर रहा है यह भी तो गलत है तभी

5:29

अपने आप पर विरोध किया नहीं नहीं

5:34

तो काम क्रोध, क्रोध आएगा पर किसी और

5:38

पर नहीं अपने कर्मों पर

5:41

कि मनुष्य देह मैंने व्यर्थ में गंवा दी

5:46

स्मरण क्यों नहीं हो रहा मुझसे, मुझसे भक्ति

5:49

क्यों नहीं हो रही मुझे भगवान पर पूर्ण

5:52

भरोसा क्यों नहीं हो पा रहा  फिर अपने आप पर

5:56

क्रोध आएगा 

5:58

काम क्रोध

6:01

तीसरा लोभ

6:04

आप लोग किस चीज का होगा जब भगवान से जुड़

6:07

जाएंगे उनको निहारने का लोभ  उनको छूने

6:12

उनको स्पर्श करने का लोभ उनको देखने का

6:16

लोभ उनके साथ बातें करने का लोभ और यह

6:20

लोग प्रकट होगा संसारी लोभ लुप्त हो

6:24

जायेंगे फिर भगवान को प्राप्त करने का

6:28

उनसे बातें करने का मन में लालच जागेगा

6:31

वृंदावन आने का लोभ जागेगा हे बिहारी जी 

6:35

हे राधारमण जी हे श्रीजी हमें वृंदावन

6:38

बुला लो हमें वृंदावन बसा लो फिर यह लोभ

6:42

जागेगा है

6:46

काम क्रोध लोभ और तीसरा है मोह

6:51

मोह होगा पर किससे होगा ले एक मात्र

6:55

अपने प्रियतम से मोह होगा और वहां तो 

6:59

मोह होना भी संसार सागर से पार करा देता है

7:04

भगवान से जिसका मोह हो गया जैसे एक

7:09

मां का अपने छोटे से बालक से मोह होता है

7:12

एक लोभी का धन से मोह होता है यही तो कहते

7:18

हैं तुलसीदासजी काम ही नारि प्यारी जिमि

7:22

लोभहि प्रिय जिमि दाम तिमि रघुनाथ निरंतर

7:26

प्रिय लागहु मोहि राम इतना दे दो बस क्या

7:31

कामी को नारी बड़ी अच्छी लगती है लोभी को

7:35

पैसा बड़ा अच्छा लगता है, हे रघुनाथ वैसा ही

7:40

मुझे आप से प्रेम हो जाए ऐसा मोह हो जाए

7:44

कि छुड़ाने से छूटे नहीं 

7:50

जैसे किसी लोभी को धन से दाम से प्यार

7:54

हो जाए तो आप कितनी भी कोशिश कर लो उससे

7:57

कितना भी कह लो भी थोड़ा-बहुत दान देना

8:00

चाहिए पर उसको तो इतना मोह कि मुट्ठी से

8:03

छोड़ता नहीं

8:05

है

8:06

बाबा तुलसी कहते है रघुनाथ वैसा ही मेरा

8:10

प्रेम आपसे हो जाए लोभ हो जाए आपके दर्शन

8:14

का मैं आपको देखता रहूं और जितना देखूं

8:18

लोभ कम नहीं होता मान लीजिए आपका target टारगेट

8:22

है कि हम 1 लाख रुपए महीना में कमाएं तो

8:26

क्या 1 लाख कमाने के बाद मन शांत हो जाता

8:29

है क्या इससे ज्यादा नहीं कमाना

8:33

हां कि नहीं 

8:37

आज तक तो किसी का हुआ नहीं

8:40

मान लो मेरा नियम है कि मुझे एक दिन में

8:45

₹5000 कमाने अपनी दुकान से सुबह-सुबह कुछ

8:49

ग्राहक आगे ₹5000 मिल गए क्या अगले क्षण

8:53

ताला लगाकर घर चले जाते हैं कि बस हो गया

8:55

5,000 मिल गए अजी ऐसे कैसे चले जाएंगे

9:00

है जितना आए उतना कम है उतना ही लोभ बढ़ता

9:03

जाता है और आए और आए वैसे ही जो एक बार

9:07

श्री प्रभु से जिसको प्रेम हो जाए उसका

9:10

लोभ कभी कम नहीं होता कभी लगता है भगवान

9:13

बातें करें कभी लगता है भगवान स्पर्श

9:16

करें

9:17

कि वह देख-देख कर के ही राजी होता रहता है

9:24

कि इतने सारे लोग ब्रिज में आते हैं

9:26

वृंदावन आते हैं पागलों की भांति कोई हर

9:30

सप्ताह आता है कोई हर महीने है क्यों

9:33

श्री ठाकुर जी ने इनको पकड़ लिया है

9:37

कि इनका लोभ ठाकुर जी बढ़ा रहे हैं

9:44

है और जब एक बार वह आ जाता है श्री ठाकुर जी

9:47

उसको एक बार पकड़ लेते हैं तो फिर उसको

9:50

संसार की कोई वस्तु प्रिय नहीं लगती जगत

9:54

के रंग क्या देखूं तेरा दीदार काफी है

9:59

करूं मैं प्यार किस-किस से तेरा एक प्यार

10:04

काफी है उसको दुनिया की कोई मूर्ति कोई आप

10:10

जिनको ठाकुर जी से प्रेम है ना आप दुनिया

10:13

का उनका कोई अच्छी से अच्छी मूर्ति दिखा

10:16

दो लेकिन उनको जिस मूर्ति से प्यार है

10:19

उसके आगे कुछ अच्छा नहीं लगेगा 

10:24

एक बार एक राजा ने

10:27

अपनी प्रजा में घोषणा की 

10:30

कि इस प्रजा हुए जिसके बालक है

10:35

जिसके बच्चे हैं और जिन जिन को लगता है कि

10:38

उनका बच्चा इस प्रजा का सबसे सुंदर

10:41

बच्चा है तो लेकर आओ मैं उसको इनाम

10:45

दूंगा

10:47

सब लेकर आ रहे थे हमारा बच्चा, एक मैया आई 

10:52

उसने राजा से पूछा राजा जी मेरा बच्चा इस

10:55

प्रजा का सबसे सुंदर बच्चा है 

10:58

तो जैसे राजा जी ने देखा एकदम काला कलूटा

11:04

टेढ़ी मेढ़ी आँख, मोटी नाक

11:08

राजा जी हँसे राजा जी बोले मैया तूने

11:11

अपने यह बेटे को देखा कैसा दिख रहा है

11:14

तूने सोचा भी कैसे कि यह प्रजा का सबसे

11:18

अच्छा बच्चा है  सोच भी कैसे आई तेरे मन में तो

11:22

उस मैया ने हंस कर जवाब दिया हे राजा जी

11:25

अभी आप इसको अपनी दृष्टि से देख रहे हो

11:29

जरा मेरी दृष्टि से एक बार देखो तो पूरे

11:32

राज्य में इससे ज्यादा सुंदर कोइ बच्चा नहीं

11:36

बात तो दृष्टि की है ना बात तो

11:39

तुम्हारे नजरिए की है और मेरी आंखों से

11:42

देखोगे तो अपने आप समझ में आ जाएगा कि यह

11:45

दुनिया का सबसे सुंदर बच्चा है

11:48

ठीक वैसे ही भक्तों की नजर से देखो

11:52

भक्तों की दृष्टि से देखो तो इस दुनिया

11:55

में भगवान से अधिक रंगील और भगवान से

11:58

अधिक सुंदर और दूसरा कोई वस्तु नहीं है

12:02

पर उसके लिए चाहिए वह भक्तों की

12:04

दृष्टि

12:08

कर दो

12:10

मतो काम क्रोध लोभ मोह यह चारों जो हैं

12:15

यह भगवान से जुड़कर अवगुण भी गुण में बदल

12:20

जाते हैं भागवत क्या करती है भागवत हमारे

12:24

अवगुणों को गुण में परिणित करने का काम

12:27

करती है

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