काम, क्रोध, लोभ, व मोह से कैसे बचें? - देवी चित्रलेखा जी
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Transcript
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आम आदमी के अंदर
0:02
4 अवगुण पाए जाते हैं, अवगुण तो बहुत
0:08
हैं इंसान अवगुणों का भंडार है पर चार
0:11
विशेष नाम लिए जाते हैं जब भी अवगुणों की
0:14
बात आती है
0:16
एक काम
0:18
है क्रोध
0:21
लोभ और चौथा
0:23
यह मोह
0:26
कि इन चार अवगुणों की विशेष बात की जाती
0:30
है कि यह चार तो सभी में पाए जाते हैं
0:34
कुछ काम है क्रोध है लालच है और संसार के
0:38
प्रति मोह है विषयों के प्रति मोह है
0:42
है तो यह चार यह चारों जो अवगुण हैं यह
0:46
छूटेंगे कैसे हो
0:48
है और क्या भागवत इन चारों अवगुणों को
0:52
छुड़ाने के लिए सुनाई जाती है
0:55
बड़े ध्यान से सुनना है
0:58
[संगीत]
0:59
है क्योंकि
1:02
Foundation फाऊंडेशन मजबूत होगी तो बिल्डिंग भी अच्छी
1:05
बनेगी असल में हमारी सत्संग कथा भागवत
1:09
सुनने की Foundation फाऊंडेशन ही गलत है
1:13
कि हमारी नींव ही इस रूप में रख दी गई थी
1:16
कि भागवत सुनने से काम बन जाते हैं ऐसा बन
1:20
जाता है अब नींव ही गलत पड़ गई तो फिर
1:24
बिल्डिंग कहां से अच्छी बनी पहले समझ
1:26
लीजिए
1:28
कि क्या भागवत सुनने से काम क्रोध लोभ मोह
1:32
को यह दूर हो जाएं अवगुण, इसलिए सुनी जाती
1:36
है? नहीं
1:38
यह अवगुण दूर होना तो बड़ा मुश्किल काम है
1:42
तो भागवत क्या करेगी लिए काम क्रोध रहेंगे
1:46
आपके भीतर, लेकिन जो संसार के प्रति थे
1:50
अब वह मुड़कर के भागवत उन अवगुणों को
1:53
कृष्ण से जोड़ देगी और फिर वह गुण अपने आप
1:57
कृष्ण से जुडते ही गुण बन जाएंगे
2:02
कैसे ?
2:04
काम यानी एक प्रकार की इच्छा
2:08
मैं
2:09
अभी अच्छा भगवान से कैसे जुड़ेगी
2:13
काम हो इच्छा हो किसी की इच्छा हो भगवत
2:16
प्राप्ति की
2:20
श्रीमद्भागवत में जहां
2:24
रासपंचाध्याई वहां एक श्लोक आता है जब गोपियां
2:27
दौड़ी दौड़ी आ रही है श्रीकृष्ण से मिलन
2:31
के लिए जब बांसुरी सुनी है तब शुकदेव जी
2:35
ने गाया है निशम्य गीतम तधनंग वर्धनम
2:40
कैसा गीत बजाया है आज कृष्ण ने अनंग
2:44
वर्धन करने वाला काम को बढ़ाने वाला अनंग
2:48
वर्धनम
2:49
कि अब यहां यह प्रश्न हो सकता कि
2:53
कृष्ण की वेणू कृष्ण की बांसुरी काम बड़ा
2:57
सकती है कभी कामना बढ़ा सकते हो यहां काम
3:01
बड़ाया पर कैसा काम संसारी काम नहीं
3:04
कृष्ण दर्शन की इच्छा
3:07
उसको बढ़ाया गया है इसलिए शुकदेवजी ने कहा
3:10
अनंग वर्धनम
3:13
काम को बढ़ाने वाला गीत आज कृष्ण
3:16
ने गाया है,काम
3:18
यानी इच्छा इच्छा किसकी प्रियतम के
3:22
मिलन की
3:24
तो फिर काम के बाद आता है क्रोध
3:27
क्रोध सब के अंदर होता है
3:31
होता है कि नहीं होता है
3:36
ठीक है सा कोई सिद्ध महापुरुष यहां पर जो
3:39
हाथ उठाकर ले
3:41
की हिम्मत से कैसे के जी हां मुझे
3:43
क्रोध नहीं आता
3:46
कि हमने क्रोध को जीत लिया हे एक महात्मा
3:50
जी
3:51
40 साल हिमालय की गुफा में तप करके और तप
3:55
क्या क्रोध पर विजय प्राप्त करी
3:59
तपस्या करके आ गए बिहारी जी के मंदिर में
4:02
बिहारी जी के मंदिर तो आपको पता है इतनी
4:05
भीड़ होती है वहां कौन किसको कोई VIP वीआईपी
4:08
वीआईपी सब कोने में धरे रह जाते हैं सब
4:12
एक-दूसरे को धक्का देते हैं तो किसी का
4:14
पांव बाबा के पांव पर चड़ गया तो बाबा एक
4:16
दम गुस्से में बोले खबरदार तुझे पता नहीं
4:19
मैं कौन हूं मैं महात्मा 40 साल हिमालय
4:23
में रहकर मैंने क्रोध पर विजय प्राप्त
4:25
क्यों तेरी यह हिम्मत तू मेरे पांव पर पांव रख रहा है
4:29
बात पर बड़ा हंसा वाह महात्मा जी 40
4:33
साल में आपने यह विजय प्राप्त करी के पांव
4:35
पर पांव धर दिया तो आप आग बबूला हुए
4:38
कहना बड़ा आसान है और क्रोध पर विजय
4:42
प्राप्त करना पड़ा बड़ा मुश्किल कार्य है
4:46
तो फिर क्या करें क्रोध
4:50
जब भगवान से जुड़ जाएगा तो क्या होगा
4:53
वह इस फिर संसार पर क्रोध नहीं आएगा फिर
4:57
अपने आप पर क्रोध आएगा कि तू कैसे अपना
5:00
जीवन बर्बाद कर रहा है हर दिन तो अपने
5:03
व्यर्थ में गंवारा तूने अब तक भगवान की ओर
5:06
देखा तक नहीं फिर अपने आप पर क्रोध होता है
5:10
अपने आप पर हीन भावना आएगी
5:13
[संगीत]
5:14
कि कई लोग कहते मैं बस गलत होते नहीं देख
5:18
सकता बस यही नहीं सहा जाता मुझसे लेकिन जब
5:21
खुद गलत करते तब
5:23
मैं अपने आप को कभी कहा कि तू कितना अपना
5:27
समय व्यर्थ कर रहा है यह भी तो गलत है तभी
5:29
अपने आप पर विरोध किया नहीं नहीं
5:34
तो काम क्रोध, क्रोध आएगा पर किसी और
5:38
पर नहीं अपने कर्मों पर
5:41
कि मनुष्य देह मैंने व्यर्थ में गंवा दी
5:46
स्मरण क्यों नहीं हो रहा मुझसे, मुझसे भक्ति
5:49
क्यों नहीं हो रही मुझे भगवान पर पूर्ण
5:52
भरोसा क्यों नहीं हो पा रहा फिर अपने आप पर
5:56
क्रोध आएगा
5:58
काम क्रोध
6:01
तीसरा लोभ
6:04
आप लोग किस चीज का होगा जब भगवान से जुड़
6:07
जाएंगे उनको निहारने का लोभ उनको छूने
6:12
उनको स्पर्श करने का लोभ उनको देखने का
6:16
लोभ उनके साथ बातें करने का लोभ और यह
6:20
लोग प्रकट होगा संसारी लोभ लुप्त हो
6:24
जायेंगे फिर भगवान को प्राप्त करने का
6:28
उनसे बातें करने का मन में लालच जागेगा
6:31
वृंदावन आने का लोभ जागेगा हे बिहारी जी
6:35
हे राधारमण जी हे श्रीजी हमें वृंदावन
6:38
बुला लो हमें वृंदावन बसा लो फिर यह लोभ
6:42
जागेगा है
6:46
काम क्रोध लोभ और तीसरा है मोह
6:51
मोह होगा पर किससे होगा ले एक मात्र
6:55
अपने प्रियतम से मोह होगा और वहां तो
6:59
मोह होना भी संसार सागर से पार करा देता है
7:04
भगवान से जिसका मोह हो गया जैसे एक
7:09
मां का अपने छोटे से बालक से मोह होता है
7:12
एक लोभी का धन से मोह होता है यही तो कहते
7:18
हैं तुलसीदासजी काम ही नारि प्यारी जिमि
7:22
लोभहि प्रिय जिमि दाम तिमि रघुनाथ निरंतर
7:26
प्रिय लागहु मोहि राम इतना दे दो बस क्या
7:31
कामी को नारी बड़ी अच्छी लगती है लोभी को
7:35
पैसा बड़ा अच्छा लगता है, हे रघुनाथ वैसा ही
7:40
मुझे आप से प्रेम हो जाए ऐसा मोह हो जाए
7:44
कि छुड़ाने से छूटे नहीं
7:50
जैसे किसी लोभी को धन से दाम से प्यार
7:54
हो जाए तो आप कितनी भी कोशिश कर लो उससे
7:57
कितना भी कह लो भी थोड़ा-बहुत दान देना
8:00
चाहिए पर उसको तो इतना मोह कि मुट्ठी से
8:03
छोड़ता नहीं
8:05
है
8:06
बाबा तुलसी कहते है रघुनाथ वैसा ही मेरा
8:10
प्रेम आपसे हो जाए लोभ हो जाए आपके दर्शन
8:14
का मैं आपको देखता रहूं और जितना देखूं
8:18
लोभ कम नहीं होता मान लीजिए आपका target टारगेट
8:22
है कि हम 1 लाख रुपए महीना में कमाएं तो
8:26
क्या 1 लाख कमाने के बाद मन शांत हो जाता
8:29
है क्या इससे ज्यादा नहीं कमाना
8:33
हां कि नहीं
8:37
आज तक तो किसी का हुआ नहीं
8:40
मान लो मेरा नियम है कि मुझे एक दिन में
8:45
₹5000 कमाने अपनी दुकान से सुबह-सुबह कुछ
8:49
ग्राहक आगे ₹5000 मिल गए क्या अगले क्षण
8:53
ताला लगाकर घर चले जाते हैं कि बस हो गया
8:55
5,000 मिल गए अजी ऐसे कैसे चले जाएंगे
9:00
है जितना आए उतना कम है उतना ही लोभ बढ़ता
9:03
जाता है और आए और आए वैसे ही जो एक बार
9:07
श्री प्रभु से जिसको प्रेम हो जाए उसका
9:10
लोभ कभी कम नहीं होता कभी लगता है भगवान
9:13
बातें करें कभी लगता है भगवान स्पर्श
9:16
करें
9:17
कि वह देख-देख कर के ही राजी होता रहता है
9:24
कि इतने सारे लोग ब्रिज में आते हैं
9:26
वृंदावन आते हैं पागलों की भांति कोई हर
9:30
सप्ताह आता है कोई हर महीने है क्यों
9:33
श्री ठाकुर जी ने इनको पकड़ लिया है
9:37
कि इनका लोभ ठाकुर जी बढ़ा रहे हैं
9:44
है और जब एक बार वह आ जाता है श्री ठाकुर जी
9:47
उसको एक बार पकड़ लेते हैं तो फिर उसको
9:50
संसार की कोई वस्तु प्रिय नहीं लगती जगत
9:54
के रंग क्या देखूं तेरा दीदार काफी है
9:59
करूं मैं प्यार किस-किस से तेरा एक प्यार
10:04
काफी है उसको दुनिया की कोई मूर्ति कोई आप
10:10
जिनको ठाकुर जी से प्रेम है ना आप दुनिया
10:13
का उनका कोई अच्छी से अच्छी मूर्ति दिखा
10:16
दो लेकिन उनको जिस मूर्ति से प्यार है
10:19
उसके आगे कुछ अच्छा नहीं लगेगा
10:24
एक बार एक राजा ने
10:27
अपनी प्रजा में घोषणा की
10:30
कि इस प्रजा हुए जिसके बालक है
10:35
जिसके बच्चे हैं और जिन जिन को लगता है कि
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उनका बच्चा इस प्रजा का सबसे सुंदर
10:41
बच्चा है तो लेकर आओ मैं उसको इनाम
10:45
दूंगा
10:47
सब लेकर आ रहे थे हमारा बच्चा, एक मैया आई
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उसने राजा से पूछा राजा जी मेरा बच्चा इस
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प्रजा का सबसे सुंदर बच्चा है
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तो जैसे राजा जी ने देखा एकदम काला कलूटा
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टेढ़ी मेढ़ी आँख, मोटी नाक
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राजा जी हँसे राजा जी बोले मैया तूने
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अपने यह बेटे को देखा कैसा दिख रहा है
11:14
तूने सोचा भी कैसे कि यह प्रजा का सबसे
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अच्छा बच्चा है सोच भी कैसे आई तेरे मन में तो
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उस मैया ने हंस कर जवाब दिया हे राजा जी
11:25
अभी आप इसको अपनी दृष्टि से देख रहे हो
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जरा मेरी दृष्टि से एक बार देखो तो पूरे
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राज्य में इससे ज्यादा सुंदर कोइ बच्चा नहीं
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बात तो दृष्टि की है ना बात तो
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तुम्हारे नजरिए की है और मेरी आंखों से
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देखोगे तो अपने आप समझ में आ जाएगा कि यह
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दुनिया का सबसे सुंदर बच्चा है
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ठीक वैसे ही भक्तों की नजर से देखो
11:52
भक्तों की दृष्टि से देखो तो इस दुनिया
11:55
में भगवान से अधिक रंगील और भगवान से
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अधिक सुंदर और दूसरा कोई वस्तु नहीं है
12:02
पर उसके लिए चाहिए वह भक्तों की
12:04
दृष्टि
12:08
कर दो
12:10
मतो काम क्रोध लोभ मोह यह चारों जो हैं
12:15
यह भगवान से जुड़कर अवगुण भी गुण में बदल
12:20
जाते हैं भागवत क्या करती है भागवत हमारे
12:24
अवगुणों को गुण में परिणित करने का काम
12:27
करती है
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