भगवान से बिछड़े जीव की पीड़ा - भगवान को पाने का अवसर दोबारा नहीं मिलेगा | Devi Chitralekhaji
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Transcript
0:01
कितने
कितने जन्मों से यह जीव इस माया के
0:06
नाच
में नाच रहा है भटक रहा
0:09
है
और
0:13
फिर
नाचते नाचते जब हार जाता है जब थक
0:18
जाता
0:19
है
तब भगवान कृपा करके उसके जीवन में अपना
0:25
ही
दूसरा रूप बना कर के
0:28
आते
हैँ और वह रूप होता है गुरु
0:33
का
एक सदगुरु के रूप में भटकते हुए उस जीव
0:38
को
पार लगाने के
0:41
लिए
भगवान आते
0:44
हैं
और फिर वह गुरु कान में मंत्र देकर के
0:48
हरि
नाम देकर
0:50
के
इस भटकती हुई आत्मा को इस भटकते हुए
0:54
जीव
को भगवान से जोड़ देता
0:58
है
इस दुनिया में उस गुरु के एहसानों को
1:02
कभी
कोई चुका नहीं
1:05
पाएगा
कि जहां हम कुछ नहीं जानते थे फंसे
1:11
हुए
माया
1:12
में
उस समय गुरु ने आकर के हमें
1:16
जगाया
कि तू उनका बनाया हुआ है तू
1:21
उनका
है तेरा रिश्ता उनसे
1:24
है
क्यों बार-बार भूल जाता है इस बात
1:28
को
1:30
क्यों
संसार की चका चोन्ध में अंधा होकर के
1:34
बार-बार
यह भूल जाता
1:37
है
कि मैं कई जन्मों से भटक रहा हूं पर हे
1:43
नाथ
हूं मैं आपका हूँ
1:45
कहते
1:51
हैं
1:53
कि
दुनिया
1:57
में
1:58
कोई
छोटा बच्चा जब खेल करके आता है बाहर
2:03
से
और पूरा मिट्टी में सना हुआ होता है
2:08
कोई
उसको गोदी में नहीं
2:10
लेता
सब देखते हैं कि इसका शरीर गंदा है
2:14
मैला
है कुचेला
2:16
है
लेकिन जैसे ही वह भाग करके अपनी मां की
2:19
गोदी
में जाता है तो तुरंत उसको गोदी में
2:22
उठा
लेती
2:24
है
ठीक उसी प्रकार श्री ठाकुर जी श्री
2:27
राधा
रानी हम चाहे कितने भी
2:30
गंदे
हो पर जब उनके पास हम दौड़ करके जाकर
2:35
के
उनका नाम ले लेकर के उनको पुकारते हैं
2:39
वह
बिना देखे कि इसमें कितने अवगुण हैं
2:42
कितनी
गंदगी है कितना मैल
2:45
है
कुछ नहीं देखते
2:49
क्योंकि
जब महापुरुषों के मुख से हम सुनते
2:53
हैं
ना भगवान को पाने के लिए ऐसा मन
2:56
चाहिए
इच्छा शून्य मन
3:00
कामना
3:01
वासना
के रिक्त मन वह भगवान को पा सकता है
3:06
उस
हिसाब से देखा जाए
3:09
तो
इस दुनिया में कोई बिरला ही होगा जो इच्छा
3:13
से
विमुक्त हो गया हो कामनाओं से रिक्त हो
3:18
गया
हो तो फिर हमारी नैया कैसे पार
3:22
उतरेगी
तो फिर दूसरी तरफ महापुरुष यह भी
3:26
कह
देते कि भैया भले हो बुरे हो जैसे भी
3:32
हो
भगवान के सामने जाकर के बस इतना कह दो
3:35
कि
3:37
आपको
अब अपनाना तो तुमको पड़ेगा
3:41
ही
जिद मान
3:43
लो
यह हमारी नासमझी मान लो
3:50
पर
बिना आपके अपनाए
3:53
तो
कभी-कभी जब अकेले में बैठो और कभी सोचो
3:58
कि
4:00
शास्त्र
कहते हैं जीव 84 लाख
की योनियों
4:04
में
गुजरता है भागता
4:06
है
हर योनि में उसे तड़प रहती है बेचैनी
4:11
रहती
4:12
है
और फिर एक योनि मिलती है मनुष्य
4:18
जन
जहां वह भगवान को देख सकता है कथा सुन
4:22
सकता
है नाम जाप कर सकता है कीर्तन कर
4:26
सकता
है पर फिर भी
4:30
इस
योनि में भी अगर हम आपको ना पा
4:36
सके
तो फिर पता
4:39
नहीं
कितने जन्म और चक्कर लगाने
4:44
पड़ेंगे
पता नहीं आगे के जन्मों
4:48
में
कृष्ण नाम को जान भी पाएंगे या नहीं
4:53
ऐसे
सदगुरु मिल पाएंगे या
4:57
नहीं
ब्रजभूमि
5:00
में
जन्म वास मिल पाएगा या
5:06
नहीं
यह सब जानते हुए
5:10
भी
मेरा
5:12
मन
आपके चरणों में तभी
5:16
लगेगा
जब कृपा करेंगे क्योंकि महापुरुष
5:20
कहते
हैं भक्ति कृपा की वस्तु है भक्ति
5:24
कृपा
से मिलती है गुरु कृपा से मिलती है
5:29
संतों
की कृपा से मिलती
5:32
है
और गुरु ने
5:35
तो
सब कुछ सब कुछ दे दिया
5:40
हमको
जिसको पाने में
5:43
हमें
कठिन परिश्रम करना पड़ता मेहनत करनी
5:47
पड़ती
गुरु ने बिना कुछ मांगे हमसे वो
5:52
इतना
बड़ा कृष्ण नाम हमें दे
5:55
दिया
और कह दिया कि अब तू इसको भजता है
6:00
इसको
लेता
6:01
रह
तुझे कहीं
6:04
भी
भटकने की आवश्यकता
6:08
नहीं
6:10
इसलिए
उन गुरु
6:14
का
कौन ऋण चुका सकता है कौन एहसान चुका
6:18
सकता
है जिन्होंने हमें यह खजाना दिया य
6:22
कृष्ण
नाम
6:24
दिया
तो इसलिए भगवान से
6:28
रोज
6:29
रोज
प्रार्थना करनी चाहिए निवेदन करना
6:32
चाहिए
कभी भूलूं ना याद तुम्हारी
6:36
प्रभु
ऐसा कोई समय ना आ जाए जीवन का कि जब
6:40
मैं
माया में फस कर के आपको भूल
6:44
जाऊं
क्योंकि आपके बगैर कुछ भी नहीं है
6:47
संसार
में कुछ भी नहीं
6:51
है
यह तो दौड़ है एक जीवन भर चलनी ही चलनी
6:57
है
किसी को कहीं दौड़ना किसी को कहीं
7:00
भागना
है और अंधे होकर के भागते रहते
7:04
हैं
लेकिन जब अंत में जाकर के
7:09
कहीं
भागते भागते प्रभु के चरणों की
7:14
छाया
मिल जाती है तब जाकर के पायो परम
7:19
विश्राम
तब जाकर के परम विश्राम की परम
7:23
शांति
की प्राप्ति होती
7:28
है
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भगवान् से बिछड़े जीव की पीड़ा - भगवान् को पाने का अवसर दोबारा नहीं मिलेगा Devi Chitralekhaji.mp4