Monday, October 25, 2021

मेरा जन्म क्यों हुआ है मेरे जीवन का उद्देश्य क्या है Why was I born? What is the purpose of my life? - Shri Premanand ji

मेरा जन्म क्यों हुआ है मेरे जीवन का उद्देश्य क्या है

Why was I born? What is the purpose of my life?

https://youtu.be/kHC9RrPr8yo&t=0

1 यही उद्देश्य है कि मैं शरीर नहीं हूं मैं भगवान का सच्चिदानंद अंश हूं इस बात को हम जानकर मुक्त हो जाएं, इस संसार में हमारा बार-बार जन्म मरण ना हो Purpose is to come to know that I am not the body, I am the true eternal bliss of God, knowing this we should become free, we should not have to take birth and death again and again in this world. https://youtu.be/kHC9RrPr8yo&t=19 2 अभी हम स्त्री पुरुष शरीरों में आसक्त हैं, अभी हमारा बड़ा भ्रम है, संसार के भोगों में सुख है, इसी को मिटाने के लिए आए हो आप Right now we are attracted to male and female bodies & hence we have a big illusion that there is happiness in worldly pleasures, we have come to destroy this illusion. https://youtu.be/kHC9RrPr8yo&t=65 3 आप भगवत प्राप्ति कर सकते हो, आप देवलोक जा सकते हो, आप नरक जा सकते हो, आप सुअर, कुत्ता बन सकते हो, आप भूत प्रेत बन सकते हो, जो चाहो कर सकते हो You can attain God, you can go to heaven, you can go to hell, you can become a pig, a dog, you can become a ghost, you can do whatever you want. https://youtu.be/kHC9RrPr8yo&t=76 4 इसलिए मनुष्य का परम कर्तव्य चाह मिटा देना, इसलिए खूब नाम जप करें अच्छे आचरण करें और बुजुर्गों की सेवा करें उनके आशीर्वाद से हमें ज्ञान प्राप्त होगा तब भ्रम नष्ट होगा, सेवा के बिना शरीर पवित्र नहीं होता और नाम जप के बिना मन पवित्र नहीं होता और तन और मन जिसका पवित्र हो गया वही परम पवित्र भगवान को प्राप्त होता है  Therefore, the supreme duty of man is to eliminate desires, hence chant His Name a lot, do good conduct and serve the elders, with their blessings we will gain knowledge, only then the illusion will be destroyed, without service the body does not become pure and without chanting the name the mind does not become pure. And only one whose body and mind becomes pure can attain the supreme God. https://youtu.be/kHC9RrPr8yo&t=86 5 इस शरीर को जो पंचभूतों से बना हुआ है अपने आप में मिल जाते हैं और मैं अजन्मा हूं, इच्छा करने के कारण फिर मुझे नए शरीर में जाना पड़ता है, यहां इच्छा मिटाने आए हैं, इच्छा बढ़ाने नहीं आए यहां भगवत प्राप्ति करने आए हैं, संसार में राग फसाने नहीं आए और उल्टा हो रहा है हम इच्छा बढ़ा रहे हैं, राग बढ़ा रहे हैं, भगवान की तरफ से विमुख हैं, संसार की तरफ लगे हुए है यह हमसे, भ्रम हो गया इसी को ठीक करना है This body which is made up of five elements merges with itself and I am unborn BUT because of having desires I am given a new body, I have come here to make my worldly desires nil (simply by diverting all my desires to Lord), not to increase my worldly desires, I have come here to attain God, We have not come to get entrapped in attachments of this world and the opposite is happening. We are increasing desires, increasing attachment, we are turning away from God, we are attached to the world, we have become confused & illusioned, this has to be corrected. https://youtu.be/kHC9RrPr8yo&t=116


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मेरा जन्म क्यों हुआ है मेरे जीवन का उद्देश्य क्या है Mera janam kyu hua hai mera janm kyon hua hai.mp4