Sunday, April 30, 2023

ये गुप्त संकेत मिले तो प्रभु ने आपका हाथ पकड़ लिया है by Premanand ji

ये गुप्त संकेत मिले तो प्रभु ने आपका हाथ पकड़ लिया है by Premanand ji


Transcript 0:00 बोले मेरे हाथ में ताकत नहीं,  0:02 हाँ पक्की बात है आप में ताकत नहीं है 0:04 लेकिन आपका हाथ बहुत बड़े ताकतवर ने पकड़ 0:07 लिया है अब आप फिसलोगे नहीं, इधर प्रिया जू 0:09 इधर प्रीतम जू और बीच में आप चल रहे आपको 0:12 क्या परेशानी है, दोनों युगल सरकार हमें पकड़ 0:15 कर के चल रहे हैं, ऐसा भाव रखो, मैं अकेले 0:17 थोड़ी चल रहा हूं प्रिया प्रीतम के बीच 0:19 में चल रहा हूं, लाडली लाल हमें ले चल रहे 0:25 हैं, यह बात ध्यान से सुनिए यह सिद्धांत है 0:29 “जोई जोई प्यारो करे सोई मोई भावे” ये पहली 0:32 पंक्ति अगर जीवन में नहीं आई तो आप रस 0:34 उपासक नहीं हो रस उपासना में पहली बात आप 0:40 समर्थ है ना और हम उनके हैं ना अब वो जो 0:44 विधान हमारे लिए करेंगे वो उचित है, वही 0:47 विधान हमें मिलाएगा जाके प्रिया प्रीतम से, 0:49 हमारी (मन की दुनिया से) चाहत हमको प्रिया प्रीतम से अलग 0:52 करेगी, हमारे प्रभु का विधान हमें उनके रस 0:55 में मिला देगा, यह बात आप अपने हृदय में 0:57 बैठा लीजिए, शिकायत करने की बिल्कुल जरूरत 0:59 नहीं, 1:01 सुख समुद्र होते हुए वह हमें विपत्ति 1:03 क्यों दे रहे हैं ? प्रतिकूलता क्यों दे रहे  1:06 हैं ? दुख क्यों दे रहे हैं ? क्या उनको घाटा 1:08 पड़ जाएगा ? समुद्र से चुल्लू भर जल निकाल 1:11 ले तो उसको कुछ कमी पड़ती है ? अरे मालिक आप 1:13 तो सुख समुद्र हो, फिर मुझे विपत्ति (problems) क्यों 1:15 दे रहे हो ? क्योंकि तुम इसी विपत्ति रूपी 1:18 कड़वी दवा से राग रहित होगे (you’ll get rid of these problems) , अनुराग (love) को 1:22 प्राप्त होगे, यह (कड़वी) दवा तुम्हें राग रहित 1:23 करेगी, ये अनुकूलता (favourable circumstances) रूपी मिठाई तुम्हारे 1:26 शुगर पैदा कर देगी, तुम स्वस्थ नहीं रहोगे, 1:28 मानो मेरी बात यदि हमारे स्वामी की इच्छा 1:31 है कि तुम दुख भोगो, करोड़ों सुख बलिहार हैं 1:34 उस दुख पर हँस कर सहेंगे, 1:36 बातों से नहीं, तैयार हो जाओ “चढ़ के मैं (see text 1 below) 1:41 तुरंग पर चल पावक माय”, ये वाह वाह (praises) कहने वाला 1:44 मार्ग नहीं है, आह (sigh) कहने वाला मार्ग है, राधा 1:48 स्वामिनी कदम आगे बढ़ते चले जाएं, ना फिसलना 1:52 है, ना रुकना है और ना झुकना है, किसी विकार (अव्यवस्था, disorder) 1:56 के आगे झुकना नहीं है, रुकना नहीं किसी 1:59 विघ्न से रुकना नहीं है, हां किसी सुख 2:01 अनुकूलता, प्रतिष्ठा में फिसलना नहीं, बढ़ते 2:04 कदम चले जाएं, बोले मेरे ताकत नहीं, हां नहीं 2:07 आपमें ताकत नहीं है, 2:10 लेकिन आपका हाथ बहुत बड़े ताकतवर ने पकड़ 2:12 लिया है, अब आप फिसलोगे नहीं, इधर प्रिया जू उधर 2:15 प्रीतम जू और बीच में आप चल रहे, आपको क्या 2:17 परेशानी दोनों युगल सरकार हमें पकड़ कर के 2:20 चला रहे हैं ऐसा भाव रखो मैं अकेले थोड़ी 2:22 चल रहा हूं, प्रिया प्रीतम के बीच में चल 2:24 रहा हूं, लाडली लाल हमें ले चल रहे हैं अब 2:28 अगर वो हमको दुख देना चाहते हैं जिसे दुख 2:31 संसार में कहा जाता है तो मुझे नहीं चाहिए 2:34 सुख verse जो 2:38 इनके मन में आया कि अच्छा अभी फसाओ बनाए 2:41 हुए हैं, ये देखो हम फेंकते हैं दवा, 2:44 फेंकी दवा अब सब जगह कड़वाहट ही कड़वाहट, 2:47 अपमान, शरीर रोग से ग्रसित, शरीर अभिमान 2:49 गलित, परिवार, संसार, निंदा की दृष्टि से, कोई 2:52 राग नहीं, अब एक बात बची, नाथ नाथन समर्थ 2:55 मोहन श्री राधा हे प्रभु आपके सिवा कोई 2:58 नहीं, हाँ बोले दवा काम कर गइ 3:00 अब अपने लोग क्या जरा सी प्रतिकूलता आती 3:02 है श्री जी से शिकायत प्रारंभ कर देते हैं 3:05 और कहलाते क्या है प्रेमी, रसिक जन, 3:10 समझो यही बात सार निर्धार (determined), “प्यारे राहबरी 3:15 इच्छा नहीं जानी तो जानवे पे धूल” अपने 3:17 प्यारे की इच्छा नहीं जानी, अपनी ही इच्छा को 3:19 जान जान करके आरोपित करते रहते हो तो 3:21 तुम्हारे जानवे पर धूल (धिक्कार) है तुम कैसे उपासक 3:24 हो इस निष्ठा से जब हम प्यारी जू प्यारे जू 3:28 की तरफ चलते हैं तो दर्शन होने लगता है 3:31 अनुभव होने लगता है, बिल्कुल सच्ची बात 3:33 मानिए, ये कल्पना नहीं होती, परमार्थ में 3:36 प्रेम मार्ग में जो आप चलते हैं आपकी 3:38 भावना में जो हल्की सी झांकी आ रही है, प्रिया 3:41 प्रीतम की ऐसे ही मन की भावना के अनुसार 3:43 वृंदावन झलक रहा है, यमुना जी दिखाई दे 3:46 रही हैं थोड़ी थोड़ी, यह कल्पना नहीं 3:48 तुम्हारी यह प्रारंभिक कृपा शुरू हो गई, 3:51 यही गाढ भाव में संसार अंतरध्यान केवल 3:54 वृंदावन और दिव्य लीला - ऐसे खुली आंख से दिखती 3:57 है, हमारे प्यारी जू प्यारे जू ऐसे नहीं कि  3:59 झलक दिए और चले गए (see text 1 above) ‘रहिमन’ मैन-तुरंग चढ़ि, चलिबो पावक माहिं। प्रेम-पंथ ऐसो कठिन, सब कोउ निबहत नाहिं॥ प्रेम का मार्ग हर कोई नहीं तय कर सकता। बड़ा कठिन है उस पर चलना, जैसे मोम के बने घोड़े पर सवार हो आग पर चलना। तुरंग = घोड़ा, पावक = आग   Standby link (in case youtube link does not work) ये गुप्त संकेत मिले तो प्रभु ने आपका हाथ पकड़ लिया है #premanandjimaharaj #premanand #premanandji.mp4